बुधवार, 13 मार्च 2013

पीहर के आगे मिमियाते दूल्हे वाले!


पीहर के आगे मिमियाते दूल्हे वाले!

(लिमटी खरे)

सनातन भारतीय परंपराओं में दमाद को मानदान माना जाता है। दमाद का घर बेटी का ससुराल और बाबुल का घर पीहर होता है। कहा जाता है कि जब भी दूल्हा अपनी पत्नि के घर जाता है उसके सम्मान का पूरा पूरा ध्यान रखा जाता है। देश में कांग्रेस का राज है। कांग्रेस का संचालन जाहिर तौर पर श्रीमति सोनिया गांधी के हाथ है। सोनिया गांधी भारत की बहू हैं और इटली उनका पीहर। दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी सैनिकों ने जिस तरह भारत को धोखा देकर इटली भाग गए हैं उससे भारत को एक बहुत बड़ा झटका लगना स्वाभाविक ही है। भारत सरकार अब इटली के आगे मिमियाती नजर आ रही है। दरअसल, देश का प्रधानमंत्री ही बिना रीढ़ (राज्य सभा से चुना गया हो जो अब तक एक भी चुनाव ना जीता हो) का हो तो उससे ज्यादा क्या उम्मीद की जाए।

केरल के दो मछुआरों की इतालवी सैनिकों ने अंतर्राष्ट्रीय जल सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर जघन्य हत्या कर दी थी। गुस्साई भारत की नौसेना ने इस इतालवी जहाज को पानी में ही लंगर डालकर खड़ा कर दिया था और इन मछुआरों की हत्या में शामिल दो इतालवी सैनिकों को पकड़कर अदालत में पेश कर यह दलील दी थी कि चूंकि इन्होंने भारत की सीमा में अपराध किया है अतः भारतीय अदालत में भारत के कायदे कानूनों के हिसाब से इन पर भारत में ही मुकदमा चलाया जाएगा।
अपने नागरिकों को जान से ज्यादा चाहने वाले इटली ने तत्काल विदेश मंत्री को भारत भेजा। विदेश मंत्री ने कहा कि यह दो देशों के कूटनितिक समझौते के चलते उन्हें स्वदेश वापस जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। उस समय भारत का रूख काफी कड़ा था। भारत ने दो टूक शब्दों में कह दिया था कि यह कूटनितिक मसला नहीं आपराधिक मामला है अतः सैनिकों को इटली नहीं भेजा जा सकता है। मामले को पहले केरल के न्यायालय फिर सर्वोच्च न्यायालय में भेज दिया गया।
भारतीयों का दिल वाकई बहुत बड़ा होता है। भारत गणराज्य के निवासी के लिए मानवीयता सबसे बड़ी चीज है। मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए दिसंबर माह में ईसामसीह के जन्म दिन को मनाने के लिए इन दोनों इतालवी नोसैनिकों को इटली जाने की इजाजत दे दी गई। ये दोनों वापस भी आए। इसके बाद इटली ने दूसरी चाल चली और भारत के साथ कर दिया धोखा।
इटली की नेशनल असेंबली के चुनावों में मताधिकार के लिए इन दोनों आरोपियों को इटली जाने की अनुमति चाही गई। माननीय अदालत ने फिर सहानुभूति दिखाते हुए इन दोनों को इजाजत दे दी। फरवरी में संपन्न होने वाले चुनावों को देखते हुए इतालवी सरकार ने लिखकर यह भी दिया कि चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करते ही इन दोनों सैनिकों को वापस हिन्दुस्तान भेज दिया जाएगा।
इस बार इतालवी सरकार का दिल काला था। मताधिकार का प्रयोग होते ही इतालवी सरकार के तेवर बदल गए। इतालवी सरकार ने अपने दोनों आरोपी सैनिकों को यह कहकर वापस भारत भेजने से इंकार कर दिया कि भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्रसंघ के तहत अंतर्राष्ट्रीय जल कानून का ही पालन नहीं कर रहा है। भारत पर यह भी आरोप है कि वह इस कूटनितिक विवाद को अलग रंग दे रहा है।
इटली की सरकार ने सरेआम भारत सरकार के साथ ध्रष्टता की है, हिमाकत की है, धोखा दिया है। इतालवी सरकार ने यह कहकर अपने नोसैनिकों को ले जाया गया कि वह मताधिकार का प्रयोग करवाना चाह रही है। मत डालने के उपरांत उन्हें वापस भेज दिया जाएगा। दरअसल, भारत सरकार ने अब तक इतालवी लोगों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए हैं। चाहे मामला बोफोर्स कांड से जुड़े क्वात्रोच्चि का हो या फिर हाल ही में चौपर डील का।
पता नहीं क्यों भारत सरकार विदेशी लोगों के खिलाफ कठोर कदम उठाने से परहेज क्यों करती है। भारतीय संवेदनशील और सहनशील होता है यह बात दुनिया जानती और मानती है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि हमारी सरकारों की इस तरह की ढुलमुल नीतियों और कार्यवाहियों से वैश्विक स्तर पर अब हमारी छवि सहनशील के बजाए नपुंसक की बनती जा रही है। यह मामल कोई छोटा मोटा मामला नहीं है।
इतालवी सरकार ने समूचे भारत के सामने लिखित आश्वासन दिया और उसके उपरांत उसे तोड़ा। भारत ने सहृदयता का परिचय देते हुए जेल में बंद दो विदेशी नागरिकों को मताधिकार का प्रयोग करने इटली जाने की इजाजत दी है। भारत के संविधान में विचाराधीन कैदी को मताधिकार से वंचित रखा गया है।
उधर, खबर है कि विपक्ष के दबाव में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटैलियन नौसैनिक को भारत वापस भेजने से इनकार करने के बाद इटली के राजदूत को दिल्ली से वापस भेजा जा सकता है। भारतीय विदेश सचिव रंजन मथाई ने कहा है कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इटली ने नौसैनिकों को वापस भेजने का वादा किया था। केवल वादा ही नहीं बल्कि दिल्ली स्थित इटली दूतावास ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था।
मामला चूंकि यूपीए की चेयरपर्सन श्रीमति सोनिया गांधी के पीहर से जुड़ा हुआ है, और इस संवेदनशील मामले को विपक्ष कहीं मुद्दा ना बना ले इसी डर से प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को भी मजबूरी में मुंह खोना पड़ा है। अब इस मामले में राजनीति घुसना आरंभ हो चुकी है। जब प्रधानमंत्री और जिम्मेदार विदेश सचिव इस मामले में बयान दे रहे हैं और इतालवी सरकार नने लिखकर दे दिया है कि उनके सैनिक भारत नहीं आएंगे तब 22 मार्च की तय तिथि का इंतजार करना हमारे हिसाब से लाजिमी नहीं है।
सरकार को चाहिए कि तत्काल ही इतालवी सरकार से सारे संबंध तोड़ दे इतालवी सरकार के राजदूत को वापस भेज दे। इटली से अपने राजदूत को वापिस बुला ले और इटली जाने या इटली से आने के सारे वीसा तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए जाएं। सोनिया गांधी का पीहर इटली है। वे परोक्ष तौर पर भारत में हुकूमत कर रही हैं। उनके पीहर वाला देश भारत की कालर पकड़कर उसे धमका रहा है फरेब कर रहा है और वे चुप बैठीं हैं यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित तो नहीं माना जा सकता है। (साई फीचर्स)

