बुधवार, 18 जुलाई 2012

रिजर्व फारेस्ट में थापर के गुर्गों ने किया हिरण का शिकार!


रिजर्व फारेस्ट में थापर के गुर्गों ने किया हिरण का शिकार!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौथम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड के बरेला संरक्षित वन में लगने वाले कोल आधारित पावर प्लांट में एक हिरण के शिकार की खबर से हड़कम्प मच गया है। यद्यपि इस हिरण को कुत्तों के द्वारा मारा जाना बताया जा रहा है किन्तु उसके शरीर पर लगभग आठ इंच गहरा सुराख इस ओर इशारा कर रहा है कि उसे गोली मारी गई है।
ज्ञातव्य है कि सिवनी जिले के घंसौर विकास खण्ड में ग्राम बरेला में अवंथा समूह के मालिक एवं मशहूर उद्योगपति गौतम थापर द्वारा 1260 मेगावाट के दो पावर प्लांट की संस्थापना का काम युद्ध स्तर पर जारी है। इस पावर प्लांट में अनेक अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं। बावजूद इसके केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन के कानों में जूं भी नहीं रेंगी है।
हाल ही में मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के इस पावर प्लांट के परिसर में एक तीन वर्षीय हिरण के शव के मिलने से हड़कम्प मच गया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार हिरण जिस स्थान पर पाया गया उसका वहां तक पहुंचना बेहद मुश्किल ही था, क्योंकि पावर प्लांट के संयत्र के निर्माणाधीन स्थल को उंची चारदीवारी से चारों ओर से घेरा गया है। इसमें जितने भी दरवाजे आवागमन के लिए बनाए गए हैं, उनमें चोबीसों घंटे बंदूकधारी सुरक्षा कर्मी पहरा देते रहते हैं।
इतना ही नहीं घंसौर में आदिवासियों के हितों पर कुठाराघात की शिकायतों के चलते आदिवासियों में पनप रहे असंतोष के चलते संयंत्र की सुरक्षा इस कदर मजबूत रखी गई है कि वहां किसी चौपाया जानवर का घुसना लगभग असंभव ही है। यहां आने जाने वाले आगंतुकों का प्रवेश भी पूरी तरह से कड़ी निगरानी में ही होता है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सिवनी ब्यूरो ने बताया कि घंसौर में निर्माणाधीन संयंत्र के अंदर अनैतिक गतिविधियों की खबरें यदा कदा फिजां में तैरती रही हैं। अपुष्ट जानकारी के अनुसार कुछ स्थानीय नेता नुमा ठेकेदारों द्वारा इस बरेला संरक्षित वन में बन रहे पावर प्लांट में जानवरों का शिकार इनके स्वादिष्ट मांस के लिए किया जाता रहा है।
इस बख्तरबंद नुमा परिसर में हिरण एवं कुत्तों का एक दल कैसे घुस आया इस पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं। बताया जाता है कि हरण की मौत का कारण कुत्तों के के काटे जाने से दर्शाया जा रहा है, किन्तु हिरण के शरीर पर लगभग आठ इंच गहरा घाव इसकी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगाने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। आरोप प्रत्यारोप के दौर के बीच हिरण का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
पहले से ही छले गए ग्रामीणों का आक्रोश उफान पर है। ग्रामीणों ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। आशंका जताई जा रही है कि देश के सियासी गलियारे में खासा रसूख रखने वाले अवंथा समूह के कर्णधार गौतम थापर के गुर्गों द्वारा इस मासूम हिरण को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया फिर आनन फानन सरकारी औपचारिकताओं को पूरा करवाकर उसका अंतिम संस्कार भी करवा दिया।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि गौतम थापर का यह पावर प्लांट बरेला संरक्षित वन में बन रहा है, जिसके बारे में खुद संयंत्र प्रबंधन द्वारा मंत्रालय में जमा कराए गए कार्यकारी सारांश में इसका उल्लेख किया गया है। सूत्रों ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि बावजूद इसके वन्य जीवों एवं अन्य वन्य संपदा को होने वाले नुकसान को नजर अंदाज कर आखिर कैसे इस पावर प्लांट की संस्थापना को उस जगह अनुमति प्रदान कर दी गई?
