शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

दबे पांव आगे बढ़ रहा है मराठा क्षत्रप


दबे पांव आगे बढ़ रहा है मराठा क्षत्रप

(लिमटी खरे)

कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को विदेशी मूल का कहकर सियासी तूफान लाने वाले मराठा क्षत्रप शरद पवार अब सधे कदमों से 7 रेसकोर्स रोड़ (भारत गणराज्य के वजीरे आजम का सरकारी आवास) की ओर बढ़ रहे हैं। कांग्रेस के निकलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस का गठन कर कांग्रेस को ही सीढ़ी बनाकर मराठा क्षत्रप से आज एक सियासी मुकाम तय कर लिया है। महाराष्ट्र और केंद्र में कांग्रेस के लिए बैसाखी बनकर मराठा क्षत्रप ने अपने निशाने बखूबी साध रखे हैं। घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार आदि में आकंठ फंसी कांग्रेस के गिरते जनाधार को देखकर अब मराठा क्षत्रप ने अपनी ताना बाना बुनना आरंभ कर दिया है। मराठा क्षत्रप ने अब देश के प्रधानमंत्री बनने के अपने सपने को अमली जामा पहनाना आरंभ किया है, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की सत्ता या तो वे अपनी पुत्री सुप्रिया सुले को अथवा भतीजे अजीत पवार को सौंपने की तैयारी में दिख रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री शरद पवार इन दिनों बेहद व्यस्त दिख रहे हैं। टीम पवार ने अब गुपचुप तैयारियां आरंभ कर दी है जिसके तहत मिशन 7, आरसीआर (रेसकोर्स रोड़) को अंजाम दिया जाना है। शरद पंवार अब देश के प्रधानमंत्री बनने आतुर दिख रहे हैं। शरद पंवार के सबसे विश्वस्त प्रफुल्ल पटेल ने राकांपा के लिए चाणक्य की भूमिका अपना ली है। वे अपने और पवार के गृह सूबे महराष्ट्र से ज्यादा से ज्यादा ताकत जुटाने का जतन कर रहे हैं। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और राकांपा की राहें अलग होती दिख रही हैं।
दरअसल, कांग्रेस नीत केंद्र सरकार हर मोर्चे पर ही असफल दिखाई दे रही है। सरकार के मंत्री और उनके सहयोगी देश को बुरी तरह लूटकर खा रहे हैं। कांग्रेस मजबूरी में मौन साधे हुए है। शरद पवार के करीबियों का दावा है कि उनके द्वारा कराए गए सर्वे में अब कांग्रेस की लुटिया डूबती ही नजर आ रही है। राज्यों में कांग्रेस की हालत बेहद खराब है।
सर्वेक्षण में एक बात और उभरकर आई है कि दिल्ली में जाकर नेतागिरी करने वाले सूबाई क्षत्रपों के अपने ही क्षेत्र में कांग्रेस बुरी तरह औंधे मुंह गिरी हुई है। कहा तो यहां तक भी आ रहा है कि सूबाई क्षत्रप अपने क्षेत्र में दूसरे प्रत्याशी को लोकसभा इसलिए नहीं जीतने देना चाहते क्योंकि दूसरे के आने से उनका प्रभुत्व बंट सकता है। यही कारण है कि हर सूबे में क्षेत्रीय क्षत्रपों के अलावा कांग्रेस का पड़ला साफ ही दिख रहा है।
शरद पंवार इस बात को लेकर काफी सतर्क नजर आ रहे हैं कि उनके अपने गृह सूबे में कांग्रेस क्या कदम ताल कर रही है। कांग्रेस के मंत्री अपने घर की शादी में शाह खर्च प्रदर्शन करते हैं और जब बारी राकांपा की आती है तो उसे भ्रष्टाचार का नमूना करार दे देती है। यही कारण है कि महाराष्ट्र में अब राकांपा अकेले ही चुनाव लड़ने का मन बना रही है। इसके अलावा महाराष्ट्र से लगे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ क्षेत्र में भी राकांपा अपना प्रभाव बढ़ाने को आतुर नजर आ रही है। मध्य प्रदेश में बालाघाट, छिंदवाड़ा, बेतूल, होशांगाबाद, इंदौर, खरगोन, खण्डवा, बैतूल आदि लोकसभा क्षेत्रों पर राकांपा की नजर है। इनमें से छिंदवाड़ा चूंकि केंद्रीय मंत्री कमल नाथ का गढ़ है अतः इसको राकांपा छोड़ सकती है।
अगले आम चुनावों में काफी धुंध साफ दिखाई दे रहा है। इस धुंध में यह साफ नहीं हो पा रहा है कि कोई दल स्पष्ट बहुमत पा सकेगा। कांग्रेस और भाजपा को नुकसान होता तो साफ दिख रहा है। अब इन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री का पद समझौते के तहत ही जाने की उम्मीद है।
अगर छोटे दलों द्वारा कुछ हद तक सांसदों की संख्या साथ रख ली जाती है तो निश्चित तौर पर उनका बोलबाला हो सकेगा। इन परिस्थितियों में शरद यादव, मायावती, मुलायम सिंह यादव, शरद पवार आदि किंग या किंगमेकर की दौड़ में सबसे सामने ही खड़े नजर आएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
अगर राकांपा महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो 48 में से अठ्ठारह से बीस सीट ही उसके पाले में आएगी, जो उसके लिए नाकाफी ही साबित होने वाली है। इन परिस्थितियों में वह अकेले ही चुनाव लड़ सकती है। इसके अलावा प्रफुल्ल पटेल अपनी परंपरागत सीट पर अपनी पत्नि को उतारकर एमपी के बालाघाट शिफ्ट हो सकते हैं। अगर शरद पवार के पास पचास सांसदों का बल हो जाए तो वे जोड़तोड़ कर 7, आरसीआर पर कब्जा करने का माद्दा रखते हैं।
राकांपा की किलेबंदी बहुत तगड़ी नजर आ रही है। शरद पंवार के भतीजे और उपमुख्यमंत्री अजीत पंवार ने राज्य सभा के सांसदों को साफ कह दिया है कि वे अपने फंड को उन क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा दें जहां बहुत ही कम अंतर से राकांपा को पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके अलवा लगभग चालीस हजार परिवारों को राकांपा ने अपरोक्ष तौर पर गोद लेने की घोषणा के साथ ही साथ प्रति परिवार दो हजार रूपए बच्चों की शिक्षा के लिए देने का वायदा भी किया है।
मराठा क्षत्रप को साथ लेकर चलना कांग्रेस की मजबूरी है। शरद पंवार ने जब सोनिया गांधी को विदेशी मूल का बताकर उन्हें प्रधानमंत्री पद से दूर कर दिया था उसी वक्त लगने लगा था कि कांग्रेस और पंवार के बीच खुदी खाई को शायद ही पाटा जा सके। पर, सत्ता के समीकरणों ने सारी दुश्मनी को दोस्ती में बदल दिया और ना केवल केंद्र वरन् महाराष्ट्र में भी कांग्रेस ने अपने कंधे पर शरद पंवार को बिठा लिया। अब देखना यह है कि मराठा क्षत्रप की इन तैयारियों के चलते कांग्रेस क्या कदम उठाती है। (साई फीचर्स)

