मंगलवार, 11 मार्च 2014

क्यों दिया प्रतीक मेहतो ने त्याग पत्र!

क्यों दिया प्रतीक मेहतो ने त्याग पत्र!
सचिवों से जबरन वसूली के लगे हैं आरोप
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। जिला पंचायत कार्यालय में बी.आर.जी.एफ. योजना में पदस्थ सहायक परियोजना अधिकारी प्रतीक मेहतो के स्वेच्छिक त्यागपत्र को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं प्रकाश में आ रही हैं। कहा जा रहा है कि एपीओ प्रतीक मेहतो पर बीआरजीएफ योजना में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप थे।
जिला पंचायत के मीडिया अधिकारी राहुल सक्सेना द्वारा जारी पत्र विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रतीक मेहतो के द्वारा स्वेच्छा से संविदा सेवा से त्याग पत्र देने के उपरांत दस अप्रैल के पूर्वान्ह से संविदा सेवा समाप्त की जाकर कार्यमुक्त कर दिया गया है। प्रतीक मेहतो, सहा.परि.अधिकारी, (संविदा) बी.आर.जी.एफ. जिला पंचायत सिवनी का प्रभार ओमेगा पाल इफ्राईम, परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत को सौंपा गया है।
वहीं, जिला पंचायत के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एपीओ प्रतीक मेहतो द्वारा बीआरजीएफ योजना के तहत ग्राम पंचायत में सरपंच, सचिवों से भारी मात्रा में राशि की मांग की जाती थी। सूत्रों ने यह भी बताया कि इस मामले को जिला पंचायत सीईओ प्रियंका दास के संज्ञान में लाया गया था।
सूत्रों के अनुसार लंबे समय से उनके द्वारा बीआरजीएफ योजना में अनियमितताएं की जा रही थीं। इनकी शिकायतें भी जिला पंचायत में कई बार गूंजी थीं। सूत्रों ने बताया कि जब भारतीय प्रशासनिक सेवा की अनुशासन पसंद अधिकारी प्रियंका दास द्वारा उनके खिलाफ कार्यवाही का मन बनाया गया तब उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। सूत्रों के अनुसार भले ही वे स्वेच्छा से त्यागपत्र देकर कार्यमुक्त हो चुके हों पर उनकी कारगुजारियों की जांच अवश्य ही की जानी चाहिए।

सूत्रों ने यह भी बताया कि इस मामले में सीईओ जिला पंचायत द्वारा अनियमितताएं प्रमाणित भी पाई गईं और इसके पहले कि श्री मेहतो को निलंबित किया जाता उनके द्वारा त्यागपत्र दे दिया गया है। सूत्रों के अनुसार वे आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि वे लगभग तीन साल से जिला पंचायत में पदस्थ हैं फिर भी इतने लंबे समय तक उनके भ्रष्टाचार के मामलों से जिला पंचायत की सीईओ कैसे अनजान रहीं?