काटजू ने की मीडिया पर परोक्ष लगाम की सिफारिश


काटजू ने की मीडिया पर परोक्ष लगाम की सिफारिश

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। देश में मीडिया को वास्तव में मीडिया (एक मायने में दलाली का माध्यम) बनाने के खिलाफ प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने कुछ कदम उठाए हैं। सोशल मीडिया पर काटजू के इस कदम का विरोध होना आरंभ हो गया है। काटजू ने उचित योग्यता के अभाव की वजह से देश में खबरों की गुणवत्ता प्रभावित होने की बात कहते हुए भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मार्कण्डेय काटजू ने पत्रकार बनने के लिए जरूरी न्यूनतम योग्यता की सिफारिश करने के लिए एक समिति गठित की है।
पीसीआई के सदस्य श्रवण गर्ग और राजीव सबादे के अलावा पुणे विश्वविद्यालय के संचार एवं पत्रकारिता विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उज्ज्वला बर्वे को समिति में शामिल किया गया है। पीसीआई अध्यक्ष ने यहां जारी एक बयान में कहा कि पिछले कुछ समय से यह महसूस किया जा रहा था कि पत्रकारिता के पेशे में आने के लिए कुछ न्यूनतम योग्यता तय होनी चाहिए।
काटजू ने कहा, वकालत के पेशे में एलएलबी की डिग्री के साथ बार काउंसिल में पंजीकरण जरूरी होता है। इसी तरह मेडिकल पेशे में एमबीबीएस होना जरूरी योग्यता है और साथ में मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण भी कराना होता है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षक बनने के लिए भी शैक्षणिक प्रशिक्षण प्रमाण पत्र या डिग्री जरूरी होती है। बाकी पेशे में भी कुछ ऐसा ही होता है, लेकिन पत्रकारिता के पेशे में प्रवेश के लिए कोई योग्यता तय नहीं है।
इसके विरोध में यह दलील दी जा रही है कि सबसे पहले चुनाव लड़ने के लिए विधायक और सांसदों की आचार संहित का पुर्न अवलोकन होना चाहिए। अपराधी को चुनाव लड़ने से रोकने, लंबे समय से चल रहे या घिसट रहे मामलों में आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने और चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता का निर्धारिण पहले किया जाना चाहिए।

काटजू ने की मीडिया पर परोक्ष लगाम की सिफारिश


काटजू ने की मीडिया पर परोक्ष लगाम की सिफारिश

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। देश में मीडिया को वास्तव में मीडिया (एक मायने में दलाली का माध्यम) बनाने के खिलाफ प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने कुछ कदम उठाए हैं। सोशल मीडिया पर काटजू के इस कदम का विरोध होना आरंभ हो गया है। काटजू ने उचित योग्यता के अभाव की वजह से देश में खबरों की गुणवत्ता प्रभावित होने की बात कहते हुए भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मार्कण्डेय काटजू ने पत्रकार बनने के लिए जरूरी न्यूनतम योग्यता की सिफारिश करने के लिए एक समिति गठित की है।
पीसीआई के सदस्य श्रवण गर्ग और राजीव सबादे के अलावा पुणे विश्वविद्यालय के संचार एवं पत्रकारिता विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उज्ज्वला बर्वे को समिति में शामिल किया गया है। पीसीआई अध्यक्ष ने यहां जारी एक बयान में कहा कि पिछले कुछ समय से यह महसूस किया जा रहा था कि पत्रकारिता के पेशे में आने के लिए कुछ न्यूनतम योग्यता तय होनी चाहिए।
काटजू ने कहा, वकालत के पेशे में एलएलबी की डिग्री के साथ बार काउंसिल में पंजीकरण जरूरी होता है। इसी तरह मेडिकल पेशे में एमबीबीएस होना जरूरी योग्यता है और साथ में मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण भी कराना होता है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षक बनने के लिए भी शैक्षणिक प्रशिक्षण प्रमाण पत्र या डिग्री जरूरी होती है। बाकी पेशे में भी कुछ ऐसा ही होता है, लेकिन पत्रकारिता के पेशे में प्रवेश के लिए कोई योग्यता तय नहीं है।
इसके विरोध में यह दलील दी जा रही है कि सबसे पहले चुनाव लड़ने के लिए विधायक और सांसदों की आचार संहित का पुर्न अवलोकन होना चाहिए। अपराधी को चुनाव लड़ने से रोकने, लंबे समय से चल रहे या घिसट रहे मामलों में आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने और चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता का निर्धारिण पहले किया जाना चाहिए।

अनेक हत्याओं का पाप हो सकता है गौतम थापर के सर!


0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 17

अनेक हत्याओं का पाप हो सकता है गौतम थापर के सर!

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। देश के जाने माने उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में डाले जाने वाले कोल आधारित 1260 मेगावाट के पावर प्लांट की संस्थापना के पहले ही संकट के बादल छाने लगे हैं। कोयले से बनने वाली बिजली अब आसपास के रहवासियों के लिए काल ही साबित होती जा रही है।
एक आंकलन के अनुसार कोयले से बनने वाली बिजली आम लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक, कोयला आधारित पावर प्लांट्स से निकलने वाले उत्सर्जन के कारण देश में 2011-12 में करीब एक लाख लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इनमें से करीब 8800 लोग दिल्ली और हरियाणा इलाके के हैं। इसके अलावा इससे बड़ी तादाद में लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में भी आए हैं।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि पर्यावरण मामलों की जानी-मानी संस्था ग्रीनपीस और अर्बन इमिशंस द्वारा मुंबई के कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट की अगुवाई में की गई एक स्टडी से ये आंकडे़ सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इन प्लांट्स की वजह से आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की जिंदगी बहुत तकलीफदेह हो गई है। बुजुर्गों और बच्चों की सेहत पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है।
आंकलन से साफ हो गया है कि इन पावर प्लांट्स से बड़े पैमाने पर सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पारे के साथ भारी मात्रा में कार्बन और अन्य महीन कण निकलते हैं। इनकी चपेट में आने वाले लोग अस्थमा, सांस और फेफड़ों की दूसरी कई बीमारियों, कैंसर और दिल के रोगों के शिकार हो रहे हैं।
(क्रमशः जारी)

