शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

आजाद मुल्क के छियासठ साल, क्या खोया क्या पाया

आजाद मुल्क के छियासठ साल, क्या खोया क्या पाया

(लिमटी खरे)

भारत देश 1947 में 14 और 15 अगस्त की दर्मयानी रात को आजाद हुआ था। भारत देश को आजाद कराने में आजादी के मतवालों ने क्या क्या जुल्म नहीं सहे। फिरंगियों ने भारत के शूरवीरों पर क्या क्या सितम नहीं ढाए। आज जवान हो चुकी पीढ़ी को इस बात का इल्म नहीं होगा कि आजादी कितनी मुश्किल से हमें मिल सकी है। दरअसल शिक्षा को लेकर नित नए प्रयोगों से आज की युवा पीढ़ी इस बात से अनिभिज्ञ है कि आजादी किस कीमत पर हमें मिली है।
आज 15 अगस्त (स्वाधीनता दिवस) या 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) या 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) के मायने अवकाश का और ड्राय डे (जिस दिन मदिरा का विक्रय प्रतिबंधित होता है) के रूप में जाना जाने लगा है। संजय दत्त अभिनीत लगे रहो मुन्ना भाईमें भारत की शिक्षा प्रणाली पर जमकर प्रहार किया गया था, बावजूद इसके हुक्मरान चेत नहीं सके हैं। आज की युवा पीढ़ी मुन्ना भाई के सर्किट की तरह दो अक्टूबर पर ड्राय डे है कहकर मदिरा का स्टाक करने में जुट जाता है।
सिवनी की अगर बात की जाए तो सिवनी में आजादी के 66 सालों में से आधे समय अर्थात 33 साल ही महत्व के माने जा सकते हैं। इन 33 सालों अर्थात अस्सी के दशक के आगाज तक ही सिवनी में मूल्य आधारित राजनीति होती आई है। इसी दौरान सिवनी के विकास का ताना बाना बुना गया। सिवनी के लिए अगर किसी ने कुछ किया है तो वे हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा। कायस्थ कुल में जन्मीं सुश्री वर्मा ने अपना सारा जीवन सिवनी को न्योछावर किया है।
सिवनी में आयुर्विज्ञान संस्थान (मेडीकल कालेज) की क्षमता वाला जिला चिकित्सालय हो, एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध, संजय सरोवर परियोजना का भीमगढ़ डेम हो, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय हो, सिंचाई विभाग का मुख्य अभियंता कार्यालय हो, लोक कर्म विभाग का अधीक्षण यंत्री कार्यालय हो, राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्यपालन यंत्री कार्यालय हो (जो कुछ सालों पहले यहां से उठकर चला गया है), दूध डेरी हो, सब कुछ सुश्री विमला वर्मा की देन है।
सुश्री विमला वर्मा को उनके इर्द गिर्द घूमने वालों ने ही षणयंत्र के तहत घर बिठा दिया। जैसे ही सुश्री वर्मा ने सक्रिय राजनीति से किनारा किया वैसे ही कांग्रेस के मौका परस्त लोगों ने शहनाई बजाई, उत्सव का आयोजन किया, राग मल्हार गए, और फिर हुई हरवंश सिंह ठाकुर की ताजपोशी। हरवंश सिंह ठाकुर के हाथों जैसे ही सिवनी में कांग्रेस की कमान आई, उसके बाद से सिवनी में सियासी अवमूल्यन आरंभ हो गया।
कहते हैं कि हरवंश सिंह के तबले की थाप पर ना केवल कांग्रेस वरन् भाजपा का संगठन भी कत्थक करता आया है। वरना क्या कारण है कि आमानाला जैसे काण्ड में हरवंश सिंह के खिलाफ भाजपा की पूर्व सांसद और वर्तमान विधायक बंडोल थाने से चालान कोर्ट में पेश नहीं करवा सकीं। अंततः नाटकीय तरीके से हरवंश सिंह को ही इस प्रकरण की समयसीमा समाप्त होने के चलते खात्मा का आवेदन देना पड़ा। यह भाजपा संगठन के मुंह पर एक जबर्दस्त तमाचे से कम नहीं है, जिसकी गूंज गत दिवस सिवनी के कार्यकर्ता सम्मेलन में नरेश नीता हटाओ, भाजपा बचाओनारे के रूप में सुनाई दी गई है।
