लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क
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क्या करें दुनियादारी, भगवा सब पर भारी
(विनय डेविड)
भोपाल (साई)। जनसंपर्क विभाग सरकार की
योजनाओं, उपलब्धियों, नीतियों आदि का जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम होता है, परंतु मध्यप्रदेश में इसके ठीक उल्टा हो
रहा है, देश के दिल मध्यप्रदेश ही ऐसा राज्य है जो कि ई-मीडिया को प्रोत्साहित
करता है परंतु अब विभाग के अंदर विज्ञापन के मामले में केवल उन्हीं साइटों को
तवज्जों दी जा रही है जो भगवा समर्थक हो, विभाग की सूची में शामिल होने के लिए
भगवा प्रमाण पत्र हासिल करना आवश्यक हो चला है। कई कमीशनखोरी के आरोपों के बावजूद
खुद प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने हस्तक्षेप कर विभाग में श्री लाजपत आहूजा को
जनसंपर्क व विज्ञापन प्रभार दिलवाया।
उल्लेखनीय है कि मिलने वालों से अक्सर
आहूजा आरएसएस के करीबी होने के किस्से सुनते पाए जाते हैं। विगत माह में मीडिया
चौपाल के बहाने दिल्ली, लखनऊ , मध्यप्रदेश के साईट संचालकों को भोपाल बुलाया गया जिसमें सोशल मीडिया संचालकों
ने अपने आर्थिक बदहाली पर चर्चा की गई। यद्यपि ज्यादातर संचालक आरएसएस समर्थक या ”विचारधारा” से प्रेरित थे। बहरहाल विभाग की कहानी
ज्यों की त्यों है। प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने जिसे कई शिकायतों के बावजूद विभाग
पर बैठाया वह जनसंपर्क का ”आका-मौला” हो गया है। भाजपा के कई दिग्गजों, वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों की अनुशंसा-मंशा भी नहीं सुनी
जाती गंभीर पर्यावरण मुद्दों, गैर राजनीतिक व गैर व्यवसायिक साईट
संचालकों को भी एक साथ ”आका-मौला” ने हकाल दिया, ऐसी अनुशंसा भरी दर्जनों फाइलों को श्री आहूजा ने फूटबाल बना रखा है जो
कभी भी गोलपोस्ट तक नहीं पहुंच पाती है, वरिष्ठ भाजपा नेता सांसद दिलापसिंह
भूरिया , पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी, उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जेल व परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा, प्रखर भाजपाई व इंदौर क्षेत्र क्रमांक 1 से विधायक सुदर्शन गुप्ता जैसी शख्सियतें
भी ”आका-मौला” के आगे व विभाग के लिए मायने नहीं रखती, प्रदेश सरकार व अध्यक्ष प्रभात झा की
मंशा व नीतियों के विरूद्ध विभाग पर सिर्फ भगवा ही भारी व कारगर है।
उद्योग विभाग कोटे से आईएएस वर्तमान जनसंपर्क आयुक्त व सचिव राकेश
श्रीवास्तव भी असहाय प्रतीत होते हैं। इनसे किसी भी मीडियाकर्मी द्वारा विज्ञापन
संबंधी संपर्क करने पर श्री आहूजा से संपर्क करने का आदेश प्राप्त होता है। कई
व्यभिचार, भ्रष्टाचार, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के करोड़पति होने आदि से देश में प्रदेश अपनी छवि
वैसे ही गंवा चुका है। एक तरफ अन्ना हजारे और रामदेव को भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े
होने पर दिल्ली से खदेड़े जाने पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा प्रदेश में
आमंत्रित किया जाता है जो उसकी दूसरी ओर ऐसी अघोषित भ्रष्ट विज्ञापन नीति का गठन
भी मुख्यमंत्री की ठीक नाक के नीचे होता है। अब प्रदेश में नई अघोषित नीति के बाद
लगता है विज्ञापन सिर्फ ”विचारधारा” समर्थक या भगवा प्रमाण पत्र वाली साइटे एवं पत्र पत्रिकाएं ही विज्ञापन
पाएगी।
(साभार: पर्यवरण विमर्श डाट काम)
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