मंदिर की जमीन भी नहीं बख्शी थापर ने!


0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 06

मंदिर की जमीन भी नहीं बख्शी थापर ने!

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश में बिजली की कमी और क्षेत्र के विकास के लिए सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में स्थापित होने वाले थापर गु्रप ऑफ कंपनी के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट ने गोरखपुर में अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन के साथ ही साथ सीताराम जी के मंदिर की जमीन को भी नहीं बख्शा है। इस मंदिर के प्रबंधक के बतौर जिला कलेक्टर को बताया गया है। सिवनी में एसे कितने निजी मंदिर हैं जिनके प्रबंधक जिला कलेक्टर हैं? अनेक कथित सार्वजनिक  धार्मिक स्थानों में लोगों के एकाधिकार की शिकायतों के बाद भी प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान न दिया जाना आश्चर्यजनक ही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार झाबुआ पावर प्लांट के निर्माण से प्रभावित ग्राम गोरखपुर की निजी अनुसूचित जनजाति एवं सीताराम जी के मंदिर सरवराहकार एवं प्रबंधक जिला कलेक्टर सिवनी की कृषि भूमि एवं उस पर स्थित संरचनाओं के प्रस्तुत अर्जन प्रस्ताव पर 24 जनवरी 1996 को संपन्न भू अर्जन समिति की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार तहसील घंसौर जिला सिवनी के ग्राम गोरखपुर की निजी अनुसूचित जाति एवं सीताराम जी के मंदिर सरवाहकार एवं प्रबंधक जिला कलेक्टर सिवनी की कृषि भूमि जिसका क्षेत्रफल 12.66 हेक्टेयर है वह और उस पर स्थित संरचनाओं के संबंध में भूअर्जन अधिनियम 1894 के प्रावधानों के तहत भूअर्जन किए जाने संबंधी स्वीकृति प्रदन की है।
यहां 24 जनवरी 1996 को हुई बैठक का दस्तावेजों में उल्लेख संदेहास्पद ही माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि उस वक्त मध्य प्रदेश में राजा दिग्विजय सिंह पहली पारी में मुख्यमंत्री थे, एवं घंसौर से उर्मिला सिंह विधायक और मंत्री थीं। मध्य प्रदेश में भू अर्जन कानून और प्रक्रिया इतनी जटिल नहीं है कि उसके पूरे होने में सोलह साल लग जाएं। अगर 1996 में भूअर्जन समिति की बैठक हुई थी तो उस वक्त इसकी मुनादी क्यों नहीं पीटी गई। अनुसूचित जनजति के किसानों को जो मुआवजा दिया जा रहा है वह आज की दर से दिया जा रहा है अथवा 1996 की दरों से इस बारे में भी झाबुआ पावर लिमिटेड का प्रबंधन पूरी तरह मौन ही है।
दस्तावेजों में मंदिर का प्रबंधक कलेक्टर को दर्शाया जाना आश्चर्यजनक है। जिले में न जाने कितने धार्मिक स्थानों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। नियमानुसार अगर किसी धार्मिक स्थान का ट्रस्ट बनाकर उसे पंजीकृत नहीं कराया जाता है तो जिला प्रशासन उस पर अपना रिसीवर बिठा सकता है। वस्तुतः सिवनी में एसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है।