सूत्रों ने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश में भाजपा का शासन है। भाजपा के खनिज और उर्जा मंत्री ने पिछले दिनों क्षेत्रीय भाजपा विधायक श्रीमति शशि ठाकुर और जिला भाजपा को विश्वास में लिए बिना ही चुपचाप जाकर लगभग एक हजार फुट उंची चिमनी की आधार शिला रख दी जो खुद ही अपने आप संदेहों को जन्म दे रही है।
बहरहाल, अब जबकि एक वन्य जीव का शव संदिग्ध हालत में गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट के संयंत्र स्थल पर मिला है, तब देखना यह है कि केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर इस बारे में क्या कदम उठाते हैं?

अनोखी अदाकारी के जादूगर की आवाज हुई खामोश


अनोखी अदाकारी के जादूगर की आवाज हुई खामोश

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारत देश के रूपहले पर्दे के प्रथम सुपर स्टार, गुजरे जमाने के महशूर अभिनेता, सांसद राजेश खन्ना अब हमारे बीच नहीं हैं। लंबी बीमारी के बाद इस जिंदादिल शख्सियत ने बुधवार को अपरान्ह अपने निवास आर्शीवादमें अंतिम सांस ली। राजेश खन्ना के निधन का समाचार सुनकर देश विदेश में उनके प्रशसंक स्तब्ध रह गए हैं। वे हाल ही में अस्पताल से घर लौटे थे। राजीव गांधी के अनुरोध पर सियासी धारा में आए राजेश खन्ना सांसद अवश्य बने पर उनका जल्द ही राजनीति से मोहभंग हो गया। काका के नाम से मशहूर राजेश खन्ना का पारिवारिक जीवन बड़ा ही उथल पुथल भरा रहा है।
राजेश खन्ना नाम है उस जादू का जो गुजरे हुए जमाने की उस अनजानी अनचीन्ही अनबूझी और अनोखी चमक से रूबरू कराता है जब फिल्मों का मतलब होता था एक पूरे परिवार  के लिए महीने भर की चर्चा का इंतजाम और राजेश खन्ना का मतलब होता था अल्हड़  होती।। स्कूल से निकल कर कालेज पंहुचती लड़कियों की सिसकारी भरती इठलाती मदमाती  धड़कती ज़िन्दगी का अनोखा चितेरा जो यकीनन एक जादू था।। एक स्वप्निल रोमांस का दीवाना युग था जो देवानंद ने शुरू किया और राजेश खन्ना के साथ रोमानियत के मुकाम तक पहुचा और अमिताभ के आते ही एंग्री यंग मैन में ढल गया।
29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। काका ने 1966 में उन्होंने पहली बार 24 साल की उम्र में आखिरी खत नामक फिल्म में काम किया था। इसके बाद राज, बहारों के सपने, औरत में आए मगर पहचान मिली आराधना से और फिर तो देश भर में टाकिजें राजेश खाना के पोस्टरों से ही आबाद नजर आती थीं। टीवी अखबार मोबाईल एस एम् एस एम् एम् एस कुछ नहीं था बस एक कोई तस्वीर होती थी जो लडकियां सिराहने रख कर सोती  थीं और लड़के बीच से सिर के मांग निकाल कर हाथ में रुमाल बांधे खन्ना बने नजर आते थे,
हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे राजेश खन्ना यह कहने में कोई गुरेज नहीं।। आखिर क्यों, आप की कसम  आराधना  अजनबी  अमर प्रेम  आनंद  अंदाज  अनुरोध  दो रास्ते  जनता हवालदार  कटी पतंग  खामोशी  कुदरत  मेहबूब की मेहंदी  मेरे जीवन साथी   नमक हराम   सफर  फिल्मे राजेश खन्ना के खाते में दर्ज हैं। बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना पहली बार किसी विज्ञापन में दिखे  जिसमे वे कहते हैं -बाबू मोशाय मेरे फैन्स मुझसे कोई नहीं छीन सकता।हैवेल्स फैन के एड का निर्देशन आर बालकी ने किया।
एक वक्त था जब बॉलीवुड पर राजेश खन्ना की आंधी चला करती थी। इस अदाकार ने अपनी अदाकारी से न सिर्फ फिल्मों में बल्कि वास्तविक जिन्दगी में भी दर्शकों को रूढिवादी परम्पराओं से टकराने की हिम्मत दी थी। ऑल इण्डिया युनाइटेड प्रोड्यूसर टैलेंट कॉम्पिटीशन के जरिए बॉलीवुड में प्रवेश करने वाले राजेश खन्ना की पहली फिल्म 1966 में आई चेतन आनन्द की आखिरी खत थी और उनकी दूसरी प्रदर्शित फिल्म निर्देशक रविन्द्र दवे की राज थी। यह दोनों फिल्में उन्हें युनाइटेड प्रोड्यूसर टैलेंट प्रतियोगिता जीतने के तौर पर मिली थीं। बॉलीवुड के राजेश खन्ना पहले घ्से अदाकार रहे जिन्हें मीडिया ने बॉलीवुड का पहला सुपर स्टार कहा और माना।