उच्चाधिकारियों से क्यों झूठ बोल रहे हैं डॉ.गर्ग

उच्चाधिकारियों से क्यों झूठ बोल रहे हैं डॉ.गर्ग

प्रभारी आयुष अधिकारी डॉ.गर्ग को भोपाल तलब किया 28 को

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। प्रभारी जिला आयुष अधिकारी डॉ.सतीश दत्त गर्ग द्वारा सूचना के अधिकारों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लगता है आवेदकों के द्वारा आरटीआई कानून के तहत जानकारी मांगने पर जानकारी न देना इनकी फितरत में आ चुका है। जब प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपील की जाती है तो ऊपर से जानकारी देने के निर्देश जारी कर दिए जाते हैं।
इस तरह के दो वाक्ये पहले भी प्रकाश में आ चुके हैं और समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा इन्हें प्रसारित भी किया जा चुका है। हाल ही में एक अन्य आवेदक को आयुष विभाग भोपाल के सहायक लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी और अभिलेख तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
संचालनालय आयुष विभाग भोपाल के सहायक लोक सूचना अधिकारी और विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के एक मार्च के पत्र क्रमांक 6/सू.सेल/2014/153-154 में कहा गया है कि अपीलार्थी द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी चाही गई थी, किन्तु लोक सूचना अधिकारी एवं जिला आयुष अधिकारी सिवनी द्वारा पांच फरवरी के पत्र क्रमांक 2014/15 में कहा गया है कि इस अधिनियम की धारा आठ के तहत आती है जो निषिद्ध अभिलेखों की श्रेणी में है, अतः जानकारी देना संभव नहीं है।
आदेश में आगे कहा गया है कि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी में यह उल्लेख है कि डॉ.सतीश दत्त गर्ग के वेतन एवं उपस्थिति से संबंधित तथा सेवा पुस्तिका की जानकारी चाही गई है, जो इस अधिनियम की धारा आठ के अंतर्गत निषिद्ध श्रेणी में नहीं आता है। आदेश में लोक सूचना अधिकारी तथा जिला आयुष अधिकारी को पुनः निर्देशित किया गया है कि अपीलार्थी को बिन्दुवार चाही गई जानकारी एवं अभिलेख तत्काल उपलब्ध कराए जाएं।
आदेश के अंत में यह भी कहा गया है कि उक्त कार्यवाही का प्रतिवेदन संचालक, आयुष विभाग के समक्ष एक सप्ताह में अनिवार्यतः उपलब्ध कराया जाए, एवं जिला आयुष अधिकारी को स्वयं 28 मार्च को संचालनालय के कार्यालय में कार्यालयीन समय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।

इस पत्र की प्रतिलिपि आवेदक को भेजकर यह सूचित किया गया है कि वे भी 28 मार्च को आयुष संचालनालय में स्वयं आकर संचालक आयुष विभाग के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें।

छात्रवृत्ति खाते खोलने में पीएनबी कर रहा आनाकानी!

छात्रवृत्ति खाते खोलने में पीएनबी कर रहा आनाकानी!
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। राज्य शासन के निर्देशानुसार समाकेतिक छात्रवृत्ति योजना में शालेय छात्र छात्राओं के जीरो बैलेंस पर खाते खोलने की योजना में पंजाब नेशनल बैंक द्वारा आनाकानी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है।
बताया जाता है कि राजकुमार सनोडिया की पहली कक्षा में अध्ययनरत पुत्री गौरी का खाता खोलने के लिए पंजाब नेशनल बैंक प्रबंधन द्वारा जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक रूप से लाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। राजकुमार सनोडिया के अनुसार उसके द्वारा सारे दस्तावेज के साथ ही साथ जन्म की तारीख को प्रधान पाठक से प्रमाणित कर लाया जाने के बाद भी उसका खाता नहीं खोला जा रहा है।

बताया जाता है कि जिस शाला में राजकुमार की पुत्री गौरी अध्ययनरत है उसी शाला के एक दर्जन बच्चों के खाते पूर्व में प्रधान पाठक के द्वारा प्रमाणित जन्म तारीखों पर खोल दिए गए हैं, पर गौरी का खाता खोलने के लिए जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक रूप से मांगा जा रहा है। आवेदक द्वारा बैंक प्रबंधन पर जबरन परेशान करने का आरोप लगाया गया है।

मनीष तिवारी ने अपनी ही पार्टी पर उठाए सवाल

मनीष तिवारी ने अपनी ही पार्टी पर उठाए सवाल

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने पार्टी के दागी नेताओं को टिकट देने के फैसले पर सवाल उठाए हैं। एक समाचार चैनल से बात करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि पहले दागी नेताओं को क्लीन चिट मिलनी चाहिए, उसके बाद ही उन्हें टिकट देने के बारे में सोचा जाना चाहिए।
मनीष तिवारी ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर हमें टिकट बंटवारे के अपने फैसलों पर विचार करना चाहिए और मेरी अपील है कि पार्टी सख्त रवैया इख्तियार करे। ऐसी चर्चा है कि कॉमनवेल्थ घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और आदर्श घोटाले के आरोपी अशोक चव्हाण और अफसर की प्रमोशन के लिए रिश्वत लेने के आरोप झेल रहे पवन बंसल को टिकट दिया जा सकता है। इस बारे में मनीष तिवारी ने कहा कि जब नेताओं पर से आरोप हट जाएंगे तो वे वापस आ सकते हैं, लेकिन पार्टी को इन मुद्दों पर तार्किक कदम ही उठाने चाहिए।

केंद्रीय मंत्री तिवारी ने कहा कि वह पार्टी के अंदर के लोगों की राय को ही आवाज दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि दागी नेताओं को खुद ही हट जाना चाहिए और नाम साफ हो जाने पर वे वापस आ सकते हैं।

