अमर-जयाप्रदा ने थामा रालोद का दामन
(सोनाली खरे)
नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस में बात न बनने के बाद अमर सिंह और जयाप्रदा ने
सोमवार को अजित सिंह के रालोद का दामन थाम लिया। कभी समाजवादी पार्टी के मुखिया
मुलायम सिंह के अतिकरीबी रहे अमर लोकसभा चुनाव में अब उन्हीं की राह में रोड़ा बनकर
खड़े होंगे। अमर फतेहपुर सीकरी से ताल ठोकेंगे, तो जयाप्रदा बिजनौर से किस्मत आजमाएंगी।
सपा से नाता तोड़ने के बाद अमर सिंह की कोशिश कांग्रेस में शामिल होकर जगह
बनाने की थी, लेकिन उनके लिए केंद्र में सत्तारूढ़
पार्टी का दरवाजा नहीं खुला। हालांकि, कांग्रेस
जयाप्रदा को पार्टी में शामिल करने को राजी थी, लेकिन वह अपने राजनीतिक संरक्षक अमर सिंह का साथ नहीं छोड़ना
चाहती थीं।
इस राजनीतिक सौदे के नाकाम होने के बाद अमर-जया की जोड़ी ने रालोद में
शामिल होने का एलान कर दिया। रालोद इस राजनीतिक जोड़ी को नफे का सौदा मान रहा है।
रालोद को एक स्टार प्रचारक भी मिल गया है। पार्टी में शामिल होने के बाद जयाप्रदा
ने कहा कि अमर सिंह उनके राजनीतिक गुरु हैं, जबकि अजित सिंह
हमारे नेता हैं। कांग्रेस और रालोद के बीच चुनावी समझौते के तहत उत्तर प्रदेश की
80 सीटों में आठ पर अजित सिंह की पार्टी चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस ने रालोद के लिए
बागपत, कैराना, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, हाथरस, मथुरा और
बुलंदशहर सीटें छोड़ी हैं। रालोद कांग्रेस से तीन और सीटें मांग रही है, जिसके लिए वह तैयार नहीं है।
फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट से पिछले चुनाव में बसपा की सीमा उपाध्याय ने
बाजी मारी थी, जबकि कांग्रेस के राजबब्बर दूसरे
स्थान पर रहकर सिर्फ 10 हजार मत से हारे थे। इस ठाकुर बहुल सीट से अमर सिंह का
चुनाव लड़ने का इरादा है। पार्टी में शामिल होने के बाद अमर ने चौधरी अजित सिंह की
तारीफ करते हुए कहा कि वह हमेशा छोटे राज्यों के गठन की बात करते रहे हैं। यूपी के
विभाजन से ही किसानों का भला होगा। सिंह ने कहा, ‘रालोद उनका पुराना घर है। मैं आज फिर से चौधरी जी के सानिध्य
में हूं। मुलायम सिंह को किसानों के लिए लड़ना चौधरी जी ने ही सिखाया था। मुलायम
सिंह ने यहीं से राजनीतिक शुरुआत की थी।‘ साथ ही उन्होंने
कहा, ‘नरेंद्र मोदी या भाजपा से मेरी कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं हैं।
राजनाथ सिंह भी मेरे मित्र हैं।‘
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