सोमवार, 16 अगस्त 2010

फोरलेन का सच ----- 09

सद्भाव और मीनाक्षी ने बिगाड़ा है सबसे अधिक पर्यावरण

कितने झाड़ कटे कितने लगे किसी को नहीं पता

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय क्यों है सड़क के ठेकेदारों पर मेहरबान?

पहलें लगें फिर काटे जाने चाहिए थे पेड़

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 16 अगस्त। वन्य जीवों एवं पर्यावरण बचाने की दुहाई देकर केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी उत्तर दक्षिण फोरलेन सड़क गलियारा परियोजना में पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान यहां सड़क निर्माण का काम करने वाली मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी और सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने पहुंचाया है। सड़क निर्माण के आरंभ होते ही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई थी, जिनके एवज में कहां किस प्रजाति के पौधों को लगाया गया है, इस बारे मंे वन विभाग मौन साधे हुए है।

अमूमन जब भी अत्यावश्यक कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई की सरकारी अनुमति दी जाती है, तो बाकायदा एक पेड़ काटने के एवज में दस पौधांे को लगाया जाता है। आदि अनादि काल से अब तक सड़कों के किनारे छायादार पेड़ इसलिए लगाए जाते थे ताकि राहगीरों को इनके नीचे बैठकर कुछ देर आराम मिल जाए। मध्य प्रदेश सरकार के लोक कर्म विभाग द्वारा पूर्व में सड़क किनारे खड़े पेड़ों पर चूने से सफेद घेरा भी बनाया जाता था, ताकि ये सरकारी संपत्ति प्रदर्शित होने के साथ ही साथ रात में वाहन चालकों को नजर भी आ सकें। कालांतर में यह चूने से घेरा बनाने की प्रक्रिया अपने आप ही विलुप्त हो गई।

आरोपित है कि कुछ जनसेवकों ने सिवनी जिले को स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के उत्तर दक्षिण गलियारे के नक्शे से मिटाने के षणयंत्र का तना बाना वर्ष 2008 के बीतते बीतते बुना गया। जाने अनजाने सिवनी के स्वयंभू नेता भी इस षणयंत्र का हिस्सा बनते चले गए। इस सड़क का काम किसके मौखिक या लिखित आदेश से रूका है, इस बारे में तरह तरह की किंवदंतियां सिवनी की फिजां में तैर रही हैं। कोई पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा के सांसद और भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को दोषी मानता है, कोई केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को तो कोई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को। आरोप मढ़ने वालों ने आज तक कोई भी तथ्यपरख बात जनता जनार्दन के सामने नहीं रखी है कि फलां व्यक्ति के मौखिक या लिखित आदेश से सड़क के निर्माण का काम रोका गया है, और न ही किसी स्वयंभू नेता ने ही सड़क निर्माण करा रही सद्भाव या मीनाक्षी कंपनियों के नुमाईंदों से जाकर पूछने की जहमत ही उठाई है।

बहरहाल सिवनी जिले में लखनादौन तहसील में नरसिंहपुर की सीमा से जिला मुख्यालय सिवनी तक के सड़क को फोरलेन करने का काम मीनाक्षी तो दक्षिणी ओर जिला मुख्यालय से खवासा तक का सड़क निर्माण का काम सद्भाव नामक कंपनी करवा रही है। इन दोनों ही कंपनियों द्वारा सड़क निर्माण के लिए पेड़ों की तबियत से कटाई की गई। यह काम इतनी दु्रत गति से किया गया कि सिवनी वासी समझ ही नहीं पाए कि आखिर किस प्रजाति के कितने वर्ष आयु के कितने कितने वृक्ष कब कब काट दिए गए।

इतना ही नहीं इन वृक्षों के एवज में किस किस प्रजाति के कितने कितने पौधांे को और कहां कहां रोपा गया है, इस बारे में भी सिवनी के नागरिकों को कुछ जानकारी नहीं है। देखा जाए तो तीन चार सालों में इन पेड़ों को काटे जाने से जो पर्यावरण प्रभावित हुआ है, उस बारे में न तो वन विभाग को ही चिंता है और न ही सड़क बचाने आगे आए ठेकेदारों को।