(क्रमशः जारी)

बजट में पांच साल पहले शामिल हुआ था नैनपुर छिंदवाड़ा खण्ड!


0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 6

बजट में पांच साल पहले शामिल हुआ था नैनपुर छिंदवाड़ा खण्ड!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। 2008 में एक बार फिर लालू प्रसाद यादव ने बतौर रेलमंत्री कल रेल बजट पेश किया। निसंदेह लालू ने लगातार चौथी बार बजट पेश कर वह भी यात्री किराए अथवा मालभाड़े में बढोत्तरी के बिना ही बजट पेश कर अपनी पुरानी शैली को बरकरार रखी। उन्होंने उसी दौरान अस्तित्व में आई 11वीं पंचवर्षीय योजना में मीटर गेज से ब्राड गेज के अमान परिवर्तन की बात कही और इसमें छिंदवाड़ा से नैनपुर बरास्ता सिवनी का शुमार भी किया गया था। 2008 के उपरांत आज तक इस रेल खण्ड पर काम ना होना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।
यह लालू की बजीगरी थी कि उन्होंने इस योजना का नाम भी ले लिया और सिवनी की झोली में कुछ आया भी नहीं। लालू के बजट भाषण के उपरांत सिवनी जिले में हर्ष की लहर दौड़ गई। सिवनी के वाशिंदे यह समझने लगे कि वे बड़ी रेल लाईन पर सवारी गांढने ही जा रहे हैं। वस्तुतः इस तरह की कोई भी बात समझ में नहीं आती है। पर यह संतोष की बात है कि सालों बाद कम से कम रेल बजट में इस मार्ग का नाम तो सुनने को मिला। यह योजना अमली जामा कब पहनेगी यह बात तो समय के गर्भ में ही है।
इसके लिए लालू यादव के बजट के मूल पाठ को ध्यान से पढ़ना अत्यंत आवश्यक है कि यह राजनैतिक बाजीगरी है, अथवा वाकई सिवनी को कुछ हासिल हुआ है। अपने 38 पेज के बजट भाषण में उन्होंने 39 वीं कंडिका में इन तत्यों को साफ किया है। प्रस्तुत है उसका अंश। (पाठक चाहें तो डब्लूडब्लूडब्लू डाट इंडियनरेलवेज डाक काम पर इसे पढ़ सकते हैं)
महोदय, अनेक मार्गाे का आधा अधूरा अमान परिवर्तन होने के कारण बाकी बची मीटर एवं छोटी लाईने द्वीप की तरह बन गई हैं। प्रमुख नेटवर्क से अलग थलग पड़ जाने के कारण इन लाईनों से रेल्वे को एक प्रतिशत से भी कम फ्रेट प्राप्त होता है, जबकि ये कुल नेटवर्क के 20 प्रतिशत से भी अलग हैं। फलस्वरूप रेल्वे को हजारों करोड़ रूपयों का सालाना घाटा हो रहा है। यहां तक कि इन लाईनों पर माल परिवहन भी घाटे का सौदा बन गया है। अतः 11वीं परियोजना के अंत तक अधिकांश मीटर लाईन को बड़ी लाईन मंे बदलने का कार्य पूरा करने का हम हर संभव प्रयास करेंगे।
एसी योजनाओं को स्वीकृति और क्रियान्वयन में प्राथमिकता दी जाएगी जो व्यस्त नेटवर्क के वेकल्पिक मार्ग उपलब्ध करवाएंगी, जिसमें उदयपुर अहमदाबाद, लखनउ शाहजहांपुर, ढासा जेसलमेर, जयपुर झुंझून, रतलाम खंडवा अकोला, नैनपुर छिंदवाड़ा, अहमदाबाद बोताड़ प्रमुख हैं। एसी योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा जिसमें कुल लागत का पचास फीसदी खर्च राज्य सरकारें वहन करने के लिए तैयार हों।
इसके बाद ममता बनर्जी ने रेल मंत्री रहते रामटेक गोटेगांव का जिकर अपने बजट भाषण में कर सिवनी वासियों का सीना 36 इंच का कर दिया। पर ममता के बाद दिनेश त्रिवेदी, मुकुल राय और अब पवन बंसल रेल मंत्री हैं पर सिवनी में ब्राडगेज का सपना अंत में सपना ही रह गया है।
इस तरह लालू यादव और ममता बनर्जी ने सांप भी मार दिया और लाठी भी नहीं टूटने दी। मध्य प्रदेश के हिसाब से अगर देखा जाए तो अब उन्होंने सारा दारोमदार भाजपा के उपर ही छोड़ दिया है, कि अगर नैनपुर से छिंदवाड़ा रेल लाईन का अमान परिवर्तन करवाना है, तो इसमें व्यय होने वाली राशि का पचास फीसदी भार उठाने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज चौहान के नेतृत्व वाली सरकार तैयार हो। लालू ने किसके कहने पर इस तरह से बाल उठाकर शिवराज सिंह चौहान के कोर्ट में फेंक दी यह तो शोध का ही विषय है पर इसके बाद यह योजना केंद्र और राज्य के बीच आज तक झूल भैया झूल, तेरी टोपी में फूलकी तर्ज पर ही चल रही है।
आज जिले की जनता भाजपा की तत्कालीन सांसद रहीं वर्तमान विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, वर्तमान सांसद के.डी.देशमुख, बसोरी सिंह मसराम, विधायक हरवंश सिंह ठाकुर, कमल मस्कोले, शशि ठाकुर आदि से पूछना चाह रही है कि 2006 से अब तक लगातार हर साल ब्राडगेज के विज्ञापन छपवाकर क्यों छला जा रहा है जनता को! सात सालों में नेरोगेज को ब्राडगेज में तब्दील आखिर क्यों नहीं किया जा सका है।

