सोमवार, 13 मई 2013

विकासपुरूष की छत्रछाया में राशन कार्ड को भटकते गरीब


विकासपुरूष की छत्रछाया में राशन कार्ड को भटकते गरीब

(राधेश्याम नामदेव)

सिवनी (साई)। विकास पुरूष के रूप में अपने आपको महिमा मण्डित करने वाले, नगर पंचायत लखनादौन के हर कार्यक्रम में अध्यक्ष श्रीमति सुधा राय के स्थान पर अपनी फोटो छपवाने वाले दिनेश राय उर्फ मुनमुन के राज में लखनादौन में ही नागरिक राशनकार्ड के लिए भटक रहे हैं।
तहसील लखनादौन के अंतर्गत वर्तमान समय में ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों के गरीब मजदूर व्यक्तियों के, गरीबी रेखा सूची में नाम दर्ज कर राशन कार्ड जारी किया जाना है जिस हेतु गरीब मजदूर वर्ग दर-दर भटक रहा है। उनकी शिकायत यह है कि जिन हितग्राहियों के कार्ड बने हैं वे इस योग्य हैं ही नहीं परंतु जो योग्य हैं उनके राशन कार्ड बनाने हेतु किये गये सर्वे में नाम काट दिया गया वे भी पटवारी के बिना सर्वे किये हुये।
इस संबंध में जब लोक सेवा केन्द्र से जानकारी लेने पर लोक सेवा केन्द्र प्रबंधक द्वारा लिखित पावती देकर बताया गया कि आपकी जांच कराई गई किन्तु आप गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की सूची में नहीं आते। तब मजदूरों ने केन्द्र प्रबंधक से कहा कि वार्ड में किसी भी तरह का सर्वे कार्य हुआ ही नहीं। जवाब में केन्द्र प्रभारी ने संबंधित हल्का पटवारी से जानकारी प्राप्त करने की सलाह दी।
पटवारी से मिलने वार्ड क्रं.07 के पार्षद हितग्राहियों के साथ पहंुचे और उनसे इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि कुछ खर्चा पानी करना पड़ेगा तभी कार्ड बनेंगें। चूंकि नगर पंचायत लखनादौन के अंतर्गत दूसरे वार्डों में गरीबी रेखा के राशन कार्ड जारी किये गये हैं जबकि वास्तविक रूप से गरीब आवासहीन मजदूर व्यक्ति राशन कार्ड बनवाने के लिए महिनों से चक्कर काट रहा है जिससे उसकी मजदूरी का भी नुकसान हो रहा है यदि मजदूर काम न करे तो खुद क्या खायेगा और बच्चों को क्या खिलायेगा।
समस्त हितग्राहियों द्वारा इस संबंध में मुख्यमंत्री के नाम एक शिकायत जिला कलेक्टर के माध्यम से भेजी गई है इस संबंध में जब शिकायत लखनादौन एसडीएम को देने लोग पहुंचे तो मैडम ने दूसरे दिन आने का समय दे दिया, परंतु दूसरे दिन भी मेडम का पता नहीं रहा। यह शिकायत नामे में सारी व्यथा दर्ज है अब देखना यह है कि जिला कलेक्टर इस संबंध में लखनादौन के अधिकारियों एवं पटवारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही करते हैं।
इस पूरे मामले से स्पष्ट हो जाता है कि लखनादौन नगर पंचायत के छपास के रोगी पूर्व अध्यक्ष दिनेश राय उर्फ मुनमुन द्वारा यहां की समस्याओं के बारे में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। रही बात असलियत की तो लखनादौन नगर पंचायत में लोग छोटी मोटी समस्याओं के लिए ही दर दर भटकने पर मजबूर हैं।