हरवंश सिंह को काफी साल पहले मनराखनलालनाम दिया गया था। हरवंश सिंह ने दिग्विजय सिंह, अर्जुन सिंह, कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुंदर लाल पटवा, उमा भारती, बाबू लाल गौर, शिवराज सिंह चौहान सहित कांग्रेस और भाजपा के ना जाने कितने क्षत्रपों को साधा था। उनकी अंतिम यात्रा में कांग्रेस के नेता तो रस्म अदायगी कर रवाना हो गए पर भाजपा के नेता अंत तक रूके रहे, यह जीता जागता प्रमाण था हरवंश सिंह की लोकप्रियता का।
हरवंश सिंह ठाकुर ने लगभग 25 सालों तक सिवनी में कांग्रेस की कमान परोक्ष तौर पर संभाली और सिवनी में सत्ता की धुरी बने रहे। हरवंश सिंह ठाकुर का मीडिया प्रबंधन कौशल गजब का था। यह प्रबंधन कौशल सिवनी को छोड़कर अन्य जिलों के लिए तारीफे काबिल था। सिवनी में तो उनके चंद गुलामकथित मीडिया मुगलोंने हरवंश सिंह को भगवान बनाने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी थी। आज वे ही कथित मीडिया मुगलहरवंश सिंह के पुत्र का कुछ नेता नुमा ठेकेदारों के चाहने पर विरोध करते नजर आ रहे हैं।
हरवंश सिंह के खाते में सिवनी में एसटीडी सुविधा के अलावा और कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। हरवंश सिंह ने सिवनी को जलावर्धन योजना की सौगात दी है। करोड़ों अरबों रूपए खर्च करने के बाद भी आज सिवनी के नागरिकों को एक वक्त भी साफ शुद्ध पेयजल मुहैया नहीं हो पा रहा है जबकि यह दो वक्त पानी देने के लिए बनी थी। इस मामले में उस समय के विधायक नरेश दिवाकर, उर्मिला सिंह, बेनी परते, शशि ठाकुर, डॉ.ढाल सिंह बिसेन, कमल मस्कोले, श्रीमति नीता पटेरिया ने कभी आवाज नहीं उठाई। आज किस मुंह से ये नेता जनता का सामना करने का साहस जुटा पा रहे हैं, जबकि ये कांग्रेस के क्षत्रप हरवंश सिंह का विरोध ही नहीं कर पाते थे।
आज यह सोचना बेहद जरूरी हो गया है कि आजादी के इन 66 सालों में हमने क्या पाया? क्या खोया है? जो मिला है वह सुश्री विमला वर्मा ने दिया है पर उसे भी आज के नेता संभाल कर नहीं रख पा रहे हैं। सिवनी में कांग्रेस भाजपा के नेता स्थानीय समस्याओं से विमुख हैं। देश और प्रदेश सरकार पर तोहमत लगाना उनका प्रिय शगल बनकर रह गया है। स्थानीय समस्याओं पर एक शब्द भी बोलना उनकी शान के खिलाफ है।
अगर देश प्रदेश की सरकारों की इतनी ही चिंता है तो हमारी निजी राय में बेहतर होगा कि वे दिल्ली या भोपाल में जाकर बयानबाजी करें। सिवनी की जनता को स्थानीय समस्याओं से मुक्त कराने में आखिर इन नेताओं की जान क्यों निकल जाती है। जाहिर है हर कोई किसी ना किसी से कहीं ना कहीं उपकृत है। अगर विधायक के खिलाफ बोला तो हमारी . . . बंद हो जाएगी? अध्यक्ष अपना वाला है, हमें क्या करना है, उसकी पूंछ पर क्यों पैर रखें, क्यों खुजाएं जबरन? जैसे जुमलों में ही इन नेताओं की जनसेवा हो जाती है। अंततः ये नेता अपना पूरा हुनर केंद्र की कांग्रेस और प्रदेश की भाजपा सरकार पर दिखाते नजर आते हैं।
आज अगर आप जहां खड़े हैं वहां से देखें तो सियासी बियावान में नैतिक मूल्यों का पतन साफ तौर पर पाएंगे। सिवनी के विकास के मामले में विज्ञप्तिवीर प्रवक्ता और नेताओं ने जिले की जनता को भरमाने का कुत्सित प्रयास किया है, जिसकी निंदा की जानी चाहिए। इन नेताओं को इस बात से सबक लेना चाहिए कि आज हरवंश ंिसंह ठाकुर जैसे कद्दावर क्षत्रप के अवसान के बाद कुंवर शक्ति सिंह और राजा बघेल जैसे नेता प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर उनकी मिट्टी खराब करने से नहीं चूक रहे हैं। आज जो स्थिति का निर्माण हुआ है उससे निश्चित तौर पर हरवंश सिंह से दिल से जुड़े लोग अवश्य आहत हो रहे होंगे।

