मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

स्वाइन फ्लू: भय के वायरस का हमला तेज


स्वाइन फ्लू: भय के वायरस का हमला तेज

(लिमटी खरे)

मेक्सिको के रास्ते भारत में पहुंची महामारी स्वाइन फ्लू का कहर शनैः शनैः बढते ही जा रहा है। पहले इसकी जद में देश के महानगर आए फिर इस बीमारी ने राज्यों की ओर रूख करना आरंभ कर दिया है, जो सोचनीय है। पिछले एकाध साल में तो इस बीमारी ने अपना कहर कुछ कम बरपाया लेकिन एक बार फिर अब यह अपना रोद्र रूप दिखा रही है। राजधानी दिल्ली में ही स्वाइन फ्लू के ढाई दर्जन से ज्यादा मरीजों को चिन्हित किया गया है। देश भर में इस भय के वायरस से लोग भयभीत हैं। सांसों से फैलने वाले इस वायरस के अनेक खतरे हैं सबसे दुखद पहलू तो यह है कि इनके बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग भी तीन सालों में ठीक तरीके से लोगों को समझा नहीं पाया है।

राजधानी दिल्ली में स्वाइन फ्लू के २७ नए रोगियों का पता चला है। इसमें एच-१ एन-१ से प्रभावित रोगियों के इलाज से जुड़े एक अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी शामिल हैं। इस बीमारी की आशंका वाले लोगों को सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल और अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। दिल्ली सरकार ने स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए पिछले सप्ताह १७ सरकारी और पांच निजी अस्पतालों की पहचान की थी। दिल्ली में स्वाइन फ्लू से तीन लोगों की मौत हो चुकी है।
देखा जाए तो जागरूकता की कमी के चलते पिछले एक दशक मंे हिन्दुस्तान में नई नई बीमारियों ने अपना घर बना लिया है। लगभग आठ साल पहले दिल्ली को डेंगू नामक जानलेवा बुखार ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। इसके बाद डेंगू ने दो सालों के अंतराल के बाद राज्यों की ओर रूख किया है। आज देश भर में डेंगू नामक बीमारी से हजारों की तादाद में मरीज ग्रस्त हैं। बीसवीं सदी के आरंभ के साथ ही देश में कालरा, हैजा, कालाजार, टीबी आदि बीमारियों ने देश में आतंक बरपाया था, जिसका इलाज उस काल में संभव नहीं था। समय के साथ इन असाध्य बीमारियों का इलाज खोजा गया और इन पर नियंत्रण पाया गया।
नब्बे के दशक में असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त आदि से फैलने वाले एड्स ने सभी को डरा दिया था। आज भी एड्स का खौफ बरकरार ही है। इक्कीसवीं सदी में डेंगू, चिकन गुनिया, बर्ड फ्लू जैसी बीमारियों ने अपने पैर पसारे। वायरस जनित इन बीमारियों का इलाज है, किन्तु जागरूकता का अभाव लोगों को असमय ही काल के गाल में ढकेल रहा है। एक बात आज भी समझ से परे ही है कि जब इस तरह की कोई बीमारी या समस्या सर उठाती है, तो जागने और उससे निपटने में हमारी सरकारें किस बात पर विचार कर देरी करतीं हैं। लगता है कि सरकारें इनसे निपटने शुभ महूर्त का इंतेजार ही किया करतीं हैं। स्वाइन फ्लू के संक्रमण हेतु गंदगी सबसे बडा वरदान साबित हो रही है। विस्फोटक आबादी इस बीमारी के लिए उर्वरक का काम कर रही है। जागरूकता के अभाव के चलते जगह जगह गंदगी और भीड भाड इस बीमारी के संवाहक का ही काम कर रही है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि देश की इस तरह की परिस्थितियां स्पर्श और स्वांस से बढने वाली इस बीमारी के लिए उपजाउ माहौल के मार्ग ही प्रशस्त कर रहीं हैं।
डेंगू, बर्ड फ्लू, चिकन गुनिया, स्वाईन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारियांे का सकारात्म पहलू यह है कि अब तक इन बीमारियों ने शहरों में ही अपना डेरा जमाया हुआ है। बिना चिकित्सकों के नीम हकीमों के भरोसे रहने वाले गांवों की ओर अगर इन बीमारियों ने रूख कर लिया तो स्थिति निश्चित तौर पर बेकाबू हो जाएगी। इसका प्रमुख कारण यह है कि भले ही सरकारें ग्रामीण स्वास्थ्य के बारे में चाहे जो दावा करें किन्तु जमीनी सच्चाई यह है कि ग्रामीण स्वास्थ्य के नाम पर सिर्फ और सिर्फ सरकारी आवंटनों को डकारा जा रहा है। करोड़ों अरबों रूपए व्यय कर इन बीमारियों पर नियंत्रण का दावा कर आधा बजट अंदर करने वाली सरकारों में बैठे नुमाईंदें को अब अपने अलावा आम जनता के बारे में भी सोचना होगा, वरना आने वाले कल की भयावह तस्वीर में भरे रंगों में उनकी भागीदारी से उन्हेें कोई नहीं रोक पाएगा। हमारी नजर में स्वाईन फ्लू जानलेवा जरूर है पर यह भय का वायरस है, जो आने वाले कल में यर्थाथ में तब्दील हो भी सकता है।
आंकड़ों पर अगर गौर फरमाएं तो पता चलता है कि वर्ष 2010 के मई तक भारत में 1035 लोगों की मृत्यु स्वाइन फ्लू से हुई। इतना ही नहीं शून्य दशमलव शून्य दो फीसदी है मृत्यु की दर स्वाइन फ्लू वायरस के संक्रमण के कारण। इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि 1918 में कुल वैश्विक आबादी की तीन फीसदी आबादी की मृत्यु स्वाइन फ्लू महामारी के कारण हुई थी। स्वाइन फ्लू का खतरा एक बार फिर हमारे सामने है। वर्ष 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक महामारी घोषित किये जाने के बाद इसकी रोकथाम के उपाय किये गये थे, लेकिन इसका वायरस फिर से लोगों की जान लेने लगा है।
स्वाइन फ्लू का इतिहास अगर देखा जाए तो 1889 से पहले एच1 से मानवों में स्वाइन फ्लू का वायरस संक्रमित हुआ। लेकिन, इस वर्ष रूस में एच2 वायरस सामने आया और पूरी दुनिया में फैल गया। इससे 10 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई। इसके उपरांत  1918 में स्पेनिश फ्लू से पांच करोड़ लोगों की मौत हुई और वैश्विक आबादी की एक-तिहाई आबादी इससे संक्रमित हुई। फिर 1931 में अमेरिका के इवोआ में सूअर से एच1एन1 का लक्षण सामने आया। 1957 में एच2एन2 वायरस से एशिया में फ्लू महामारी पैदा हुई। इससे पूरी दुनिया में 10 से 15 लाख लोगों की मौत हुई। ग्यारह साल बाद 1968 में एच3एन3 वायरस से हांगकांग में महामारी फैली और पूरी दुनिया में लगभग दस लाख लोगों की मृत्यु हुई। सत्तर के दशक में एक बार फिर यह सक्रिय हुआ और 1976 में एच1एन1 वायरस सूअर से इंसानों में फैला। अमेरिका में अधिक प्रकोप देखने को मिला। बीसवीं सदी के अंत में 1998 में अमेरिका में फिर एच1एन1 सामने आया। वैक्सीन से इसे नियंत्रित करने की कोशिश की गयी, लेकिन सफलता नहीं मिली।