अमर-जयाप्रदा ने थामा रालोद का दामन

अमर-जयाप्रदा ने थामा रालोद का दामन
(सोनाली खरे)
नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस में बात न बनने के बाद अमर सिंह और जयाप्रदा ने सोमवार को अजित सिंह के रालोद का दामन थाम लिया। कभी समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह के अतिकरीबी रहे अमर लोकसभा चुनाव में अब उन्हीं की राह में रोड़ा बनकर खड़े होंगे। अमर फतेहपुर सीकरी से ताल ठोकेंगे, तो जयाप्रदा बिजनौर से किस्मत आजमाएंगी।
सपा से नाता तोड़ने के बाद अमर सिंह की कोशिश कांग्रेस में शामिल होकर जगह बनाने की थी, लेकिन उनके लिए केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का दरवाजा नहीं खुला। हालांकि, कांग्रेस जयाप्रदा को पार्टी में शामिल करने को राजी थी, लेकिन वह अपने राजनीतिक संरक्षक अमर सिंह का साथ नहीं छोड़ना चाहती थीं।
इस राजनीतिक सौदे के नाकाम होने के बाद अमर-जया की जोड़ी ने रालोद में शामिल होने का एलान कर दिया। रालोद इस राजनीतिक जोड़ी को नफे का सौदा मान रहा है। रालोद को एक स्टार प्रचारक भी मिल गया है। पार्टी में शामिल होने के बाद जयाप्रदा ने कहा कि अमर सिंह उनके राजनीतिक गुरु हैं, जबकि अजित सिंह हमारे नेता हैं। कांग्रेस और रालोद के बीच चुनावी समझौते के तहत उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में आठ पर अजित सिंह की पार्टी चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस ने रालोद के लिए बागपत, कैराना, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, हाथरस, मथुरा और बुलंदशहर सीटें छोड़ी हैं। रालोद कांग्रेस से तीन और सीटें मांग रही है, जिसके लिए वह तैयार नहीं है।

फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट से पिछले चुनाव में बसपा की सीमा उपाध्याय ने बाजी मारी थी, जबकि कांग्रेस के राजबब्बर दूसरे स्थान पर रहकर सिर्फ 10 हजार मत से हारे थे। इस ठाकुर बहुल सीट से अमर सिंह का चुनाव लड़ने का इरादा है। पार्टी में शामिल होने के बाद अमर ने चौधरी अजित सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि वह हमेशा छोटे राज्यों के गठन की बात करते रहे हैं। यूपी के विभाजन से ही किसानों का भला होगा। सिंह ने कहा, ‘रालोद उनका पुराना घर है। मैं आज फिर से चौधरी जी के सानिध्य में हूं। मुलायम सिंह को किसानों के लिए लड़ना चौधरी जी ने ही सिखाया था। मुलायम सिंह ने यहीं से राजनीतिक शुरुआत की थी।साथ ही उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी या भाजपा से मेरी कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं हैं। राजनाथ सिंह भी मेरे मित्र हैं।

केजरीवाल की मीडिया से ‘स्टिंग‘ का विडियो

केजरीवाल की मीडिया से स्टिंगका विडियो
(मणिका सोनल)
नई दिल्ली (साई)। आम आदमी पार्टी प्रमुख अरिंवद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। उनपर अब एक िंस्टग वीडियो सामने आया हैं।
हमेशा मीडिया पर पक्षपात करने का आरोप लगाने वाले केजरीवाल वीडियो में मीडिया के साथ सेटिंग करते नजर आ रहे है। यह वीडियो केजरीवाल के दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के बाद का है। यूटयूब पर इस एक मिनट के विडियो को अरिंवद केजरीवालके नाम से अपलोड किया गया है और इसे खूब देखा जा रहा है।

इस वीडियों में केजरीवाल एक न्यूज एंकर को पर्दे के पीछे बता रहे हैं कि इंटरव्यू के कौन से हिस्से को महत्व देना है और बार-बार दिखाना है। केजरीवाल इसमें कहते दिखाए गए हैं कि मैं निजीकरण के खिलाफ नहीं बोलना चाहता। इसके जवाब में एंकर उन्हें सलाह दे रहे हैं। इस वीडियो के बाद राजनैतिक हलकों में हलचल मच गई है।

कश्मीर घाटी में फिर हुआ हिमपात

कश्मीर घाटी में फिर हुआ हिमपात

(विनोद नेगी)