अनाम वेब साईट से कैसे लें हज यात्री आवेदन


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 72

अनाम वेब साईट से कैसे लें हज यात्री आवेदन

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। एक तरफ तो मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अल्पसंख्यकों को भाजपा से जोड़ने और अल्पसंख्यक कल्याण के लिए नित प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शासकीय योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए पाबंद जनसंपर्क महकमा शिवराज चौहान की मंशाओं पर पानी फेरता ही नजर आ रहा है। हाल ही में जिला जनसंकर्प कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में एक अनाम वेब साईट पर हज यात्रियों से आवेदन प्राप्त करने को कहा गया है।
जिला जनसंपर्क कार्यालय सिवनी द्वारा 12 मार्च को हज-यात्रियों के मास्टर ट्रेनर चयन के लिये आवेदन २२ मार्च तक आमंत्रित शीर्षक से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रदेश के हज-यात्रियों को ट्रेङ्क्षनग देने मास्टर ट्रेनर चयन के लिये आवेदन २२ मार्च तक आमंत्रित किये गये हैं। इसके लिये निर्धारित अहर्ताएँ पूर्ण करने वाली महिला आवेदक भी आवेदन कर सकेंगी। आवेदन मध्यप्रदेश स्टेट हज कमेटी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। अध्यक्ष स्टेट हज कमेटी के अनुसार केन्द्रीय हज कमेटी के निर्देशानुसार हज-यात्रियों को हज प्रशिक्षण देने के लिये राश्य में २ मास्टर ट्रेनर्स का चयन किया जाना है। इसके लिये ऐसे आवेदकों, जिन्हें हज कार्य से प्रतिनियुक्ति पर सउदी अरब में कार्य करने का अनुभव हो, जिनमें असिस्टेंट हज ऑफीसर, हज असिस्टेंट, मेडिकल ऑफीसर या खादिमुलहुश्जाज, जिन्हें हज संबंधी समस्त प्रकार का अनुभव, हज की धाघ्मक रीतियों की जानकारी रखते हों, उम्र ५० वर्ष से अधिक न हो, कम से कम एक हज अदा किया होना चाहिये, से आवेदन आमंत्रित किये गये हैं। आवेदक को अंग्रेजी भाषा का पूर्ण ज्ञान, हिन्दी और अंग्रेजी की पूर्ण जानकारी, आवेदक हज ट्रेङ्क्षनग कार्यक्रमों के लिये समय दे सके, पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, कम्प्यूटर का ज्ञान हो तथा उसके विरुद्घ किसी भी प्रकार का आपराधिक प्रकरण न्यायालय में दर्ज न हो। निर्धारित अहर्ताएँ पूर्ण करने वाली महिलायें भी आवेदन कर सकेंगी। चयनित आवेदकों को हज कमेटी ऑफ इण्डिया, मुम्बई द्वारा हज हाउस, मुम्बई में दो दिवसीय ट्रेङ्क्षनग दी जायेगी। इसके बाद चयनित मास्टर ट्रेनर फील्ड ट्रेनर को भोपाल में ट्रेङ्क्षनग देंगे। अहर्ताएँ पूर्ण करने वाले इश्छुक आवेदक निर्धारित आवेदन-पत्र मध्यप्रदेश स्टेट हज कमेटी के ताजुल मसाजिद के पीछे, सुलतानिया रोड, भोपाल स्थित कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं। आवेदन पत्र स्टेट हज कमेटी की वेबसाइट ध्ध्धर्र््.थ्द्रण्ठ्ठतर््$डदृर्थ्थ्त्द्यद्यड्ढड्ढ.$डदृर्थ् से भी प्राप्त किये जा सकते है।
इस तरह अब आवेदन पत्र स्टेट हज कमेटी की वेबसाइट ध्ध्धर्र््.थ्द्रण्ठ्ठतर््$डदृर्थ्थ्त्द्यद्यड्ढड्ढ.$डदृर्थ् से कैसे प्राप्त किए जाए इस बारे में अल्प संख्यक समुदाय जिले भर के इंटरनेट पार्लर्स पर भटकते देखे गए।

छिंदवाड़ा जिले में फटाफट मिलता है फारेस्ट क्लीयरेंस!


0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 16

छिंदवाड़ा जिले में फटाफट मिलता है फारेस्ट क्लीयरेंस!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले में ब्राडगेज अब युवा होती पीढ़ी के लिए सपना ही साबित हो रहा है। महाकौशल अंचल के पिछड़े सिवनी जिले में सशक्त नेतृत्व के अभाव में यहां विकास की किरणें प्रस्फुटित होती नहीं दिख रही हैं। वहीं पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा और बालाघाट में लंबित परियोजनाओं को फटाफट क्लियरेंस मिलने से यहां विकास दु्रत गति से हो रहा है।
ज्ञातव्य है कि सिवनी जिले में लगभग सौ साल पुरानी बाबा आदम के जमाने की नेरोगेज रेल लाईन संचालित हो रही है। इस रेल लाईन के अमान परिवर्तन की बात लंबे समय से की जा रही है। बार बार मांग करने पर सिवनी जिले की झोली में आश्वासन के अतिरिक्त और कुछ भी नही आ पाता है। दो दो सांसदों वाले सिवनी जिले में ब्राडगेज का ना आना वाकई आश्चर्य और शोध का ही विषय माना जा रहा है।
रेल्वे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि छिंदवाड़ा से सौंसर होकर नागुपर के अमान परिवर्तन को हरी झंडी मिल चुकी है और इसमें से छिंदवाड़ा से सौंसर तक का काम भी अगले साल तक पूर्ण होने का लक्ष्य रखा गया है। यहां उल्लेखनीय तथ्य यह है कि छिंदवाड़ा से नागपुर रेल खण्ड दो बार रिजर्व फारेस्ट और वाईल्ड लाईफ कारीडोर को काट रहा है।
बावजूद इसके इस बारे में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय मौन साधे हुए है। कहा जा रहा है कि बालाघाट से नैनपुर होकर जबलपुर जाने वाले रेलखण्ड के अमान परिवर्तन का काम भी इसीलिए रूका हुआ है क्योंकि इसका कुछ हिस्सा सिवनी के वनों से होकर गुजर रहा है।
(क्रमशः जारी)

राहुल गांधी से निकटता चाह रहे एक निर्दलीय प्रत्याशी


राहुल गांधी से निकटता चाह रहे एक निर्दलीय प्रत्याशी

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश में महाकौशल अंचल के एक निर्दलीय प्रत्याशी रहे नेताजी इन दिनों कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इर्द गिर्द नजदीकी बढ़ाने की जुगत लगा रहे हैं। मूलतः शराब व्यवसाय से धनोपार्जन कर अब अपना व्यवसाय बदलने वाले उक्त नेता अब अल्पसंख्यकों के एक धर्मस्थल के सरपरस्त भी बताए जाते हैं।
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि महाकौशल अंचल के तेज तर्रार उक्त युवा नेता को गुमान हो गया है कि पिछले विधानसभा चुनावों में उसके द्वारा बड़ी मात्रा में मत प्राप्त किए थे अतः इस बार अगर उसे किसी दल से टिकिट मिल जाए तो वह चुनाव अवश्य ही जीत जाएंगे।
उक्त कांग्रेसी पदाधिकारी ने कहा कि कांग्रेस को घुटनों पर खड़ा होने के लिए मजबूर करने वाले उक्त नेताजी द्वारा अब कांग्रेस में ही प्रवेश का ताना बाना बुना जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें खबर मिली है कि जब महाकौशल अंचल में ओले पाले की मार से किसान कराह रहे थे तब ये नेताजी दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दरबार में घुसने के लिए अपनी गोटियां बिठा रहे थे।
इतना ही नहीं उक्त कांग्रेस के पदाधिकारी ने यह भी कहा कि उन्हें पुख्ता खबर है कि उक्त नेताजी ने महाकौशल अंचल के भारतीय जनता पार्टी के एक पदाधिकारी के साथ मिलकर भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जाकर वहां भी भाजपा के आला नेताओं की देहरी भी चूमी है।

