बुधवार, 31 जुलाई 2013

सिवनी में मिले खतरनाक डेंगू के चार मरीज!

सिवनी में मिले खतरनाक डेंगू के चार मरीज!

विवेकानन्द वार्ड में 552 घरों के 1764 कंटेनर्स में 255 में मिले खतरनाक लार्वा: रियाया की जान से कर रही नगर पालिका जमकर खिलवाड़: विपक्ष में बैठी कांग्रेस देख रही चुपचाप तमाशा

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय सिवनी में घोषित तौर पर डेंगू के चार मरीजों के मिलने से हड़कंप मच गया है। साफ सफाई के अभाव में शहर भर में मच्छरों के लिए उपजाऊ माहौल पैदा हो रहा है, पर नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के नेतृत्व में पार्षद और पालिका प्रशासन कमीशन के गंदे धंधेमें ही उलझा हुआ है। डेंगू रेपिड टेस्ट में 13 संभावित डेंगू के मरीजों की जांच में चार नमूने पॉजिटिव पाए गए हैं। खतरनाक डेंगू के लिहाज से अब सिवनी जिला भी हाई अलर्टपर आ गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.वाय.एस.ठाकुर के हस्ताक्षरों से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिला चिकित्सालय में डेंगू रेपिड किट से 13 संभावित डेंगू मरीजों की जांच की गई है, जिससे किट में चार मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं। इन चारों का रक्त नमूना लेकर क्षेत्रीय आर्युविज्ञान शोध केंद्र (आरएमआरसी) जबलपुर भेजा गया था।
डॉ.ठाकुर ने बताया कि आरएमआरसी द्वारा विवेकानन्द वार्ड के संभावित डेंगू के नमूनों की 26 जुलाई को ही पुष्टि कर दी गई थी। शेष दो में अभी आरएमआरसी की राय आना शेष है।
उन्होंने बताया कि इसके उपरांत जबलपुर के कीट विज्ञानी डॉ.मनमोहन माहुलिया एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.वाय.एस.ठाकुर के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का दल बनाकर उन्हें बाकायदा प्रशिक्षित किया जाकर विवेकानन्द वार्ड में रवाना किया गया।
सीएमओ डॉ.ठाकुर का दावा है कि उनके द्वारा विवेकानन्द वार्ड के लिए 32 कर्मचारियों का दल बनाया गया है, जो घर घर जाकर लार्वा का सर्वे कर रहा है। जिन घरों में बुखार के पीड़ित मिल रहे हैं उन्हें मौके पर ही रक्त पट्टिका बनाकर त्वरित उपचार दिया जा रहा है।
इसके साथ ही साथ मकानों में जहां पानी जमा हो सकता है या हो रहा है इस तरह के कंटेनर्स को खाली करवाया जा रहा है। इन कंटेनर्स में टेमोफॉस नामक दवा डाली जा रही है ताकि मच्छरों का लार्वा नष्ट हो सके। डेंगू प्रभावित और संभावित विवेकानन्द वार्ड में फागिंग मशीन से धुंआ भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मच्छरों से सावधान रहने और सावधानियां बरतने के लिए विभाग द्वारा मुनादी पिटवाकर पर्चे भी बांटे जा रहे हैं।
डॉ.ठाकुर के अनुसार मंगलवार को इस विशेष दल ने डेंगू प्रभावित या संभावित वार्ड के 552 घरों का निरीक्षण किया। दल ने आज 1764 कंटेनर्स को देखा जिसमें से 255 में लार्वा पाए गए। इन कंटेनर्स को खाली कराया गया और दवा डाली गई। आज बनाई गई सारी रक्त पट्टिकाएं नकारात्मक ही पाई गईं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार अभी तक सिवनी जिले में डेंगू से मृत्यु के समाचार नहीं मिले हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने घरों में रखे कंटेनर्स जिसमें पानी भरा रहता हो, उसे सात दिवस के अंदर एक बार अवश्य ही खाली कर लिया करें।
प्रदेश में मण्डला जिले के बाद सिवनी में डेंगू की खतरनाक स्थिति से हड़कंप मचना स्वाभाविक ही है। अब तक सिवनी के लोग समाचार माध्यमों के जरिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में डेंगू की बद से बदतर स्थिति और इससे होने वाली पीड़ा एवं मौत के आंकड़े देखा करते थे, अब इस जानलेवा और दर्दनाक डेंगू ने सिवनी में भी अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं।
दरअसल, नगर पालिका परिषद के निकम्मेपन के चलते शहर भर में मच्छरों के प्रजनन के लिए उपजाऊ माहौल तैयार हो गया है। नगर पालिका परिषद में कमीशन के गंदे धंधेके चलते ना तो अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी, ना ही उपाध्यक्ष राजिक अकील और ना ही किसी पार्षद को नागरिकों के स्वास्थ्य की परवाह ही रह गई है।