इसी बात को समझना जरूरी है कि हम आज चंद सिक्कों की खनक के लिए अपना दीन ईमान पैसा ना बनाएं, आने वाली पीढ़ी आपको कोसेगी या पूजा करेगी यह बात सिवनी में ही साफ हो रही है। एक ओर जीते जी सुश्री विमला वर्मा की तारीफों में कशीदे गढ़े जा रहे हैं वहीं, दूसरी और अवसान के बाद भी हरवंश सिंह की मिट्टी पलीत की जा रही है। सोचना सिवनी के सियासी बियावान में विचरण करने वाले नेताओं को है, कि वे आने वाले समय में अपनी छवि किस तरह की बनाना चाहते हैं? आज समय है हम अपने आने वाली पीढ़ी को सुसंस्कृत, आशावादी, पढ़ी लिखी बनाना चाह रहे हैं, या उसके हाथ में माउजरदेकर उसे सट्टा विशेषकर क्रिकेट सट्टा किंग, जुंए की फड़ का संचालक, रंडी नचाने वाला, आतंक बरपाने वाला बनाना चाह रहे हैं?

सद्भाव पर किया कलेक्टर ने ढाई करोड़ का जुर्माना

सद्भाव पर किया कलेक्टर ने ढाई करोड़ का जुर्माना

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी भरत य्ाादव ने शासकीय्ा भूमि पर गौण खनिज गिट्टी के अवैध भंडारण के लिय्ो मेसर्स सद्भाव इंजीनिय्ारिंग प्रा.लि. कंपनी, कैम्प बटवानी तहसील व जिला सिवनी पर २ करोड ४१ लाख ५0 हजार रूपय्ो का जुर्माना लगाय्ाा है।
जिला दंडाधिकारी न्य्ााय्ाालय्ा द्वारा १४ अगस्त को इस आशय्ा का आदेश पारित किय्ाा गय्ाा है। मध्य्ाप्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) निय्ाम २00६ के अंतर्गत मेसर्स सद्भाव इंजीनिय्ारिंग प्रा.लि. कंपनी, कैम्प बटवानी, तहसील व जिला सिवनी पर लगाय्ाा गय्ाा य्ाह जुर्माना इस कंपनी द्वारा शासकीय्ा भूमि पर अवैध रूप से भंडारित एवं जब्त की गई ६९00 घनमीटर गौण खनिज गिट्टी के बाजार मूल्य्ा २४,१५,000 रूपय्ो के ठीक दस गुना के बराबर है।
कंपनी द्वारा अर्थदंड की राशि शासकीय्ा कोष में जमा करने के उपरांत ही प्रकरण में जब्त की गई गौण खनिज गिट्टी जब्ती से मुक्त कर कंपनी को सौंपने के आदेश जारी किय्ो गय्ो है। अर्थदंड की राशि जमा न करने पर जब्त गौण खनिज ६९00 घनमीटर गिट्टी शासन के पक्ष में राजसात कर ली जाय्ोगी।
प्रकरण कुछ य्ाूं है कि खनिज निरीक्षक सिवनी द्वारा ७ जुलाई २0११ को ग्राम फुलारा, तहसील व जिला सिवनी स्थित शासकीय्ा भूमि खसरा नंबर १८७ का निरीक्षण किय्ाा गय्ाा था। इस भूमि पर मेसर्स सद्भाव इंजीनिय्ारिंग प्रा.लि. कंपनी, कैम्प बटवानी द्वारा ६९00 घनमीटर गौण खनिज गिट्टी अवैध रूप से संग्रहित/भंडारित करना पाय्ाा गय्ाा। खनिज निरीक्षक ने जांच प्रतिवेदन तैय्ाार कर प्रकरण जिला दंडाधिकारी न्य्ााय्ाालय्ा सिवनी में लगा दिय्ाा। प्रतिवेदन/प्रकरण के आधार कंपनी को ६९00 घनमीटर गौण खनिज गिट्टी के बाजार मूल्य्ा २४,१५,000 रूपय्ो की दो गुना राशि अर्थात ४८,0,000 का अर्थदंड लगाने के लिय्ो २२ नवंबर २0११ को शोकॉज नोटिस जारी किय्ाा गय्ाा।
कंपनी द्वारा नोटिस का लिखित उत्तर एक मार्च २0१२ को प्रस्तुत किय्ाा गय्ाा। जिसमें कंपनी ने जिला दंडाधिकारी न्य्ााय्ाालय्ा में गौण खनिज के भंडारण के लिय्ो अनुमति देने का आवेदन दिय्ाा, जो कि सुनवाई के उपरान्त तत्कालीन पीठासीन अधिकारी द्वारा निरस्त कर दिय्ाा गय्ाा। भंडारण की अनुमति प्राप्त न होने के बावजूद भी कम्पनी द्वारा शासकीय्ा भूमि पर अवैध भंडारण के लिय्ो की गई स्वीकारोक्ति के आधार पर अधिरोपित अर्थदंड की राशि जमा न करने और अवैधानिक रूप से गौण खनिज का भंडारण किय्ाा जाना प्रमाणित होने पर जिला दंडाधिकारी भरत य्ाादव द्वारा जब्त खनिज के बाजार मूल्य्ा की दुगनी राशि के स्थान पर बाजार मूल्य्ा की दस गुनी राशि का अर्थदंड लगाय्ाा गय्ाा है।