श्रीनगर (साई)। श्रीनगर शहर सहित कश्मीर घाटी में सोमवार को फिर हिमपात हुआ जिसकी वजह से अधिकारियों ने स्कूलों में 2 दिन के अवकाश की घोषणा की। घाटी के निवासी सोमवार को सुबह जब सोकर उठे तो उन्हें बर्फ की चादर नजर आई।
शहर में करीब 3 इंच बर्फ जमी थी जबकि गुलमर्ग पर्यटन रिसॉर्ट और उत्तरी कश्मीर के अन्य हिस्सों में डेढ़ फुट से अधिक बर्फ रिकॉर्ड की गई। अधिकारियों ने बताया कि पहलगाम रिसॉर्ट में सुबह 8.30 बजे तक 1 फुट बर्फ रिकॉर्ड की गई। हिमपात से पहले रविवार शाम घाटी के ज्यादातर हिस्सों में तेज बारिश हुई। श्रीनगर में 46.3 मिमी बारिश दर्ज की गई।

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि बारिश के कारण तापमान में तेजी से गिरावट आई और कश्मीर के संभागीय प्रशासन ने 8वीं कक्षा तक के स्कूलों को 2 दिन बंद रखने का ऐलान किया। घाटी में स्कूल 3 माह के शीतकालीन अवकाश के बाद 3 मार्च को ही खुले थे। बारिश की वजह से लाल चौक और आसपास के इलाकों में कई बड़ी सड़कों पर पानी भर गया। सुबह-सवेरे कार्यालय जाने वालों को बारिश के कारण खासी परेशानी हुई। बारिश के कारण यातायात भी बेहद धीमी गति से आगे बढ़ा।

लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के चुनाव खर्च की सीमा 70 लाख

लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के चुनाव खर्च की सीमा 70 लाख
(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2014 में संसदीय क्षेत्र में उम्मीदवार के चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा तय की है।
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मध्यप्रदेश में लोक सभा निर्वाचन में उम्मीदवार, संसदीय क्षेत्र में चुनाव खर्च के रूप में अधिकतम 70 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे। विधानसभा निर्वाचन में उम्मीदवार द्वारा चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख रुपये तय की गई है।

उम्मीदवार द्वारा चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा के संबंध में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने प्रदेश के जिला निर्वाचन अधिकारियों को अवगत करा दिया है।

