गुरुवार, 6 जून 2013

फोरलेन नहीं आई पर 13 को आ रहे कमल नाथ

फोरलेन नहीं आई पर 13 को आ रहे कमल नाथ

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। आज दोपहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी के आवास पर भीड़ भाड़ देखकर लोगों को आश्चर्य हुआ। वहीं कुछ लोग यह कहते भी पाए गए कि केंद्रीय मंत्री कमल नाथ सिवनी आए हैं और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की बैठक ले रहे हैं। बाद में ज्ञात हुआ कि कमल नाथ का दौरा 13 जून को संभावित हैं इसी की तैयारियों को लेकर एक बैठक हीरा आसवानी के निवास पर आहूत की गई थी।
सिवनी में 13 जून के कमल नाथ के प्रस्तावित दौरे को लेकर शहर में प्रतिक्रियाओं का दौर आरंभ हो गया है। ज्ञातव्य है कि सिवनी के फोरलेन का कातिल कमल नाथ को पहले से ही मानते आए हैं। लोगों का मानना है कि बार बार सिवनी को गोद लेने वाले कमल नाथ अगर चाहते तो सतपुड़ा संभाग कब का अस्तित्व में आ चुका होता और इसका मुख्यालय सिवनी होता।

इतना ही नहीं लोगों का मानना है कि कमल नाथ चाहते तो सिवनी से छिंदवाड़ा सड़क पर जिले की सीमा में कोहका तक के मार्ग का काम अब तक पूरा हो चुका होता। साथ ही सिवनी में आज ब्राडगेज की सीटी की आवाज लोगों के कानों में पड़ रही होती।

सोशल मीडिया पर जारी हैं टिप्पणियों का सिलसिला

सोशल मीडिया पर जारी हैं टिप्पणियों का सिलसिला

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। शराब व्यवसाई रहे, लखनादौन मस्जिद के सरपरस्त, राय पेट्रोलियम के संचालक और लखनादौन बार कौंसिल के अध्यक्ष दिनेश राय द्वारा पत्रकार लिमटी खरे की अय्याशी और बेवड़े होने तथा लिमटी खरे के साथ दुर्घटना घटने पर उन्हें जिम्मेदार ना समझा जाने की जिला पुलिस अधीक्षक को की गई शिकायत के बारे में सोशल मीडिया फेसबुक पर टिप्पणियों का सिलसिला जारी है।
इस सबंध में लल्लू बघेल का कहना है कि खरे जी आपको किसी से चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। बोलने वाले को जरूर लगेगा।
राजू थापा कहते हैं कि दादा कमेंट्स देखकर ही लगता है कि आदमी किस स्तर का है। बाकी तो दुनिया देख ही रही है। बयानों की राजनीति करने वाले बहुत लोग मिलेंगे। शायद इसे ही कहते हैं खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे। राजू थापा ने आगे लिखा  है कि पोस्ट पढ़ने के उपरांत ऐसा लग रहा है कि साजिश की शुरूआत हो चुकी है दादा। और साजिश को अमली जामा पहनाने में किन-किन लोगों का उपयोग किया जा रहा है, स्पष्ट नजर आ रहा है। दादा आप सावधान रहें।
दिनेश राय को थोड़ी गर्मी सिर पर चढ़ गयी है, कृपया किसी अच्छे औषधालय में चेक करायें... ये कहना है मृदुल चड्ढा का।
अल्ताफ उर्र रहमान कहते हैं कि ‘‘किसी भी मस्जिद का अगर सरपरस्त एक शराब कारोबारी हो, मैं उस मस्जिद को मस्जिद ही नहीं मानता।‘‘
जितेन्द्र यादव का कहना है कि लिमटी भाई किसी को खींचकर उसको उसकी औकात पर कैसे लाना है ये कोई आपसे सीखे.... हाःहाःहाः धीरे धीरे ही सही, पर आ तो रहा है।
जगदीश रावलानी ने सलाह दी है कि जेड प्लसके लिये तैयार रहो।
जिब्राईल अंसारी लिखते हैं कि मैं लिमटी भाई को 1996 से जानता हूं, जहां तक मैं आपको जानता हूं, हमेशा से आपकी छवि स्वस्थ्य और स्वच्छ रही है। ऐसे में यदि आपकी छवि पर कोई कालिख पोतने का काम करता है तो वह बहुत निंदनीय विषय है।  ऐसी विपरीत परिस्थिती में कोई भी ईमानदार, निर्भीक पत्रकार को अपने स्वाभाविक कार्य को अंजाम देने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पर आप हर परिस्थिती से निपटने में सक्षम हैं।
‘‘किसी भी पत्रकार पर कोई इस तरह खीझे तो समझ लीजिये कि पत्रकार ने उसकी कुछ काली करतूतें तो उजागर कर ही दी हैं‘‘ ये कहना है आलोक सिंघई का।
रित्युत मिश्रा लिखते हैं, गुरूदेव सच बोलने का यही सिला मिलता है। यदि कोई पत्रकार कोई सच लिख दे तो ऐसी ही हरकतें होती हैं..... शर्मनाक कार्य है ऐसी गलत टिप्पणी करना वो भी किसी वरिष्ठ पत्रकार पर। उन्होंने आगे लिखा है कि गुरूदेव ऐसी धमकी देना ओछेपन के अलावा कुछ नहीं है, सच्चे आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। मैं सदैव आपके साथ हूं।