1969 से 1972 के मध्य उन्होंने लगातार 15 फिल्में सुपर हिट दी जो बॉलीवुड का एक घ्सा इतिहास है जिसे कोई भी नायक नहीं बदल सका है, फिर चाहे वे बॉलीवुड के महानायक माने जाने वाले अमिताभ बच्चन हों या आज की सुप्रसिद्ध सलमान खान, शाहरूख खान। राजेश खन्ना की फिल्मों की सफलता में संगीत ने एक अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने समय की सर्वाधिक सफल फिल्मों में सर्वाधिक गीत किशोर कुमार और आर।डी। बर्मन के साथ दिए। आर।डी। बर्मन और किशोर कुमार के साथ उनकी जोडी कटी पतंग, अमर प्रेम, शहजादे, अपना देश, मेरे जीवन साथी, आप की कसम, अजनबी, नमक हराम, महाचोर, कर्म, फिर वही रात, आंचल, अशांति, अगर तुम न होते, आवाज, हम दोनों और अलग-अलग में सुपर हिट रही। इन फिल्मों के गीतों को आज भी श्रोताओं सुनते हुए झुमने लगते हैं।
उनका अभिनय करियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं। परिवार की मर्जी के खिलाफ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा जगत में कदम रखा था। बाद में राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आई। मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।
वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए। आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।
अपने रूमानी अंदाज, स्वाभाविक अभिनय और कामयाब फिल्मों के लंबे सिलसिले के बल पर क़रीब डेढ़ दशक तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के रूप में हिंदी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था। राजेश खन्ना फ़िल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ भी रह चुके हैं। राजेश खन्ना ने लगभग 163 फ़िल्मों में अभिनय किया जिसमें 106 फ़िल्मों वे मुख्य नायक रहे। राजेश खन्ना को तीन बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला और 14 बार नामांकित हुए।
राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाड़िया से विवाह किया और वे दो पुत्रियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने। उनकी दोनों पुत्री अभिनेत्री हैं। हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया। राजेश खन्ना की बड़ी पुत्री ट्विंकल खन्ना ने अभिनेता अक्षय कुमार से विवाह किया।
वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा। भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है।
बात सन् 1972 की है। फिल्म जगत में डिम्पल कापड़िया की बड़ी चर्चा थी। कारण था कि राजकपूर उन्हें अपनी नई फिल्म बॉबी में बतौर हीरोइन पेश कर रहे थे। यह पहला अवसर था जब राजकपूर एक नए चेहरे को लीड रोल में इंट्रोड्यूस कर रहे थे। रही बात राजेश खन्ना की, तो वे सही अर्थाे में सुपर स्टार बन चुके थे। उन्हें बतौर हीरो काम करते हुए पांच वर्ष से अधिक हो चुके थे। आनंद, आराधना, आन मिलो सजना और कटी पतंग उन्हें सुपर स्टार बना चुकी थीं। वह जमाना था, जब हर हीरोइन की तमन्ना होती थी कि वह राजेश खन्ना के साथ हीरोइन बनकर आए। जिन दिनों बॉबी की शूटिंग चल रही थी।