(क्रमशः जारी)

क्या करें दुनियादारी, भगवा सब पर भारी


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 61

क्या करें दुनियादारी, भगवा सब पर भारी

(विनय डेविड)

भोपाल (साई)। जनसंपर्क विभाग सरकार की योजनाओं, उपलब्धियों, नीतियों आदि का जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम होता है, परंतु मध्यप्रदेश में इसके ठीक उल्टा हो रहा है, देश के दिल मध्यप्रदेश ही ऐसा राज्य है जो कि ई-मीडिया को प्रोत्साहित करता है परंतु अब विभाग के अंदर विज्ञापन के मामले में केवल उन्हीं साइटों को तवज्जों दी जा रही है जो भगवा समर्थक हो, विभाग की सूची में शामिल होने के लिए भगवा प्रमाण पत्र हासिल करना आवश्यक हो चला है। कई कमीशनखोरी के आरोपों के बावजूद खुद प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने हस्तक्षेप कर विभाग में श्री लाजपत आहूजा को जनसंपर्क व विज्ञापन प्रभार दिलवाया।
उल्लेखनीय है कि मिलने वालों से अक्सर आहूजा आरएसएस के करीबी होने के किस्से सुनते पाए जाते हैं। विगत माह में मीडिया चौपाल के बहाने दिल्ली, लखनऊ , मध्यप्रदेश के साईट संचालकों को भोपाल बुलाया गया जिसमें सोशल मीडिया संचालकों ने अपने आर्थिक बदहाली पर चर्चा की गई। यद्यपि ज्यादातर संचालक आरएसएस समर्थक या विचारधारासे प्रेरित थे। बहरहाल विभाग की कहानी ज्यों की त्यों है। प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने जिसे कई शिकायतों के बावजूद विभाग पर बैठाया वह जनसंपर्क का आका-मौलाहो गया है। भाजपा के कई दिग्गजों, वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों की अनुशंसा-मंशा भी नहीं सुनी जाती गंभीर पर्यावरण मुद्दों, गैर राजनीतिक व गैर व्यवसायिक साईट संचालकों को भी एक साथ आका-मौलाने हकाल दिया, ऐसी अनुशंसा भरी दर्जनों फाइलों को श्री आहूजा ने फूटबाल बना रखा है जो कभी भी गोलपोस्ट तक नहीं पहुंच पाती है, वरिष्ठ भाजपा नेता सांसद दिलापसिंह भूरिया , पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी, उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जेल व परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा, प्रखर भाजपाई व इंदौर क्षेत्र क्रमांक 1 से विधायक सुदर्शन गुप्ता जैसी शख्सियतें भी आका-मौलाके आगे व विभाग के लिए मायने नहीं रखती, प्रदेश सरकार व अध्यक्ष प्रभात झा की मंशा व नीतियों के विरूद्ध विभाग पर सिर्फ भगवा ही भारी व कारगर है।
उद्योग विभाग कोटे से आईएएस  वर्तमान जनसंपर्क आयुक्त व सचिव राकेश श्रीवास्तव भी असहाय प्रतीत होते हैं। इनसे किसी भी मीडियाकर्मी द्वारा विज्ञापन संबंधी संपर्क करने पर श्री आहूजा से संपर्क करने का आदेश प्राप्त होता है। कई व्यभिचार, भ्रष्टाचार, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के करोड़पति होने आदि से देश में प्रदेश अपनी छवि वैसे ही गंवा चुका है। एक तरफ अन्ना हजारे और रामदेव को भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने पर दिल्ली से खदेड़े जाने पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा प्रदेश में आमंत्रित किया जाता है जो उसकी दूसरी ओर ऐसी अघोषित भ्रष्ट विज्ञापन नीति का गठन भी मुख्यमंत्री की ठीक नाक के नीचे होता है। अब प्रदेश में नई अघोषित नीति के बाद लगता है विज्ञापन सिर्फ विचारधारासमर्थक या भगवा प्रमाण पत्र वाली साइटे एवं पत्र पत्रिकाएं ही विज्ञापन पाएगी।
(साभार: पर्यवरण विमर्श डाट काम)

