मोदी का नया लोकपाल
(जलपन पटेल)
अहमदाबाद (साई)। गुजरात विधानसभा ने नया
लोकायुक्त विधेयक पारित कर दिया है। इस विधेयक के कानून बनने पर भ्रष्टाचार रोधी
लोकपाल की नियुक्ति में राज्यपाल और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वर्चस्व
सीमित हो जाएगा। गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक-२०१३ कल सदन ने बहुमत से पारित कर
दिया। विपक्षी कांग्रेस ने इसके विरोध में सदन से वाकआउट किया। उसका कहना था कि यह
विधेयक भ्रष्टाचार को पर्दे में रखने की नरेन्द्र मोदी सरकार की चाल है।
मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नया गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक में लोकायुक्त की
नियुक्ति में राज्यपाल और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका खत्म कर दी गयी है। इस
विधेयक में मुख्यमंत्री की अगुवाई में सात सदस्यों की पसंदगी समिति का प्रावधान है
जिसके द्वारा दिये गये नाम को राज्यपाल को मंजूरी देनी होगी।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि यह
समिति के अन्य सदस्यों में मुख्यमंत्री द्वारा पसंद किया गया एक मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष का नेता, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का एक
प्रतिनिधि और राज्य सतर्कता आयोग शामिल रहेंगे। लोकायुक्त का नया विधेयक ऐसे समय
लाया गया है जब राज्यपाल द्वारा अगस्त २०११ में सेवानिवृत न्यायमूर्ति आरए मेहता
की नियुक्ति पर मोदी सरकार अपनी कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में हार चुकी है।
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