एचआईवी मामले में जागृत हुआ देश


एचआईवी मामले में जागृत हुआ देश

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। एचआईवी एड्स के मामले में भारत मे जनजागरूकता में बढ़ोत्तरी हुई है, कम से कम सरकारी दावे तो यही कह रहे हैं। सरकारी आंकड़ों पर अगर गौर फरमाया जाए तो दस सालों में एड्स के मामलों में लगभग तेरह लाख की कमी दर्ज की गई है। सरकार ने बताया कि विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में एचआईवी संक्रमण के मामलों में कमी दर्ज की गयी है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री एस गांधी सेल्वन ने राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने 2012 तक ‘‘एचआईवी सेन्टीनल सर्विलान्स’’ से मिले आंकडों का हवाला देते हुए कहा कि नवीनतम एचआईवी अनुमान से पता चलता है कि देश में एचआईवी पीडित रोगियों की संख्या वर्ष 2001 में 23.5 लाख थी जो वर्ष 2011 में घट कर 20.9 लाख हो गई है। उन्होंने बताया कि एड्स महामारी 2012 पर यूएनएआईडीएस की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में एचआईवी पीडित रोगियों की संख्या वर्ष 2001 में 294 लाख थी जो 2011 में बढ कर 340 लाख हो गई।
गांधी सेल्वन ने डॉ वाई पी त्रिवेदी के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि एकीकृत परामर्श एवं परीक्षण केंद्रों के माध्यम से एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों का पता लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि जनवरी 2013 तक सर्वाधिक 48,338 एचआईवी संक्रमित रोगी आंध्रप्रदेश में पाए गए। महाराष्ट्र में ऐसे 45,625 रोगी, कर्नाटक में 30,051 रोगी, तमिलनाडु में 12,323 रोगी और उत्तरप्रदेश में ऐसे 11,211 रोगियों का पता चला। वर्ष 2011 - 2012 में आंध्रप्रदेश में ऐसे 65,060 रोगी, महाराष्ट्र में 57,035 रोगी, कर्नाटक में 41,643 रोगी, तमिलनाडु में 21,562 रोगी और उत्तर प्रदेश में 14,741 रोगी थे।

रायपुर : छग महिला कोष से 35 करोड़ वितरित


छग महिला कोष से 35 करोड़ वितरित

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ महिला कोष की ऋण योजना के तहत विगत करीब दस वर्षों में प्रदेश के लगभग 23 हजार 126 महिला स्व-सहायता समूहों को विभिन्न व्यवसायों के लिए 34 करोड़ 19 लाख से अधिक की ऋण राशि वितरित की जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महिला स्व-सहायता समूहों को वित्तीय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में छत्तीसगढ़ महिला कोष का संचालन किया जा रहा है। योजना में महिला स्व-सहायता समूहों को आसान शर्तों पर अधिकतम 25 हजार रूपए तक का ऋण प्रथम बार में प्रदान किया जाता है, जबकि इस ऋण की सफलतापूर्वक वापसी पर 50 हजार रूपए तक का ऋण द्वितीय बार में प्रदान किया जाता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि योजना में पिछले लगभग दस वर्षों में 23 हजार से अधिक महिला स्व-सहायता समूहों को 34 करोड़ 19 लाख 28 हजार रूपए की ऋण राशि आसान शर्तों पर वितरित की गयी। उन्होंने बताया कि योजना के तहत वर्ष 2003-04 में 688 महिला समूहों को 32 लाख 14 हजार रूपए ऋण प्रदान किए गए। इसी प्रकार वर्ष 2004-05 में एक हजार 802 महिला समूहों को 94 लाख 54 हजार, वर्ष 2005-06 में दो हजार 105 महिला समूहों को एक करोड़ 40 लाख सात हजार रूपए, वर्ष 2006-07 में दो हजार 684 महिला समूहों को दो करोड़ 53 लाख 53 हजार रूपए, वर्ष 2007-08 में दो हजार 859 महिला समूहों को तीन  करोड़ 11 लाख 84 हजार रूपए, वर्ष 2008-09 में तीन हजार 277 महिला समूहों को तीन करोड़ 83 लाख 65 हजार रूपए, वर्ष 2009-10 में दो हजार 837 महिला समूहों को छह करोड़ 21 लाख रूपए, वर्ष 2010-11 में दो हजार 212 महिला समूहों को पांच करोड़ 28 लाख 95 हजार रूपए, वर्ष 2011-12 में दो हजार 142 महिला समूहों को पांच करोड़ 60 लाख 60 हजार रूपए और वर्ष 2012-13 में अब तक के प्रावधिक आंकड़ों के अनुसार दो हजार 520 महिला समूहों को चार करोड़ 92 लाख 95 हजार रूपए के ऋण रोजगारमूलक व्यवसायों के लिए वितरित किए जा चुके हैं। 

रायपुर : मनरेगा में आंगनबाड़ी भवनों का भी होगा निर्माण


मनरेगा में आंगनबाड़ी भवनों का भी होगा निर्माण

(एन.के.श्रीवासतव)

रायपुर (साई)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत छत्तीसगढ़ में अब उन परिवारों को भी खेतों में कुंआ निर्माण के लिए सहायता दी जा रही है, जिन्हें वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किए गए हैं। अब तक ऐसे तीन हजार 193 परिवारों को सहायता दी जा चुकी है। चूंकि वन अधिकार मान्यता पत्र धारक परिवारों की संख्या राज्य में दो लाख से अधिक है, इसलिए अब उनके खेतों में भूमि सुधार के साथ कुंआ निर्माण का कार्य एक विशेष अभियान के रूप में चलाया जाएगा। इसके अलावा प्रथम चरण में राज्य में एक सौ गांवों का चयन कर  उन्हें मनरेगा के तहत आदर्श गांव बनाने के लिए वहां इस योजना के प्रावधानों के अनुरूप हर प्रकार के जरूरी निर्माण कार्य कराए जाएंगे।
यह निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की बैठक में लिया गया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को मनरेगा के तहत में महानदी और शिवनाथ जैसी नदियों के दोनों किनारों पर कटाव रोकने के लिए बाढ़ नियंत्रण से संबंधित कार्य ग्राम पंचायतों के माध्यम से करवाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में लगभग ग्यारह हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण का कार्य भी मनरेगा के तहत पंचायतों को सौंपा जाना चाहिए। इससे स्थानीय स्तर पर और अधिक संख्या में लोगों के लिए रोजगार का सृजन हो सकता है। बैठक में मनरेगा से संबंधित छत्तीसगढ़ सरकार के वित्तीय वर्ष 2011-12 के वार्षिक प्रतिवेदन का अनुमोदन भी किया गया।
विधानसभा के समिति कक्ष में आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में गृह, जेल और सहकारिता मंत्री ननकीराम कंवर, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री हेमचंद यादव, कृषि और श्रम मंत्री चन्द्रशेखर साहू, आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास मंत्री केदार कश्यप, जल संसाधन और जनशक्ति नियोजन मंत्री रामविचार नेताम, राजस्व मंत्री दयालदास बघेल, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष शिवराज सिंह और प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव सुनिल कुमार सहित सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक ढांड ने बैठक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 से संबंधित अब तक की उपलब्धियों और गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अब तक गांवों में मांग के आधार पर 26 लाख परिवारों को विभिन्न निर्माण कार्यों में रोजगार दिया जा चुका है। कुल नौ करोड़ 18 लाख मानव दिवस के रोजगार का सृजन हुआ है। योजना के तहत जल संरक्षण, वृक्षारोपण, सूक्ष्म और लघु सिंचाई कार्यों सहित गरीबी रेखा श्रेणी, अनुसूचित जाति और जनजाति तथा लघु और सीमांत किसान तथा वन अधिकार मान्यता पत्र धारक परिवारों की निजी भूमि के सुधार कार्य भी लिए जा रहे हैं। नदियों का कटाव रोकने बाढ़ नियंत्रण के कार्य, आंगनबाड़ी भवनों और खेल मैदानों के निर्माण से संबंधित कार्य भी इस योजना में कराए जा रहे हैं। वन अधिकार मान्यता पत्र धारक किसानों सहित गरीबी रेखा श्रेणी के परिवारों, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के परिवारों, लघु और सीमांत किसानों तथा इंदिरा आवास योजना के हितग्राहियों की निजी भूमि पर लिए जाने वाले रोजगार मूलक कार्यों के बारे में भी बैठक में जानकारी दी गई। अपर मुख्य सचिव ढांड ने बताया कि अब तक इन सभी प्रकार के हितग्राहियों में से नौ हजार 419 हितग्राहियों के खेतों में कुआं निर्माण के कार्य कराए जा चुके हैं, जबकि दो लाख 02 हजार भूमि सुधार के कार्य भी कराए गए हैं। इसके अलावा जल संरक्षण और जल संवर्धन के 49 हजार 510 कार्य लिए गए थे। इनमें से 36 हजार 797 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत नहर निर्माण के दस हजार 875 कार्यों में से सात हजार 951 कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। अनुसूचित जातियों और जनजातियों के परिवारों को उनकी निजी भूमि पर सिंचाई सुविधा देने के लिए एक लाख 36 हजार 759 कार्य शुरू किए गए थे। इनमें से एक लाख 17 हजार 536 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं। परम्परागत कुएं जैसे जल स्रोतों के नवीनीकरण के 47 हजार 281 कार्यों में से 39 हजार 891 कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। बाढ़ नियंत्रण और सुरक्षा के  तीन हजार 753 कार्यों में से दो हजार 335 और ग्रामीण सड़कों के एक लाख 14 हजार कार्यों में से 83 हजार 125 कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। बैठक में अपर मुख्य सचिव डी.एस. मिश्रा सहित अन्य अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