इक्कीसवीं सदी के आरंभ में 2004-06 में एशियाई देशों में एच5एन1 वायरस का संक्रमण हुआ। 2009 में यह भारत आया इसकी भयावहता को देखकर 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एच1एन1 को वैश्विक महामारी घोषित करने का फैसला किया। इसी साल जुलाई में शोध में पाया गया कि स्वाइन फ्लू टैमीफ्लू दवा के प्रति प्रतिरोधक है।
फ्लू के बारे में चिकित्सकीय राय है कि यह कई प्रका का होता है। एन्फ्लुएंजा के तीन प्रकारों से इंसानों में फ्लू होता है। इसके अलावा दो अन्य तरह के एन्फ्लुएंजा होते हैं, जो सूअरों में होता है।
एन्फ्लुएंजा ए, सूअरों में होता है। यह स्वाइन एन्फ्लुएंजा के नाम से भी जाना जाता है। इसी एन्फ्लुएंजा के उप प्रकार हैं-एच1एन1, एच1एन2, एच2एन3, एच3एन1 और एच3एन2 वायरस। इसके अलावा एन्फ्लुएंजा बी, वायरस मानवों में अधिक संक्रमित होता है। एन्फ्लुएंजा सी, के बारे में बताते हैं कि यह एन्फ्लुएंजा वायरस मानवों और सूअरों दोनों को संक्रमित करता है, लेकिन यह पक्षियों को संक्रमित नहीं करता है। अतीत में सूअरों और मानवों में संक्रमण के मामले सामने आये हैं। उदाहरण के तौर पर, एन्फ्लुएंजा सी से जापान और कैलिफोर्निया में बच्चों में इसका संक्रमण पाया गया था। एन्फ्लुएंजा के इस प्रकार से मानवों में महामारी का खतरा नहीं होता।
दरअसल, फ्लू का संक्रमण एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसे हमने नियंत्रित तो कर लिया है, लेकिन इससे पूरी तरह बचने का उपाय फिलहाल चिकित्सा विज्ञान में नहीं है। यही वजह है कि बार-बार इसका संक्रमण हमें अपनी चपेट में लेने की कोशिश करता है। वर्ष 1918 और 1976 में इसके प्रकोप ने करोड़ों लोगों की जान ले ली थी। यही कारण है कि जब जब यह अपना रोद्र रूप दिखाता है समाज में एक दहशत का वातावरण पसर जाता है। मेक्सिको में जन्में भय के इस वायरस से सिर्फ भारत ही नहीं, चीन और नेपाल के अलावा दुनिया के कई देशों में स्वाइन फ्लू के मामले फिर से सामने आने लगे हैं। इस बार यह लगभग तीन-चार साल बाद लौटा है। यह संक्रमण कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा 1918-20 के दौरान हुए स्पेनिश फ्लू की तबाही से लगाया जा सकता है। उस वक्त इस फ्लू ने लगभग 50 करोड़ लोगों को बीमार किया था और करीब दो से पांच करोड़ लोगों की मृत्यु हो गयी थी।
वैसे, स्वाइन फ्लू एक घातक वायरस है, जो सूअरों से फैला है। सबसे पहले इस बीमारी के लक्षण मैक्सिको के एक पिग फार्म के आसपास रह रहे लोगों में पाये गये थे। दरअसल, यह सूअरों में होने वाला एक प्रकार का बुखार है, जो उनकी सांस से जुड़ी बीमारी है। यह जुकाम से संबंधित एक वायरस से पैदा होता है। ये वायरस आमतौर पर चार तरह के होते हैं- एच1एन1, एच1एन2, एच3एन2 और एच3एन1। इनमें एच1एन1 सबसे खतरनाक है और दुनियाभर में यही वायरस सबको अपनी चपेट में ले रहा है।
वैज्ञानिकों की मानें तो एच1एन1 स्वाइन फ्लू वायरस एंटीवायरल ड्रग्स टैमीफ्लू और रेलेंजा के प्रति काफी संवेदनशील होता है। ये दवाइयां तभी असरकारी होती हैं, जब फ्लू के लक्षण सामने आने के 48 घंटे के भीतर ली जाती हैं। क्योंकि इन वायरसों पर पुरानी फ्लू दवाइयों का असर नहीं पड़ता है। स्वाइन फ्लू के लिए तीसरी दवा है-पेरामिविर। लेकिन, इस दवा का प्रयोग उन रोगियों पर किया जाता है, जो अस्पताल में स्वाइन फ्लू से गंभीर रूप से बीमार होते हैं।
चिकित्सकों की मानें तो स्वाइन फ्लू का इलाज पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन कुछ हद तक इसकी रोकथाम की जा सकती है। टैमीफ्लू और रेलिंजा नामक एंटी वायरल दवा इसके लिए काफी मददगार होती हैं। चूंकि, स्वाइन फ्लू गंदगी से अधिक फैलती है, तो इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका साफ-साफाई है। छींकते समय हमेशा अपनी नाक और मुंह कपड़े से ढक कर रखना चाहिए और हाथ जरूर धोना चाहिए।
भारत में यह काफी हद तक आतंक बरपा चुका है। पंजाब इसकी जद में सबसे अधिक आया है। स्वाइन फ्लू से पंजाब में अभी तक 20 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं कई लोग इससे संक्रमित हैं। पिछले साल पंजाब में स्वाइन फ्लू से 13 लोगों की मौत हुई थी। वहीं हरियाणा में इससे अभी तक चार लोगों की मृत्यु हुई है, वहीं राजधानी चंडीगढ़ में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है। लेकिन, सबसे बड़ी चिंता इस बात से है कि हरियाणा में इसके मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में इस साल जनवरी से लेकर अभी तक दिल्ली में स्वाइन फ्लू के 60 मामले सामने आये हैं। जबकि, 2012 में कुल 78 मामले सामने आये थे। वहीं राजस्थान सिर्फ जनवरी महीने में ही स्वाइन फ्लू से 64 लोगों की मृत्यु हुई। इसमें सबसे अधिक राजधानी जयपुर में 20 लोगों की मृत्यु हुई है। 13 दिसंबर से अभी तक 450 से अधिक लोगों में यह लक्षण पाया गया है।
इसके बारे में तरह तरह की भ्रांतियां देश में फैली हुई हैं। वैसे, किसी मौसमी फ्लू वायरस की तरह इसका संक्रमण होता है। सर्दी-जुकाम और खांसी से यह वायरस हवा में संक्रमित होता है और दूसरे तक पहुंचता है। एच1एन1 वायरस एक मानव वायरस है। यह वायरस इंसानों से फैलता है, न कि सूअरों द्वारा एक दूसरे तक पहुंचता है। चिकित्सकों की मानें तो आम महिलाओं की अपेक्षा गर्भवती महिलाओं में इसके संक्रमण की आशंका छह गुना अधिक होती है। अस्थमा, किडनी, लीवर, एचआइवी से संक्रमित लोगों में स्वाइन फ्लू होने की आशंका काफी अधिक होती है।
सरकार को चाहिए कि इसके लक्षण, बचाव के उपाय आदि के बारे में ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार करवाया जाए, वस्तुतः सारे प्रचार प्रसार की बातें महज कागजों तक ही सीमित रह रही है। इसके लक्षणों में बुखार, कफ, गले में दर्द, बदन व सर दर्द और थकान की शिकायत के साथ ही साथ डायरिया और उल्टी की समस्या भी प्रमुख है। (साई फीचर्स)