जानकारों का कहना है कि पेड़ काटने के पूर्व ही अगर फोरलेन के दोनों ओर सड़क के किनारे पौधों को लगा दिया गया होता तो सड़क के निर्माण होते तक इनकी बेहतर देखरेख सड़क निर्माण कराने वाली कंपनी ही कर देती। वस्तुतः सड़क के बीच में अवश्य ही इन कंपनियों ने कुछ सजावटी फूल वाले पौधे लगाए गए हैं, जो पुराने दोहे ‘‘बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर! पंछी को छाया नहीं फल लागत अतिदूर!!‘‘ की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।

अपेक्षा व्यक्त की जा रही है कि पर्यावरण बिगाड़ने में महती भागीदारी निभाने वाली सिवनी जिले में एनएचएआई के अधीन फोरलेन का निर्माण करा रही सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी और मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी पर भारी भरकम जुर्माना किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में पेड़ कटाई से पूर्व ही पौधों को लगा दिया जाए और पर्यावरण को बचाया जा सके।

गांधी से उकताती कांग्रेस

गांधी दर्शन से उबने लगी है कांग्रेस

नेहरू गांधी के नाम पर सत्ता हासिल करने वाली केंद्र सरकार भूल गई गांधी को

इस बार केंद्र सरकार नहीं देगी खादी पर विशेष छूट

गांधी जयंती पर मिलने वाली 20 फीसदी छूट इस साल से बंद

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 16 अगस्त। समूचा देश मोहन दास करमचंद गांधी को राष्ट्रपिता कहकर ही संबांधित करता है। बापू के सादा जीवन उच्च विचारों के सामने उन ब्रितानी आताताईयों ने भी घुटने टेक दिए थे, जिन्होंने देश पर डेढ़ सौ साल राज किया। उसी बापू के नाम को भुनाकर आधी सदी से ज्यादा देश पर राज करने वाली कांग्रेस की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने अब निर्णय लिया है कि गांधी जयंती पर खादी पर मिलने वाली 20 फीसदी छूट को इस साल से समाप्त कर दिया जाए।

महात्मा गांधी ने सदा ही खादी को प्रोत्साहित किया था। अंग्रेजों के कपड़ों का बहिष्कार भी बापू के खादी के आवहान पर ही किया गया था। आजादी के मतवालों ने खादी की महिमा का जमकर बखान भी किया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ही कहा था खादी साधारण वस्त्र नहीं है, खादी एक विचार है, और जिसका चरखा स्वदेशीकरण का प्रतीक है। गांधी जयंती पर खादी पर मिलने वाली छूट आरंभ से अब तक निर्बाध रूप से मिलती आई है।

खादी पर केंद्र सरकार की छूट के अलावा राज्यों की सरकारों द्वारा भी अपने अपने हिसाब से गांधी जयंती पर खादी की खरीद पर छूट दी जाती रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि 02 अक्टूबर से 108 दिनों तक खादी की खरीद पर केंद्र सरकार द्वारा हर साल 20 फीसदी छूट दी जाती रही है, किन्तु इस छूट को बंद करने का प्रस्ताव भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के कार्यकाल में लाया गया था।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में इसलिए डाल दिया था क्योंकि भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप पहले से ही है। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार जिस प्रस्ताव को अमली जामा न पहना सकी उसे महात्मा गांधी के नाम पर सियासत हासिल करने वाली कांग्रेसनीत सरकार ने साकार करने का दुस्साहस किया है।

बताया जाता है कि देश भर में खादी कमीशन से मान्यता प्राप्त 1950 खादी संस्थान वर्तमान में अस्तित्व में हैं। इन संस्थानों मे वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या 55 हजार से अधिक है। कांग्रेसनीत संप्रग सरकार खादी पर छूट को वापस लेकर देश के लगभग एक लाख बुनकर परिवारों के पेट पर सीधे सीधे लात मारने का काम ही करती नजर आ रही है।

खादी के समर्थक माने जाने वाले राजनेताओं का पहनावा भी आजकल बदला बदला ही दिख रहा है। आजकल के नेता खादी के कुर्ता पायजामा के स्थान पर टेरीकाट, जीन्स, कार्टराईज के पतलून कमीज में ही दिखाई पड़ते हैं। वैसे यह भी सच है कि आजादी, स्वदेशी, खादी आदि के मायने आज की पीढी की नजरों में बेमानी ही हो गए हैं। जनसेवक और नौकरशाह भी अब खादी से उबते ही दिख रहे हैं। संभवतः यही कारण है कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिवस 02 अक्टूबर से मिलने वाली खादी पर छूट को समाप्त ही कर दिया है।