ग्‍वालियर - श्रमजीवी पत्रकार संघ का प्रांतीय अधिवेषन 31 को


श्रमजीवी पत्रकार संघ का प्रांतीय अधिवेषन 31 को

(राजीव सक्सेना)

ग्वालियर (साई)। मध्य्ाप्रदेश श्रमजीवी पत्र्ाकार संघ का दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेषन 31 मार्च व 1 अप्रैल को षिवपुरी में आयोजित किया जा रहा है। 31 मार्च को प्रातः 11 बजे षिवपुरी के षिवम सेठ स्टेट हाल में भाजपा के प्रदेष अध्यक्ष एवं सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में अधिवेषन का षुभारंभ होगा। इस मौके पर चिकित्सा षिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा, गृह राज्यमंत्री नारायण सिंह कुषवाह समेत कई नेता मौजूद रहेंगे। यह जानकारी प्रांतीय संगठन महामंत्री विनय अग्रवाल एवं प्रदेष महासचिव सुरेष षर्मा ने दी।  अग्रवाल एवं षर्मा ने बताया कि एक अप्रैल के कार्यक्रम के भी अतिथि तय हो गए हैं।  

भोपाल : सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन


सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी/अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधान सभा के मुख्यमंत्री कक्ष में माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से अपनी नियमितिकरण की नीति सहित अन्य मांगों के संबंध में चर्चा की । माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा के दौरान उनकी समस्याओं एवं मांगों को ध्यान पूर्वक सूना तथा संविदा कर्मचारियों को नियमित करने हेतु नीति बनाने का आश्वासन दिया । संविदा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष प्रशांत तिवारी एवं मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीलेश जैन ने बताया की मुख्यमंत्री महोदय को चर्चा के दौरान संविदा कर्मचारियों के मांगों के संबंध में दो पृष्ठीय ज्ञापन सौंपा गया । ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया कि 10-15 वर्षो से संविदा कर्मचारी मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में एवं उनके केन्द्र प्रवर्तित परियोजनाओं में कार्य कर रहें हैं, अनेकों बार ज्ञापन देने के बाद भी संविदा कर्मचारियेां के नियमितिकरण हेतु कोई नीति नहीं बनाई गई जबकि समुदाय के द्वारा नियुक्ति हुए गुरूजी, शिक्षाकर्मियों एवं पंचायतकर्मीयों को सरकार ने मंत्रिपरिषद् के बैठक में पदों का निर्माण कर सीधे नियमित कर दिया हैं, लेकिन विधिवत परीक्षा देकर शासन एवं उनकी परियोजनाओं में नियुक्त हुए संविदा कर्मचारी/अधिकारी अल्प वेतन पर शोषण के शिकार हैं। संविदा कर्मचारियों के साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जा रहा हैं। संविदा कर्मचारियों को चिकित्सा भत्ता , चिकित्सा अवकाश , अर्जित अवकाश , मकान किराया भत्ता, आकस्मिक मृत्यु की दशा में सहायता आदि का लाभ नहीं दिया जा रहा हैं, जबकि संविदा कर्मचारी शासन मे सबसे अधिक कार्य कर रहें हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को  अवगत कराया गया कि कर्मचारियों को अपना इलाज भी स्वयं के पैसे से करवाना पड़ता हैं। बीमार अवधि का वेतन काट लिया जाता हैं। संविदा कर्मचारियों की शिकायत की स्थिति में उनका पक्ष सुने बिना ही सेवा से पृथक किया जा रहा हैं जो कि प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत हैं । मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की शर्तो एवं वेतन के संबंध में एकरूपता नहीं हैं। विभिन्न विभागों के द्वारा अपने-अपने हिसाब से संविदा कर्मचारियों के लिए नियम एवं नीति निर्धारित कर लिये गये हैं जिससे संविदा कर्मचारी शोषण का शिकार हैं। अतः ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि मध्यप्रदेश विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए एक स्पष्ट नीति होना चाहिए । ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि वर्तमान में इन संविदा कर्मचारियेां को विभिन्न विभागों में रिक्त पदों में योग्यता एवं अनुभव के आधार पर नियमित कर दिया जाता हैं तो शासन को अनुभवी एवं योग्य क्षमतावान कर्मचारी प्राप्त होंगे या संविदा कर्मचारी को वर्तमान पदों में नियमित कर दिया जाता हैं तो मध्यप्रदेश शासन पर आगामी 10-15 वर्षो तक किसी प्रकार का वित्तीय भार नहीं पडे़गा क्योंकि अधिकांश संविदा कर्मचारी लम्बी अवधि की केन्द्र परिवर्तित परियोंजनाओं में कार्यरत है अधिकांश संविदा कर्मचारियों की आयु 40 से 45 वर्ष के बीच के हैं जो कि परियोजना समाप्ति के पश्चात ही स्वयं सेवा निवृत्त हो जायेंगे। मुख्यमंत्री महोदय ने चर्चा के समय उपस्थित उनके प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जी को ज्ञापन के विभिन्न बिन्दुओं के परीक्षण हेतु निर्देशित किया । चर्चा हेतु उपस्थित प्रतिनिधि मण्डल में प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी के अध्यक्ष राहुल जैन, मनरेगा अधिकारी/कर्मचारी सयुक्त मोर्चा की ओर से प्रशांत तिवारी, नीलेश जैन मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र उपाध्याय , नर्मदाघाटी विकास संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवध कुमार गर्ग , उपाध्यक्ष पी शालू नायर , मुख्यमंत्री सड़क योजना के संविदा कर्मचारी अध्यक्ष संजीव रविमदरसा बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मुकेश शर्मा , कृषि अभियात्रिकी संघा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सूर्यवंशी , बोर्ड आफिस संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवधेश दीक्षित, भोज विश्वविद्यालय संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनुप कुमार बुन्देला, पैरामेडिकल संविदा कर्मचारी संघ के सचिव रामकुमार वर्मा , जल ग्रहण मिशन संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज मिश्रा , अमित कुल्हारा , समग्र स्वच्छता अभियान कर्मचारी संघ अध्यक्ष राकेश प्रताप सिंह ,सुशील  दोहारा, टी0वी0 स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष पवन राजपूत , राकेश शर्मा आदि कर्मचारी/अधिकारी उपस्थित थे।