अखबार नहीं बटे: पीआरओ रहे मौन!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 52

अखबार नहीं बटे: पीआरओ रहे मौन!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मीडिया और प्रशासन के बीच का सेतु होता है जनसंपर्क विभाग। जनसंपर्क विभाग के पीआरओ को मीडिया की बारीकियों का भान तो होता है साथ ही साथ वह पत्रकारों के हित संवंर्धन का काम भी बखूबी ही करता है। हाल ही में जिला मुख्यालय सिवनी में लगे कफ़र्यू के दौरान मीडिया की अनदेखी के चलते यह लगा मानो जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा मीडिया को दरकिनार ही कर दिया गया हो।
ज्ञातव्य है कि 7 फरवरी की रात्रि में शहर के हालात बिगड़ने से जिला प्रशासन द्वारा सिवनी में कफ़र्यू लगा दिया गया था। इसी रात्रि अनेक पत्रकारों और संपादकों द्वारा जिला जनसंपर्क अधिकारी घनश्याम सिरसाम से दूरभाष पर अगले दिन सुबह समाचार पत्रों के वितरण और मीडिया कर्मियों के लिए कफ़र्यू के दौरान रिपोर्टिंग आदि के लिए पास की व्यवस्था करने का आग्रह किया था। उस वक्त जिला जनसंपर्क अधिकारी द्वारा पत्रकारों को आश्वस्त किया गया था कि उनके हितों का संवर्धन किया जाएगा।
07 और 08 फरवरी की दर्मयानी रात जब मीडिया को अपने हाकर्स, एजेंट्स आदि के पास नहीं मिले तो वे चिंतित हो गए कि 08 फरवरी को सुबह समाचार पत्रों का वितरण आखिर कैसे हो पाएगा? अगले दिन सुबह जब समाचार पत्रों का वितरण नहीं हुआ तो एक बार फिर मीडिया पर्सन्स ने जनसंपर्क अधिकारी श्री सिरसाम को फोन लगाना आरंभ किया। बताते हैं कि पीआरओ ने किसी का भी फोन नहीं उठाया।
मीडिया पर्सन्स परेशान हो गए क्योंकि सुबह से ही उनके हाकर्स, एजेंट्स और पाठकों के फोन आ रहे थे कि समाचार पत्र का वितरण नहीं हो पाया है। कफ़र्यू जैसी स्थिति में लोग अखबारों को ना पाकर बहुत ही परेशान नजर आ रहे थे। बाद में ज्ञात हुआ कि आठ फरवरी के अखबार प्रिंटिग प्रेस में और जबलपुर नागपुर एवं अन्य शहरों से आने वाले अखबार बायपास से अंदर ही नहीं आने दिए गए।
पत्रकार और मीडिया पर्सन्स किसी को जवाब देने की स्थिति में इसलिए नहीं थे क्योंकि 8 फरवरी को दिन ढलने तक वे घरों में ही कैद थे। इस बारे में पाठक, मीडिया, हाकर्स, एजेंट्स आदि 7 फरवरी की रात से 8 फरवरी की शाम तक हैरान परेशान होते रहे और वहीं दूसरी ओर मीडिया और प्रशासन के बीच के सेतु जिला जनसंपर्क अधिकारी ने अपना मौन नहीं तोड़ा जो चर्चा का विषय बना हुआ है।

सिवनी : लगातार नाकामियों का आखिरी नतीजा कर्फ्यू


लगातार नाकामियों का आखिरी नतीजा कर्फ्यू

(हिमांशु कौशल)