650वीं पोस्‍ट

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

राहुल शरणम जाने की तैयारी में सुरेश कलमाड़ी
जनता के हजारों करोड़ रूपए हवा में उड़ाने के बाद अब कामन वेल्थ गेम्स आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने कांग्रेस के अंदर अंदर ही मची खींचतान को रोकने के लिए कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी को सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है। कलमाड़ी चाहते हैं कि राहुल गांधी इस आयोजन में अपनी सक्रिय भूमिका का इजहार कर दें तो कांग्रेस के अंदर इस परियोजना को लेकर भ्रष्टाचार का जो लावा फट रहा है, उसे काफी हद तक रोका जा सकता है। सुरेश कलमाड़ी ने राजधानी दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर के बाजू में निर्माणाधीन खेल गांव के उद्घाटन के लिए राहुल गांधी पर दबाव बनाना आरंभ कर दिया है। वैसे भी यह खेल गांव कामन वेल्थ गेम्स की सबसे बड़ी और माहत्वाकांक्षी परियोजना है। इस खेल गांव में अगले महीने से मेहमान आकर रूकना आरंभ कर देंगे। बताते हैं कि राहुल गांधी को तैयार करने की गरज से कलमाड़ी कई दफा कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल की चौखट को चूमकर आ चुके हैं। वैसे अगर राहुल गांधी इस अयोजन का उद्घाटन करने अपनी हरी झंडी दे देते हैं तो सुरेश कलमाड़ी की मिट्टी खराब होना कुछ हद तक बच सकता है, किन्तु राहुल अभी वरिष्ठ की श्रेणी में नहीं आए हैं तो अगर वे इसका उद्घाटन करते हैं तो एक तरह से वे एक नया विवाद अपने सर ले लेंगे।

आखिर वंृदा को अपत्ति क्या है?
सर्वहारा वर्ग की आवाज बने हुए समझे जाने वाम दलों में आए दिन विलासिता से लवरेज बातें सुनने को मिला करती हैं। कभी पूर्व संसद सुरजीत के आवास पर लाखों का भोज सुर्खियां बनता है तो कभी वृंदा कारात के खिलाफ विश्व स्वास्थ्य संगठन का विरोध। सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम में 400 रूपए से अधिक मूल्य के हिब अर्थात मेनिगजाईटिस के टीके को शामिल कराने की जुगत में लगी है सरकार। सरकार चाहती है कि मल्टीनेशनल कंपनी के इस मंहगे उत्पाद को देश के गरीबों को निशुल्क लगाया जाए। कारात ने न केवल सरकार को नसीहत ही दी है, वरन कहा है कि इस तरह के टीके बच्चों की जान भी ले सकते हैं। विदेशों में इस तरह के टीके लगाए जा रहे हैं और बच्चे आज भी स्वस्थ्य ही हैं। गौरतबल है कि अमीर और संपन्न लोग बाजार से खरीदकर यह टीका अपने गुदड़ी के लालों को लगवा रहे हैं, पर जब गरीबोें को टीका लगवाने की बात आई तो वाम नेता माकपा की वृंदा कारात ने इसमें फच्चर फंसा दिया। लगता है वृंदा कारात गरीब विरोधी हैं!

कम नहीं हुआ थरूर का जलजला
भारत सरकार ने बड़बोले और सोशल नेटवर्किंग वेव साईट ‘‘ट्विटर‘‘ को अपना सबसे अच्छा दोस्त मानने वाले शशि थरूर को भले ही विदेश राज्य मंत्री के पद से हटा दिया हो, पर उनका जलजला आज भी कायम है। कभी हवाई जहाज की इकानामी क्लास को मवेशी का बाड़ा कहने वाले शशि थरूर ट्विटर पर अपना जलवा बिखेर ही रहे हैं। 48 लाख फालोवर के साथ दुनिया के चौधरी अमरिका के प्रथम नागरिक बराक ओबामा ट्विटर के शीर्ष पर जमे हुए हैं। भारत के शशि थरूर इस वेव साईट में पांचवी पायदान पर हैं। थरूर की लोकप्रियता से साबित हो रहा है कि भले ही उनके बड़बोलेपन से भारत पर वर्तमान में शासन कर रही कांग्रेस के आला नेता परेशान हों, पर वैश्विक स्तर पर उन्हें अपनी मुहिम में भारी समर्थन हासिल हो रहा है। थरूर के पास ट्विटर पर 8 लाख 32 हजार 889 प्रशंसकों की खासी फौज जो मौजूद है।

