मनरेगा में
आंगनबाड़ी भवनों का भी होगा निर्माण
(एन.के.श्रीवासतव)
रायपुर (साई)।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत छत्तीसगढ़
में अब उन परिवारों को भी खेतों में कुंआ निर्माण के लिए सहायता दी जा रही है, जिन्हें वन अधिकार
मान्यता पत्र प्रदान किए गए हैं। अब तक ऐसे तीन हजार 193 परिवारों को सहायता दी जा
चुकी है। चूंकि वन अधिकार मान्यता पत्र धारक परिवारों की संख्या राज्य में दो लाख
से अधिक है, इसलिए अब
उनके खेतों में भूमि सुधार के साथ कुंआ निर्माण का कार्य एक विशेष अभियान के रूप
में चलाया जाएगा। इसके अलावा प्रथम चरण में राज्य में एक सौ गांवों का चयन कर उन्हें मनरेगा के तहत आदर्श गांव बनाने के लिए
वहां इस योजना के प्रावधानों के अनुरूप हर प्रकार के जरूरी निर्माण कार्य कराए
जाएंगे।
यह निर्णय आज यहां
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी
परिषद की बैठक में लिया गया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को मनरेगा के तहत में
महानदी और शिवनाथ जैसी नदियों के दोनों किनारों पर कटाव रोकने के लिए बाढ़ नियंत्रण
से संबंधित कार्य ग्राम पंचायतों के माध्यम से करवाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री
ने यह भी कहा कि राज्य में लगभग ग्यारह हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण का
कार्य भी मनरेगा के तहत पंचायतों को सौंपा जाना चाहिए। इससे स्थानीय स्तर पर और
अधिक संख्या में लोगों के लिए रोजगार का सृजन हो सकता है। बैठक में मनरेगा से
संबंधित छत्तीसगढ़ सरकार के वित्तीय वर्ष 2011-12 के वार्षिक प्रतिवेदन का अनुमोदन
भी किया गया।
विधानसभा के समिति
कक्ष में आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में गृह, जेल और सहकारिता मंत्री ननकीराम कंवर, पंचायत और ग्रामीण
विकास मंत्री हेमचंद यादव, कृषि और श्रम मंत्री चन्द्रशेखर साहू, आदिम जाति और
अनुसूचित जाति विकास मंत्री केदार कश्यप, जल संसाधन और जनशक्ति नियोजन मंत्री
रामविचार नेताम, राजस्व
मंत्री दयालदास बघेल, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष शिवराज सिंह और प्रदेश सरकार
के मुख्य सचिव सुनिल कुमार सहित सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। पंचायत और
ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक ढांड ने बैठक में महात्मा गांधी
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 से
संबंधित अब तक की उपलब्धियों और गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस
योजना के तहत अब तक गांवों में मांग के आधार पर 26 लाख परिवारों को विभिन्न
निर्माण कार्यों में रोजगार दिया जा चुका है। कुल नौ करोड़ 18 लाख मानव दिवस के
रोजगार का सृजन हुआ है। योजना के तहत जल संरक्षण, वृक्षारोपण, सूक्ष्म और लघु
सिंचाई कार्यों सहित गरीबी रेखा श्रेणी, अनुसूचित जाति और जनजाति तथा लघु और सीमांत
किसान तथा वन अधिकार मान्यता पत्र धारक परिवारों की निजी भूमि के सुधार कार्य भी
लिए जा रहे हैं। नदियों का कटाव रोकने बाढ़ नियंत्रण के कार्य, आंगनबाड़ी भवनों और
खेल मैदानों के निर्माण से संबंधित कार्य भी इस योजना में कराए जा रहे हैं। वन
अधिकार मान्यता पत्र धारक किसानों सहित गरीबी रेखा श्रेणी के परिवारों, अनुसूचित जाति और
जनजाति वर्ग के परिवारों, लघु और सीमांत किसानों तथा इंदिरा आवास योजना के हितग्राहियों
की निजी भूमि पर लिए जाने वाले रोजगार मूलक कार्यों के बारे में भी बैठक में
जानकारी दी गई। अपर मुख्य सचिव ढांड ने बताया कि अब तक इन सभी प्रकार के
हितग्राहियों में से नौ हजार 419 हितग्राहियों के खेतों में कुआं निर्माण के कार्य
कराए जा चुके हैं,
जबकि दो लाख 02 हजार भूमि सुधार के कार्य भी कराए गए हैं।
इसके अलावा जल संरक्षण और जल संवर्धन के 49 हजार 510 कार्य लिए गए थे। इनमें से 36
हजार 797 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत नहर निर्माण के दस
हजार 875 कार्यों में से सात हजार 951 कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। अनुसूचित जातियों
और जनजातियों के परिवारों को उनकी निजी भूमि पर सिंचाई सुविधा देने के लिए एक लाख
36 हजार 759 कार्य शुरू किए गए थे। इनमें से एक लाख 17 हजार 536 कार्य पूर्ण किए
जा चुके हैं। परम्परागत कुएं जैसे जल स्रोतों के नवीनीकरण के 47 हजार 281 कार्यों
में से 39 हजार 891 कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। बाढ़ नियंत्रण और सुरक्षा के तीन हजार 753 कार्यों में से दो हजार 335 और
ग्रामीण सड़कों के एक लाख 14 हजार कार्यों में से 83 हजार 125 कार्य पूर्ण कर लिए
गए हैं। बैठक में अपर मुख्य सचिव डी.एस. मिश्रा सहित अन्य अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी
उपस्थित थे।
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