भोपाल : सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन


सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी/अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधान सभा के मुख्यमंत्री कक्ष में माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से अपनी नियमितिकरण की नीति सहित अन्य मांगों के संबंध में चर्चा की । माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा के दौरान उनकी समस्याओं एवं मांगों को ध्यान पूर्वक सूना तथा संविदा कर्मचारियों को नियमित करने हेतु नीति बनाने का आश्वासन दिया । संविदा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष प्रशांत तिवारी एवं मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीलेश जैन ने बताया की मुख्यमंत्री महोदय को चर्चा के दौरान संविदा कर्मचारियों के मांगों के संबंध में दो पृष्ठीय ज्ञापन सौंपा गया । ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया कि 10-15 वर्षो से संविदा कर्मचारी मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में एवं उनके केन्द्र प्रवर्तित परियोजनाओं में कार्य कर रहें हैं, अनेकों बार ज्ञापन देने के बाद भी संविदा कर्मचारियेां के नियमितिकरण हेतु कोई नीति नहीं बनाई गई जबकि समुदाय के द्वारा नियुक्ति हुए गुरूजी, शिक्षाकर्मियों एवं पंचायतकर्मीयों को सरकार ने मंत्रिपरिषद् के बैठक में पदों का निर्माण कर सीधे नियमित कर दिया हैं, लेकिन विधिवत परीक्षा देकर शासन एवं उनकी परियोजनाओं में नियुक्त हुए संविदा कर्मचारी/अधिकारी अल्प वेतन पर शोषण के शिकार हैं। संविदा कर्मचारियों के साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जा रहा हैं। संविदा कर्मचारियों को चिकित्सा भत्ता , चिकित्सा अवकाश , अर्जित अवकाश , मकान किराया भत्ता, आकस्मिक मृत्यु की दशा में सहायता आदि का लाभ नहीं दिया जा रहा हैं, जबकि संविदा कर्मचारी शासन मे सबसे अधिक कार्य कर रहें हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को  अवगत कराया गया कि कर्मचारियों को अपना इलाज भी स्वयं के पैसे से करवाना पड़ता हैं। बीमार अवधि का वेतन काट लिया जाता हैं। संविदा कर्मचारियों की शिकायत की स्थिति में उनका पक्ष सुने बिना ही सेवा से पृथक किया जा रहा हैं जो कि प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत हैं । मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की शर्तो एवं वेतन के संबंध में एकरूपता नहीं हैं। विभिन्न विभागों के द्वारा अपने-अपने हिसाब से संविदा कर्मचारियों के लिए नियम एवं नीति निर्धारित कर लिये गये हैं जिससे संविदा कर्मचारी शोषण का शिकार हैं। अतः ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि मध्यप्रदेश विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए एक स्पष्ट नीति होना चाहिए । ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि वर्तमान में इन संविदा कर्मचारियेां को विभिन्न विभागों में रिक्त पदों में योग्यता एवं अनुभव के आधार पर नियमित कर दिया जाता हैं तो शासन को अनुभवी एवं योग्य क्षमतावान कर्मचारी प्राप्त होंगे या संविदा कर्मचारी को वर्तमान पदों में नियमित कर दिया जाता हैं तो मध्यप्रदेश शासन पर आगामी 10-15 वर्षो तक किसी प्रकार का वित्तीय भार नहीं पडे़गा क्योंकि अधिकांश संविदा कर्मचारी लम्बी अवधि की केन्द्र परिवर्तित परियोंजनाओं में कार्यरत है अधिकांश संविदा कर्मचारियों की आयु 40 से 45 वर्ष के बीच के हैं जो कि परियोजना समाप्ति के पश्चात ही स्वयं सेवा निवृत्त हो जायेंगे। मुख्यमंत्री महोदय ने चर्चा के समय उपस्थित उनके प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जी को ज्ञापन के विभिन्न बिन्दुओं के परीक्षण हेतु निर्देशित किया । चर्चा हेतु उपस्थित प्रतिनिधि मण्डल में प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी के अध्यक्ष राहुल जैन, मनरेगा अधिकारी/कर्मचारी सयुक्त मोर्चा की ओर से प्रशांत तिवारी, नीलेश जैन मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र उपाध्याय , नर्मदाघाटी विकास संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवध कुमार गर्ग , उपाध्यक्ष पी शालू नायर , मुख्यमंत्री सड़क योजना के संविदा कर्मचारी अध्यक्ष संजीव रविमदरसा बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मुकेश शर्मा , कृषि अभियात्रिकी संघा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सूर्यवंशी , बोर्ड आफिस संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवधेश दीक्षित, भोज विश्वविद्यालय संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनुप कुमार बुन्देला, पैरामेडिकल संविदा कर्मचारी संघ के सचिव रामकुमार वर्मा , जल ग्रहण मिशन संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज मिश्रा , अमित कुल्हारा , समग्र स्वच्छता अभियान कर्मचारी संघ अध्यक्ष राकेश प्रताप सिंह ,सुशील  दोहारा, टी0वी0 स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष पवन राजपूत , राकेश शर्मा आदि कर्मचारी/अधिकारी उपस्थित थे।