गडकरी या सुदर्शन बताएं कांग्रेस की बेटी कौन है?
भाजपा के निजाम नितिन गड़करी ने अफजल गुरू को कांग्रेस का दमाद बताकर एक बहस को आरंभ किया था, वह बहस अभी थमी नहीं कि अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रमुख के.एस.सुदर्शन ने मुस्लिम तुष्टीकरण पर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा है कि क्या अल्पसंख्यक कांग्रेस के दमाद हैं? गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व भारत गणराज्य के वजीरे आजम ने अपने एक बयान में कहा था कि अल्पसंख्यकों का देश के संसाधनों पर पहला हक है। सुदर्शन का कहना सही है कि देश संसाधनो ंपर राष्ट्र के हर नागरिक का समान हक है। सवाल यह आज भी अनुत्तरित है कि सुदर्शन और गड़करी दोनों ही किसी न किसी को कांग्रेस का कथित तौर पर ‘दामाद‘ बताया जा रहा है, पर कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि आखिर कौन सी बेटी है कांग्रेस की जो इनसे ब्याही गई हो!

बाबूजी को बेलने पड रहे हैं लल्ला के लिए पापड़
काश्मीर में चल रही उठापटक को लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पिता फारूख अब्दुल्ला बेहद परेशान हैं, वे हर कीमत पर अपने जिगर के टुकड़े को सेफ करने का प्रयास कर रहे हैं। काश्मीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री के घर पर होने वाली बैठक को प्रचारित तो किया गया था कि पीएमओ ने इस बैठक को बुलाया है, पर वास्तविकता यह थी कि यह बैठक नहीं वरन उमर अबदुल्ला अपने साथ सर्वदलीय प्रतिनिधि मण्डल लेकर आने वाले थे। इस बैठक का भाजपा ने बहिष्कार कर दिया था। बाद में फारूख ने सुषमा स्वराज, एल.के.आड़वाणी, से संपर्क कर जोड़ तोड़ की राजनीत कर भाजपा के नेताओं को डेढ बजे की फ्लाईट से दिल्ली बुलवा ही लिया। सुषमा का कहना था कि अगर गृहमंत्री काश्मीर के भाजपा नेताओं को फोन करें तब वे आएंगे। सदन में लंबी मशक्कत के बाद चिदम्बरम ने सदन से बाहर जाकर भाजपा नेताओं को फोन पर बुलावा भेजा। इसकी पुष्टि फारूख ने जाकर सुषमा से की तब जाकर सुषमा ने काश्मीर भाजपाध्यक्ष शमशेर सिंह और विधायक दल के नेता चमन लाल गुप्ता को फोन कर डेढ़ बजे की उड़ान से दिल्ली आने का फरमान सुनाया। जब सारी बातें बनी तब जाकर लल्ला की जान बची और बाबू जी ने राहत की सांसे लीं।

सुषमा और राजनाथ की बैसाखी चाह रहे हैं मोदी
सोहराबुद्दीन मामले में जैसे जैसे सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की मुश्किलों का पिटारा भारी होता जा रहा है। गुजरात में कांग्रेस और सीबीआई के खिलाफ माहौल बनाने के लिए अब मोदी अपने घुर विरोधियों के सामने नतमस्तक नजर आ रहे हैं। भाजपा के आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात में जिले जिले में जनसभाएं करने के लिए केंद्रीय नेताओं का सहयोग मांगा है। भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम न उजगर करने की शर्त पर कहा कि उन्हें घोर आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि नरेंद्र मोदी ने पूर्व भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज को गुजरात आने का न्योता दिया है, जबकि अब तक इनके बीच आंकड़ा छत्तीस का ही रहा है। मोदी के अनुरोध को भाजपा के नेतृत्व ने स्वीकार कर लिया है। जल्द ही गड़करी, राजनाथ, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू अरूण जेतली, मुख्तार अब्बास नकवी, मुरली मनोहर जोशी, रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज हुसेन, अनंत कुमार आदि नेता गुजरात कूच करने वाले हैं।