भाजपा का हुआ कांग्रेसीकरण

भाजपा का हुआ कांग्रेसीकरण

पदलोलुपता ने दिलाई संघ और भाजपा के सारे सिंद्धांतो को तिलांजलि

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। पार्टी विद डिफरेंस और स्वयं को कथित रूप से रा.स्व.संघ के अनुशासन और सिद्धांतों का ध्वजवाहक प्रचारित करने वाली भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों की पोल सरे राह 13 अगस्त को सड़को पर खुलती दिखाई दी।
अवसर था प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर तीसरी बार सरकार बनाने के प्रयास में कार्यकर्ताओं में उर्जा भरने के आशय से विधानसभा स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का जिसमें प्रदेश संगठन महामंत्री अरविदं मेनन और प्रदेश सरकार के पशुपालन मंत्री तथा पड़ौसी जबलपुर जिले की पाटन जो परिसीमन के पूर्व तक इसी सिवनी संसदीय क्षेत्र का अंग था के विधायक अजय विश्नोई को पंहुचना था किंतु परिस्थितियों को भांप कर अरविंद मैनन तो अपना कार्यक्रम निरस्त कर गये किंतु पूर्व से सिवनी से परिचित और किसी समय प्रदेश मंत्री के रूप में सिवनी जिले के प्रभारी रहे विश्नोई को इस मंशा से सिवनी भेज दिये कि शायद पूर्व परिचय के आधार पर वे जिले के कार्यकर्ताओं को समझाने में सफल हो जाायेंगे।
कहा जा रहा है कि नेताद्वय का वह पूर्वानुमान सार्थक नहीं हो पाया। लगातार कार्यक्रम बनाकर उसे तीन चार बार निरस्त कर चुके अरविंद मेनन की कार्यशैली और स्थानीय नेताओं की कार्यप्रणाली से कथित रूप से त्रस्त सिद्धांतवादी भाजपा के कार्यकर्ता इतने आक्रोशित हुए कि अपने ही नेताओं के हटाओं और मुर्दाबाद के नारे सड़को पर लगाने लगे।
जब से स्थानीय कार्यकर्तााओं का इस बात की भनक लगी है कि प्रदेश के संगठन महामंत्री के नाते टिकट वितरण के सर्वाधिक शक्तिसंपन्न अरविंद मैनन ने छिंदवाड़स में सिवनी विधानसभा के तीनों संभावित सवर्ण वर्र्गीय प्रत्याशियों को इस बार शंात रहने की फटकार लगाई है और प्रदेश के नेतृत्व इस बार किसी पिछड़ा वर्ग के नेता को सिवनी से उम्मीदवार बनाने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है तब से ही समूचे जिले के पिछ़ा वर्ग के तमाम नेता अपना पूरा ध्यान सिवनी पर केंद्रित कर चुके हैं।