भोपाल : सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन


सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी/अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधान सभा के मुख्यमंत्री कक्ष में माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से अपनी नियमितिकरण की नीति सहित अन्य मांगों के संबंध में चर्चा की । माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा के दौरान उनकी समस्याओं एवं मांगों को ध्यान पूर्वक सूना तथा संविदा कर्मचारियों को नियमित करने हेतु नीति बनाने का आश्वासन दिया । संविदा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष प्रशांत तिवारी एवं मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीलेश जैन ने बताया की मुख्यमंत्री महोदय को चर्चा के दौरान संविदा कर्मचारियों के मांगों के संबंध में दो पृष्ठीय ज्ञापन सौंपा गया । ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया कि 10-15 वर्षो से संविदा कर्मचारी मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में एवं उनके केन्द्र प्रवर्तित परियोजनाओं में कार्य कर रहें हैं, अनेकों बार ज्ञापन देने के बाद भी संविदा कर्मचारियेां के नियमितिकरण हेतु कोई नीति नहीं बनाई गई जबकि समुदाय के द्वारा नियुक्ति हुए गुरूजी, शिक्षाकर्मियों एवं पंचायतकर्मीयों को सरकार ने मंत्रिपरिषद् के बैठक में पदों का निर्माण कर सीधे नियमित कर दिया हैं, लेकिन विधिवत परीक्षा देकर शासन एवं उनकी परियोजनाओं में नियुक्त हुए संविदा कर्मचारी/अधिकारी अल्प वेतन पर शोषण के शिकार हैं। संविदा कर्मचारियों के साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जा रहा हैं। संविदा कर्मचारियों को चिकित्सा भत्ता , चिकित्सा अवकाश , अर्जित अवकाश , मकान किराया भत्ता, आकस्मिक मृत्यु की दशा में सहायता आदि का लाभ नहीं दिया जा रहा हैं, जबकि संविदा कर्मचारी शासन मे सबसे अधिक कार्य कर रहें हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को  अवगत कराया गया कि कर्मचारियों को अपना इलाज भी स्वयं के पैसे से करवाना पड़ता हैं। बीमार अवधि का वेतन काट लिया जाता हैं। संविदा कर्मचारियों की शिकायत की स्थिति में उनका पक्ष सुने बिना ही सेवा से पृथक किया जा रहा हैं जो कि प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत हैं । मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की शर्तो एवं वेतन के संबंध में एकरूपता नहीं हैं। विभिन्न विभागों के द्वारा अपने-अपने हिसाब से संविदा कर्मचारियों के लिए नियम एवं नीति निर्धारित कर लिये गये हैं जिससे संविदा कर्मचारी शोषण का शिकार हैं। अतः ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि मध्यप्रदेश विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए एक स्पष्ट नीति होना चाहिए । ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि वर्तमान में इन संविदा कर्मचारियेां को विभिन्न विभागों में रिक्त पदों में योग्यता एवं अनुभव के आधार पर नियमित कर दिया जाता हैं तो शासन को अनुभवी एवं योग्य क्षमतावान कर्मचारी प्राप्त होंगे या संविदा कर्मचारी को वर्तमान पदों में नियमित कर दिया जाता हैं तो मध्यप्रदेश शासन पर आगामी 10-15 वर्षो तक किसी प्रकार का वित्तीय भार नहीं पडे़गा क्योंकि अधिकांश संविदा कर्मचारी लम्बी अवधि की केन्द्र परिवर्तित परियोंजनाओं में कार्यरत है अधिकांश संविदा कर्मचारियों की आयु 40 से 45 वर्ष के बीच के हैं जो कि परियोजना समाप्ति के पश्चात ही स्वयं सेवा निवृत्त हो जायेंगे। मुख्यमंत्री महोदय ने चर्चा के समय उपस्थित उनके प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जी को ज्ञापन के विभिन्न बिन्दुओं के परीक्षण हेतु निर्देशित किया । चर्चा हेतु उपस्थित प्रतिनिधि मण्डल में प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी के अध्यक्ष राहुल जैन, मनरेगा अधिकारी/कर्मचारी सयुक्त मोर्चा की ओर से प्रशांत तिवारी, नीलेश जैन मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र उपाध्याय , नर्मदाघाटी विकास संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवध कुमार गर्ग , उपाध्यक्ष पी शालू नायर , मुख्यमंत्री सड़क योजना के संविदा कर्मचारी अध्यक्ष संजीव रविमदरसा बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मुकेश शर्मा , कृषि अभियात्रिकी संघा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सूर्यवंशी , बोर्ड आफिस संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवधेश दीक्षित, भोज विश्वविद्यालय संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनुप कुमार बुन्देला, पैरामेडिकल संविदा कर्मचारी संघ के सचिव रामकुमार वर्मा , जल ग्रहण मिशन संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज मिश्रा , अमित कुल्हारा , समग्र स्वच्छता अभियान कर्मचारी संघ अध्यक्ष राकेश प्रताप सिंह ,सुशील  दोहारा, टी0वी0 स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष पवन राजपूत , राकेश शर्मा आदि कर्मचारी/अधिकारी उपस्थित थे।

भोपाल : सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन


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(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी/अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधान सभा के मुख्यमंत्री कक्ष में माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से अपनी नियमितिकरण की नीति सहित अन्य मांगों के संबंध में चर्चा की । माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा के दौरान उनकी समस्याओं एवं मांगों को ध्यान पूर्वक सूना तथा संविदा कर्मचारियों को नियमित करने हेतु नीति बनाने का आश्वासन दिया । संविदा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष प्रशांत तिवारी एवं मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीलेश जैन ने बताया की मुख्यमंत्री महोदय को चर्चा के दौरान संविदा कर्मचारियों के मांगों के संबंध में दो पृष्ठीय ज्ञापन सौंपा गया । ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया कि 10-15 वर्षो से संविदा कर्मचारी मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में एवं उनके केन्द्र प्रवर्तित परियोजनाओं में कार्य कर रहें हैं, अनेकों बार ज्ञापन देने के बाद भी संविदा कर्मचारियेां के नियमितिकरण हेतु कोई नीति नहीं बनाई गई जबकि समुदाय के द्वारा नियुक्ति हुए गुरूजी, शिक्षाकर्मियों एवं पंचायतकर्मीयों को सरकार ने मंत्रिपरिषद् के बैठक में पदों का निर्माण कर सीधे नियमित कर दिया हैं, लेकिन विधिवत परीक्षा देकर शासन एवं उनकी परियोजनाओं में नियुक्त हुए संविदा कर्मचारी/अधिकारी अल्प वेतन पर शोषण के शिकार हैं। संविदा कर्मचारियों के साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जा रहा हैं। संविदा कर्मचारियों को चिकित्सा भत्ता , चिकित्सा अवकाश , अर्जित अवकाश , मकान किराया भत्ता, आकस्मिक मृत्यु की दशा में सहायता आदि का लाभ नहीं दिया जा रहा हैं, जबकि संविदा कर्मचारी शासन मे सबसे अधिक कार्य कर रहें हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को  अवगत कराया गया कि कर्मचारियों को अपना इलाज भी स्वयं के पैसे से करवाना पड़ता हैं। बीमार अवधि का वेतन काट लिया जाता हैं। संविदा कर्मचारियों की शिकायत की स्थिति में उनका पक्ष सुने बिना ही सेवा से पृथक किया जा रहा हैं जो कि प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत हैं । मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की शर्तो एवं वेतन के संबंध में एकरूपता नहीं हैं। विभिन्न विभागों के द्वारा अपने-अपने हिसाब से संविदा कर्मचारियों के लिए नियम एवं नीति निर्धारित कर लिये गये हैं जिससे संविदा कर्मचारी शोषण का शिकार हैं। अतः ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि मध्यप्रदेश विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए एक स्पष्ट नीति होना चाहिए । ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि वर्तमान में इन संविदा कर्मचारियेां को विभिन्न विभागों में रिक्त पदों में योग्यता एवं अनुभव के आधार पर नियमित कर दिया जाता हैं तो शासन को अनुभवी एवं योग्य क्षमतावान कर्मचारी प्राप्त होंगे या संविदा कर्मचारी को वर्तमान पदों में नियमित कर दिया जाता हैं तो मध्यप्रदेश शासन पर आगामी 10-15 वर्षो तक किसी प्रकार का वित्तीय भार नहीं पडे़गा क्योंकि अधिकांश संविदा कर्मचारी लम्बी अवधि की केन्द्र परिवर्तित परियोंजनाओं में कार्यरत है अधिकांश संविदा कर्मचारियों की आयु 40 से 45 वर्ष के बीच के हैं जो कि परियोजना समाप्ति के पश्चात ही स्वयं सेवा निवृत्त हो जायेंगे। मुख्यमंत्री महोदय ने चर्चा के समय उपस्थित उनके प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जी को ज्ञापन के विभिन्न बिन्दुओं के परीक्षण हेतु निर्देशित किया । चर्चा हेतु उपस्थित प्रतिनिधि मण्डल में प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी के अध्यक्ष राहुल जैन, मनरेगा अधिकारी/कर्मचारी सयुक्त मोर्चा की ओर से प्रशांत तिवारी, नीलेश जैन मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र उपाध्याय , नर्मदाघाटी विकास संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवध कुमार गर्ग , उपाध्यक्ष पी शालू नायर , मुख्यमंत्री सड़क योजना के संविदा कर्मचारी अध्यक्ष संजीव रविमदरसा बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मुकेश शर्मा , कृषि अभियात्रिकी संघा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सूर्यवंशी , बोर्ड आफिस संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवधेश दीक्षित, भोज विश्वविद्यालय संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनुप कुमार बुन्देला, पैरामेडिकल संविदा कर्मचारी संघ के सचिव रामकुमार वर्मा , जल ग्रहण मिशन संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज मिश्रा , अमित कुल्हारा , समग्र स्वच्छता अभियान कर्मचारी संघ अध्यक्ष राकेश प्रताप सिंह ,सुशील  दोहारा, टी0वी0 स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष पवन राजपूत , राकेश शर्मा आदि कर्मचारी/अधिकारी उपस्थित थे।

भोपाल : सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन


सीएम ने दिया नियमितिकरण का आश्वासन

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी/अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधान सभा के मुख्यमंत्री कक्ष में माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से अपनी नियमितिकरण की नीति सहित अन्य मांगों के संबंध में चर्चा की । माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा के दौरान उनकी समस्याओं एवं मांगों को ध्यान पूर्वक सूना तथा संविदा कर्मचारियों को नियमित करने हेतु नीति बनाने का आश्वासन दिया । संविदा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष प्रशांत तिवारी एवं मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीलेश जैन ने बताया की मुख्यमंत्री महोदय को चर्चा के दौरान संविदा कर्मचारियों के मांगों के संबंध में दो पृष्ठीय ज्ञापन सौंपा गया । ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया कि 10-15 वर्षो से संविदा कर्मचारी मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में एवं उनके केन्द्र प्रवर्तित परियोजनाओं में कार्य कर रहें हैं, अनेकों बार ज्ञापन देने के बाद भी संविदा कर्मचारियेां के नियमितिकरण हेतु कोई नीति नहीं बनाई गई जबकि समुदाय के द्वारा नियुक्ति हुए गुरूजी, शिक्षाकर्मियों एवं पंचायतकर्मीयों को सरकार ने मंत्रिपरिषद् के बैठक में पदों का निर्माण कर सीधे नियमित कर दिया हैं, लेकिन विधिवत परीक्षा देकर शासन एवं उनकी परियोजनाओं में नियुक्त हुए संविदा कर्मचारी/अधिकारी अल्प वेतन पर शोषण के शिकार हैं। संविदा कर्मचारियों के साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जा रहा हैं। संविदा कर्मचारियों को चिकित्सा भत्ता , चिकित्सा अवकाश , अर्जित अवकाश , मकान किराया भत्ता, आकस्मिक मृत्यु की दशा में सहायता आदि का लाभ नहीं दिया जा रहा हैं, जबकि संविदा कर्मचारी शासन मे सबसे अधिक कार्य कर रहें हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को  अवगत कराया गया कि कर्मचारियों को अपना इलाज भी स्वयं के पैसे से करवाना पड़ता हैं। बीमार अवधि का वेतन काट लिया जाता हैं। संविदा कर्मचारियों की शिकायत की स्थिति में उनका पक्ष सुने बिना ही सेवा से पृथक किया जा रहा हैं जो कि प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत हैं । मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की शर्तो एवं वेतन के संबंध में एकरूपता नहीं हैं। विभिन्न विभागों के द्वारा अपने-अपने हिसाब से संविदा कर्मचारियों के लिए नियम एवं नीति निर्धारित कर लिये गये हैं जिससे संविदा कर्मचारी शोषण का शिकार हैं। अतः ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि मध्यप्रदेश विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए एक स्पष्ट नीति होना चाहिए । ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि वर्तमान में इन संविदा कर्मचारियेां को विभिन्न विभागों में रिक्त पदों में योग्यता एवं अनुभव के आधार पर नियमित कर दिया जाता हैं तो शासन को अनुभवी एवं योग्य क्षमतावान कर्मचारी प्राप्त होंगे या संविदा कर्मचारी को वर्तमान पदों में नियमित कर दिया जाता हैं तो मध्यप्रदेश शासन पर आगामी 10-15 वर्षो तक किसी प्रकार का वित्तीय भार नहीं पडे़गा क्योंकि अधिकांश संविदा कर्मचारी लम्बी अवधि की केन्द्र परिवर्तित परियोंजनाओं में कार्यरत है अधिकांश संविदा कर्मचारियों की आयु 40 से 45 वर्ष के बीच के हैं जो कि परियोजना समाप्ति के पश्चात ही स्वयं सेवा निवृत्त हो जायेंगे। मुख्यमंत्री महोदय ने चर्चा के समय उपस्थित उनके प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जी को ज्ञापन के विभिन्न बिन्दुओं के परीक्षण हेतु निर्देशित किया । चर्चा हेतु उपस्थित प्रतिनिधि मण्डल में प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी के अध्यक्ष राहुल जैन, मनरेगा अधिकारी/कर्मचारी सयुक्त मोर्चा की ओर से प्रशांत तिवारी, नीलेश जैन मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र उपाध्याय , नर्मदाघाटी विकास संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवध कुमार गर्ग , उपाध्यक्ष पी शालू नायर , मुख्यमंत्री सड़क योजना के संविदा कर्मचारी अध्यक्ष संजीव रविमदरसा बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मुकेश शर्मा , कृषि अभियात्रिकी संघा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सूर्यवंशी , बोर्ड आफिस संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवधेश दीक्षित, भोज विश्वविद्यालय संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनुप कुमार बुन्देला, पैरामेडिकल संविदा कर्मचारी संघ के सचिव रामकुमार वर्मा , जल ग्रहण मिशन संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज मिश्रा , अमित कुल्हारा , समग्र स्वच्छता अभियान कर्मचारी संघ अध्यक्ष राकेश प्रताप सिंह ,सुशील  दोहारा, टी0वी0 स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष पवन राजपूत , राकेश शर्मा आदि कर्मचारी/अधिकारी उपस्थित थे।