हो गया कसाब का
हिसाब
(लिमटी खरे)
देश की आर्थिक
राजधानी मुंबई पर अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले के इकलौते जिंदा मुलजिम अजमल कसाब
को अंततः फांसी दे ही दी गई। आपरेशन एक्स के जरिए बहुत ही गोपनीय तरीके से सारी
कार्यवाही को अंजाम दिया गया। जिस तरीके से यह आपरेशन एक्स निपटा है उससे लगने लगा
है कि देश में काफी बातें गोपनीय रखी जा सकती हैं। एक बात और उभरकर सामने आ रही है
कि कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी देने के बाद उसे दफना दिया गया है। अगर
एसा हुआ है तो यह उचित नहीं है। कहा जाता है कि मौत के 72 घंटे तक उसके परिजनों
के आने का इंतजार किया जाता है, इस लिहाज से कसाब के परिजनों या पाकिस्तान
सरकार के रूख का इंतजार किया जाना चाहिए था।
ज्ञातव्य है कि
महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी अजमल आमिर कसाब की
दया याचिका खारिज कर दी थी। कसाब को २६ नवम्बर २००८ के मुंबई आतंकी हमले मामले में
मौत की सजा सुनाई गयी थी। बताते हैं कि महामहिम राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय की
सलाह पर यह फैसला किया है। राष्ट्रपति का निर्णय महाराष्ट्र के गृह विभाग के उस
फैसले के दो महीने बाद आया है जिसमें राष्ट्रपति को संबोधित कसाब की दया याचिका
खारिज की गई थी। राज्य के गृह विभाग की सिफारिशें मुख्यमंत्री कार्यालय के जरिए
राष्ट्रपति भवन भेजी गई थी। कसाब उन १० पाकिस्तानी आतंकवादियों में से एकमात्र
जीवित आतंकवादी है जो कराची से नौका के जरिए मुंबई पर हमला करने आए थे। इस
आतंकवादी हमले में १६५ लोगों की जानें गई थी। इन आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला
करने से पहले उस नौका के भारतीय कैप्टन की भी हत्या कर दी थी जिस उन्होंने गुजरात
तट से अपहरण किया था। कसाब को मृत्यु दंड दिये जाने की उच्चतम न्यायालय ने पुष्टि
की थी उसकी दया याचिका राष्ट्रपति कार्यालय में लंबित थी।
26/11 के इकलौते जिन्दा गुनहगार पाकिस्तानी
आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फांसी दे दी गई है। कसाब को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से
पुणे की यरवदा जेल में शिफ्ट कर बुधवार सुबह 7.30 बजे फांसी पर
लटकाया गया। फांसी के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री
सुशील कुमार शिंदे ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि की है। केंद्रीय गृह
मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि गृह मंत्रालय ने 23 अक्टूबर को ही
राष्ट्रपति से सिफारिश की थी कि कसाब की दया याचिका को खारिज कर दिया जाए। इसके
बाद 5 नवंबर को
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कसाब की दया याचिका को खारिज कर दिया। शिंदे ने बताया
कि 8 नवंबर को
ही यह तय हो गया था कि कसाब को 12 तारीख को फांसी दे दी जाए। इस बारे में
महाराष्ट्र सरकार को उसी दिन जानकारी दे दी गई थी।
कसाब को दफनाने की
बात में कितनी सच्चाई है इस बारे में अभी कहा नहीं जा सकता है किन्तु कानून के
हिसाब से पुलिस किसी भी मृतक के परिजनों का 72 घंटे तक इंतजार करती है। इसके बाद
मैजिस्ट्रेट की इजाजत के बाद उनका धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।
कुछ लोगों का मानना है कि कुछ लोगों का मानना है कि अगर पाकिस्तान कसाब के शरीर को
लेने से इनकार करता है तो उसे बजाए भारत में दफनाने के, समंदर में दफन कर
दिया जाए। आशंका है कि अगर कसाब को भारत में दफन किया जाता है, तो कट्टरपंथी और
राष्ट्र विरोधी लोग उसे हीरो बना सकते हैं। इसी आशंका के डर से अमेरिका ने 9/11 के गुनहगार ओसामा
बिना लादेन को मार गिराने के बाद उसकी डेड बॉडी को समंदर में दफन कर दिया था। ऐसे
में कसाब के शरीर के साथ भी ऐसा ही किया जा सकता है।
अब कसाब के नाम पर
राजनीति की बिसात बिछ चुकी है। कांग्रेस और भाजपा आमने सामने हैं। कांग्रेस का
आरोप है कि भाजपा ने कंधार जाकर आतंकियों के सामने घुटने टेके और भाजपा सरकार ने
राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी क्यों नहीं दी। राजीव गांधी के हत्यारों को
फांसी क्यों नही दी गई यह बात किसी से छिपी नहीं है। रही बात कंधार की तो उस मामले
में निश्चित तौर पर भाजपा सरकार घुटनों पर खड़ी दिख रही थी। इधर भाजपा अफजल गुरू के
मामले में धार तेज करती दिख रही है। मीडिया को एक मौका मिल गया है जिसमें उसने
अपनी टीआरपी तेजी से बढ़ा ली है।
कसाब के हो हल्ले
में अब केंद्र सरकार को संजीवनी मिलती दिख रही है। केंद्र सरकार के खिलाफ ममता
बनर्जी ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया है। कसाब के मामले के चलते ममता
बनर्जी का प्रस्ताव अब मीडिया में गोड हो गया है। कसाब की फांसी के मसले में एक
सप्ताह तक मीडिया में चर्चा हाट रहने की उम्मीद है। इस दौरान ना जाने कितने खुलासे
होंगे ना जाने कितनी अफवाहें उड़ेंगी, ना जाने कितनी लानत मलानत तोहमत हवा में
उड़ेगी कहा नहीं जा सकता है, अंत में नए किसी धमाके के होने के बाद कसाब
का मामला ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया जाएगा।
सोशल नेटवर्किंग
वेब साईट पर कसाब की मौत डेंगू से होना बताया जा रहा है। इसी तरह टीवी चेनल्स पर
भी तरह तरह की बातें अपने संवाददाताओं से पूछी जा रही हैं। कोई यह पूछ नहीं रहा कि
कसाब की मौत की पुष्टि करने वाले चिकित्सक ने क्या कसाब का शव परीक्षण यानी पोस्ट
मार्टम किया है या नहीं। कसाब के पीएम से साफ हो जाएगा कि उसकी मौत कब और किस वजह
से हुई। डेंगू से या फिर फांसी पर लटकाए जाने से!