माना जा रहा है कि उस की ही एक झलक गत 13 अगस्त को पैराडाइज लॉन में दिखाई दी थी। यद्यपि पिछड़ा वर्ग के नेताओं के प्रयासों और महत्वाकांक्षाओं को अनुचित नही कहा जा सकता किंतु अभिव्यक्ति का तरीका किसी भी द्रष्टि से सही नहीं माना जा सकता।
राजनीति में महत्वाकांक्षा एक अच्छा लक्षण माना जाता है किंतु उसे प्राप्त करने के लिये सीमाओं का उल्लंघन किसी भी सभ्य समाज विशेषकर सिद्धांतों पर आधारित राजनीति करने का दम भरने व वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं को शोभ नहीं देता। 13 अगस्त की घटना से यह तो कुछ हद तक सामने आ गया है कि सत्ता के तामझाम के वशीभूत होकर बड़ी संख्या में ऐसे लोग भाजपा के परिवार में शामिल होते जा रहे हैं जिन्हे पार्टी के सिद्धांतों की न तो जानकारी है और न ही वे उसे समझना चाहते है।
इसके साथ ही पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों को भी इस बात पर गहन चिंतन करना नितांत आवष्यक है कि परिवार के विस्तार की अंधीदौड़ में वे ऐसे लोगों को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं जो किसी भी समय स्वयं उनके लिये ही भस्मासुर बनने से नहीं चूकते हैं।
पार्टी के प्रति समर्पित और निःस्वार्थ रूप से सेवा करने वाले कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर अवसरवादी तत्वों को प्रोत्साहित करने का ऐसा खमियाजा तो नेताओं को भोगना ही पड़ता है और उसका प्रदर्शन 13 अगस्त की भंाति हो तो उसके लिये स्वयं नेताओं को ही आत्मावलोकन करना चाहिये।

कारण और परिणाम चाहे जो भी हों कितंु 13 अगस्त की घटनाये जिला विशेषकर सिवनी विधानसभा क्षेत्र कि लिये शुभ लक्षण नहीं मानी जा सकती। जिला मुख्यालय से चलने वाली बयार यदि जिले भर में फैल गई तो ऐसा न हो कि 1978 का इतिहास दोहरा जाये जब प्रदेश में तो जनता पार्टी की सरकार थी किंतु जिले की सभी पाचं सीटों पर कांग्रेस का परचम फहराया था, यदि जिले के लिये ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण समय आया तो जिले के विकास का जो अपूर्णनीय नुकसान होगा उसके के लिये जिले की जनता सत्ताधारी दल के पदाधिकारयिां ओर कथित रूप से अपना अधिकार मांगने वाले नेतओं को कभी माफ नहीं करेगी।