लगातार नाकामियों
का आखिरी नतीजा कर्फ्यू
(हिमांशु कौशल)
सिवनी (साई)। छपारा
मे घटित एक अप्रिय घटना से जुड़ी अफवाहों की आग ने जिला मुख्यालय को अप्रिय घटनाओं
के दावानल में झुलसा दिया। लगातार फैल रही इन अप्रिय घटनाओं को प्रशासन धारा 144 और बाहर से फोर्स
बुलाकर रोकने मे नाकाम रहा। इसके बाद प्रशासन ने शुक्रवारी मे लाठी चार्ज करने के
आदेश दिये लेकिन इस आदेश ने एक ओर बाहरी पुलिस फोर्स को प्रताड़ित करने की शक्ति दे
दी थी, वहीं दूसरी
ओर घरों से बाहर जो लोग थे उन्हें लाचार और असुुरक्षित बना दिया था। इसके बाद प्रशासन ने आनन फानन मे कर्फ्यू लगा
दिया। कर्फ्यू और पुलिस के बीच फंसे लाचार लोगों
की जब प्रशासन को याद आई तो उसने घर लौटने के लिये मात्र 10 मिनिट का समय देकर
अपनी गलती सुधारने की कोशिश की और अनिश्चितकाल के लिये सख्त कर्फ्यू लगा दिया। अगर
समय रहते सटीक प्रशासनिक निर्णय लेकर इनका कठोरता से पालन किया जाता तो स्थिति
कर्फ्यू तक नहीं पहुँचती।
ज्ञातव्य है कि
छपारा में हुई घटना के विरोध स्वरूप विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के
कार्यकर्ताओं द्वारा 06 फरवरी को सिवनी बंद का आव्हान किया गया था। रैली का उद्देश्य
जानते हुए पुलिस ने इसकी सुरक्षा व्यवस्था की। पुलिस के साथ ये रैली छोटी मस्जिद
चौंक पहुँची थी इसके बाद स्थिति बिगड़ गयी, बिगड़ती स्थिति हर तरह से काबू पाने योग्य थी, पर प्रशासन मात्र थोड़े से असमाजिक तत्वों पर काबू नहीं पा
पाया जिसके कारणजिला कलेक्टर को दोपहर 03 बजे पूरे जिले मे धारा 144 लगानी पड़ी। इस समय
तक बाहर से फोर्स आ चुकी थी।
प्रशासन से अपेक्षा
थी कि दोपहर को आ चुकी बाहर की फोर्स से फ्लेग मार्च कराया जायेगा किन्तु पता नहीं
क्यों फ्लेग मार्च नहीं कराया गया। धारा 144 का उल्लंघनभी लोग लगातार कर रहे थे, लोग समूह मे बातें
कर रहे थे पर किसी पर कोई कार्यवाही की ही नहीं गयी। रात मेभी प्रशासन ने कोई
सख्ती नहीं दिखायी आधी रात 12 बजे से लेकर देर रात 03 बजे तक थाने के
बाजू स्थित बस स्टैंड मे लोगों का हुजूम जमा था। इन लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं
की जा रही थी। नतीजन मुस्तैदी के आ ाव में रात लग ग 03 बजे किसी को अच्छी
न लगने वाली दूसरी संवेदनशील घटना हुई।
जिस किसी कोभी रात
की घटना के बारे मे पता चला वह सोचते रह गया कि जब 07 तारीख की दोपहर 03 बजे विहिप के आंदोलन के बाद ही धारा 144 लगा दी गयी थी और
बाहर की फोर्सभी आ चुकी थी तो 12 घंटे बाद दूसरी संवेदनशील घटना कैसे हो
गयी। और अगर घटना हुई तो इसका जिम्मेदार अकेले असमाजिक तत्वों को क्यों माना जाये? आखिर धारा 144 मे बाहर की फोर्स
आने के बादभी जारी शिथिलता के कारण घटना घटित हुई थी।
देर रात हुई उक्त
संवेदनशील घटना के बादभी प्रशासन नहीं जागा। बताया जाता है कि इस घटना के बाद
जिम्मेदार लोगों ने प्रशासन से कहा गया था कि अब धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर
विशेष ध्यान देना चाहिये। प्रशासन अगर सभी धार्मिक स्थलों की समिति के सदस्यों को
अपने अपने स्थलों की सुरक्षा हेतु कड़ी हिदायत दे देता तो आगे कोईभी अप्रिय स्थिति
निर्मित नहीं होती और न कर्फ्यू लगता न ही मीडिया पर अघोषित सेंसरशिप।
देर रात हुई घटना
के बादभी 07 फरवरी की
सुबहभी कोई फ्लेग मार्च नहीं कराया गया जबकि बाहर की फोर्स 18 घंटे पहले आ चुकी
थी। 07 फरवरी की
सुबह 10-11 बजे सड़को मेभीड़ जमा थी। लग ही नहीं रहा था कि
किसीभी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिये प्रशासन तैयार है। इसके बाद अचानक पूरा
बुधवारी, नेहरू रोड
और शुक्रवारी बंद हो गया और मीडिया वालों के कानो तक यह बात पहुँची कि छोटी मस्जिद
चौंक मे लोग इकट्ठा हो रहे हैं। मौके पर
पहुँचकर देखा गया तो वाकई ऐसा हो रहा था और हैरान कर देने वाली बात यह थी कि
प्रशासन धारा 144 के बादभी
कोई एक्शन नहीं ले रहा था। इसके बाद छोटी मस्जिद चौक मे इकट्ठा हुए लोगों को समझा