हैदराबाद हमले की जांच में आई तेजी


हैदराबाद हमले की जांच में आई तेजी

(प्रीति सक्सेना)

हैदराबाद (साई)। हैदराबाद में पिछले गुरूवार को हुए दो विस्फोटों के मामले की जांच तेज हो गई है। विशेष जांच दल सबूतों का विश्लेषण कर रहे हैं। उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों, कारोबारियों तथा अन्य संबंधित लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है। हैदराबाद के पुलिस आयुक्त तिरूमाला राव ने कहा कि उन्होंने पर्याप्त सबूत जुटा लिए हैं और मलकपेट तथा सरूरनगर थानों में दो मामले दर्ज किए गए हैं।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पुलिस ने जांच के लिए उपयोगी सूचना देने वालों को इनाम देने की भी घोषणा की है। ज्ञातव्य है कि दो बम धमाकों के ३६ घंटों बाद लोग सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। घायलों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के अनुसार अधिकतर घायलों के कई ऑपरेशन करने पड़ेंगे, क्योंकि धमाकों में उनके कई अंगों पर असर पड़ा है। कल हैदराबाद के कई व्यस्त इलाकें जैसे सुल्तान बाजार, कोटी और आरपी रोड़ पर आवाजाही कम दिखी। हालांकि दिलसुख नगर क्षेत्र में जहां धमाके हुए थे, कल सामान्य दिनों की तरह भीड़भाड़ रही।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि इन विस्फोटों में मारे गए १६ लोगों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं। मृतकों में अधिकतर की उम्र ३० वर्ष से कम है। वृहद हैदराबाद नगर निगम ने प्रत्येक मृतक के परिवार को एक-एक लाख रूपए का अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। ११७ घायलों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है जिनमें से ५ की हालत गंभीर है।
कल केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जयपाल रेड्डी, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह समेत कई नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों ने दिलसुख नगर में विस्फोट स्थल का दौरा किया।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो से मणिका सोनल ने बताया कि गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि सरकार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए वचनबद्ध है। श्री शिंदे ने कहा कि दोषियों को कानून के तहत सजा दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कायरता पूर्ण आतंकी हमला है। हमलावारों और इसके पीछे के लोगों को पकड़ने के सभी प्रयास किए जाएंगे और कानून के अनुसार उनको सजा दिलाना सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को राजनीतिक रूप देने का कोई प्रश्न नहंी है। श्री शिंदे ने इस मुद्दे पर संसद में सभी राजनीतिक दलों के सहयोग का स्वागत किया । हैदराबाद में हुये दो विस्फोटों के बारे में अपने बयान पर कल राज्यसभा में स्पष्टीकरण देते हुये उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य-दोनों स्तरों पर खुफिया एजेंसियों के बीच अच्छा तालमेल है। 

मेहरा आयोग ने आड़े हाथों लिया दिल्ली पुलिस को!