बनिया पार्टी को आई किसानों की सुध
ब्राम्हण बनिया पार्टी का तगमा लगाए भाजपा ने अब देश में अर्थ व्यवस्था की रीढ़ किसान पर नजरें इनायत करने का फैसला लिया है। पिछले कई सालों से भाजपा के थिंक टैंक इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर क्या वजह है कि भाजपा के परंपरागत वोट बेंक में संेध लगती जा रही है। भाजपा ने अब किसानों की ओर अपना रूख किया है। भाजपा के आला सूत्रों का कहना है कि जल्द ही सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा किसानों को रिझाने का प्रयास करेगी। पिछले दिनों हुई भाजपा की एक विशेष बैठक में किसान मोर्चा के अध्यक्ष ओमप्रकाश घनकड़, राजनाथ सिंह सहित अनेक नेताओं ने इस मामले मंे विचार किया है। जल्द ही मंडी में मंडी दर्शन अभियान के जरिए भाजपा पदाधिकारी किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने नजर आएंगे। भाजपा के आराम तलब पदाधिकारियों को किसानों के बीच जाने की बात सोचकर ही पसीना आने लगा है।

मेडीकल टूरिज्म के निशाने पर सुबर बग
कल तक दुनिया के चौधरी अमरिका में इलाज की सबसे अच्छी सुविधाएं मुहैया होने का दावा किया जाता रहा है, किन्तु आज भारत खुद इस मामले मंे आत्मनिर्भर स्थिति में खडा नजर आ रहा है। हाल ही में ‘न्यू डेल्ी मेटालो - 1‘ नाम के सुपरबग ने भारतीयों की नींद उड़ा दी है। समाचार पत्र और चेनल्स चीख चीख कर इसके प्रभाव और दुष्प्रभाव पर चर्चा करने लगे हैं। यह एक एसा बेक्टीरिया है जो एंडीबायोटिक्स के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर देता है, जिससे इलाज में कठिनाई महसूस होने लगती है। वैसे भी हिन्दुस्तान का इतिहास रहा है कि जिस किसी भी चीज पर पश्चिमी देश अपनी मोहर लगा देते हैं, उसे देश वासी बहुत आसानी से आईएसआई का प्रमाण पत्र मानकर अपना लेते हैं। इस बार भी कुछ इसी तरह का हुआ है। कहा जा रहा है कि भारत में बढते मेडीकल टूरिज्म के चलते पश्चिमी देशों ने षणयंत्र के तहत इस प्रपागंडा को अमली जामा पहनाया है। अगर यह सच है तब तो भारत के अपने प्रोपोगंडा तंत्र को हार मानना ही पड़ेगा।

समेट दी शेरा की भूमिका
अक्टूबर माह में होने वाले राष्ट्रमण्डल खेलों में हो रहे भ्रष्टाचार के हो हल्ले के बीच इसका शुभंकर बना शेरा मायूस ही नजर आ रहा है। इसका कारण है कि शेरा की भूमिका को सीमित कर दिया गया है। 15 सितंबर से मोजैक तकनीक से तैयार किए गए शेरा को संस्थापित करना आरंभ कर दिया जाएगा। जैसे जैसे कामन वेल्थ गेम्स की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे वैसे आयोजनों में रद्दोबदल का सिलसिला भी चल पड़ा है। पहले शेरा को तैराकी, हाकी, बाक्सिंग आदि की मुद्राओं मंे खड़ा करने की योजना बनाइ्र गई थी, किन्तु बाद में समयाभाव के चलते अब शेरा महज विक्ट्री का साईन दिखाता हुआ खड़ा नजर आने वाला है। पूर्व में जापानी तकनीक से तैयार होने वाले शेरा को अब किस तकनीक से तैयार किया जा रहा है इस मामले मंे आयोजन समिति ने मौन साध रखा है। अभी आधे शेरा ही तैयार हो पाए हैं, शेष की तैयारियों ‘युद्ध स्तर‘ पर जारी हैं।

