शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2013

दिनेश आए पेड न्यूज के दायरे में!

दिनेश आए पेड न्यूज के दायरे में!

मीडिया सर्टिफिकेशन एवं मानीटरिंग कमेटी द्वारा जारी किया गया नोटिस

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। जिला स्तर पर जिला निर्वाचन अधिकारी भरत यादव की अध्‍यक्षता में कार्यरत मीडिया सर्टिफिकेशन एवं मानीटरिंग कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय के आधार पर आर.ओ. सिवनी सुश्री लता पाठक द्वारा दिनांक २3 अक्टूबर २0१३ को समाचार पत्र: जबलपुर एक्सप्रेस‘‘ में प्रकाशित ‘‘निर्दलीय बिगाड़ेंगे समीकरण‘‘ शीर्षक के समाचार के संबंध में दिनेश राय मुनमुन को नोटिस जारी कर ४८ घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

ज्ञातव्य है कि गत दिवस उक्त समाचार पत्र में इस शीर्षक से प्रकाशित समाचार में दिनेश राय द्वारा कांग्रेस को हानि पहुंचाने की बात का उल्लेख किया गया था। जिला स्तरीय मीडिया सर्टिफिकेशन एवं मानीटरिंग कमेटी द्वारा इस मामले में संज्ञान लेते हुए, दिनेश राय उर्फ मुनमुन को नोटिस जारी किया जाकर दो दिवस के अंदर स्पष्टीकरण की मांग की है।

नारेबाजी के बाद अब पोस्टर वार!

नारेबाजी के बाद अब पोस्टर वार!

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। जिला भाजपाध्यक्ष नरेश दिवाकर और सिवनी की वर्तमान विधायक श्रीमति नीता पटेरिया की मुखालफत पार्टी स्तर पर तेज हो गई है। सिवनी विधानसभा में नीता नरेश हटाओ-भाजपा बचाओ के नारे के बाद अब पोस्टर वार बहुत तेज हो गया है। नीता नरेश विरोधियों ने सिवनी से लेकर भोपाल तक गगन भेदी नारों से भाजपा को हिलाकर रख दिया है।
ज्ञातव्य है कि छिंदवाड़ा रोड स्थित पैराडाईज गार्डन में पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई की उपस्थिति में नीता नरेश हटाओ भाजपा बचाओ के नारों ने उन्हें हलाकान कर दिया था। इसके उपरांत जबलपुर रोड स्थित सांझी लॉन में आयोजित रायशुमारी में भी नीता पटेरिया और नरेश दिवाकर से नाराज कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की थी।
नीता नरेश के विरोध का सिलसिला यहीं नहीं थमा। इसके उपरांत कार्यकर्ताओं ने, दो बस और दो दर्जन वाहनों में भोपाल जाकर प्रदेश कार्यालय को हिला दिया था। इसके उपरांत जब सिवनी के पूर्व सांसद प्रहलाद सिंह पटेल सिवनी आए तब उनके समक्ष कार्यकर्ताओं ने अनुशासन का परिचय देते हुए नारेबाजी तो नहीं की पर एक एक करके उनसे भेंट कर नीता पटेरिया और नरेश दिवाकर के कारनामों की फेहरिस्त से उन्हें अवगत कराया।
यह मामला यहीं शांत नहीं हुआ। जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिवनी आए तब उनकी सभा में दशहरा मैदान में कार्यकर्ता उत्तेजित होकर नारेबाजी आरंभ करने ही वाले थे कि शिवराज सिंह चौहान ने कार्यकर्ताओं को शांत कराते हुए कहा था कि वे नाराज कार्यकर्ताओं से बाद में मिलंेगे। अगले दिन जब नाराज कार्यकर्ता शिवराज सिंह चौहान से मिलने सर्किट हाउस पहुंचे, तब वहां गहमा गहमी के बीच नाराज कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर नीता नरेश हटाओ भाजपा बचाओ के नारे बुलंद कर दिए थे।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो से संतोष पारदसानी ने बताया कि नीता नरेश हटाओ, भाजपा बचाओ के नारे सिवनी ही नहीं भोपाल में भी पार्टी को हिलाए हुए हैं। गत दिनों भोपाल में नीता पटेरिया और नरेश दिवाकर के खिलाफ नारेबाजी चरम पर रही। यह नारेबाजी मीडिया में चर्चा का विषय बनी रही। इस विरोध में मीडिया को ईमेल से भेजे संदेश में नीता नरेश हटाओ भाजपा बचाओ की मुहिम में नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के फोटो युक्त समाचार की कतरन भी भेजी गई थी।
बताया जाता है कि बीती रात्रि नगर के कुछ चौक-चौराहों सहित सिवनी विधानसभा क्षेत्र में अनेक स्थानों पर  ‘‘नीता- नरेश हटाओ, 115 विधानसभा क्षेत्र बचाओ‘‘, के पोस्टर्स चस्पा पाए गए। इनमें जिला मुख्यालय में अनेक स्थानों पर इस तरह के पोस्टर्स जनचर्चा का विषय बने रहे।
बताया जाता है कि इन पोस्टर्स में न तो प्रकाशक का नाम था, न मुद्रक का और न ही कितनी तादाद में छापे गए हैं इस बात का भी उल्लेख किया गया था। बताया जाता है कि पोस्टर लगाने वालों ने नगरपालिका के सामने दो पोस्टर, बीजेपी कार्यालय, जनपद पंचायत की दीवार, महात्मा गांधी स्कूल की दीवार एवं बस स्टैण्ड में पोस्टर लगाऐ हैं। भाजपा की अंर्तकलह खुलकर सामने आ रही है, जो लोगों के बीच चौक चौराहों पर चर्चा का विषय बनी हुई है।