दादा ठाकुर के समर्थक हैं पूरी तरह निराश!

दादा ठाकुर के समर्थक हैं पूरी तरह निराश!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सिवनी में कांग्रेस के आकाश में छाने वाले कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के असमय अवसान के उपरांत उनके समर्थकों में अब निराशा का वातावरण देखने को मिल रहा है। उनके समर्थक अब नया ठौर अवश्य खोज रहे हैं किन्तु वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि अपनी डोलती किश्ती को किसके घाट पर लगाएं।
ज्ञातव्य है कि महाकौशल के सिवनी जिले में हरवंश सिंह के अपने प्रभाव के चलते अन्य क्षत्रपों की सीधी दखल कतई नहीं थी। सिवनी में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह आदि के समर्थक तो हैं पर कोई भी नेता ख्ुालकर सामने नहीं आ पाए थे।
हरवंश सिंह के अलावा अन्य क्षत्रपों के समर्थकों को समय समय पर हरवंश सिंह ने जमीन भी दिखाई है। हरवंश सिंह का कद निस्संदेह इतना बड़ा था कि क्षत्रपों को भी अपने समर्थकों के बचाव में सामने आने से परहेज करना पड़ा। ऐसे एक नहीं अनेकों उदहारण हैं जब हरवंश सिंह की मुखालफत करने वालों को हरवंश सिंह के आगे घुटने टेकने पड़े थे।
हरवंश सिंह का यह सियासी अंदाज सबसे जुदा था। यही कारण था कि हरवंश सिंह के समर्थकों की तादाद सिवनी सहित समूचे प्रदेश में काफी अधिक थी। अब प्रदेश के उनके समर्थकों ने तो अपना अपना नया ठौर ढूंढ लिया होगा किन्तु सिवनी में कोई भी स्थानीय नेता इतना कद्दावर नहीं है कि वे उसके झंडे तले चले जाएं।

अब हरवंश सिंह समर्थकों के सामने यह बात सबसे अहम है कि वे जाएं तो जाएं किसकी शरण में! हरवंश सिंह गुट से उनके उपरांत डेढ़ पखवाड़े में दूसरा कोई नाम सामने ना आने से उनके समर्थकों की बेचेनी बढ़ती ही जा रही है। हरवंश सिंह समर्थक अब कांग्रेस में अपना भविष्य अंधकारमय देखते हुए अन्य सियासी दलों की ओर आकर्षित हो जाएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

वर्षा पूर्व जरूरी हैं आवश्यक तैयारियां!

वर्षा पूर्व जरूरी हैं आवश्यक तैयारियां!

(लिमटी खरे)