मेहरा आयोग ने आड़े हाथों लिया दिल्ली पुलिस को!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। न्यायमूर्ति ऊषा मेहरा आयोग ने दिल्ली में १६ दिसम्बर को सामूहिक दुष्कर्म की घटना के लिए दिल्ली पुलिस और नगर परिवहन विभाग की आलोचना की है। आयोग ने कहा है कि दोनों विभागों के बीच तालमेल न होने के कारण ही बार बार जुर्माने के बावजूद वो बस बेरोकटोक चलती रही, जिसमें यह घटना हुई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट कल गृह मंत्रालय को सौंपी। न्यायमूर्ति मेहरा ने कल दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि इन दोनों विभागों के बीच तालमेल करने के नियम बनाए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी स्तरों पर लोगों को संवेदनशील बनने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सेन्सेटाइजशन पुलिस का हमने कहा है। हमने यह सजेस्ट किया है कि अगर पुलिस ऑफिसर सेक्सुअल हरासमेंट और रेप केस में एफआईआर नहीं रजिस्टर करता और इमिजेटली मेडिकल एक्जामिनशन विक्टिम का नहीं कराता तो उसके ऊपर पैनेल्टी डाली जाए या एक्शन लेना चाहिए।
न्यायमूर्ति मेहरा ने यह भी स्वीकार किया कि पीड़ित छात्रा और उसके दोस्त की मदद की गुहार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि संदेश मिलने के छह मिनट के भीतर ही पुलिस गाड़ी घटनास्थल पर पहुंची थी जहां से दोनों को अस्पताल ले जाया गया। कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने कहा है कि केंद्र सरकार ऊषा मेहरा आयोग की सिफारिशों पर हरसंभव कार्रवाई करेगी।

उत्तर भारत में फिर हुई बर्फबारी


उत्तर भारत में फिर हुई बर्फबारी

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। देश के अधिकतर उत्तरी भागों में बारिश या बर्फबारी के कारण तापमान में कमी आई है, लेकिन कश्मीर घाटी में तापमान में मामूली बढ़ौतरी हुई जिससे लोगों को कड़ाके की ठंड से राहत मिली। हिमाचल प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में शीतलहर जारी है।
हिमाचल प्रदेश समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने बताया कि प्रदेश में ताजा हिमपात के कारण प्रशासन ने किन्नौर तथा लाहौल स्पीति जिलो के उपरी क्षेत्रों में संभावित ग्लेशियर खिसकने के चलते लोगों को सतर्क रहने तथा अपने घरों से बाहर न जाने की सलाह दी है। किन्नौर जिले के हिंदुस्तान-तिब्बत बांध पर याता यात पांगी नाला के आगे भू-स्खलन के कारण अवरूद्ध है तथा बार-बार हिमपात होने से जिले के अधिकांश संपर्क मार्ग खुल नहीं पा रहे हैं। कुल्लू, कांगड़ा, शिमला, चंबा तथा सिरमौर जिले की ऊंची श्रृंखलाओं पर हिमपात जारी है।
वहीं दूसरी ओर मैदानी इलाकों में पंजाब और हरियाणा में भी बारिश हुई। लेकिन तापमान में कुछ बढ़ोतरी हुई है। राजधानी दिल्ली में आज सुबह बारिश से तापमान नीचे आ गया है। इधर, मध्य प्रदेश से साई न्यूज ब्यूरो ने सिवनी संवाददाता एस.के.खरे के हवाले से बताया है कि जिले में पिछले शनिवार हुई ओलाबारी के बाद इस शनिवार को एक बार फिर आसमान में बादल घिरे हुए हैं, और भारी बारिश की आशंका जताई जा रही है।

माओवादी हमले में गया में 8 मरे


माओवादी हमले में गया में 8 मरे

(नीलिमा सिंह)

