ग्रंथालयों में भरा है ज्ञान का असीम
भण्डार
(शिवेश नामदेव)
सिवनी (साई)। ग्रंथालय एक महत्वपूर्ण
विषय है, इसके माध्यम से हम हमारा इतिहास क्या था, इसके संबंध में जान सकते हैं। आज हम
इंटरनेट के युग में भी ग्रंथालय के फायदे के बारे में अच्छी तरह जानते है।
अलबर्र्ट आइंस्टीन ने कहा था कि मानव जीवन में अध्ययन, मनोरंजन, मौन की विशेष भूमिका हुआ करती है।
अध्ययन के संबंध में हमारे सामने विद्यालय, महाविद्यालय व गं्रथालय के रूप में संबंध
देखने को मिलता है। ज्ञान का स्वरूप, अर्जन का स्वरूप, प्रसारण का स्वरूप के संबंध में जब हम
चर्चा करते हैं तो इसका संबंध हमें ग्रंथालय में देखने को मिलता है। उक्त उद्गार
शासकीय स्रातकोत्तर महाविद्यालय सिवनी में आयोजित राष्टकृीय शोध संगोष्ठी
वैश्वीकरण के युग में ग्रंथालय का बदलता परिदृश्य विषय पर कार्यक्रम के मु य अतिथि
नरेश दिवाकर अध्यक्ष महाकौशल विकास प्राधिकरण ने व्यक्त किये। आपने आगे कहा जब
नालांदा विश्व विद्यालय के ग्रंथालय में आग लगी थी, उस दौरान उसे बुझाने के लिये 6 माह लग गये थे, इससे स्पष्ट है कि यह ग्रंथालय कितना
बड़ा रहा होगा। इस अवसर पर घासीदास विवि के डॉ. ब्रजेश तिवारी ने कहा ग्रंथालय मानव
सभ्यता के साथ स्थापित संस्था है। ग्रंथालय अक्षर ज्ञान ही नहीं बल्कि मूक बधिर
सभी की आवश्यकता है। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. टी.के. कटकवार, डॉ. सतीश चिले, सुधीश श्रीवास्तव, मंजू सराफ, शोभना अवस्थी, ज्योत्सना नावकर, रचना सक्सेना, सविता मसीह, डी.पी. नामदेव, आशुतोष सिंह गौर, एन.पी. राहंगडाले, रविशंकर नाथ, डॉ. रविन्द्र दिवाकर, कविता पाण्डे सहित विजय बघेल आदि ने भी
अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।
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