कोर्ट ने दिया नाबालिग जोडे को आर्शीवाद
वैसे तो देश में कानूनन विवाह की आयु 18 वर्ष की तय है, पर बाल विवाहों की खबरें जब तब मिल ही जाया करती हैं। पिछले दिनों एक नाबालिग जोड़े को न्यायालय ने संरक्षण देकर सभी को चौका दिया है। इस जोड़े में लड़का 18 का तो लड़की 16 साल भी पूरे नहीं कर पाई है। न्यायालय ने हिंदू मेरिज एक्ट का हवाला देते हुए इस विवाह को वैध माना है। 03 मई को दोनांे भागकर शादी कर ली थी, जिस पर लड़की के पिता ने लड़के के खिलाफ अपहरण का मामला पंजीबद्ध करवाया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने उस एफआईआर को भी रद्द करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि नाबालिग पति पत्नि साथ साथ रहने के लिए आजाद हैं। 15 साल के उपर की उम्र में पत्नि के साथ उसकी मर्जी से शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता है। इस मामले में चाईल्ड मेरिज एक्ट भी लागू नहीं होता है।

इग्नू का सबसे छोटा छात्र बना दिव्य
महज छः साल की उम्र क्या कोई बच्चा किसी विश्वविद्यालय का छात्र बन सकता है। अमूमन छः साल की उमर में बच्चे दूसरी कक्षा में ही कुलाटियां भरते नजर आते हैं किन्तु दिल्ली के दिव्य ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर सभी को चौंका दिया है। कुछ दिनों पहले कुतुब मीनार को ही गायब कर सुर्खियां बटोरने वाले जादूगर के.सी.पाण्डे के सबसे छोटे पुत्र दिव्य प्रकाश को इग्नू ने अपने पास पंजकृत कर लिया है। दिव्य प्रकाश ने अपनी रूचि के मुताबिक क्रफ्ट डिजाईंग के कोर्स में दाखिला लिया है। बताते हैं कि पहले इग्नू प्रशासन दिव्य को दाखिला देने के लिए राजी नहीं हुआ, बाद में उसकी बाल हट और रूचि के चलते इग्नू प्रशासन को उसके आगे झुकना पड़ा। दिव्य का जन्म 10 अक्टूबर 2003 को हुआ है, और बचपन से ही उसे मिट्टी के खिलौने बनाने में दिलचस्पी रही है।

बड़बोले मंत्रियों से मनमोहन परेशान
दूसरी पारी खेल रहे भारत के प्रधानमंत्री की दुश्वारियां उनके अपने सहयोगी मंत्री ही बढ़ाते जा रहे हैं। दरअसल यूपीए सरकार के मंत्रियों के बड़बोलेपन के चलते प्रधानमंत्री का सर अनेक बार शर्म से नीचा ही हुआ है। कभी वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश भोपाल जाकर यूनियन कार्बाईड का जहरीला कचरा हाथ में उठा लेते हैं तो कभी पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर द्वारा सोनिया गांधी की इकानामी क्लास की हवाई यात्रा के बाद उसे मवेशी का बाड़ा कहा जाता है तो कभी भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ एक चुनावी सभा में यह कह देते हैं कि देश में मंहगाई इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि गरीब दोनो टाईम खाना खा रहा है। माननीय न्यायालय ने भी सड़ते अनाज पर चिंता जाहिर करते हुए गरीबो में अनाज मुफ्त में बांटने की बात कही है। अब खेल मंत्री मनोहर सिंह गिल सदन में यह कहते हैं कि अगर सांसदों को कोई जानकारी चाहिए तो वे सूचना के अधिकार का प्रयोग करें। समझ में नहीं आता कि देश में सरकार चल रही है या मंत्रियों की मनमानी

पुच्छल तारा
स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव का योग आज भारत में लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है। बाबा के इस योग पर न जाने कितने चुटकुलों से एसएमएस और मेल बाक्स भरे पड़े हैं। चेन्नई से कन्हैया गुप्ता ने इसी पर एक मजेदार ईमेल भेजा है। वे कहते हैं कि किसी ने बाबा राम देव से पूछा कि लंबी उमर के लिए क्या करना चाहिए। इस पर बाबा रामदेव ने कहा कि शादी कर लेनी चाहिए। वह व्यक्ति आवक रह गया और प्रतिप्रश्न किया क्या शादी से जिंदगी लंबी हो जाती है? बाबा मुस्कुराए और बोले होती तो नहीं पर लगने अवश्य ही लगती है. . .।

किस षणयंत्र के तहत रूका था सिवनी में उत्‍तर दक्षिण फोरलेन कारीडोर का काम

किसने रोका फोरलेन का काम