भव्यता के साथ विराजे लक्ष्मी नारायण


भव्यता के साथ विराजे लक्ष्मी नारायण

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। आज अपरान्ह साढ़े बारह बजे पूरे विधिविधान के साथ जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की उपस्थिति में भगवान लक्ष्मीनारायण बस स्टेंड के मंदिर में विराज गए हैं।
भगवान लक्ष्मीनारायण की स्थापना जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आज पूरे विधि विधान से की गई। भगवान लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा इस कदर मनोहारी है कि हर कोई उसे अपलक देखता ही रह जाता है।
प्रतिष्ठा के उपरांत उपस्थित श्रृद्धालुओं को संबोधित करते हुए जगतगुरू ने कहा कि लक्ष्मी और नारायण दोनों ही की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है। श्रृद्धालु इनके नित्य दर्शन कर पूजन पाठ कर मनोवांछित फल की प्राप्ति कर सकते हैं।
द्विपीठाधीश्वर ने कहा कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा इतनी मनोहारी है कि इससे नजर ही नहीं हटती और एसी प्रतिमा कहीं और देखने को शायद ही मिले।
जगतगुरू ने प्रसाद के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमारे वेद पुराणों में प्रसाद को भगवान को अर्पित करने और भगवान को अर्पित किए गए प्रसाद को ग्रहण करने का विशेष तातपर्य भी बताया। उन्होंने कहा कि शुद्धता और दिव्य भाव से लगाया भोग और उसे ग्रहण करने से शांति प्राप्त होती है।

सिवनी के सांसद विधायक नकारा: जगतगुरू


सिवनी के सांसद विधायक नकारा: जगतगुरू

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। ‘‘सिवनी के जनप्रतिनिधि नकारे हैं, इन्होंने कुछ नहीं किया। सिवनी लोकसभा का विलोपन हो गया। सिवनी में बड़ी रेल नहीं आई, रामटेक गोटेगांव का अता पता नहीं है।‘‘ सिवनी जिले के वर्तमान और पूर्व सांसद विधायकों को आईना दिखाते हुए जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उक्ताशय की बात पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही।
पत्रकारों से मुखातिब होते हुए उन्होंने स्वस्थ समाज के लिए आहार शुद्धि एवं सत्संग पर बल देते हुए इसकी महती आवश्यकता बताई। अन्न और जल की शुद्धि, मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। अन्न की शुद्धि के लिए गौवंश की रक्षा आवश्यक है। गाय के दूध के महत्व का वर्णन करते हुए उन्होंने श्रीकृष्ण और राक्षसों के बीच युद्धों का उदाहरण देते हुए बताया कि इसमें श्रीकृष्ण की विजय का राज उनके द्वारा गाय के दूध का सेवन था, गाय के दूध के चलते उनकी नाड़ी ‘‘पीयूष‘‘ थी, और वे बलवान हो गए।
सिवनी जिले में बढ़ रही गौवंश की तस्करी के सवाल पर जगतगुरू ने इसके लिए हिन्दुओं की कमी को दोष देते हुए कहा कि गौपालक बूढ़े हो चले गाय बैलों को बोझ समझते हैं और उनका भरपूर दोहन करने के पश्चात उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं, जिसके चलते गौवंश की तस्करी जैसे माध्यमों को बल मिलता है। जगतगुरू ने कहा कि पहले गॉव-गॉंव में खिरका हुआ करते थे जहॉं पूरे गॉंव के मवेशी विश्राम किया करते थे। यह खिरका वाला स्थान काफी पवित्र माना जाता था। अब ये स्थल देखने नहीं मिलते हैं।
गौवंश के महत्व को, भूमि की उर्वरा शक्ति से जोड़ते अुए जगतगुरू ने कहा कि पहले गोबर की खाद प्रचलित थी जिसके प्रयोग से उत्पन्न अनाज पूर्णतः प्रदूषण से रहित होता था, उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता थी। आज इसकी जगह रासायनिक उर्वरकों ने ले ली है। इसके प्रयोग से कृषि भूमि बंजर हो रही है। स्वामी जी ने इस संबंध में पंजाब और हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि अत्याधिक उर्वरकों के प्रयोग से वहॉं की भूमि बंजर होती जा रही है। यही कारण है कि वहॉं के किसान अब म.प्र. की ओर रूख कर लाखों रूपयों की कीमत पर बेतहाशा जमीन खरीद रहे हैं।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने मातृ-शक्ति के महत्व पर बल देते हुए सनातन धर्म में उसके पूजनीय स्थान का विस्तृत वर्णन किया। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नारी शक्ति के साथ हो रहे दुराचार को धार्मिक शिक्षा का अभाव बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे आचरण हीनता आ गई है। मनुष्य पथभ्रष्ट को गया है।
एक प्रश्न के जवाब में स्वामी ने कहा कि कानून ही केवल हर समस्या का हल नहीं, इसके लिए जनता को स्वयं ही आचरण का पालन करना होगा। अपराधिक घटनाओं को सांम्प्रदायिक रंग देने के सवाल पर उन्होंने दो टूक कहा कि अपराधी-अपराधी ही होता है, उसकी कोई जात नहीं होती। अन्ना हजारे और केजरीवाल पर चुटकी लेते हुए स्वामी जी ने कहा कि वे गॉंवों में नहीं चैनलों पर दिखाई देते हैं।
वार्ता में स्वामी जी ने सिवनी के जन प्रतिनिधियों को खरी-खोटी सुनाते हुए उन्हें एक तरह से नकारा करार दिया। उन्होंने कहा कि इन राजनेताओं ने सिवनी का नाम ही डुबा दिया, इसके हक के लिए कुछ नहीं किया। श्रीधाम से गोटेगांव बड़ी रेललाईन ठण्डे बस्ते में है तो अब संसदीय क्षेत्र सिवनी, बालाघाट का अंग बन गया है।
अंत में जगतगुरू ने जानकारी देते हुए बताया कि परमहंसी गंगा, गोटेगांव में 100 बिस्तर का नेत्र चिकित्सालय बनकर तैयार है, जिसका उद्घाटन करने भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी आगामी 7 जून को आ रहे हैं।