पानी नहीं मिल पा रहा है कलेक्टर साहेब!

पानी नहीं मिल पा रहा है कलेक्टर साहेब!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। टूटी पुलिस के पास एमपीईबी के पीछे रहने वाले नागरिकों के लिए ब्रहस्पतिवार का दिन कहर बनकर टूटा! लगातार चौथे दिन भी क्षेत्र में नल नहीं आए, न ही सड़क पर वे चल पाए। दरअसल, नगर पालिका परिषद द्वारा इस क्षेत्र में नाली निर्माण के कारण सड़क को खोद दिया गया है, बाद में पाईप लाईन बदलने के बाद नलों के कनेक्शन नहीं जोड़े गए हैं।
क्षेत्र के निवासी शिक्षा विभाग से सेवानिवृत भोला सिंह ठाकुर ने बताया कि लगभग दो माह से इस क्षेत्र में नाली निर्माण का काम नगर पालिका परिषद द्वारा करवाया जा रहा है। नाली निर्माण के समय भी घरों के सामने रेंप आदि भी बिना सूचना के तोड़ दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि पूर्व में पानी कम आने की शिकायत लेकर क्षेत्र के निवासी नगर पालिका गए थे, जहां नगर पालिका अध्यक्ष ने पाईप लाईन के साईज को बड़ा करने का आश्वासन दिया था। इसके उपरांत नाली के बाजू का हिस्सा एक बार फिर खोद दिया गया है जिससे सड़कों पर चलना ही दूभर हो गया है।
भोला ठाकुर ने बताया कि नगर पालिका परिषद द्वारा पुरानी सड़ी गली पाईप लाईन को बदल दिया गया है पर कनेक्शन के नाम पर अब सात सौ रूपए मांगे जा रहे हैं। वहीं नगर पालिका के सूत्रों का कहना है कि पाईप लाईन नगर पालिका द्वारा अपने व्यय पर बदली गई है, इसमें लाईन परिवर्तन का कोई मामला ही नहीं है, फिर पता नहीं क्यों पालिका द्वारा प्रत्येक कनेक्शन में सात सौ रूपए की राशि की मांग की जा रही है।
वस्तुतः नगर पालिका को मेन पाईप लाईन नई डाली गई है तो उसे यहां के रहवासियों के कनेक्शन भी उसी समय कर दिया जाना चाहिए था, किन्तु पालिका द्वारा ऐसा किया नहीं गया है। नतीजतन 21 अक्टूबर से इन पंक्तिायों के लिखे जाने तक यहां के निवासियों के घरों में एक बूंद पानी भी नहीं टपका है।
आलम यह है कि लोग दूर दराज से हेण्ड पंप या अन्य स्त्रोतों से पानी लाकर गुजारा कर रहे हैं। इस संबंध में क्षेत्र के निवासियों ने नगर पालिका से संपर्क किया तो पालिका के कारिंदों ने दो टूक जवाब दे दिया कि सात सौ रूपए पटाओ फिर होगा नल का कनेक्शन।