सिवनी (साई)। छपारा मे घटित एक अप्रिय घटना से जुड़ी अफवाहों की आग ने जिला मुख्यालय को अप्रिय घटनाओं के दावानल में झुलसा दिया। लगातार फैल रही इन अप्रिय घटनाओं को प्रशासन धारा 144 और बाहर से फोर्स बुलाकर रोकने मे नाकाम रहा। इसके बाद प्रशासन ने शुक्रवारी मे लाठी चार्ज करने के आदेश दिये लेकिन इस आदेश ने एक ओर बाहरी पुलिस फोर्स को प्रताड़ित करने की शक्ति दे दी थी, वहीं दूसरी ओर घरों से बाहर जो लोग थे उन्हें लाचार और असुुरक्षित बना दिया था।  इसके बाद प्रशासन ने आनन फानन मे कर्फ्यू लगा दिया। कर्फ्यू और पुलिस के बीच फंसे लाचार लोगों  की जब प्रशासन को याद आई तो उसने घर लौटने के लिये मात्र 10 मिनिट का समय देकर अपनी गलती सुधारने की कोशिश की और अनिश्चितकाल के लिये सख्त कर्फ्यू लगा दिया। अगर समय रहते सटीक प्रशासनिक निर्णय लेकर इनका कठोरता से पालन किया जाता तो स्थिति कर्फ्यू तक नहीं पहुँचती।
ज्ञातव्य है कि छपारा में हुई घटना के विरोध स्वरूप विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा 06 फरवरी को सिवनी बंद का आव्हान किया गया था। रैली का उद्देश्य जानते हुए पुलिस ने इसकी सुरक्षा व्यवस्था की। पुलिस के साथ ये रैली छोटी मस्जिद चौंक पहुँची थी इसके बाद स्थिति बिगड़ गयी, बिगड़ती स्थिति हर तरह से काबू पाने योग्य थी, पर प्रशासन  मात्र थोड़े से असमाजिक तत्वों पर काबू नहीं पा पाया जिसके कारणजिला कलेक्टर को दोपहर 03 बजे पूरे जिले मे धारा 144 लगानी पड़ी। इस समय तक बाहर से फोर्स आ चुकी थी।     
प्रशासन से अपेक्षा थी कि दोपहर को आ चुकी बाहर की फोर्स से फ्लेग मार्च कराया जायेगा किन्तु पता नहीं क्यों फ्लेग मार्च नहीं कराया गया। धारा 144 का उल्लंघनभी लोग लगातार कर रहे थे, लोग समूह मे बातें कर रहे थे पर किसी पर कोई कार्यवाही की ही नहीं गयी। रात मेभी प्रशासन ने कोई सख्ती नहीं दिखायी आधी रात 12 बजे से लेकर देर रात 03 बजे तक थाने के बाजू स्थित बस स्टैंड मे लोगों का हुजूम जमा था। इन लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही थी। नतीजन मुस्तैदी के आ ाव में रात लग ग 03 बजे किसी को अच्छी न लगने वाली दूसरी संवेदनशील घटना हुई।
जिस किसी कोभी रात की घटना के बारे मे पता चला वह सोचते रह गया कि जब 07 तारीख की दोपहर 03 बजे विहिप के  आंदोलन के बाद ही धारा 144 लगा दी गयी थी और बाहर की फोर्सभी आ चुकी थी तो 12 घंटे बाद दूसरी संवेदनशील घटना कैसे हो गयी। और अगर घटना हुई तो इसका जिम्मेदार अकेले असमाजिक तत्वों को क्यों माना जाये? आखिर धारा 144 मे बाहर की फोर्स आने के बादभी जारी शिथिलता के कारण घटना घटित हुई थी।
देर रात हुई उक्त संवेदनशील घटना के बादभी प्रशासन नहीं जागा। बताया जाता है कि इस घटना के बाद जिम्मेदार लोगों ने प्रशासन से कहा गया था कि अब धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिये। प्रशासन अगर सभी धार्मिक स्थलों की समिति के सदस्यों को अपने अपने स्थलों की सुरक्षा हेतु कड़ी हिदायत दे देता तो आगे कोईभी अप्रिय स्थिति निर्मित नहीं होती और न कर्फ्यू लगता न ही मीडिया पर अघोषित सेंसरशिप।
देर रात हुई घटना के बादभी 07 फरवरी की सुबहभी कोई फ्लेग मार्च नहीं कराया गया जबकि बाहर की फोर्स 18 घंटे पहले आ चुकी थी। 07 फरवरी की सुबह 10-11 बजे  सड़को मेभीड़ जमा थी। लग ही नहीं रहा था कि किसीभी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिये प्रशासन तैयार है। इसके बाद अचानक पूरा बुधवारी, नेहरू रोड और शुक्रवारी बंद हो गया और मीडिया वालों के कानो तक यह बात पहुँची कि छोटी मस्जिद चौंक मे लोग इकट्ठा हो रहे हैं।  मौके पर पहुँचकर देखा गया तो वाकई ऐसा हो रहा था और हैरान कर देने वाली बात यह थी कि प्रशासन धारा 144 के बादभी कोई एक्शन नहीं ले रहा था। इसके बाद छोटी मस्जिद चौक मे इकट्ठा हुए लोगों को समझा बुझाकर एडवोकेट जकी अनवर खान, नपा उपाध्यक्ष राजिक अकील, असलम ाई, इमरान पटेल, शोएब राजा, पार्षद इब्राहिम ाई आदि ने दोपहर लग ग 01 बजे के बाद थाने मे आईजी से मुलाकात कर कहा कि साहब हमने तो सब शांत करा दिया है पर हर समाज मे ऐसे लोग होते हैं जो न अपने मॉ बाप की सुनते हैं, न ही समाज की। अतः धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिये। इस नेक सलाह पर प्रशासन ने कितना ध्यान दिया ये किसी से छुपा नहीं है।
इसके बाद 07 फरवरी की शाम को ही 07 बजे पुनः चित्रगुप्त मंदिर के बाजू स्थित हनुमान मंदिर मे पुनः अप्रिय घटना हो गयी। ये घटना बीती रात 03 बजे हुई पहली अप्रिय घटना के 15 घंटे बाद हुई थी। दो अप्रिय घटनाओं के बीच का अंतराल 15 घंटे था और इन 15 घंटों मे प्रशासन ने बाहर की फोर्स आने के बादभी कुछ नहीं किया, फ्लेग मार्च तक नहीं निकाला, असमाजिक तत्वों, विद्वेष फैलाने वालों को हिरासत मेभी नहीं लिया, समाज के लोगो से मिल उन्हें शांति बनाये रखनेभी नहीं कहा, ऐसा एक?भी कदम नहीं उठाया जो ऐसी परिस्थितियों में उठाया जाना आवश्यक समझा जाता है।
शाम 07 बजे जैसे ही चित्रगुप्त मंदिर के बाजू स्थित हनुमान मंदिर मे हुई घटना की खबर फैली। टी।आई पहुँच गये तब तक वहाँभीड़ जमा नहीं हो पायी थी किन्तु प्रशासनभीड़ जमा होने से ना रोक सका। एक-एक कर बजरंग दल,विहिप और इनकी आड़ मे असमाजिक तत्व वहाँ पहुँचने लगे। धारा 144 मे पुलिस इनसे निवेदन करती रही कि हमे जप्ती बनाने दो पर विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मंदिर मे ताला लगा दिया गया। पुलिस जप्ती नहीं पायी। मौके परभीड़ बढ़ते गयी। प्रशासन न जप्ती बना पा रहा था न हीभीड़ लगने से रोक पा रहा था। कलेक्टर एसपी इतनी संवेदनशील स्थिति के बादभी मौके पर नहीं आये और न ही मौके पर मौजूद पुलिस को इतने पर्याप्त निर्देश दिये कि वो स्थिति को सं ाल पाये। हाँ, एसडीएम शहर, नायब तहसीलदार आदि मौके पर थे और अपने स्तर पर हर सं व प्रयास कर रहे थे।
इस दौरान मौके पर सीए अखिलेश शुक्ल डुल्लू, लिमटी खरे, संजय तिवारी, हिमांशु कौशल, अजय बाबा पांडे, महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर, सुजीत जैन और मोहल्ले पड़ोस के बहुत सारे लोग उपस्थित थे जो कोशिश कर रहे थे कि पुलिस को अपनी कार्यवाही पूरी करने मिल जाये पर मंदिर बंद कर खड़े असमाजिक तत्व किसी की सुन ही नहीं रहे थे और पुलिसभी उनके सामने लाचार थी। प्रेस, प्रतिष्ठित लोग और जनप्रतिनिधि लगातार मौके पर उपस्थित अधिकारियों से बात कर रहे थे।
फिर अचानक रात 09 बजे के कुछ पहले पाइंट जारी हुआ कि लाठी चार्ज कर दिया जाये और शुक्रवारी मे एसएएफ ने लाठी चार्ज कर दी। लाठी चार्ज करने से गदड़ मच गयी और पुलिस ने शुक्रवारी, नेहरू रोड, कटंगी रोड घेर लिया। अब असमाजिक तत्वों के साथ अच्छे लोगभी घिर गये, असमाजिक तत्वों मे से जो किसी के घर घुस गये वो तो ठीक है पर बाकियों पर पुलिस ने लाठी ांजी। इसके बाद सन्नाटा छा गया पूरी शुक्रवारी छावनी बना दी गयी और फिर सख्त कर्फ्यू लागू किया गया।
कर्फ्यु लागू होने की सूचना आसपास के ग्रामीण इलाको मे अच्छी तरह नहीं फैल पायी थी क्योंकि कर्फ्यू रात को लगा था। सुबह अखबारों पर अघोषित सेंसरशिप लगा दी गयी थी। अखबारों का वितरण न होने से आस पास के गाँवों मे लोगों को कर्फ्यू की खबर नहीं पहुँच पायी जिसके कारण हुआ ये कि स्कूली बच्चे बढ़िया तैयार होकर और दूध वाले व कुछ अन्य लोगभी नगर सीमा मे आ गये। इनमे से अनेक पुलिस की लाठी का शिकार बने। बाद मे पुनः पाइंट जारी किया गया कि ऐसा न किया जाये पर तब तक पुनः पुलिस अपना रूप दिखा चुकी थी। इसके बाद नल नहीं खुलने दिया गया लोग दूध के साथ साथ पानी को तरस गये। जो पहले से बीमार थे या बीती रात पुलिस से घायल हुए थे वे इलाज को तरस गये।