गुड़िया मेरे परिवार की बच्ची जैसी थी: शक्ति सिंह


गुड़िया मेरे परिवार की बच्ची जैसी थी: शक्ति सिंह

(शरद खरे)

सिवनी (साई)। ‘‘गुड़िया मेरे घर की बच्ची जैसी थी, उसके साथ जो भी हुआ वह दुखद है। समरजीत द्वारा मेरा अभिनंदन किया जाना दुखद है। समरजीत मेरे मित्र थे पर वे सबसे पहले हमारी टीम छोड़कर गए है।‘‘ उक्ताशय की बात जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष और घंसौर क्षेत्र के नेता कुंवर शक्ति सिंह उर्फ हुकुम ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से फोन पर चर्चा के दौरान कही।
जब उनसे यह पूछा गया कि आखिर गुड़िया का मामला घंसौर में हुआ और कुंवर शक्ति सिंह उर्फ हुकुम को आदिवासियों का मसीहा कहा जाता है पर इस बारे में वे खामोश क्यों रहे? के जवाब में उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कुछ पहल करने के पहले ही मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड और प्रदेश सरकार की ओर से गुड़िया के इलाज में सब कुछ किया जा चुका था।
कुंवर शक्ति सिंह उर्फ हुकुम ने कहा कि गुड़िया उनके मोहल्ले की और उनकी बच्ची जैसी थी। इस पर जब साई न्यूज ने उनसे कहा कि वह अगर उनकी बच्ची जैसी थी तो उन्होंने मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड पर गुड़िया को तत्काल दिल्ली ले जाने के लिए दबाव क्यों नहीं बनाया, जबकि गुड़िया का इलाज दो दिन तक घंसौर में ही होता रहा, के प्रश्न पर हुकुम मौन हो गए।
उन्होंने बताया कि 19 तारीख को वे अपना मौन समाप्त कर घंसौर लौट आए थे। इसके उपरांत एक दिन वे गुड़िया को देखने नागपुर गए थे। गुड़िया को फौरी तौर पर मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड से मदद ना दिलवाने के नाम पर कुंवर शक्ति सिंह उर्फ हुकुम ने मौन को बरकरार ही रखा।
उनके अभिनंदन में समरजीत सोलंकी जो पुलिस की नजरों में फरार आरोपी है का नाम होने पर उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि समरजीत अब उनके साथ नहीं है, पता नहीं उनके अभिनंदन में समरजीत का नाम चला गया। कुंवर शक्ति सिंह उर्फ हुकुम ने कहा कि सभी इस बात को बेहतर तरीके से जानते हैं कि एक माह पूर्व जब घंसौर को कुंवर शक्ति सिंह उर्फ हुकुम के खिलाफ बंद करवाया गया था तो उसकी तह में समरजीत ही थे।
समाचार एजेंसी ऑॅॅफ इंडिया से चर्चा के दौरान कुंवर शक्ति सिंह उर्फ हुकुम ने कहा कि इस तरह की बातें करना और अभिनंदन में समरजीत का नाम देना उनके विरोधियों की सोची समझी चाल है, यह उनके राजनैतिक जीवन का गला घोंटने जैसी घटना है जिसकी निंदा की जानी चाहिए।