अहमदाबाद में एक फिल्म समारोह आयोजित हुआ। इसमें शामिल होने के लिए मुंबई के बहुत से नामी सितारे बुलाए गए। इन्हें लाने के लिए आयोजकों ने एक चार्टर्ड प्लेन का इंतजाम किया। जाहिर था, सितारों की इस टोली में राजेश खन्ना न हों, भला यह कैसे संभव था! विमान में राजेश खन्ना सुपर स्टार की हैसियत से उपस्थित थे। डिम्पल चूंकि राजकपूर की खोज थीं, इसलिए उन्हें भी इस टोली में जगह मिली। जब सितारे विमान में बैठे, तो डिंपल के बगल में सीट खाली थी। राजेश ने डिम्पल से पूछा, क्या मैं इस सीट पर बैठ सकता हूं। योर सर, डिम्पल ने लगभग अभिभूत होकर कहा। उनके लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती थी कि बॉलीवुड का सुपर स्टार कई नामी हीरोइनों को छोड़कर उनके पास बैठे! विमान के इस साथ ने दोनों पर जादू जैसा असर किया। राजेश के बारे में तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन डिम्पल के जेहन में तो राजेश जैसे बस गए थे। फिल्म समारोह के दौरान दोनों की बराबर मुलाकातें होती रहीं। डिनर और लंच के दौरान दोनों एक-दूसरे को उनकी मनपसंद डिश पेश करते रहे।
विमान से मुंबई लौटने से पहले दोनों की प्रेम कहानियां बॉलीवुड में पहुंच गई। जिन लोगों ने दोनों को विमान या फिल्म समारोह में देखा था, वे तो मान रहे थे कि राजेश-डिंपल के बीच कुछ पक रहा है, लेकिन बाकी को यह खबर मात्र गॉसिप लग रही थी। उनके यकीन न करने की वजह थीं अभिनेत्री अंजू महेंद्रू, जो राजेश खन्ना की पुरानी पहचान वाली थीं। लोगों का कहना था कि दोनों की सगाई भी हो चुकी है और जल्दी दोनों सात फेरे भी लेंगे। डिंपल का नाम भी अपने पहले हीरो यानी राजकपूर के बेटे ऋषि कपूर से जुड़ रहा था। फिर राजेश खन्ना उम्र में डिम्पल से काफी बड़े थे। डिम्पल तब पंद्रह साल की थीं। राजेश खन्ना 30 पार कर चुके थे, लेकिन प्यार में न तो रुतबा देखा जाता है, न उम्र। सुपर स्टार के रूप में प्रतिष्ठित राजेश खन्ना, जिनकी कई फिल्में जुबली मना चुकी थीं, एक ऐसी अभिनेत्री के हाथों दिल हार चुके थे, जिसकी अभी कोई फिल्म रिलीज नहीं हुई थी। वे सिर्फ बॉबी में काम कर रही थीं। मुंबई पहुंचकर मेल-मुलाकातें बढ़ीं। सुपर स्टार होने के कारण राजेश डिम्पल से न तो रेस्टोरेंट या क्लब में मिल पाते, न पार्टी या समारोह में। अक्सर ये मुलाकातें देर रात में सागर तट पर होतीं। भीड़ से दूर और रोशनी से परे।
डिम्पल के पिता चुन्नीभाई कापड़िया को जब इस रिश्ते की बात पता चली, तो उन्हें तो अपनी बेटी की पसंद पर नाज हुआ। शादी की बात पक्की हो गई। धूमधाम से सुपर स्टार की बारात निकली। चुन्नीभाई के आवास जलमहल में शानदार स्वागत हुआ। फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग इस शादी में शामिल हुए। अगर कोई इस शादी में नहीं रहे, तो वे थे ऋषि कपूर और अंजू महेंद्रू।
ये उस दौर की बात है जब मूंगफली की पुडिया लिए दर्शकों से टाकिजें गुलजार  रहती  थी  और अब मल्टी- प्लेक्स में पिजा बर्गर पापकार्न के युग में भी फ़िल्में सामूहिक आनंद का वो माध्यम नहीं  बन पाती जो  70 के दशक में हर्ष शोक विषाद या आल्हाद के साथ सांयकालीन या मैटिनी शो के उत्सव में ढलती थीं।
आज का सच है  शुक्रवार को सुपर स्टार गायब हो जाता है, पहले सुपर स्टार का मतलब होता था सालों साल दर्शकों की धड़कन बने रहने वाला अजूबा नायक। जिसके हाव- भाव- अंदाज की देश भर में  नक़ल होती थी।जिसकी श्उसश् जैसी शकल होती थी वो मजे  करते थे। सुपस्टार के लिए दीवानगी क्या होती है इसका एक पूरा युग था जिसे राजेश खन्ना ने जिया।