क्षेत्र के निवासियों के आवेदन पर पाईप लाईन बदली गई है। अतः कनेक्शन नया या परिवर्तित माना जाएगा। इसलिए नागरिक निर्धारित राशि जमा कर पावती ले लें और कनेक्शन करवा लें।
सी.के.ठाकुर

मुख्य नगर पालिका अधिकारी, सिवनी

किसके आदेश का इंतजार है पुलिस को!

किसके आदेश का इंतजार है पुलिस को!

(शरद खरे)

विधानसभा की रणभेरी बज चुकी है। जिले में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने में जुट चुकी है सिवनी की पुलिस। जगह जगह बेरीकेट्स लगाकर वाहनों की चेकिंग का अभियान छेड़ा गया है। इस अभियान में कुछ हद तक सफलता भी मिलती दिख रही है। पिछले दिनों एक कपड़ा व्यापारी के पास से 3 लाख 82 हजार रूपए की रकम मिली। कहा जा रहा है कि वह रकम एक नंबर की थी, इसलिए व्यापारी को लौटा दी गई है। इससे साफ हो जाता है कि अगर पुलिस चाहे तो कुछ भी असंभव नहीं है। पता नहीं क्यों चुनाव के आते ही या ऊपर से आदेश आते ही पुलिस हरकत में आती है, बाकी समय पुलिस हाथ पर हाथ धरे ही बैठी रहती है।
चुनाव के चलते ही सही, कम से कम पुलिस हरकत में तो आई है। मीडिया में भी पुलिस की सख्ती, औचक निरीक्षण, सघन चेकिंग अभियान की खबरें पटी पड़ी हैं। जनसंपर्क विभाग भी मुस्तैदी के साथ पुलिस की इस चेकिंग की खबरें जारी कर पुलिस का मनोबल बढ़ाने में मदद कर रहा है। वैसे भी सिवनी जिला पहले से ही संवदेनशील है, साथ ही साथ सिवनी का राष्ट्रीय राजमार्ग पर होना भी इसके संवेदनशील होने का बड़ा कारण माना जा सकता है। याद पड़ता है जब मीनाक्षी शर्मा सिवनी में पुलिस अधीक्षक थीं, उस वक्त मुंबई के एक टैक्सी चालक का शव लखनवाड़ा थाना क्षेत्र में मिला था। उस समय पत्रकार वार्ता में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्रीमति मीनाक्षी शर्मा ने इस बात को परोक्ष तौर पर स्वीकार किया था कि अपराधियों के लिए सिवनी सॉफ्ट टारगेट से कम नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि सिवनी की शांत फिजां, जरायमपेशा लोगों के छिपने के संक्रमणकाल में एशगाहसे कम नहीं आंकी जा सकती है।
सिवनी में गंभीर किस्म की श्रेणी वाले अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। सिवनी शहर के अंदर भरी आबादी वाले क्षेत्र में बारूद फटता है एक व्यक्ति के चीथड़े उड़ जाते हैं, उंट की कुबार्नी से तनाव फैलता है, होली के पहले ही दर्जनों की तादाद में जिंदा बम मिलते हैं, प्रतिबंधात्मक सिमी के कार्यकर्ता मिलते हैं, बात बात पर हत्याएं हो जाती हैं, क्रिकेट एवं अन्य सट्टे में उधारी के चलते एक दूसरे पर पिस्तौलें तन जाती हैं, और न जाने क्या क्या संगीन अपराध घटित हो रहे हैं शांत सिवनी में। पुलिस के ही सूत्र यह भी बताते हैं कि सिवनी शहर में कम से कम दो ग्रूस (एक ग्रूस का मतलब बारह दर्जन यानी 144 नग) से ज्यादा अवैध माउज़र हैं।
