कैसे आए सिवनी की
बिगडै़ल यातयात व्यवस्था पटरी पर!
(लिमटी खरे)
जिला मुख्यालय
सिवनी में यातायात का बुरा हाल है। हर दस कदम पर एक बस स्टेंड है। हर सड़क पर
यात्री वाहन रेंगते चलते हैं। रास्ते में सवारी मिल जाने पर वाहन किनारे करने की
जहमत तक नहीं उठाते हैं बस चालक। बीच सड़क पर ही बस रोककर सवारी भरी जाती हैं। यहां
बस सड़क पर यातायात के नियमों को तोड़ती नजर आती है वहीं दूसरी ओर यातायात पुलिस के
दरोगा सिपाही दस कदम की दूरी पर पूरी मुस्तैदी के साथ दुपहिया वाहन चालकों या फिर
ट्रेक्टर टक्सियों से चौथ वसूली में लगे रहते हैं।
सिवनी की बिगड़ैल
यातायात व्यवस्था की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। शहर की सड़कों
का सीना रोंदती टेक्सी, ट्रेक्टर, भारी वाहन, बस, दुपहिया और
अर्थमूवर्स भी आवागमन को बाधित करने के साथ ही साथ यातायात के नियमों को धता बताती
नजर आती है।
सिवनी की सड़कें अब
अतिक्रमण के चलते तंग गलियों में तब्दील हो गई हैं। रात होते ही चौड़ी सड़कें सूरज
के निकलने के बाद सकरी गलियों में तब्दील होने लगती हैं। सड़कों के किनारों का
फुटपाथ अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है। शहर के बाजार में बुरे हाल हैं। व्यापारियों
ने अपने अपने प्रतिष्ठान के सामने की सड़क पर सामान बिखरा रखा है। सड़क का उपयोग
पार्किंग के लिए किया जा रहा है।
हिन्द गजट को दिए
पहले साक्षात्कार में जिला कलेक्टर भरत यादव एवं जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला
ने शहर की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ठोस पहल का आश्वासन दिया था।
इस संबंधमें यातायात व्यवस्था को लेकर एक अहम बैठक का आयोजन भी किया गया था, किन्तु दुर्भाग्य
ही कहा जाएगा कि नतीजा सिफर ही रहा।
नेशनल परमिट पर
अवैध रूप से स्टेट कैरिज के रूप में यात्री वाहनों का संचालन होता है। नेशनल या टूरिस्ट
परमिट में एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रियों को ले जाने के लिए अर्थात
ओरिजनेशन टू डेस्टीनेशन के लिए होता है। स्टेट कैरिज में वाहन उन स्थानो।पर रूककर
यात्रियों को उतार और चढ़ा सकता है जहां जहां का परिमट उसे परिवहन आयुक्त द्वारा
दिया जाता है।
अवैध रूप से चलने
वाली वीडियो कोच यात्री बसों के चलते मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम का बट्टा बैठ
चुका है। अस्सी के दशक के आरंभ के साथ ही अवैध टूरिस्ट परमिट बसों का संचालन सिवनी
में आरंभ हुआ था। उस समय तारा ट्रेवल्स रीवा की नागपुर इलाहाबाद और प्रयाग
ट्रेवल्स की परासिया इलाहाबाद बस संचालित होती थी। ये बस एक मिनिट को सिवनी में बस
स्टेंड पर रूका करती थीं। उस दौर में इन पर कोई सख्ती नहीं की गई। आज ना जाने
कितनी अवैध बसें सड़कों का सीना चीर रही हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश सड़क
परिवहन निगम तालाबंदी की ओर अग्रसर हुआ।
आज यातायात पुलिस
की नजरों के सामने से बस स्टेंड पर एक दरवाजे वाली बस आती जाती हैं। इतना ही नहीं
स्लीपर कोच भी अवैध रूप से ही संचालित हो रही हैं। बस स्टेंड परिसर के अंदर ही
यातायात पुलिस की चौकी भी स्थापित है, क्या यातायात पुलिस के नुमाईंदों को एक
दरवाजे वाली बस दिखाई नहीं देती है? अगर दिखाई दे रही है तो इस पर कार्यवाही
क्यों नहीं की जाती?
क्या जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ल अपने मातहत यातायात
प्रभारी से यह पूछने की जहमत उठाएंगे कि अब तक कितनी एक दरवाजे वाली बस के चालान
किए गए?
यातायात पुलिस महज
रस्म अदायगी के लिए दो पहिया वाहन चालकों का चालान बनाकर उनसे राजस्व वसूली का काम
करती है। यात्री बसों का एक चालान हर महीने का तय है। क्या कारण है कि हर महीने बस
एक चालान कर ही यातायात पुलिस मौन साध लेती है?
बस स्टेंड पर भी
अराजकता साफ दिखाई देती है। जिसका जहां मन आता है वहां वाहन खड़ा कर देता है।
सोहाने पेट्रोल पंप के पीछे की ओर मेक्सी कैब का कब्जा है तो मुख्य बस स्टेंड वैध
और अवैध यात्री बसों का कोहराम मचा हुआ है। प्राईवेट बस स्टेंड पर नागपुर और
जबलपुर जाने वाली अवैध बस धमाचौकड़ी मचाती रहती हैं।
शहर के उपनगरीय
इलाकों में नाकों पर नगर सेना के जवान तैनात हैं जिन पर आरोप है कि दस बीस रूपए की
रिश्वत में ही ये ट्रेक्टर ट्राली, ट्रक आदि को शहर के अंदर आने की इजाजत दे
देते हैं। शहर के अंदर तेजी से दौड़ते डंपर दुर्घटनाओं को न्योता देते नजर आते हैं।
गांधी चौक पर अहिंसा स्तंभ में दबकर नारायण नामक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय
के भृत्य का निधन बस से दबकर हो गया था। सब्जी मंडी के पास वैशाली का निधन भी इसी
बिगड़ेल यातायात के चलते ही हुआ था।
शहर के पाश इलाके बारपत्थर में नवधनाड्य और अन्य लोगों के साहेबजादे तेज
रफ्तार में दो पहिया वाहन उड़ाते दिख जाते हैं। यातायात पुलिस कभी कभार बारापत्थर
के मुख्य चौराहे पर वाहनों की चेकिंग की रस्म अदायगी करते नजर आते हैं। गले में
लाल पीले हरे नीले स्कार्फ डाले युवा बारापत्थर में तेजी से वाहन चलाते हुए
युवतियों पर फब्तियां भी कसते नजर आते हैं। इन आताताईयों के चलते अनेक नवयोवनाएं
डर के मारे घर से निकलने में भी कतराती हैं। जिला प्रशासन समय रहते उचित कदम उठाए
वरना आने वाले समय में सिवनी की यातायात व्यवस्था को संभालना एक टेड़ी खीर ही साबित
होगा।