बुझाकर एडवोकेट जकी अनवर खान, नपा उपाध्यक्ष राजिक अकील, असलम ाई, इमरान पटेल, शोएब राजा, पार्षद इब्राहिम ाई
आदि ने दोपहर लग ग 01 बजे के
बाद थाने मे आईजी से मुलाकात कर कहा कि साहब हमने तो सब शांत करा दिया है पर हर
समाज मे ऐसे लोग होते हैं जो न अपने मॉ बाप की सुनते हैं, न ही समाज की। अतः
धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिये। इस नेक सलाह पर प्रशासन ने
कितना ध्यान दिया ये किसी से छुपा नहीं है।
इसके बाद 07 फरवरी की शाम को
ही 07 बजे पुनः
चित्रगुप्त मंदिर के बाजू स्थित हनुमान मंदिर मे पुनः अप्रिय घटना हो गयी। ये घटना
बीती रात 03 बजे हुई
पहली अप्रिय घटना के 15 घंटे बाद हुई थी। दो अप्रिय घटनाओं के बीच का अंतराल 15 घंटे था और इन 15 घंटों मे प्रशासन
ने बाहर की फोर्स आने के बादभी कुछ नहीं किया, फ्लेग मार्च तक
नहीं निकाला, असमाजिक
तत्वों, विद्वेष
फैलाने वालों को हिरासत मेभी नहीं लिया, समाज के लोगो से मिल उन्हें शांति बनाये
रखनेभी नहीं कहा, ऐसा एक?भी कदम नहीं उठाया
जो ऐसी परिस्थितियों में उठाया जाना आवश्यक समझा जाता है।
शाम 07 बजे जैसे ही
चित्रगुप्त मंदिर के बाजू स्थित हनुमान मंदिर मे हुई घटना की खबर फैली। टी।आई
पहुँच गये तब तक वहाँभीड़ जमा नहीं हो पायी थी किन्तु प्रशासनभीड़ जमा होने से ना
रोक सका। एक-एक कर बजरंग दल,विहिप और इनकी आड़ मे असमाजिक तत्व वहाँ
पहुँचने लगे। धारा 144 मे पुलिस
इनसे निवेदन करती रही कि हमे जप्ती बनाने दो पर विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं
ने मंदिर मे ताला लगा दिया गया। पुलिस जप्ती नहीं पायी। मौके परभीड़ बढ़ते गयी।
प्रशासन न जप्ती बना पा रहा था न हीभीड़ लगने से रोक पा रहा था। कलेक्टर एसपी इतनी
संवेदनशील स्थिति के बादभी मौके पर नहीं आये और न ही मौके पर मौजूद पुलिस को इतने
पर्याप्त निर्देश दिये कि वो स्थिति को सं ाल पाये। हाँ, एसडीएम शहर, नायब तहसीलदार आदि
मौके पर थे और अपने स्तर पर हर सं व प्रयास कर रहे थे।
इस दौरान मौके पर
सीए अखिलेश शुक्ल डुल्लू, लिमटी खरे, संजय तिवारी, हिमांशु कौशल, अजय बाबा पांडे, महाकौशल विकास
प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर, सुजीत जैन और मोहल्ले पड़ोस के बहुत सारे लोग
उपस्थित थे जो कोशिश कर रहे थे कि पुलिस को अपनी कार्यवाही पूरी करने मिल जाये पर
मंदिर बंद कर खड़े असमाजिक तत्व किसी की सुन ही नहीं रहे थे और पुलिसभी उनके सामने
लाचार थी। प्रेस, प्रतिष्ठित
लोग और जनप्रतिनिधि लगातार मौके पर उपस्थित अधिकारियों से बात कर रहे थे।
फिर अचानक रात 09 बजे के कुछ पहले
पाइंट जारी हुआ कि लाठी चार्ज कर दिया जाये और शुक्रवारी मे एसएएफ ने लाठी चार्ज
कर दी। लाठी चार्ज करने से गदड़ मच गयी और पुलिस ने शुक्रवारी, नेहरू रोड, कटंगी रोड घेर
लिया। अब असमाजिक तत्वों के साथ अच्छे लोगभी घिर गये, असमाजिक तत्वों मे
से जो किसी के घर घुस गये वो तो ठीक है पर बाकियों पर पुलिस ने लाठी ांजी। इसके
बाद सन्नाटा छा गया पूरी शुक्रवारी छावनी बना दी गयी और फिर सख्त कर्फ्यू लागू
किया गया।
कर्फ्यु लागू होने
की सूचना आसपास के ग्रामीण इलाको मे अच्छी तरह नहीं फैल पायी थी क्योंकि कर्फ्यू
रात को लगा था। सुबह अखबारों पर अघोषित सेंसरशिप लगा दी गयी थी। अखबारों का वितरण
न होने से आस पास के गाँवों मे लोगों को कर्फ्यू की खबर नहीं पहुँच पायी जिसके
कारण हुआ ये कि स्कूली बच्चे बढ़िया तैयार होकर और दूध वाले व कुछ अन्य लोगभी नगर
सीमा मे आ गये। इनमे से अनेक पुलिस की लाठी का शिकार बने। बाद मे पुनः पाइंट जारी
किया गया कि ऐसा न किया जाये पर तब तक पुनः पुलिस अपना रूप दिखा चुकी थी। इसके बाद
नल नहीं खुलने दिया गया लोग दूध के साथ साथ पानी को तरस गये। जो पहले से बीमार थे
या बीती रात पुलिस से घायल हुए थे वे इलाज को तरस गये।
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