मंगलवार, 8 अक्टूबर 2013

राजेश त्रिवेदी के खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज: दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह

राजेश त्रिवेदी के खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज: दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण पंजीबद्ध कर दिया गया है। उक्ताशय की जानकारी अधिवक्ता दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह द्वारा दी गई है। लोकायुक्त की इस कार्यवाही से नगर पालिका परिषद् में कांग्रेस के चुने हुए पार्षदों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि लोकायुक्त कार्यालय में पदस्थ अवर सचिव बसंत कुंभारे के हस्ताक्षरों से जारी पत्र क्रमांक 2839 / जाप्र 136 /13 के द्वारा उन्हें सूचित किया गया है कि उनके द्वारा अध्यक्ष नगर पालिका परिषद् राजेश त्रिवेदी एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी सिवनी (तत्कालीन एवं वर्तमान) एवं कर्मचारी अधिकारीगण नगर पालिका परिषद् सिवनी के खिलाफ की गई शिकायत पर लोकायुक्त कार्यालय ने संज्ञान लेते हुए प्रकरण क्रमांक 136/13 पंजीबद्ध कर जांच करवाई जा रही है।
उन्होंने बताया कि नगर पालिका परिषद् में हुए भ्रष्टाचार एवं अनियमितता की 25 बिन्दुओं पर शिकायत, उन्होंने लोकायुक्त से की थी। इस शिकायत में उनके द्वारा फायर वाहन के दुरूपयोग, क्रोसोलिक एवं फीनोलिक पाउडर की खरीदी में हुए भ्रष्टाचार, अवैध कॉलोनियों के बारे में, वाहनों की बैटरी के संबंध के साथ ही साथ दलसागर तालाब के सौंदर्यीकरण में घटिया पेवर ब्लॉक लगाने की शिकायत की थी।
अपनी विज्ञप्ति में दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह ने आगे कहा है कि उनके शिकायत पत्र में हाथ ठिलिया की खरीदी में भ्रष्टाचार, नगर पालिका द्वारा समाचार पत्रों को जारी विज्ञापनों में जमकर घोटाले की बात का भी उल्लेख किया गया है। इस शिकायत में डीएवीपी या सीपीआर से अनुमोदित दरों से अधिक दरों पर विज्ञापन प्रदाय किए गए हैं। इतना ही नहीं नगर पालिका परिषद् द्वारा उन समाचार पत्रों को भी विज्ञापन दिए गए हैं, जो भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय में पंजीकृत ही नहीं हैं। पालिका द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक की राशि के विज्ञापन राजेश त्रिवेदी के शपथ ग्रहण समारोह, नरेश दिवाकर के स्वागत समारोह एवं विधान सभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी के समारोह हेतु जारी किए गए हैं।
दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह ने आगे कहा कि उनके द्वारा नगर पालिका परिषद् की आलमारी आदि खरीदी की शिकायत भी की गई है। इसके अलावा बीआरजीएफ राशि के दुरूपयोग की शिकायत का भी इसमें समावेश किया गया है। इस शिकायत में कांच के सामान और कारपेट खरीदी के बारे में भी शिकायत की गई है।
अपने 25 बिन्दुओं के शिकायत पत्र में उन्होंने टॉयलेट निर्माण, कपड़े और पर्दे खरीद, एनएच सात पर नगर के अंदर नेशनल लॉन के सामने के नाले के निर्माण, पार्षद राजा पराते से संबंधित अभिलेख और नस्ती को कार्यालय से गायब किए जाने, पाईप खरीदी के संबंध में, बोरिंग के बारे में, कीटनाशक मच्छरमार पाउडर की खरीदी के बारे में, दलसागर तालाब के विसर्जन घाट के संबंध में, हाउसिंग बोर्ड के सैप्टिक टैंक के बारे में, टैगोर वार्ड में एमपीईबी ऑफिस (पुराना पॉवर हाउस) के सामने से एसपी बंग्ले बबरिया रोड तक के सीमेंट कांक्रीट सड़क निर्माण के बारे में शिकायतें की गई हैं।
दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि उनके द्वारा लोकायुक्त को की गई शिकायत में नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के द्वारा आय से अधिक संपत्ति को विधि के विरूद्ध तरीके से अर्जित करने की शिकायत भी की गई है।