गया (साई)। माओवादियों ने अब अपना आंतक बरपाना तेजी से आरंभ कर दिया है। गया में शेरघाटी मण्डल के रोशनगंज थाने में पुलिस और माओवादियों के बीच जमकर झड़प हुई, जिसमें पुलिस जवान हताहत हुए हैं। इस दौरान हुए विस्फोट से पुलिस जवानों के शरीर क्षत विक्षत भी हो गए।
गया जिले के शेरघाटी अनुमंडल के रोशनगंज थाने की पुलिस जीप को भाकपा-माओवादियों ने शुक्रवार को दिनदहाड़े बालासोत-रोशनगंज मुख्य पथ पर स्थित उचला गांव के कोयली पुल के पास बारुदी सुरंग से विस्फोट कर उड़ा दिया। इसमें रोशनगंज थाने के दारोगा प्रदुमन राय व हवलदार सहित पांच जवान शहीद हो गये। साथ ही एक अन्य ग्रामीण की भी मौत हो गयी।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया है कि विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि पुलिस जीप व पुलिसकर्मियों के शव कई टुकड़ों में विभक्त होकर 500 मीटर की परिधि में बिखर गये। विस्फोट होते ही पहले से घात लगाये बैठे माओवादियों ने क्षतिग्रस्त पुलिस जीप पर लगातार फायरिंग की।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि जब माओवादी आश्वस्त हो गये कि अब एक भी जवान नहीं बचा है, तो वे पुलिस के सारे हथियार व वायरलेस सेट लूट लिये और मंझौलिया गांव में छिपा कर रखे गये मोटरसाइकिल के माध्यम से बैताल गांव होते झारखंड राज्य के हंटरगंज व प्रतापपुर थाने के जंगली इलाके की ओर भाग निकले। घटना की जानकारी होते ही मगध रेंज के डीआइजी नैयर हसनैन खान, एसएसपी विनय कुमार, सिटी एसपी अख्तर हुसैन, शेरघाटी के डीएसपी राजेश कुमार सहित अन्य पुलिस पदाधिकारी वहां पहुंचे और झारखंड की सीमा को सील कर माओवादियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू की।

सिवनी : ग्रंथालयों में भरा है ज्ञान का असीम भण्डार


ग्रंथालयों में भरा है ज्ञान का असीम भण्डार

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। ग्रंथालय एक महत्वपूर्ण विषय है, इसके माध्यम से हम हमारा इतिहास क्या था, इसके संबंध में जान सकते हैं। आज हम इंटरनेट के युग में भी ग्रंथालय के फायदे के बारे में अच्छी तरह जानते है। अलबर्र्ट आइंस्टीन ने कहा था कि मानव जीवन में अध्ययन, मनोरंजन, मौन की विशेष भूमिका हुआ करती है। अध्ययन के संबंध में हमारे सामने विद्यालय, महाविद्यालय व गं्रथालय के रूप में संबंध देखने को मिलता है। ज्ञान का स्वरूप, अर्जन का स्वरूप, प्रसारण का स्वरूप के संबंध में जब हम चर्चा करते हैं तो इसका संबंध हमें ग्रंथालय में देखने को मिलता है। उक्त उद्गार शासकीय स्रातकोत्तर महाविद्यालय सिवनी में आयोजित राष्टकृीय शोध संगोष्ठी वैश्वीकरण के युग में ग्रंथालय का बदलता परिदृश्य विषय पर कार्यक्रम के मु य अतिथि नरेश दिवाकर अध्यक्ष महाकौशल विकास प्राधिकरण ने व्यक्त किये। आपने आगे कहा जब नालांदा विश्व विद्यालय के ग्रंथालय में आग लगी थी, उस दौरान उसे बुझाने के लिये 6 माह लग गये थे, इससे स्पष्ट है कि यह ग्रंथालय कितना बड़ा रहा होगा। इस अवसर पर घासीदास विवि के डॉ. ब्रजेश तिवारी ने कहा ग्रंथालय मानव सभ्यता के साथ स्थापित संस्था है। ग्रंथालय अक्षर ज्ञान ही नहीं बल्कि मूक बधिर सभी की आवश्यकता है। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. टी.के. कटकवार, डॉ. सतीश चिले, सुधीश श्रीवास्तव, मंजू सराफ, शोभना अवस्थी, ज्योत्सना नावकर, रचना सक्सेना, सविता मसीह, डी.पी. नामदेव, आशुतोष सिंह गौर, एन.पी. राहंगडाले, रविशंकर नाथ, डॉ. रविन्द्र दिवाकर, कविता पाण्डे सहित विजय बघेल आदि ने भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।