वैसे आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है। एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इंसान के रूप जीकर कालजयी बना दिया। राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया। तीन साल बाद उन्हें आविष्कार फिल्म के लिए भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया। साल 2005 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया था। वैसे तो राजेश खन्ना ने अनेक अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया, लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी खासतौर पर लोकप्रिय हुई। उन्होंने शर्मिला के साथ आराधना, सफर, बदनाम, फरिश्ते, छोटी बहू, अमर प्रेम, राजा रानी और आविष्कार में जोड़ी बनाई, जबकि दो रास्ते, बंधन, सच्चा झूठा, दुश्मन, अपना देश, आपकी कसम, रोटी तथा प्रेम कहानी में मुमताज के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई।
संगीतकार आर। डी। बर्मन और गायक किशोर कुमार के साथ राजेश खन्ना की जुगलबंदी ने अनेक हिंदी फिल्मों को सुपरहिट संगीत दिया। इन तीनों गहरे दोस्तों ने करीब 30 फिल्मों में एक साथ काम किया। किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फिल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे।
हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया। करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिल पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया। बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे। वर्ष 1994 में उन्होंने खुदाई से अभिनय की नई पारी शुरू की। उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें (1999), क्या दिल ने कहा (2002), जाना (2006) और हाल में रिलीज हुई वफा के साथ उनका सफर अब भी जारी है।
पेश है समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा संकलित राजेश खन्ना से जुड़ी कुछ यादगार बातें:
1) जिस तरह से आज टीवी के जरिये टैलेंट हंट किया जाता है, कुछ इसी तरह काम 1965 यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेअर ने किया था। वे नया हीरो खोज रहे थे। फाइनल में दस हजार में से आठ लड़के चुने गए थे, जिनमें एक राजेश खन्ना भी थे। अंत में राजेश खन्ना विजेता घोषित किए गए।
2) राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन खन्ना है। अपने अंकल के कहने पर उन्होंने नाम बदल लिया।
3) 1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए।
4) फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता था। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका।
5) 29 दिसम्बर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना स्कूल और कॉलेज जमाने से ही एक्टिंग की ओर आकर्षित हुए। उन्हें उनके एक नजदीकी रिश्तेदार ने गोद लिया था और बहुत ही लाड़-प्यार से उन्हें पाला गया।
6) राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए। स्ट्रगलर होने के बावजूद वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी।
7) प्रतियोगिता जीतते ही राजेश का संघर्ष खत्म हुआ। सबसे पहले उन्हें राजफिल्म के लिए जीपी सिप्पी ने साइन किया, जिसमें बबीता जैसी बड़ी स्टार थीं।
8) राजेश की पहली प्रदर्शित फिल्म का नाम आखिरी खतहै, जो 1967 में रिलीज हुई थी।
9) 1969 में रिलीज हुई आराधना और दो रास्ते की सफलता के बाद राजेश खन्ना सीधे शिखर पर जा बैठे। उन्हें सुपरस्टार घोषित कर दिया गया और लोगों के बीच उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई।
10) सुपरस्टार के सिंहासन पर राजेश खन्ना भले ही कम समय के लिए विराजमान रहे, लेकिन यह माना जाता है कि वैसी लोकप्रियता किसी को हासिल नहीं हुई जो राजेश को घ्हासिल हुई थी।
11) लड़कियों के बीच राजेश खन्ना बेहद लोकप्रिय हुए। लड़कियों ने उन्हें खून से खत लिखे। उनकी फोटो से शादी कर ली। कुछ ने अपने हाथ या जांघ पर राजेश का नाम गुदवा लिया। कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी।