संदेह के दायरे में कांग्रेस के पार्षद
दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह द्वारा की गई इस कवायद के बाद जब लोकायुक्त द्वारा नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी सहित तत्कालीन एवं वर्तमान सीएमओ के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर लिया गया है, तब इन परिस्थितियों में नगर पालिका परिषद् में बैठे कांग्रेस के पार्षदों पर शक की सुई घूमना लाजिमी है। नगर पालिका परिषद की न जाने कितनी बैठकें अब तक संपन्न हो चुकी हैं, पर कांग्रेस के पार्षदों द्वारा सत्तारूढ़ भाजपा या नगर पालिका प्रशासन के खिलाफ मोर्चा न खोला जाना भी अपने आप में अनेक सवालों को जन्म दे रहा है। वहीं, यह मामला नगर का है, अतः इस मामले में नगर कांग्रेस कमेटी का मौन भी आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। जिले में हर जगह कांग्रेस भाजपा की जुगलबंदी दिखाई दे रही है, उसी तर्ज पर नगर पालिका परिषद् में भी कांग्रेस और भाजपा की अनोखी जुगलबंदी देखकर सिवनी की जनता दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर है।

जांच प्रभावित कर सकती है राजेश का सियासी कैरियर

सिवनी में हरवंश सिंह ठाकुर के उपरांत राजेश त्रिवेदी संभवतः दूसरे ही राजनेता होंगे जिनके खिलाफ लोकायुक्त ने संज्ञान लिया है। इसके पहले हरवंश सिंह ठाकुर के खिलाफ भाजपा नेता ओम दुबे द्वारा शिकायतें की गईं थी। बताया जाता है कि वे शिकायतें हरवंश सिंह की सियासी पहुंच के कारण परवान नहीं चढ़ पाईं थीं। अब राजेश त्रिवेदी के खिलाफ लोकायुक्त में मामला पंजीबद्ध होने से उनके सियासी कैरियर पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। चुनाव की रणभेरी के साथ ही यह मामला उजागर होने से उनकी उम्मीदवारी पर भी इसका प्रभाव पड़े बिना नहीं रहने वाला है।

आरोप प्रत्यारोप के दौर आरंभ

आरोप प्रत्यारोप के दौर आरंभ

(शरद खरे)