मोदी बोले, नीतीश ने अपने सपने के लिए तोड़ा गठबंधन

मोदी बोले, नीतीश ने अपने सपने के लिए तोड़ा गठबंधन

(प्रतिभा सिंह)
पूर्णिया (साई)। प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपने घोर विरोधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर प्रधानमंत्री बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए राजग से गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाया।
मोदी ने नीतीश के मुसलमानों का हितैषी होने के दावे को झूठा साबित करने के लिए बिहार और गुजरात में मुसलमानों की स्थिति से जुड़े आंकड़े पेश किए। पूर्णिया शहर के रंगभूमि मैदान में भाजपा द्वारा सोमवार को आयोजित हुंकार रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने नीतीश का नाम लिए बिना उन पर प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि दो दिन पहले पता चला कि उन्होंने गठबंधन तोड़ा क्यों था। प्रधानमंत्री का सपना उन्हें सोने नहीं देता था।
उन्होंने नीतीश की अगुवाई में बनाए जा रहे गैर कांग्रेसी और गैर भाजपा वाले तीसरे मोर्चे पर निशाना साधते हुए कहा कि इसमें या तो पूर्व प्रधानमंत्रियों की टोली या फिर प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने वालों का जमावड़ा है। मोदी ने तीसरे मोर्चे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसमें एक दर्जन से ज्यादा लोग प्रधानमंत्री बनने के लिए कपड़े सिलाकर बैठे हुए हैं।
मोदी ने कहा कि जब कोसी में बाढ़ आयी थी और उत्तर प्रदेश में एक साल में डेढ़ सौ दंगे हुए ऐसे समय में ये तीसरे मोर्चे वाले कहां थे। उन्होंने कहा कि जब चुनाव का बिगुल बजता है तभी इनकी नींद खुलती है और फिर सो जाते हैं और अगला चुनाव का बिगुल बजेगा तो वे फिर उठकर खड़े हो जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि तीसरे मोर्चे में जितने भी दल शामिल हैं, उन्होंने कांग्रेस को बचाने या समर्थन देने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि भारत की राजनीति गठबंधन की राजनीति है और इस वास्तविकता को स्वीकार करना होगा। भाजपा के नेतत्व में हर गठबंधन सफलतापूर्वक चलता रहा है। जिन प्रदेशों में नेतत्व भाजपा के हाथ में रहा है, वहां उसके गठबंधन को कोई संकट नहीं आया है क्योंकि भाजपा के संस्कार में सबको साथ लेकर चलना शामिल है।
मोदी ने कहा कि वह विकास का मंत्र आगे लेकर चलना चाहते हैं तथा उनका मंत्र विविधता में एकता है, जो भारत की विशेषता है। उन्होंने कहा कि इसलिए वह सालों से यही मंत्र बोलते रहे हैं कि विविधता में एकता यही भारत की विशेषता और वह सभी को नई मुस्कान के साथ भारत को नई ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए सभी को सहयोग के लिए निमंत्रण देते हैं।
उन्होंने कांग्रेस, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अपने को धर्मनिरपेक्ष बताने वाले अन्य दलों पर मुसलमानों के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि इन लोगों ने इस समुदाय की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज देश के मुसलमानों के समक्ष वह उस हकीकत को रखना चाहते हैं कि इन नेताओं और दलों ने वोट पाने के लिए उन्हें कैसे मूर्ख बनाया और किस तरह से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।
मोदी ने कहा कि जो आंकड़े वह पेश करने जा रहे हैं वह दिल्ली में बैठी और स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के हैं। उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में शहरी मुसलमानों में गरीबों की संख्या करीब 45 प्रतिशत है, जबकि जिस गुजरात को गालियां दी जाती हैं वहां यह प्रतिशत केवल 24 है। मोदी ने कहा कि बिहार में ग्रामीण इलाकों में गरीब मुसलमानों का प्रतिशत 38 प्रतिशत है, जबकि गुजरात में केवल सात प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि शहरी मुसलमानों द्वारा प्रति व्यक्ति मासिक खर्च बिहार में 550 रुपये है, जबकि यह गुजरात में 875 रुपये है। मोदी ने कहा कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों के मुसलमानों के द्वारा प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 426 रुपये है, जबकि यह गुजरात में 670 रुपये है। मोदी ने कहा कि बिहार में मुसलमानों में साक्षरता दर 42 प्रतिशत है, जबकि गुजरात में 74 प्रतिशत है और उनके नवजात बच्चों की मृत्यु दर बिहार में एक हजार पर 71 है, जबकि गुजरात में 34 प्रति हजार बच्चों की मृत्यु होती है।

. . . मतलब इस बार धान खरीदी होगी जीरो!