सिवनी में क्रिकेट का हाईटेक सट्टा!


सिवनी में क्रिकेट का हाईटेक सट्टा!

(लिमटी खरे)

सिवनी जिले में आईपीएल के दौरान पुलिस ने दूसरी बार सटोरियों को पकड़ने में सफलता हासिल की है। पुलिस निस्संदेह बधाई की पात्र है कि सिवनी में इस तरह की गतिविधियों पर कम से कम अंकुश लगाने की कार्यवाही तो की गई। सालों से सटोरियों को पकड़ने की कार्यवाही जारी है पर पुलिस के हाथ छुटभैया सटोरिए ही लगते आए हैं। इनके सरपरस्त कौन है यह बात सभी जानते हैं पर उन पर हाथ डालने से पता नहीं क्यों पुलिस हिचकती आई है।
इक्कीसवीं सदी के आरंभ तक सिवनी में मुंबई और नागपुर का सट्टा बाजार गर्म रहा। उस समय दोपहर और रात में काफी अधिक मात्रा में सट्टे की पट्टी लिखी जाती थीं। उस दौर में कहा जाता था कि रात को जो नौ बजे ओपन आती थी वह रात का खाना खाने नहीं देती थी, और बारह बजे की क्लोज सोने नहीं देती थी। सट्टा खेलने वाले कहा करते थे कि नौ की खाने नहीं देती और बारह की सोने नहीं देती।
इसके बाद सट्टे का जोर कम हुआ। इसके बाद आरंभ हुआ क्रिकेट के सट्टे का दौर। सिवनी में ना जाने कितने परिवार इस सट्टे के चलते बिखर चुके हैं। पांच से दस परसेंट महीना की दर पर आज भी बाजार में निजी दबंग लोगों द्वारा ब्याज पर पैसे देने का काम बदस्तूर जारी है। पिछले दिनों जब तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार ने इसके खिलाफ अभियान चलाया था तब पुलिस को सटोरियों के पास से हस्ताक्षरित चैक बुक और एटीएम कार्ड भारी मात्रा में मिले थे। कहा जा रहा था कि सरकारी कर्मचारियों को एक तारीख को ये सटोरिए और अवैध रूप से ब्याज का धंधा करने वाले अपना ब्याज का पैसा काटकर वेतन का भुगतान करते थे।
आज सिवनी में करोड़ों रूपयों की सट्टे की लगवाड़ी की खबर है। मिथलेश शुक्ला के पुलिस अधीक्षक पद संभालने के उपरांत दो बड़ी सफलताएं पुलिस के हाथ लगी हैं। एक पेंच नेशनल पार्क में तो दूसरा चलित कार में पकड़ाया है। पुलिस ने इन्हें किस आधार पर पकड़ा, यह तो वह ही जाने पर पुलिस का लचर हो चुका मुखबिर तंत्र एक बार फिर अपने आप को खड़ा करने के प्रयास में नजर आ रहा है, इसके लिए मिथलेश शुक्ला बधाई के पात्र हैं।
पुलिस ने दोनों ही बार कुछ मोबाईल और अन्य यंत्र भी बरामद किए हैं। इन मोबाईल की डिटेल भी जाहिर है अब तक निकलवाई जा चुकी होगी। इन मोबाईल को किसने किसके नाम की आईडी और फोटो के साथ जमा किया है यह बात भी पुलिस के पास आ चुकी होगी, फिर देर किस बात की। पुलिस को उन लोगों की कालर पकड़ ही लेना चाहिए। बीएसएनएल में एक व्यक्ति नौ सिम तक जारी करवा सकता है।