धार : भोजशाला: प्रशासन ने की 15 की तैयारी मुस्तैदी के साथ


भोजशाला: प्रशासन ने की 15 की तैयारी मुस्तैदी के साथ

(सुजीत कुमार)

धार (साई)। मध्य प्रदेश के धार जिले में भोजशाला विवाद के मद्देनजर जिला प्रशासन 15 फरवरी के लिए तमाम एहतियाती इंतजाम कर रहा है। 15 फरवरी को वसंत पंचमी है और उसी दिन जुमा भी है। भोजशाला कैंपस में सरस्वती मंदिर और कमाल मौला मस्जिद भी है। जिसे लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है।
धार जिला प्रशासन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रशासन ने एहतियाती इंतजाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जिला प्रशासन ने उम्मीद जताई है भोजशाला में मंगलवार और शुक्रवार शांतिपूर्वक गुजर जाएंगे। भोजशाला कैंपस में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। पिछले काफी दिनों से भोजशाला पर मालिकाना हक को लेकर दो समुदायों में कोई न कोई विवाद खड़ा होता रहता है। 

अधिक यात्री आने से मची भगदड़: बंसल


अधिक यात्री आने से मची भगदड़: बंसल

(निधि श्रीवास्तव)

इलहाबाद (साई)। रेलमंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा है कि मौनी अमावस्या के दिन इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन पर पैदल पुल के रास्ते सिविल लाइंस की तरफ से बहुत अधिक यात्रियों के आने से भगदड़ मची। इस भगदड़ में ३६ तीर्थयात्रियों की मौत हुई और ३९ घायल हैं। रेल मंत्री ने कल इलाहाबाद में कहा कि रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सचिव ट्रैफिक की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की समिति इलाहाबाद में जांच करेगी।
वहीं, दूसरी ओर तीर्थयात्रियों पर पुलिस लाठीचार्ज के आरोपों से इनकार करते हुए रेलवे मंत्री ने कहा है कि इलाहाबाद रेलवे जंक्शन स्टेशन पर दोनों तरफ से तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ आ जाने से भगदड़ की घटना हुई है। उन्होंने कहा है कि भीड़ को नियंत्रित करने की अपेक्षा रेलवे से नहीं की जानी चाहिए। रेल मंत्री का कहना है कि तीर्थ यात्रियों को लाने और ले जाने के लिए नियमित गाड़ियों के अलावा कई विशेष गाड़ियां चलाई जा रही है।
रेलमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री और रेलवे ने पीड़ितों के लिए अलग-अलग वित्तीय सहायता की घोषणा की है। प्रधानमंत्री राहत कोष से प्रत्येक मृतक के निकट संबंधी को दो लाख रूपये और हर घायल को पचास हजार रूपये दिये जाएंगे। इसके अलावा रेल मंत्रालय भी प्रत्येक मृतक के निकट संबंधी को एक लाख रूपये, गंभीर रूप से घायलों को पचास हजार रूपये और मामूली रूप से घायल तीर्थयात्रियों को २५ हजार रूपये देगा। उधर उत्तर प्रदेश सरकार ने इस भगदड़ की न्यायिक जांच कराने से इंकार कर दिया है।
राज्य के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने इलाहाबाद में कहा कि राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष से एक महीने के भीतर जांच पूरी करने को कहा गया है। पुलिस महानिदेशक ए सी शर्मा ने बताया है कि मेला क्षेत्र में दो तीर्थयात्री की मृत्यु की जांच अलग से राज्य के वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों के निकट संबंधियों के लिए सहायता राशि पांच लाख रूपये से बढ़ाकर सात लाख रूपये कर दी है। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री स्थिति का जायजा लेने आज इलाहाबाद पहुंच रहे हैं।