हरियाणा : हाबड़ी से हजारों रुपए का सामान चोरी


हाबड़ी से हजारों रुपए का सामान चोरी

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। गांव हाबड़ी में खेतों में रखे ट्रांसफार्मर से चोर हजारों रुपए का सामान चोरी कर ले गए। पूंडरी पुलिस को दी शिकायत में बिजली निगम के एस.डी.ओ. राहुल कुमार ने बताया कि चोर किसान बीरसा ङ्क्षसह व कुलवंत ङ्क्षसह के खेतों में रखे ट्रांसफार्मर से 75 हजार रुपए का सामान चोरी करके ले गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गांव चुहड़माजरा के बसस्टैंड के निकट से पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उसके कब्जे से पुलिस को 8 किलोग्राम चुरापोस्त मिला है। ए.एस.आई. जयकिशन ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति चुरापोस्त लिए हुए है, जिसे पुलिस ने मौके पर पहुंचकर काबू कर लिया। आरोपी की पहचान राजेश कुमार निवासी गांव चुहड़माजरा के रूप में हुई है।
वहीं सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि गांव तारागढ़ में एक विवाहिता को दहेज की मांग पूरी नहीं करने पर ससुरलजनों द्वारा फांसी पर लटकाने का मामला प्रकाश में आया है। राजौंद पुलिस ने दहेज हत्या के आरोप में पति सहित ससुराल पक्ष के 4 लोगों पर दहेज हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को दी शिकायत में मृतका के पिता छज्जू राम निवासी सांघन ने बताया कि उसने उसकी बेटी गीता (26) की शादी वर्ष 2008 में गांव तारागढ़ निवासी राजेश कुमार के साथ की थी। शादी में उसने उचित दान-दहेज भी दिया था, लेकिन गीता के ससुराल के लोग दिए गए दहेज से संतुष्ट नहीं थी और उससे मारपीट करते थे। छज्जू राम का आरोप है कि दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर ही ससुराल के लोगों ने गीता को फांसी पर लटका कर मारा डाला। पुलिस ने मृतका के पिता छज्जू राम की शिकायत पर गांव तारागढ़ निवासी रमेश, बङ्क्षलद्र, राजेश व प्रमिल पर दहेज हत्या का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने मृतका के शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया है।
अपराधों के मामले में पुलिस सूत्रों ने बताया कि गांव सदरहेड़ी स्थित ईंट-भ-े पर मजदूरी का काम करने वाले राजस्थान निवासी एक मजदूर ने रात्रि को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान जाबर (21) निवासी बरोसिंहपुर (राजस्थान) के रूप में हुई है। सूचना मिलते ही चीका पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर अस्पताल पहुंचाय।

साई मंदिर भी था हैदराबाद में निशाने पर


साई मंदिर भी था हैदराबाद में निशाने पर

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। हैदराबाद बम धमाकों के बाद अब एक के बाद एक तस्वीरें सामने आ रही हैं। एक निजी चौनल ने दावा किया है कि हैदराबाद में गुरुवार की शाम को आतंक का खूनी खेल खेलने वालों ने इसके लिए पहले हैदराबाद के साई मंदिर को चुना था। लेकिन ऐन वक्त पर इस जगह को बदल दिया गया और यहां से कुछ दूरी पर बम धमाका किया गया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आतंकियों इस हमले को अंजाम देने के लिए सांई मंदिर को चुना था। उनका मकसद था ज्यादा से ज्यादा लोगों की हत्या करना। दरअसल शाम के समय साई मंदिर में भक्तों का जमावड़ा रहता है। यही वजह थी कि आतंकियों ने इस हमले को अंजाम देने के लिए इस स्थान का चयन किया था। लेकिन उनके तय समय से करीब पच्चीस मिनट पहले ही वहां पर शहर के पुलिस कमिश्नर ने अपनी दस्तक दे दी। कमिश्नर के आने से पहले इसकी भनक आतंकियों को नहीं थी। लेकिन कमिश्नर के मंदिर में जाने से पहले ही वहां की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता कर दिया गया। मजबूरन आतंकियों को आनन-फानन में दूसरी जगह का चुनाव करना पड़ा। इसके बाद ही इन्होंने दिलसुख नगर की फलमंडी का चुनाव कर आइइडी से धमाका किया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आतंकियों ने बेहद शातिर तरीके से हमले को अंजाम देने से पहले ही चार जगहों के सीसीटीवी कैमरे के तार काट दिए थे। इसकी वजह से किसी के भी चेहरे सामने नहीं आ सके। लेकिन सांई मंदिर में लगे कैमरे ने कमिश्नर की मौजूदगी को दर्ज किया।
हैदराबाद धमाकों के बाद खुफिया तंत्र और इसकी जांच में जुटी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी एनआईए इस घटना के तार विभिन्न जगहों और लोगों से जोड़ने में लगी है। इसके अलावा वह कुछ दूसरे कैमरों से ली गई तस्वीरों से भी इस घटना का सच जानने में जुटी है। एनआईए को मौके से काफी सारी जानकारियां मिली हैं जिनकी गुत्थी को सुलझाना अभी बाकी है। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस घटना को अंजाम देने से पहले इस जगह की कई बार पिछले वर्ष अक्टूबर में रेकी की गई थी। इसके बाद ही हैदराबाद में इन जगहों को निशाना बनाया गया। यह तीसरी बार था जब हैदराबाद के दिलसुखनगर को हमले के लिए चुना गया।