विधानसभा चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। अभी चुनाव की तिथियों की घोषणा हुई है, पर गजट नोटिफिकेशन 01 नवंबर को होगा। आचार संहिता तो लागू हो गई है पर यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि आदर्श आचार संहिता लागू हुई है अथवा नहीं। इस बार नकारात्मक वोटिंग का बटन भी होगा। पर अगर किसी स्थान पर सबसे अधिक मत पाने वाले प्रत्याशी से अधिक लोगों द्वारा नोटाबटन दबा दिया गया तो उस परिस्थिति में क्या चुनाव निरस्त होगा, या सबसे अधिक मत पाने वाले (भले ही वह नोटा से कम वोट पाए) को विजयी घोषित कर दिया जाएगा। कमोबेश यही स्थिति पेड न्यूज की है। पेड न्यूज के बारे में भी सिवनी में निर्वाचन अयोग, जनसंपर्क विभाग आदि ने कोई स्पष्ट गाईड लाईन जारी नहीं की है। इन परिस्थितियों में पेड न्यूज की इबारत समझ पाना सिवनी के मीडिया के लिए दुष्कर ही साबित होगा। आवश्यकता इस बात की है कि जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा पत्रकार बिरादरी को पेड न्यूज के बारे में सविस्तार जानकारी दी जाए।
वैसे चुनाव की आहट के साथ ही साथ सियासी दलों में भी आरोप प्रत्यारोप के दौर आरंभ हो गए हैं। सिवनी में राजनीति चाहे वह कांग्रेस की हो, भाजपा की या अन्य किसी दल की, दो दशकों तक धुरी बने रहे हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के बाद अब कांग्रेस भाजपा सहित अन्य सियासी दल दिग्भ्रिमित ही दिख रहे हैं। सियासी दलों ने आरोप प्रत्यारोप का कभी न थमने वाला युद्ध छेड़ दिया है। मजे की बात तो यह है कि कांग्रेस ने भाजपा और भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ इस युद्ध का आगाज न कर, अपने ही दलों के क्षत्रपों के खिलाफ तलवारें पजाना आरंभ कर दिया है।
भाजपा में नरेश नीता हटाओ, भाजपा बचाओके नारे आसमान में गुंजायमान हुए। नरेश दिवाकर दस साल तक भाजपा के विधायक रहे और वर्तमान में भाजपाध्यक्ष हैं, तो नीता पटेरिया पांच साल सांसद तो पांच साल से विधायक हैं। दोनों ही के पास अपने अपने कार्यकर्ताओं सहित अन्य लोगों को उपकृत करने का पर्याप्त अवसर और संसाधन रहे हैं। विडम्बना ही कही जाएगी कि दोनों ही नेताओं के पास आज की तारीख में हार्डकोरकार्यकर्ताओं का अभाव नजर आता है। जब नरेश दिवाकर की टिकिट कटी और नीता पटेरिया को विधायक की टिकिट दी गई तब नरेश दिवाकर पर आरोप लगे कि उन्होंने निर्दलीय दिनेश राय के पक्ष में अपने समर्थकों को मोबलाईज किया। इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो वे ही जानें, पर नरेश दिवाकर सिटिंग एमएलए होने के बाद उनकी टिकिट कटने की पीड़ा आज भी उन्हें रह रहकर दर्द दे जाती होगी।
रही बात नीता पटेरिया की तो उन पर पिछले विधानसभा चुनावों में कमीशन खोरी के आरोप इतने संगीन लगे थे कि हर कोई उन्हें मेडम परसेंटेजके नाम से जानने लगा था। यह तो कांग्रेस की तलवार में धार नहीं थी वरना नीता पटेरिया तो कब का मैदान छोड़कर जा चुकी होतीं। श्रीमती पटेरिया पर कमीशन लेने के आरोप नए नहीं है। उन पर घटिया टेंकर वितरण का आरोप भी है, वह भी अधिक कीमत पर खरीदी करके। टेंकर कांड का दर्द नरेश दिवाकर को भी होता होगा, उनके विधायक रहते हुए टेंकर कांड भी जमकर उछला था।
नीता पटेरया पर टेंकर वितरण कार्यक्रम में पुरोहित की थाली से दो सौ रूपए चुराने का आरोप है। उन पर आरोप है कि उनका मकान ही अतिक्रमण कर बनाया गया है। श्रीमती पटेरिया पर आरोप है कि उन्होंने सीएमओ के ईयर मार्क आवास पर जबरिया कब्जा जमाया हुआ है। श्रीमती पटेरिया ने नैतिकता इस कदर खो दी है कि विधायक निधि जो सार्वजनिक कामों के लिए होती है, से एक लाख रूपए निकालकर भाजपा कार्यालय के बाजू में नलकूप खुदवा दिया। इसका उपयोग विशुद्ध रूप से भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा बेशर्मी के साथ किया जा रहा है। यह निधि श्रीमती पटेरिया के वेतन की नहीं है, यह जनता का पैसा है। हाल ही में मारबोड़ी की सरपंच ने नीता पटेरिया पर दस परसेंट कमीशन लेने का सनसनीखेज आरोप मढ़ा है। यह आरोप एक बार फिर नीता पटेरिया को मेडम परसेंटेजके नाम से मशहूर कर दे तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
बरघाट विधायक कमल मर्सकोले का अपना अलग जलवा है। मुस्कुराकर अभिवादन करना उनकी फितरत में है। बरघाट विधानसभा क्षेत्र के लोग कमल मर्सकोले का चेहरा ही भूल चुके हैं। हां उनकी विधानसभा क्षेत्र में अगर किसी को कमल मर्सकोले का चेहरा याद है तो वह है खवासा बार्डर पर तैनात अमले को, जो बिना नागा हर महीने की पहली तारीख को कमल मर्सकोले के दरबार में हाजिरी लगा जाता है। कमल मर्सकोले के बारे में यह प्रसिद्ध हो गया है कि वे भाजपा के बजाए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की ज्यादा सुनते हैं और कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेताओं से सलाह मशविरा कर अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को साधते हैं।
कमोबेश यही आलम लखनादौन विधायक श्रीमती शशि ठाकुर का है। उनके पति लंबे समय तक सिवनी में सीएमओ पदस्थ रहे हैं। श्रीमती शशि ठाकुर काफी हद तक कमजोर प्रतीत होती हैं। उन्होंने सिवनी की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कोई प्रयास नहीं किए। उनके विधानसभा क्षेत्र मुख्यालय लखनादौन में नगर परिषद् ने अत्त मचाई, पर वे खामोश ही रहीं। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश हवा में उड़े, यहां तक कि भाजपा का कार्यालय बनने से रोका नगर परिषद् ने, पर शशि ठाकुर द्वारा अपने चिर परिचित अंदाज में अपने आप को असहाय ही बताया गया। वे भूल जाती थीं कि वे विधायक हैं, और विधायक के पास असीमित अधिकार होते हैं। उनके पास विधानसभा का सशक्त मंच है। पर सिवनी के सारे जनसेवक अपने मंच का उपयोग निहित स्वार्थ के लिए ही करते आए हैं, जनता की परवाह शायद ही किसी को रही हो. . .।