मुद्रास्फीति में कमी आरबीआई के मुताबिक नहीं: राव


मुद्रास्फीति में कमी आरबीआई के मुताबिक नहीं: राव

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू खाते में बढ़ते घाटे और मुद्रास्फीति पर फिर चिंता व्यक्त की है। रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कल मुम्बई में इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान के दीक्षांत समारोह में कहा कि हालांकि मुद्रास्फीति में काफी कमी आई है, फिर भी यह रिजर्व बैंक की उम्मीद के मुताबिक नहीं है।
श्री सुब्बाराव ने इस बात को माना कि रिजर्व बैंक को घटती वृद्धि दर और एक स्तर पर ठहरी मुद्रास्फीति के बीच संतुलन की दुविधा का लगातार सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर सुब्बाराव ने कहा कि इस वित्त वर्ष के लिए सिर्फ पांच प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद दर भी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि वृद्धि दर कम है क्योंकि खपत गिरी है, विशुद्ध निर्यात गिरा है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निवेश में भी कमी आई है।
वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक ने बैंकों को इस बात की छूट दे दी है कि वे बंगलादेश के नागरिकों के अनिवासी साधारण रूपया खाते बिना उसकी पूर्व अनुमति लिए खोल सकते हैं। मुंबई में जारी अधिसूचना में रिर्जव बैंक ने स्पष्ट किया है कि बैंकों को ऐसा खाता खोलने से पहले स्वयं इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि खाता खुलवाने वाले व्यक्ति के पास वैध वीजा और वैध आवासीय परमिट हो। रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि बैंकों को ऐसे खाते खुलवाने वाले बंगलादेश के नागरिकों को पूरा रिकॉर्ड रखना चाहिए और तत्संबंधी ब्यौरा तिमाही आधार पर अपने मुख्यालय को भेजना चाहिए।

त्रिपुरा में आज शांत होंगे ढोल मंजीरे


त्रिपुरा में आज शांत होंगे ढोल मंजीरे

(राम खन्ना)

अगरतला (साई)। त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार आज शाम समाप्त हो जाएगा। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपने उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। हमारे संवाददाता ने बताया है कि साठ सदस्यों वाली विधानसभा के लिए इस महीने की १४ तारीख को मतदान होगा।
राज्य में आज चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को रिझाने के लिए आखिरी प्रयास करेंगे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने चुनाव प्रचार के दूसरे दिन कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के लिए जनसभाओं को संबोधित करेंगे। केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम भी आज चुनावी सभाओं में शामिल होंगे। दूसरी ओर वाम मार्चाे और भाजपा नेता भी आज अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में सभाओं को संबोधित करेंगे। इन चुनावों में प्रदेश के तेईस लाख से ज्यादा मतदाता २४९ उम्मीदवारों के राजनैतिक भविष्य का निर्णय करेंगे।
उधर, नगालैंड और मेघालय विधानसभा चुनाव के लिये भी प्रचार जोरो पर है। दोनों राज्यों में इस महीने की २३ तारीख को वोट डाले जाएंगे। तीनों राज्यों में मतगणना २८ फरवरी को होगी।

रेप में फंसा सकती है सरकार: रामदेव


रेप में फंसा सकती है सरकार: रामदेव

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। काली मिर्च और बादाम से स्वाइन फ्लू के इलाज का नुस्खा बताने के बहाने बाबा रामदेव ने जमकर पॉलिटिकल अटैक किए। वह यहां सोमवार को स्वाइन फ्लू पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए थे। रामदेव ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार उन्हें मर्डर और रेप के केस में फंसा कर जेल भेजना चाहती है। उन्हें पहले ही सौ से ज्यादा नोटिस भेजे जा चुके हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि उनकी अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस जेल जाने से पहले ही होगी।
अफजल गुरु की फांसी पर जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला के बयान पर उन्होंने कहा कि उमर को अनुलोम-विलोम करने की जरूरत है। वह आतंकवादियों की साइड ले रहे हैं और देश भक्तों पर सवाल उठा रहे हैं। रामदेव ने कहा कि जिन लोगों की वजह से कुंभ में भगदड़ मची है, उन्होंने पाप किया है। सरकार को एक्शन लेते हुए जिम्मेदार अफसरों को सस्पेंड करना चाहिए। लोग पुण्य कमाने के लिए कुंभ के मेले में जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों की गलतियों की वजह से उन्हें जान गंवानी पड़ रही है। ऐसे मामलों में एक्शन लेने में देरी नहीं होनी चाहिए।
अपने गुरु की गुमशुदगी की सीबीआई जांच पर रामदेव ने कहा कि इस देश में साधु-संत अज्ञातवास पर भी जाते रहे हैं। क्या पता वे भी अज्ञातवास पर हों। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझ कर बालाकृष्णन को फर्जी पासपोर्ट केस में फंसा रही है। रामदेव ने सवाल उठाया कि अगर पासपोर्ट फर्जी है तो सरकार इसे कैंसल क्यों नहीं करती। उन्होंने आरोप लगाया कि बालाकृष्णन को जेल में मारने और इस आरोप में मुझे फंसाने की प्लानिंग थी। उन्होंने कहा, जब तक मैं सरकार के खिलाफ नहीं बोलता था, मुझे बहुत पसंद किया जाता था। प्रधानमंत्री या राहुल गांधी से मिलने पर मेरी सेक्युरिटी चेकिंग तक नहीं होती थी। लेकिन अब मुझे जबरदस्ती फंसाने की कोशिश की जा रही है।
रामदेव ने अगले चुनावों में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर चल रही डिबेट पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पीएम चाहे युवा बने या बुजुर्ग, लेकिन वह काम करने वाला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कन्फ्यूज हैं और कोई नहीं जानता कि किस इशू पर उनकी क्या राय है। इसी तरह मनमोहन सिंह को सारी दुनिया अंडर अचीवर कहती है। रामदेव ने कहा कि केंद्र और गुजरात में यही फर्क है कि गुजरात में किसी को काम करने से रोका नहीं जाता है। हालांकि उन्होंने नरेंद्र मोदी की पीएम पद के लिए उम्मीदवारी पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

