दादा ठाकुर के
समर्थक हैं पूरी तरह निराश!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। सिवनी
में कांग्रेस के आकाश में छाने वाले कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के असमय अवसान
के उपरांत उनके समर्थकों में अब निराशा का वातावरण देखने को मिल रहा है। उनके
समर्थक अब नया ठौर अवश्य खोज रहे हैं किन्तु वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि अपनी
डोलती किश्ती को किसके घाट पर लगाएं।
ज्ञातव्य है कि
महाकौशल के सिवनी जिले में हरवंश सिंह के अपने प्रभाव के चलते अन्य क्षत्रपों की
सीधी दखल कतई नहीं थी। सिवनी में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य
सिंधिया के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, कांग्रेस महासचिव
दिग्विजय सिंह आदि के समर्थक तो हैं पर कोई भी नेता ख्ुालकर सामने नहीं आ पाए थे।
हरवंश सिंह के
अलावा अन्य क्षत्रपों के समर्थकों को समय समय पर हरवंश सिंह ने जमीन भी दिखाई है।
हरवंश सिंह का कद निस्संदेह इतना बड़ा था कि क्षत्रपों को भी अपने समर्थकों के बचाव
में सामने आने से परहेज करना पड़ा। ऐसे एक नहीं अनेकों उदहारण हैं जब हरवंश सिंह की
मुखालफत करने वालों को हरवंश सिंह के आगे घुटने टेकने पड़े थे।
हरवंश सिंह का यह
सियासी अंदाज सबसे जुदा था। यही कारण था कि हरवंश सिंह के समर्थकों की तादाद सिवनी
सहित समूचे प्रदेश में काफी अधिक थी। अब प्रदेश के उनके समर्थकों ने तो अपना अपना
नया ठौर ढूंढ लिया होगा किन्तु सिवनी में कोई भी स्थानीय नेता इतना कद्दावर नहीं
है कि वे उसके झंडे तले चले जाएं।
अब हरवंश सिंह
समर्थकों के सामने यह बात सबसे अहम है कि वे जाएं तो जाएं किसकी शरण में! हरवंश
सिंह गुट से उनके उपरांत डेढ़ पखवाड़े में दूसरा कोई नाम सामने ना आने से उनके
समर्थकों की बेचेनी बढ़ती ही जा रही है। हरवंश सिंह समर्थक अब कांग्रेस में अपना
भविष्य अंधकारमय देखते हुए अन्य सियासी दलों की ओर आकर्षित हो जाएं तो किसी को
आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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