0 रिजर्व फारेस्ट
में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 17
अनेक हत्याओं का
पाप हो सकता है गौतम थापर के सर!
(मणिका सोनल)
नई दिल्ली (साई)।
देश के जाने माने उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी
प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के
आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में डाले जाने वाले कोल आधारित 1260 मेगावाट के पावर
प्लांट की संस्थापना के पहले ही संकट के बादल छाने लगे हैं। कोयले से बनने वाली
बिजली अब आसपास के रहवासियों के लिए काल ही साबित होती जा रही है।
एक आंकलन के अनुसार
कोयले से बनने वाली बिजली आम लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। एक अनुमान के
मुताबिक, कोयला
आधारित पावर प्लांट्स से निकलने वाले उत्सर्जन के कारण देश में 2011-12 में करीब
एक लाख लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इनमें से करीब 8800 लोग दिल्ली और हरियाणा
इलाके के हैं। इसके अलावा इससे बड़ी तादाद में लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में भी
आए हैं।
वन एवं पर्यावरण
मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि पर्यावरण मामलों की
जानी-मानी संस्था ग्रीनपीस और अर्बन इमिशंस द्वारा मुंबई के कंजर्वेशन एक्शन
ट्रस्ट की अगुवाई में की गई एक स्टडी से ये आंकडे़ सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा
गया कि इन प्लांट्स की वजह से आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की जिंदगी बहुत
तकलीफदेह हो गई है। बुजुर्गों और बच्चों की सेहत पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है।
आंकलन से साफ हो
गया है कि इन पावर प्लांट्स से बड़े पैमाने पर सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड
और पारे के साथ भारी मात्रा में कार्बन और अन्य महीन कण निकलते हैं। इनकी चपेट में
आने वाले लोग अस्थमा, सांस और फेफड़ों की दूसरी कई बीमारियों, कैंसर और दिल के
रोगों के शिकार हो रहे हैं।
(क्रमशः जारी)
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