12 लाख टेक्सचोर चिन्हित किए आयकर विभाग ने


12 लाख टेक्सचोर चिन्हित किए आयकर विभाग ने

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। आयकर मंत्रालय ने सोमवार को कहा है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ऐसे 12 लाख से ज्यादा लोगों की पहचान की है, जो टैक्स नहीं चुका रहे हैं। 4.7 करोड़ इन्फॉर्मेशन रिकॉर्ड के आधार पर इनकी पहचान की गई है। आयकर मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, कि फॉलो-अप और मॉनिटरिंग के लिए हाई प्रायरिटी केसेज की पहचान के वास्ते रूल्स बेस्ड एल्गोरिद्म का इस्तेमाल किया गया।
मिनिस्ट्री ने कहा कि डायरेक्टोरेट ऑफ इंटेलिजेंस और क्रिमिनल इनवेस्टिगेशन की ओर से पैन रखने वाले 35,170 लोगों को लेटर्स भेजे जा रहे हैं। मिनिस्ट्री ने रिस्पॉन्स हासिल करने और आगे की कार्रवाई के लिए नोडल सेंटर भी बनाया है। स्टेटमेंट में कहा गया है, कि यह लेटर्स का पहला बैच है।
पैन कार्ड होल्डर्स को भेजे गए लेटर में फाइनैशल ट्रांजैक्शन की जानकारी के साथ ही कस्टमाइज्ड रिस्पॉन्स शीट भी शामिल है। लेटर में पूछा गया है कि क्या व्यक्ति अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया है? स्टेटमेंट में कहा गया हैकि टारगेट सेगमेंट की रिटर्न फाइलिंग और टैक्स पेमेंट को ट्रैक करने और आगे की कार्रवाई के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम होगा।
सरकार ने सभी टैक्सपेयर्स से सही इनकम बताने और टैक्स जमा करने की अपील की है। आयकर मंत्रालय ने कहा, कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टोरेट ऑफ सिस्टम्स ने वैसे परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) होल्डर्स की पहचान करने के लिए एक बिजनेस इंटेलिजेंस प्रॉजेक्ट शुरू किया है, जिन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है और जिनके बारे में खास जानकारी उपलब्ध है।
इससे पहले रेवेन्यू सेक्रेटरी सुमित बोस ने कहा था कि सही इनकम छिपाने या इनकम टैक्स देने से बचने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि देर-सवेर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अपने पास मौजूद इन्फॉर्मेशन के आधार पर ऐसे लोगों तक पहुंच जाएगा। फाइनेंस मिनिस्टर पी चिदंबरम ने भी कहा है कि टैक्सपेयर्स अपना रिटर्न भर सकें और सही टैक्स जमा कर सकें, इसके लिए नॉन-इंट्रूसिव टैक्स ऐडमिनिस्ट्रेशन की जरूरत है।

भाजपा कार्यालय मनायी गयी पं.दीनदयाल की पुण्य तिथी


भाजपा कार्यालय मनायी गयी पं.दीनदयाल की पुण्य तिथी 

(अभिषेक दुबे)

सिवनी (साई)। पंडित दीनदयाल उपाध्याय महामानव थे।उन्होंने अपना सारा जीवन सादगी के साथ व्यतीत किया। वे राष्ट्र व समाज के साथ-साथ व्यक्ति के विकास की भी चिन्ता करते थे। उनके एकात्म मानव बाद का यही सारा है। उक्ताशय के विचार भाजपा जिला अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने आज जिला भाजपा कार्यालय में नगर मण्डल द्वारा आयोजित पं.दीनदयाल उपाध्याय की पुण्य तिथी के अवसर पर व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि पं.दीनदयाल उपाध्याय एवं श्याम प्रसाद मुखर्जी के कठिन परिश्रम के बाद भाजपा का यह वट वृक्ष खड़ा हुआ है। पं। दीनदयाल ने हमेशा समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति की चिन्ता की है उनके पद चिन्हों पर चलते हुये मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अंतिम छोड़ के व्यक्ति के विकास के लिये अनेक योजनायें लागू की है जिसका सीधा लाभ व्यक्ति को मिल रहा है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है यहां कार्यकर्ताओं के सहयोग से ही पार्टी चलती है। उन्होंने भाजपा द्वारा चलाये जा रहे समर्पण कार्यक्रम की जानकारी देते हुये कहा कि जिले के पूरे मण्डलों में पं।दीनदयाल की पुण्यतिथी  समर्पण दिवस के रूप में मनायी जा रही है इसमें कार्यकर्ता समर्पण भाव से आजीवन सहयोग निधी प्रदान करते है जिससे पार्टी की गतिविधियां संचालित होती है।
भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष सुदर्शन बाझल ने कहा कि पं।दीनदयाल ने अपना सारा जीवन सादगी के साथ बिताया है। भाजपा को खड़ा करने के लिये उन्हें कठिन परिश्रम एवं मेहनत करनी पड़ी है लेकिन उन्होंने अपना जीवन ही पार्टी के लिये समर्पित कर दिया है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे पं।दीनदयाल उपाध्याय द्वारा दिखाये गये मार्गाे पर चलते हुये पार्टी को मजबूत बनाने में सहयोग प्रदान करे। भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम दुबे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का आज जो दिव्य स्वरूप दिखायी दे रहा है वह  पं।दीनदयाल की सोच का नतीजा है ।यह पार्टी पं।दीनदयाल उपाध्याय एवं श्याम प्रसाद मुखर्जी के त्याग व मेहनत का प्रतिफल है।उन्होंने मीसा बंदी का जिक्र करते हुये बताया कि मीसा के दौरान अनेक भाजपा नेताओं को  तरह-तरह की कठिनाईयों से गुजरना पड़ा है लेकिन उन्होंने हार नही मानी और पार्टी के लिये काम करते रहे आज भाजपा का दिव्य स्वरूप  भाजपा के प्रेरणा स्त्रोत पं।दीनदयाल उपाध्याय,श्याम प्रसाद मुखर्जी जैसे अनेक नेताओं के त्याग व बलिदान का प्रतिफल है।
नगर पालिका के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने पं।दीनदयाल उपाध्याय का पुण्य स्मरण करते हुये कहा कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है इसमें कार्यकर्ता को कही न कही महत्व जरूर मिलता है। उन्होंने नगर भाजपा के सभी नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि भाजपा को मजबूत बनाने के लिये कार्यकर्ता जुट जायें ।नगर पालिका अध्यक्ष ने प्रदेश के मुखिया शिवराज ङ्क्षसह चौहान द्वारा नगर विकास के लिये दिये जा रहे योगदान के लिये आभार व्यक्त किया साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं से एक जुटता से साथ काम करते हुये पार्टी को मजबूत बनाने का आग्रह किया।भाजपा के जिला उपाध्यक्ष ज्ञान चंद सनोडिया ने कहा कि किसी भी संगठन या पार्टी को खड़ा करने के लिये कठिन परिश्रम करना पड़ता है पं।श्याम प्रसाद मुखर्जी एवं पं।दीनदयाल उपाध्याय ने अपने समर्पण से पार्टी को इस स्थिति में लाकर खड़ा किया है पार्टी ओर मजबूत बने इसके लिये उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से सेवाभाव से कार्य करने का आग्रह किया।इस कार्यक्रम में नगर भाजपा अध्यक्ष प्रेम तिवारी ने सभी नगर मण्डल के पदाधिकारी एवं उपस्थित कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया साथ ही जानकारी दी कि नगर मंडल का समर्पण दिवस कार्यक्रम संगठन मंत्री द्वारा निर्धारित तिथी में आयोजित किया जायेगा।