नगर पालिका परिषद के पास फागिंग मशीन है इस फागिंग मशीन का तेल और दवा दोनों ही का बिल पालिका के बजट सत्र में पारित होता है, इसमें किसी भी पार्षद द्वारा अब तक अपनी आपत्ति दर्ज नहीं कराया जाना आश्चर्यजनक है कि जब मशीन किसी वार्ड में चलती ही नहीं दिखी तो फिर इसके देयक का भुगतान कैसा? कुल मिलाकर सभी, नागरिकों की चिंता छोड़ पैसा बनाने में जुट चुके हैं।

निरीह नागरिक, निकम्मी नगर पालिका!

निरीह नागरिक, निकम्मी नगर पालिका!

(शरद खरे)

नगर पालिका परिषद सिवनी अपने मूल काम से भटक चुकी है। नागरिकों को सुविधाएं उपलब्ध कराना, उनके मौलिक अधिकारों  का संरक्षण, बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम मूलतः नगर पालिका का होता है। नगर पालिका के जिम्मे शहर की साफ सफाई, शुद्ध पेयजल, अंदरूनी मार्गों का रखरखाव, जल निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था, सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था आदि का होता है। पिछले कुछ सालों से नगर पालिका परिषद सिवनी अपने मूल उद्देश्य से भटककर चुने हुए प्रतिनिधियों और सरकारी नुमाईंदों के लिए पैसा कमाने का चारागाह बन चुकी है।
पालिका के नुमाईंदों ने मीडिया को भी अपने साथ मिला लिया है जो बहुत ही खतरनाक संकेत है। मीडिया को विज्ञापन का प्रलोभन देकर नगर पालिका के नुमाईंदों द्वारा सच्चाई पर पर्दा डालने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है जो निंदनीय है। माना जाता है कि अभिजात्य वर्ग के लोग शहरों में अधिक तादाद में निवास करते हैं। शहर का आदमी अपेक्षाकृत अधिक पढ़ा लिखा होता है। जिला मुख्यालय सिवनी में रहने वाले नगर पालिका परिषद की स्थिति, नागरिकों के अधिकारों के प्रति उसकी जवाबदेही और निर्वहन से वह भली भांति परिचित है।
मीडिया में इस बात को पता नहीं क्यों स्थान नहीं मिल पाया है कि नगर पालिका शहर में लोगों को गटर का गंदा पानी पिलाकर उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। कहीं भवन की अनुज्ञा मिल पाई या नहीं इस बात से आम जनता को लेना देना नहीं है। शहर में स्वीमिंग पूल है अथवा नहीं इससे आम आदमी पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। वैसे भी स्वीमिंग पूल को रईसों का प्यारा शगल माना जाता है। आम जनता को तो बस साफ पानी चाहिए, उसके घर के आसपास कचरे के ढेर ना हों, प्रकाश की उचित व्यवस्था हो, घरों के पानी की निकासी की नालियां गंदगी से ना बजबजा रही हों, यही उम्मीद रहती है आम आदमी की नगर पालिका परिषद से।
विडम्बना ही कही जाएगी कि नगर पालिका में बैठे कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जाता है। दलसागर तालाब के आसपास सौंदर्यीकरण के नाम पर एक करोड़ रूपयों में आग लगा दी गई। नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी अगर वाकई सिवनी की जनता के प्रति जवाबदेह होते तो निश्चित तौर पर वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर से (जिनसे करीबी का वे दावा करते हैं) दलसागर के सौंदर्यीकरण के लिए राशि बाद में मांगते पहले सिवनी के वाशिंदों को दो नहीं तो कम से कम एक वक्त साफ पानी मुहैया करवाने की योजना स्वीकृत करवाते। सिवनी की जल मल निकासी की योजना के लिए प्रदेश शासन से धन की मांग करते। वस्तुतः ऐसा हुआ नहीं।
अगर इन योजनाओं की स्वीकृति मिलती तो इनको अमली जामा पहनाते समय सभी का निर्धारित हिस्सा (कमीशन) मिलता ही, पर आम जनता राजेश त्रिवेदी और भारतीय जनता पार्टी को दिल से साधुवाद देती, पर आज स्थिति उलट ही है। आज जनता के मन में भाजपा की छवि प्रतिकूल बनती जा रही है। शहर में भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय बारापत्थर में है। इस कार्यालय में भाजपा के लोग साफ सुथरा पानी पी रहे हैं।
भापजा विधायकों द्वारा उपकृत कांग्रेस के नेता, इस बात को जनता के समक्ष लाने में पता नहीं क्यों हिचकिचा रहे हैं कि भाजपा के लोग उनके धन से (विधायक निधि) से खनित किए गए नलकूप जो संभवतः आम जनता के उपयोगार्थ होना चाहिए (वस्तुतः ऐसा है नहीं, नलकूूप को सीधे भाजपा कार्यालय के अंदर ले जाया गया है) का साफ सुथरा पानी पी रहे हैं। इस नलकूप के खनन के लिए विधायक निधि से एक लाख रूपए की राशि का आहरण किया गया है। यह नैतिकता है जनता की सेवा करने का दावा करने वाली भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस की।
अभी मामला अगर शिवराज सिंह चौहान से संबंधित होता तो कांग्रेस के विज्ञप्तिवीरों की तोपें भोपाल की ओर तन चुकी होतीं। एक दैनिक समाचार पत्र द्वारा विधायक निधि की राशि की बंदरबांट में नाम उजागर कर बेहद अनुकरणीय कदम उठाया जा रहा है। आश्चर्य तो उस समय हुआ जब कांग्रेस के नेताओं के परिजनों, मीडिया से जुड़े लोगों के नाम इस निधि की राशि में प्रकाश में आए। इस तरह के काम से सेवा भाव वाले मूल आदर्श की सियासत और पत्रकारिता कलंकित ही हो रही है, पर जिनका दीन ईमान ही पैसा हो गया हो, उन्हें क्या मतलब कि नैतिकता किस चिड़िया का नाम है!

नगर पालिका सिवनी में अफसरशाही, नेतागिरी, भ्रष्टाचार, अनाचार, रिश्वतखोरी, अनैतिकता, के बेलगाम घोड़े दौड़ रहे हैं। नगर पालिका कार्यालय के अंदर बिड़ी सिगरेट के टोंटे इस कदर बिखरे पड़े रहते हैं मानो यह बियर बार हो। केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान की बंदिश का कानून बनाया है पर आज कानून की परवाह किसे रह गई है! नगर पालिका पर भारतीय जनता पार्टी का शासन है, पालिका प्रशासन की हरकतों से भारतीय जनता पार्टी की साख पर बट्टा लग रहा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। भाजपा के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर भी इस मामले में खामोश हैं, जिससे नागरिकों को लगने लगा है कि पालिका की इन हरकतों में उनकी मौन सहमति है, वरना क्या कारण है कि निकम्मी नगर पालिका मनमानी पर उतारू है, निरीह नागरिक कराह रहे हैं और शासन प्रशासन एवं भाजपा संगठन अपने आप को किसी तरह की कार्यवाही करने में अपने आप को पालिका के चंद नुमाईंदों के सामने बौना पा रहा है।