जरायमपेशा लोगों ने अपने इस धंधे के लिए किन लोगों को आधार बनाया है इस बारे में पुलिस को अपना शिकंजा कसना होगा। इन मोबाईल पर किन किन लोगों ने फोन कर पैसा लगाया है यह बात भी पुलिस को देखना ही होगा। जिन्होंने इन नंबर्स पर फोन लगाया है उन्हें पकड़कर उनसे भी कड़ी पूछताछ की आवश्यक्ता है। पुलिस के पास बल की कमी है, यह बात भी आईने की तरह ही साफ है। पुलिस को सीमित संसाधनों में ही काम करना है, यह भी सही बात है।
पुलिस को चाहिए कि दोनों ही वारदातों में जप्त सारे मोबाईल और अन्य फोन की आउट गोइंग अवश्य ही चेक करवाए, क्योंकि ये छोटे धंधेबाज हैं जो पकड़े गए हैं। असल कारिंदे तो कहीं और बैठे अपने आप को व्हाईट कालर जता रहे हैं। इस संभावना में भी दम है कि अब तक कुल पचास लाख रूपए की लगवाड़ी को पचाने में पकड़े गए आरोपी सक्षम नहीं हैं। निश्चित तौर पर यह लगवाड़ी आगे सट्टे की भाषा में पानाबनाकर उतार दी जाती होगी।
पुलिस अगर आउट गोईंग काल्स के बारे में पता करके उन नंबरों की सिम किसने किसके नाम जारी करवाई इस दिशा में प्रयास करे तो पुलिस के हाथ अप्रत्याशित सफलता लगे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिन नंबर्स से इन मोबाईल पर काल आई है उनके भी काल डिटेल अगर निकलवाएं जाएं और उन नंबर्स से लगातार किन नंबर्स पर काल की जा रही है इसकी मानिटरिंग भी की जाए तो अन्य सटोरियों की कालर भी पुलिस की पकड़ में होगी।
पुलिस को इसके लिए कड़ी मेहनत करना होगा, साथ ही अपने विभाग के ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ अफसरों और कर्मचारियों को इस काम में लगाना होगा, क्योंकि पुलिस की छवि अब भ्रष्ट और लोगों को बचाने वाली बन चुकी है। सिवनी में जंगलों में जुंआ खिलाए जाने की खबरें जब तब आती रहती हैं, आए दिन अपराध घटित हो रहे हैं।
इस सबसे निपटने और आम जनता को राहत देने के लिए पुलिस को अपना सूचना तंत्र दुरूस्त करने के साथ ही साथ विकसित भी करना होगा। पुलिस को मुखबिर तंत्र को भी चाक चौबंद बनाना होगा। पुलिस अधीक्षक की कार्यप्रणाली से आम जनता राहत महसूस कर रही है इस बात में संदेह नहीं, फिर भी पुलिस के मुखिया को अधीनस्थ स्टाफ को पूरी तरह नियंत्रण में ही रखना आवश्यक है।
जिला मुख्यालय में अप्रेल 1991 में बनाए गए कंट्रोल रूम को भी अत्याधुनिक संसाधनों से सुसज्जित कर वहां भी प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित करना आवश्यक है। वर्तमान में पुलिस कंट्रोल रूम का रवैया संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। जिले में कहीं भी घटित अपराध की सूचना सबसे अंत में अगर किसी को लगती है तो वह कंट्रोल रूम को ही लग पाती है। इसका उदाहरण मीडिया जब भी किसी घटना के बारे में कंट्रोल से बात करता है तो वहां से उसके बारे में अनभिज्ञता ही व्यक्त की जाती है। लगता है मानो यह रस्म अदायगी के लिए ही रह गया है। जिला पुलिस अधीक्षक का विभाग में लंबा अनुभव है जिसका लाभ सिवनी जिले को निश्चित तौर पर मिलना ही चाहिए।