नवोदय विद्यालय में कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना


नवोदय विद्यालय में कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। जवाहर नवोदय विद्यालय तितरम के कर्मचारियों द्वारा चल रही देश व्यापी हड़ताल के समर्थन में सोमवार को पुनरू धरना देकर रोष प्रकट किया गया। रोषस्वरूप कर्मचारियों ने विद्यालय की छुट्टी कर दी और सभी छात्र छात्राओं को अपने घर भेज दिया। नवोदय विद्यालय के यूनिट अध्यक्ष मदनपाल ने बताया कि उनका यह धरना अब विद्यालय में अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा यह कदम देश के 595 नवोदय विद्यालयों में सी।सी।एस। पेंशन स्कीम (1972) सरकार से लागू करवाने तथा अशैक्षणिक कर्मचारियों के लिए 10 प्रतिशत विशेष भत्ता की मांग, छात्रों के लिए वार्डन पदों की नियुक्तियां, कार्य के घंटों एवं स्वरूप को स्पष्ट करने, सदन प्रभारियों का भत्ता बढ़ाने एवं अन्य मांगों को लेकर चल रही देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में उठाया गया। धरने में विद्यालय के समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर उनके द्वारा नारेबाजी कर रोष प्रकट किया गया। विदित रहे कि इससे पूर्व विद्यालय के कर्मचारियों द्वारा विद्यालय परिसर में बीते शनिवार को भी सांकेतिक धरना देकर रोष प्रकट किया गय था। 

पुलिस हिरासत से फरार हुए 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया


पुलिस हिरासत से फरार हुए 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया

(ब्यूरो कार्यालय)

कैथल (साई)। सीआईए पुलिस ने उल्लेखनीय कामयाबी हासिल करते हुए पुलिस हिरासत से फरार हुए 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को आज अदालत में पेश कर दिया गया, जहां से एक आरोपी को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में तथा दुसरे को ज्वैलरी दुकान से सेंधमारी के मामले में 1 दिन का पुलिस रिमांड हासिल किया गया है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि सीआईए पुलिस के एएसआई अजीत राय ने 30 जनवरी की रात पाडला के पास से लुट की योजना बना रहे 3 आरोपी गिरफ्तार किए थे, जिनसे अवैध पिस्तौल व अन्य हथियार बरामद किए गये। आरोपी गुरजीत वासी शिवकलोनी, सन्नी वासी पानीपत तथा अनिल वासी कारखाना जिला जींद रात्री समय थाना सदर में पुलिस हिरासत से फरार होने में कामयाब हो गये थे। पुलिस प्रवक्ता ने बताया इंस्पेक्टर राजकुमार की अगुवाई में सीआईए पुलिस के एएसआई अजीत राय की टीम नें बस स्टैंड नरवाना जिला जींद से आरोपी गुरजीत उर्फ लम्बु वासी शिवकलोनी कैथल को गिरफ्तार कर लिया। दुसरे आरोपी सन्नी को एएसआई अजीत राय ने तत्परता व मुस्तैदी का परिचय देते हुए आज सुबह पानीपत से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी गुरजीत ने पुछताछ उपरांत कबुला कि उन्होनें 5 जनवरी की रात अपने साथियों सहित कांगथली में एक ज्वैलरी दुकान का शटर तोड़कर सोना-चांदी जेवरात चोरी किए थे। गौरतलब है कि बस अड्डा कांगथली के पास डोहर वासी जयङ्क्षसह की करीब 11 वर्ष से सोना चांदी जेवर की दुकान है, जहां से अज्ञात व्यक्ति लाखों रुपये की संपत्ती चुरा ले गये। सेंधमारी मामले में व्यापक जांच हेतु आरोपी गुरजीत का न्यायालय से 1 दिन का पुलिस रिमांड हासिल किया गया है।
वहीं  थाना राजौंद पुलिस ने चोरी के मामले में 2 आरोपी गिरफ्तार किए है, जिनके कब्जा से 25 हजार रुपये मुल्य की चोरीशुदा झोटा से चलने वाली बुग्गी बरामद कर ली गई। दोनों को आज अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जहां से एक बाल अपराधी को जमानत पर रिहा व दुसरे को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया नंदकरण माजरा वासी किसान जयभगवान अपनी झोटा बुग्गी को रात के समय मकान के नजदीक खड़ी करता था। 27 जनवरी की रात अज्ञात व्यक्ति 25 हजार रुपये मुल्य की बुग्गी चुरा ले गये। प्रवक्ता ने बताया मामले की जांच एएसआई राजकुमार ने करते हुए आरोपी कर्ण ङ्क्षसह व महीपाल वासीयान करोड़ा को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जा से चोरीशुदा संपत्ती बरामद कर ली गई है।
ताश से जुआ खेलने के 2 मामलों में पुलिस ने 9 आरोपी गिरफ्तार कर उनके कब्जा से हजारों रुपये नगदी व ताश गड्डीयां बरामद की है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया शहर पुलिस के एएसआई दलबीर ङ्क्षसह ने सांयकालीन गस्त दौरान एक गुप्त सुचना पर लोहार मार्किट रेलवे रोड़ पर रेड मारते हुए 4 आरोपी काबु किए है। आजाद नगर वासी राकेश, डोगरा गेट वासी मनोहर, शक्ति नगर वासी हंसराज तथा चंदाना वासी सुनील को गिरफ्तार करते हुए उनके कब्जा से 1350 रुपये जुआ राशी ताश गड्डी बरामद की गई। एक अन्य मामले में राजौंद पुलिस के हेडकांस्टेबल रोहताश कुमार ने अनाज मंडी सेरधा में रेड मारते हुए ताश से जुआ खेल रहे 2 आरोपी रिशीपाल व रणधीर वासी सेरधा को व बाद में आज मौका से फरार हुए आरोपी कर्मङ्क्षसह, प्रवीन तथा दिलबाग वासी सेरधा को गिरफ्तार कर लिया है।