. . . मतलब इस बार धान खरीदी होगी जीरो!
(शरद खरे)
प्रदेश शासन को धान के ई-उपार्जन के लिए केंद्र की ओर से कृषि कर्मण अवार्ड मिला है। यह धान की सबसे ज्यादा खरीद के लिए मिला है। इस बार कितनी धान खरीदी गई?, पिछले साल की कितनी धान की मिलिंग की गई?, पिछले साल की खरीदी हुई कितनी धान इस साल पुनः सरकार को बेच दी गई?, आदि प्रश्न आज भी हवा में अनुत्तरित ही घुमड़ रहे हैं। इन प्रश्नों का जवाब लेने की फुर्सत न तो शासन-प्रशासन को है और न ही सांसद विधायकों को। आखिर इन्हें चिंता क्यों होने लगी। सरकार का धन जाया जो हो रहा है। किसी ने सही कहा है कि भारत वर्ष में वही सुखी और सफल है जो सरकार का पैसा आसानी से हजम कर जाए।
धान की खरीद में हुई गफलतों को समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने चित्रों के साथ शासन-प्रशासन के समक्ष रखा। इसका नतीजा सिफर ही निकला। न तो शासन के कानों में जूं रेंगी और न ही जनसेवक ही जाग पाए। वास्तविक किसान को तो इस ई-उपार्जन का बेहद थोड़ा सा ही लाभ हुआ है, असली मलाई तो जमाखोरों और बिचौलियों ने सरकारी नुमाईंदों की जेबें गर्म कर काटी हैं। सिवनी का ही उदाहरण लिया जाए तो सरकारी खबरों को मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने के लिए पाबंद जनसंपर्क विभाग ने भी आज तक संबंधितों से पूछकर यह बतलाने की जहमत नहीं उठाई है कि कितनी धान बर्बाद हो गई है। सब मौन धारण किए हुए हैं, मानो सब कुछ ठीक ठाक ही है।
धान का ई-उपार्जन बंद हो गया है। अब बारी आ रही है गेहूं के ई-उपार्जन की। गेहूं के ई-उपार्जन हेतु पंजीयन किए गए हैं। इस बार गेहूं की भी रिकॉर्ड खरीद की तैयारियां की जा रही हैं। पर यह क्या अचानक ही गेहूं की खड़ी फसल पर ओले पाले का कहर बरप गया, फसलें तबाह हो गईं। मीडिया में चीत्कार मची, लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। इस सबको देख, सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान भी हवा में उड़कर सिवनी सहित अनेक प्रभावित जिलों में पहुंचे, और पीड़ित किसानों के जख्मों पर वायदों और लच्छेदार बातों का मरहम लगाने का प्रयास किया।
सिवनी सहित प्रदेश के जिलों में फसलों की नुकसानी का आंकलन जारी है। सोयाबीन की तबाह हुई फसल का मुआवजा मिलना आरंभ हुआ है। इस बार की फसल का मुआवजा कब मिलेगा कहा नहीं जा सकता है। कुल मिलकार वास्तविक किसान तो बुरी तरह परेशान है। अब भी सूदखोर, जमाखोर और बिचौलियों की पौ बारह है।
विडंबना तो देखिए, शासन, प्रशासन एक ओर मुआवजा बांटने के लिए सर्वेक्षण करवा रहा है और दूसरी ओर इसी तबाह फसल को अच्छी मानकर उसके ई-उपार्जन की तैयारी में है। क्या यह संभव है? जी हां, कागजों में सब कुछ संभव है, और हो भी रहा है।  क्या शासन-प्रशासन ने फसलों की नुकसानी के मुआवजे के साथ ही साथ इन किसानों के ई-उपार्जन में रिकॉर्ड का निरीक्षण किया है? अगर किसान ने अपना पंजीयन कराया है और उसे मुआवजा मिलेगा तो यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि उसकी उपज खराब हो गई है। अगर फसल खराब हो गई है तो शासन-प्रशासन को उसकी फसल का ई-उपार्जन का पंजीयन निरस्त कर देना चाहिए।
वस्तुतः इस दिशा में किसी का ध्यान नहीं गया होगा, क्योंकि आज के अधिकारियों का लगाव काम के प्रति कम ही प्रतीत होता है। सरकारी काम को अधिकारी कर्मचारी जवाबदेही के साथ करने के बजाए बोझ के मानिंद करते प्रतीत हो रहे हैं। देश या प्रदेश व्यापी चल रही योजनाओं में कर्मचारी-अधिकारी जिस तरह बला-टालू तरीके से काम करते दिखते हैं, उसे देखकर लगता है कि सरकारी काम को वे बोझ समझकर काम कर रहे हैं।
गेहूं के ई-उपार्जन में इस बार भी बिचौलिए सक्रिय हो जाएंगे। जिन किसानों की फसलें तबाह हुई हैं, उन किसानों के नाम से भी ई-उपार्जन में गेहूं सरकार को बेच दिया जाएगा। हो सकता है कि अन्य प्रांतों से आया घटिया गेहूं भी सरकारी स्तर पर खरीद लिया जाए। जिस तरह इस बार भी अन्य प्रदेशों की धान धड़ाधड़ सरकार को टिका दी गई। बाद में इसमें से अधिकांश धान सड़वाने के आरोप भी लगे हैं।

शासन प्रशासन से अपेक्षा है कि जिन किसानों की फसलें तबाह हुई हैं और उनका नाम सर्वेक्षण में आए, उनके नाम ई-उपार्जन के पंजीयन से डिलीट करवाए जाएं। अन्यथा सदा की ही तरह बिचौलिए इस बार भी गरीब किसानों के नाम पर अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर बाहर से आए घटिया गेहूं की खरीदी करवा देंगे और गरीब किसान का नाम बदनाम हो जाएगा। इतना ही नहीं जो किसान, सरकार से तबाह फसल का मुआवजा ले चुका हो या लेने वाला हो, उसकी तबाह फसल को अच्छी फसल मानकर कैसे खरीदा जा सकता है।