मंगलवार को प्री मानसून रेन्स ने शहर को भिगा दिया। बारिश तेज नहीं थी पर हल्की बूंदाबांदी ने ही यह संकेत दे दिया कि जल्द ही बादलों से घिरने वाला है जिला। बारिश के चार माह में जिले में आवश्यक तैयारियां की जाना निहायत ही जरूरी है। जिला प्रशासन को चाहिए कि समय रहते बारिश में होने वाली आशंकाओं से निपटने की मुकम्मल तैयारियां कर ले।
बारिश में जिले भर में नदी नालों में पानी सड़कों पर से बहना आम बात है। इसके साथ ही साथ शहर का अव्यवस्थित विकास भी बारिश के पानी को बेतरतीब तरीके से फैलाता जाता है। शहर के ही मुख्य मार्गों पर बारिश का पानी बुरी तरह से आवागमन को प्रभावित करने से नहीं चूकता है।
बारिश के मौसम में निचली बस्तियों में पानी भरने की आशंकाएं सबसे ज्यादा हुआ करती हैं। इन सारी बातों से निपटने की कार्ययोजना तत्काल बनाना आवश्यक है। पार्षद और नगर पालिका प्रशासन ने निहित स्वार्थों के चलते सिवनी में जहां जिसका मन आया वहां जैसा चाहे वैसा निर्माण कार्य कर लिया है, जो बारिश का पानी निकलने में असुविधा ही पैदा करता है।
पानी की टंकी के पास से चूना भट्टी होते हुए विवेकानंद वार्ड की ओर बहने वाले पानी का वेग इतना ज्यादा होता है कि देखते ही बनता है। विवेकानंद वार्ड के अनेक निवासियों के घरों में बारिश के चार माह दिन हो या रात कोहराम ही मचा रहता है। इस वार्ड में नाला तो है पर वह सदा ही ओवर फ्लो होकर बहता रहता है।
बुधवारी बाजार में शंकर मढ़िया के सामने वाले हिस्से में पानी का तांडव देखते ही बनता है। इसका कारण यहां के बड़े नाले के उपर अतिक्रमण ही है। नगर पालिका की उदासीनता से लोगों ने यहां नाले के उपर कब्जा कर लिया है, जिससे नाले की सफाई ही नहीं हो पाती है। परिणामस्वरूप बारिश में यहां पानी भर जाता है।
कमोबेश यही स्थिति बस स्टेंड से पोस्ट आफिस वाले खण्ड में होती है। यहां भी कामकाजी महिला वसति गृह के सामने पानी जमकर भरा होता है। पानी भरे होने के कारण छोटे वाहन दूसरी तरफ से ही आने जाने पर मजबूर रहते हैं। शहर के अनेक स्थान ऐसे हैं जहां पानी का भराव होता है।
इसके अलावा छोटे नदी नालों में जरा सी बारिश में ही उफान आ जाता है, जिससे आवागमन अवरूद्ध हुए बिना नहीं रहता है। यह तो गनीमत है कि बैनगंगा नदी पर उंचे पुल का निर्माण हो गया है, वरना बारिश में छिंदवाड़ा सड़क के बंद होने का ही खतरा मण्डराता रहता था।
बारिश में फोरलेन का विवादित हिस्सा भी आवागमन की दृष्टि से काफी नाजुक माना जा सकता है। पिछले साल कुरई घाट के अनेक हिस्से बहते बहते बचे थे। इस बारे में जिला प्रशासन के आला अधिकारी अच्छे से जानते होंगे। फोरलेन देश का सबसे लंबा और व्यस्ततम मार्ग है।
इस मार्ग पर चौबीसों घंटे वाहनों की आवाजाही लगी रहती है। इन परिस्थितियों में यहां अगर कोई दुर्घटना घट जाए तो भारी क्षति का सामना भी करना पड़ सकता है। बारिश में पानी को सहेजने की दिशा में भी प्रयास आवश्यक हैं। जिसका जहां मन आया वहां स्टाप डेम बना दिया है। बारिश का पानी रोकने के लिए भूजल विद से परामर्श आवश्क होती है। पर यह परंपरा अब विलुप्त हो चुकी है।
भूजलविदों की मानें तो आने वाले तीन चार सालों में सिवनी में पानी का हाहाकार चरम पर होगा, जिससे निपटना आवश्यक है। अभी समय रहते ही इस दिशा में सार्थक प्रयास आवश्यक है। इसके लिए ठोस कार्ययोजना बनाने से ही काम सफल हो सकता है। सिवनी शहर के कटंगी नाका स्थित श्मशान घाट पर बना स्टाप डेम भी शोभा की सुपारी ही बना हुआ है।
बारिश के मौसम में लोगों को पीने को साफ पानी मिले यह भी प्रशासन की ही जवाबदारी है। लगता है ब्रितानी हुकूमत की सत्ता आ गई है। बड़े बूढ़े बताते हैं कि जब गोरे अंग्रेज गांव या शहरों में जाते और रियाया उनसे पानी की व्यवस्था की मांग करती तो वे दो टूक जवाब दिया करते थे कि पानी और प्रकाश की व्यवस्था की जवाबदेही उनकी नहीं है, रियाया खुद इसकी व्यवस्था करे। आज कमोबेश वही स्थिति बनी हुई है। जनता को ना तो पीने को साफ पानी मिल रहा है और ना ही पर्याप्त रोशनी।

नवागत युवा एवं उर्जावान तथा संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव से उम्मीद की जाती है कि वे बारिश पूर्व बारिश की तैयारियां मुकम्मल अवश्य करेंगे। वैसे भी प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव द्वारा इस संबंध में हाल ही में दिशा निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं।