बुधवार, 18 जुलाई 2012

परमाणु बिजली संयंत्र से हरियाणा को लाभ


परमाणु बिजली संयंत्र से हरियाणा को लाभ

(अनेशा वर्मा)

चंडीगढ़ (साई)। हरियाणा के बिजली मंत्री कैप्टन अजय ंिसह यादव ने आज विपक्षी नेताओं द्वारा हरियाणा में स्थापित किए जाने वाले परमाणु बिजली संयंत्र के विरोध में आरंभ किए गए अभियान की यह कहते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज की है कि इस परियोजना का वे लोग विरोध कर रहे हैं, जब वे सत्ता में थे, तो उन्होंने केंद्र सरकार से इस परियोजना को स्थापित करने में शीघ्रता से काम करने का यह कहकर अनुरोध किया था कि परियोजना से हरियाणा को लाभ होगा।
आज यहां जारी एक वक्तव्य में बिजली मंत्री ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल व चौधरी देवीलाल द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्रियों को हरियाणा में परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए लिखे गये पत्र का भी हवाला दिया। कैप्टन यादव ने कहा कि ऐसा एक अर्द्ध-सरकारी पत्र 20 जुलाई, 1984 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल द्वारा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लिखा गया था।
इसमें कहा गया था कि हम खुश हैं कि केंद्र सरकार ने 7वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उत्तरी क्षेत्र में परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। स्थल चयन कमेटी ने पहले ही हमारे राज्य में सम्भावित स्थलों का दौरा किया है। हमने चार स्थलों की पेशकश की है, जिसका निरीक्षण इस समिति द्वारा किया गया था तथा हिसार जिले में कुम्हारिया गांव के निकट स्थल को सबसे उपयुक्त स्थल पाया गया और ऐसे संयंत्र की स्थापना के लिए यह सभी मूल आवश्यकताएं पूरी करता है।
भजनलाल ने संयंत्र के अतिरिक्त  लाभों का वर्णन भी किया, जिसमें कहा गया कि स्थल राजस्थान तथा पंजाब राज्यों कीसीमाओं के निकट है और यह इन राज्यों की आवश्यकताओं को भी आसानी से पूरा कर सकता है। आवश्यक सम्प्रेषण प्रणाली इस क्षेत्र में पहले ही उपलब्ध है, इसलिए अतिरिक्त खर्च भी नहीं पड़ेगा। अंतर्राष्टड्ढ्रीय सीमाओं से दूर होने के कारण यह स्थल संयंत्र की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि पड़ोसी राज्यों पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक पन बिजली की अपार सम्भावनाएं हैं। हरियाणा में ऐसी कोई प्राकृतिक स्त्रोत नहीं है। इस कारण यह परमाणु बिजली संयंत्र हरियाणा में ही स्थापित किया जाना चाहिए।
भजनलाल ने 25 अक्तूबर, 1985 को पुनरू एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को एक अन्य पत्र लिखा, जिसमें अनुरोध किया गया कि आगामी 15 वर्षों के दौरान स्थापित क्षमता की कमी पर काबू पाने के लिए हरियाणा में परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित किया जाए। इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जाए कि हरियाणा में किसी प्रकार की पन बिजली की संभावनाएं नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्थल चयन कमेटी ने हिसार जिले में कुम्हारिया गांव का निरीक्षण किया है, जो परमाणु बिजली संयंत्र स्थल के लिए सभी आवश्यकताएं पूरी करता है।
इसके पश्चात 23 नवम्बर, 1987 को तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने जब लोकदल बीजेपी के साथ हरियाणा में सरकार में भागीदार था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पत्र लिखा, जिसमें अनुरोध किया कि हरियाणा को परमाणु बिजली सुविधाओं के लिए एक उपयुक्त स्थल के रूप में विचार किया जाना चाहिए। चौधरी देवीलाल को यह आशा थी कि उनके इस पत्र के जवाब में यह प्राप्त होगा कि आप द्वारा तत्काल तथा ध्यानार्थ के लिए हरियाणा में 2000 मैगावाट (43500 मैगावाट) के परमाणु बिजली स्थापना के लिए शीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाएगी, जहां पर भूमि तथा पानी के संसाधन उपलब्ध होंगे।
चौधरी देवीलाल ने अपने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया कि समाचार पत्रों में छपी रिपोर्ट से मुझे यह जानकर खुशी हुई थी कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 तक 10,000 मैगावाट क्षमता की परमाणु बिजली उत्पादकता सृजित करने के दृष्टिड्ढगत परमाणु बिजली निगम स्थापित किया है। 16 जुलाई, 1993 को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित किया कि हरियाणा में स्थापित किये जाने वाले परमाणु बिजली स्टेशन का प्रस्ताव अब तक सिरे नहीं चढ़ा।  कै. यादव ने कहा कि यहां तक कि जब ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, तो वर्ष 2000-01 में तथा पुनरू वर्ष 2004 में केन्द्रीय कमेटी ने परमाणु संयंत्र के लिए स्थल का सर्वे किया था।

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