12) स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती थी तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थी। लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी।
13) निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे। वे मुंहमांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे।
14) पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में उनके इर्दगिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फिल्मों की कहानी सुना सके।
15) राजेश खन्ना को रोमांटिक हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया। उनकी आंख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने हो गए।
16) राजेश खन्ना द्वारा पहने गए गुरु कुर्त्ते खूब प्रसिद्ध हुए और कई लोगों ने उनके जैसे कुर्त्ते पहने।
17) आराधना, सच्चा झूठा, कटी पतंग, हाथी मेरे साथी, मेहबूब की मेहंदी, आनंद, आन मिलो सजना, आपकी कसम जैसी फिल्मों ने आय के नए रिकॉर्ड बनाए।
18) आराधना फिल्म का गाना मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू।।।उनके करियर का सबसे बड़ा हिट गीत रहा।
19) आनंद फिल्म राजेश खन्ना के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जा सकती है, जिसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त जिंदादिल युवक की भूमिका निभाई।
20) राजेश खन्ना की सफलता के पीछे संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर का अहम योगदान रहा। इनके बनाए और राजेश पर फिल्माए अधिकांश गीत हिट साबित हुए और आज भी सुने जाते हैं। किशोर ने 91 फिल्मों में राजेश को आवाज दी तो आरडी ने उनकी 40 फिल्मों में संगीत दिया।
21) अपनी फिल्मों के संगीत को लेकर राजेश हमेशा सजग रहते थे। वे गाने की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टुडियो में रहना पसंद करते थे और अपने सुझावों से संगीत निर्देशकों को अवगत कराते थे।
22) मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ राजेश खन्ना की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। मुमताज के साथ उन्होंने 8 सुपरहिट फिल्में दी।
23) मुमताज ने शादी कर फिल्म को अलविदा कहने का मन बना लिया। उनके इस निर्णय से राजेश को बहुत दुरूख हुआ।
24) शर्मिला और मुमताज, जो कि राजेश की लोकप्रियता की गवाह रही हैं, का कहना है कि लड़कियों के बीच राजेश जैसी लोकप्रियता बाद में उन्होंने कभी नहीं देखी।
25) आशा पारेख और वहीदा रहमान जैसी सीनियर एक्ट्रेस के साथ भी उन्होंने काम किया। खामोशी में राजेश को वहीदा के कहने पर ही रखा गया।
26) गुरुदत्त, मीना कुमारी और गीता बाली को राजेश खन्ना अपना आदर्श मानते थे।
27) जंजीर और शोले जैसी एक्शन फिल्मों की सफलता और अमिताभ बच्चन के उदय ने राजेश खन्ना की लहर को थाम लिया। लोग एक्शन फिल्में पसंद करने लगे और 1975 के बाद राजेश की कई रोमांटिक फिल्में असफल रही।
28) कुछ लोग राजेश खन्ना के अहंकार और चमचों से घिरे रहने की वजह को उनकी असफलता का कारण मानते थे। बाद राजेश खन्ना ने कई फिल्में की, लेकिन सफलता की वैसी कहानी वे दोहरा नहीं सके।
29) राजेश ने उस समय कई महत्वपूर्ण फिल्में ठुकरा दी, जो बाद में अमिताभ को मिली। यही फिल्में अमिताभ के सुपरस्टार बनने की सीढ़ियां साबित हुईं। यही राजेश के पतन का कारण बना।
30) राजेश के स्वभाव की वजह से मनमोहन देसाई, शक्ति सामंत, ऋषिकेश मुखर्जी और यश चोपड़ा ने उन्हें छोड़ अमिताभ को लेकर फिल्म बनाना शुरू कर दी।
31) अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना को प्रतिद्वंद्वी माना जाता था। दोनों ने आनंद और नमक हराम नामक फिल्मों में साथ काम किया है। इन दोनों फिल्मों में राजेश के रोल अमिताभ के मुकाबले सशक्त हैं।
32) यह प्रतिद्वंद्विता तब और गहरा गई जब एक ही कहानी पर राजेश को लेकर आज का एमएलए रामअवतारऔर अमिताभ को लेकर इंकलाबशुरू की गई। बाद में दोनों ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास असर नहीं छोड़ पाई।
33) रोमांटिक हीरो राजेश दिल के मामले में भी रोमांटिक निकले। अंजू महेन्द्रू से उनका जमकर अफेयर चला, लेकिन फिर ब्रेकअप हो गया। ब्रेकअप की वजह दोनों ने आज तक नहीं बताई है। बाद में अंजू ने क्रिकेट खिलाड़ी गैरी सोबर्स से सगाई कर सभी को चौंका दिया।
34) राजेश खन्ना ने अचानक डिम्पल कपाड़िया से शादी कर करोड़ों लड़कियों के दिल तोड़ दिए। डिम्पल ने बॉबी फिल्म से सनसनी फैला दी थी।
35) समुंदर किनारे चांदनी रात में डिम्पल और राजेश साथ घूम रहे थे। अचानक उस दौर के सुपरस्टार राजेश ने कमसिन डिम्पल के आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे डिम्पल ठुकरा नहीं पाईं। शादी के वक्त डिम्पल की उम्र राजेश से लगभग आधी थी।
36) राजेश-डिम्पल की शादी की एक छोटी-सी फिल्म उस समय देश भर के थिएटर्स में फिल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी।
37) डिम्पल और राजेश की दो बेटी हैं ट्विंकल और रिंकी। डिम्पल और घ्राजेश में नहीं पटी, बाद में दोनों अलग हो गए।
38) अलग होने के बावजूद मुसीबत में हमेशा डिम्पल ने राजेश का साथ दिया। हाल ही में वे बीमार हुए तो डिम्पल ने उनकी सेवा की। उनका चुनाव प्रचार घ्भी किया।
39) अपनी साली सिम्पल कपाड़िया के साथ राजेश बतौर हीरो फिल्म अनुरोधमें नजर आए।
40) राजीव गांधी के कहने पर राजेश राजनीति में आए। कांग्रेस (ई) की तरफ से कुछ चुनाव भी उन्होंने लड़े। जीते भी और हारे भी। लालकृष्ण आडवाणी को उन्होंने चुनाव में कड़ी टक्कर दी और शत्रुघ्न सिन्हा को हराया भी। बाद में उनका राजनीति से मोहभंग हो गया।
41) राजेश खन्ना की लाइफ में टीना मुनीम भी आईं। एक जमाने में राजेश ने कहा भी था कि वे और टीना एक ही टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं।
42) जीतेन्द्र और राजेश खन्ना स्कूल में साथ पढ़ चुके हैं।
43) राजेश खन्ना और उनकी बेटी ट्विंकल का एक ही दिन जन्मदिन आता है, 29 दिसंबर।
44) बहुत पहले जय शिव शंकरफिल्म में काम मांगने के लिए राजेश खन्ना के ऑफिस में अक्षय कुमार गए थे। घंटों उन्हें बिठाए रखा और बाद में काका उनसे नहीं मिले। उस दिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि यही अक्षय एक दिन काका के दामाद बनेंगे।
45) अक्षय का कहना है कि वे बचपन से राजेश खन्ना के फैन रहे हैं। आराधना, अमर प्रेम और कटी पतंग उनकी पसंदीदा फिल्म है।
46) कहा जाता है कि राजेश खन्ना ने बहुत सारा पैसा लॉटरी चलाने वाली एक कंपनी में लगा रखा था जिसके जरिये उन्हें बहुत आमदनी होती थी।
47) काका का कहना था कि वे अपनी जिंदगी से बेहद खुश थे। दोबारा मौका मिला तो वे फिर राजेश खन्ना बनना चाहेंगे और वही गलतियां दोहराएंगे।
48) अपने बैनर तले राजेश खन्ना ने जय शिव शंकरनामक फिल्म शुरू की थी, जिसमें उन्होंने पत्नी डिम्पल को साइन किया। आधी बनने के बाद फिल्म रूक गई और आज तक रिलीज नहीं हुई।
49) राजेश खन्ना ने श्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेअर पुरस्कार तीन बार जीता और चौदह बार वे नॉमिनेट हुए।
50) वर्तमान दौर के सुपरस्टार शाहरुख खान का कहना है कि राजेश ने अपने जमाने में जो लोकप्रियता हासिल की थी, उसे कोई नहीं छू सकता है। 18 जुलाई 2012 को काका ने अपने घर में आखिरी सांस ली।