यक्ष प्रश्न यह है कि क्या पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरह ढह चुका है? क्या पुलिस सदा ही कर्मचारियों के अभाव का रोना रोती रहेगी? कुछ समय से पुलिस के जवान रंगरूट और अधिकारी बड़ी तादाद में शहर में दिन रात गश्त करते देखे जा रहे हैं, हो सकता है यह अतिरिक्त पुलिस बल त्यौहार या चुनावों को देखकर बुलाया गया हो। अगर यहां अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है तो उसका सदुपयोग करना चाहिए।
चुनाव के चलते ही सही, कम से कम पुलिस ने वाहनों की चेकिंग आरंभ की है। जब वाहनों की चेकिंग हो ही रही है तो सिर्फ शराब, असलाह या बड़ी रकम की ही चेकिंग क्यों? वाहन के कागजात, इंश्योरेंस, फिटनेस, परमिट आदि भी लगे हाथ देख लिया जाए। सरकारी या गैर सरकारी वे वाहन जो टैक्सी कोटे में रजिस्टर्ड हैं उनकी पीली नंबर प्लेट के बजाए सफेद नंबर प्लेट है तो उन पर (भले ही वे सरकारी क्यांे न हों, क्योंकि कानून सबके लिए समान ही है) दण्डात्मक कार्यवाही कर चालान काटा जाए।
कुरई पुलिस की पीठ उच्चाधिकारियों को थपथपाना चाहिए, क्योंकि वह वाहनों विशेषकर यात्री बसों के सामान की डिक्की खुलवाकर उसकी चेकिंग कर रही है। मगर कुरई पुलिस से उच्चाधिकारियों द्वारा यह भी पूछ लिया जाए कि क्या उसने यात्री बसों के परमिट, फिटनेस, दो दरवाजे आदि की भी चेकिंग की है? कितने वाहनों की चेकिंग की गई और कितने वाहन नियमानुसार सही पाए गए? पुलिस से अपेक्षा इसलिए है क्योंकि खवासा में स्थापित (अब मेटेवानी में) परिवहन विभाग की चेक पोस्ट में तो सारे के सारे वाहन लक्ष्मी मैया की असीम अनुकंपा से वैध ही पाए जाते हैं।
यातायात पुलिस ने गत दिवस शक्कर का एक ट्रक पकड़ा था। इस वाहन ने शक्कर का विक्रय कर नहीं पटाया था। बाद में 18 हजार 976 रूपए का समन शुल्क देकर इस वाहन को छोड़ा गया। क्या विक्रय कर अधिकारी ने खवासा जांच चौकी से इस बात की जानकारी ली कि आखिर महाराष्ट्र से यह वाहन सेल्स टैक्स की चोरी कर एमपी में घुसा तो घुसा कैसे? जाहिर है खवासा बार्डर में चढ़ोत्री चढ़ाकर ही यह अवैध रूप से शक्कर लाने वाला वाहन पूरी तरह वैध हो गया होगा। जिला कलेक्टर भरत यादव से अपेक्षा है कि इस संबंध में संज्ञान लेकर विक्रय अधिकारी और खवासा जांच चौकी से जवाब तलब अवश्य करें, ताकि यह नजीर बने और आने वाले समय में करों की चोरी कर अपनी जेब भरने वाले सरकारी नुमाईंदे इस बात से सबक लेकर कर्तव्यों का निर्वहन उचित तरीके से कर सकें।
संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव एवं पुलिस अधीक्षक बी.पी.चंद्रवंशी से अपेक्षा ही की जा सकती है कि वाहनों की चेकिंग के लिए पुलिस बल को उचित दिशा निर्देश अवश्य प्रदान करें। साथ ही साथ पुलिस के अंदर भी उच्चाधिकारियों का खौफ पैदा करना आवश्यक है। हाल ही में एक वाहन में कोतवाली पुलिस द्वारा गौमांस जप्त करने की खबर है, खबर तो यह भी है कि लखनवाड़ा पुलिस ने इस वाहन को महज दो हजार रूपए लेकर छोड़ दिया था। अगर इस बात मेें लेशमात्र भी सच्चाई है तो यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि पुलिस में निचले स्तर पर रिश्वत का चलन बेहद ज्यादा है और उच्चाधिकारियों का भय समाप्त हो गया है। आज पुलिस के कारिंदे अपराधियों और आपराधिक छवि वाले लोगों की गलबहियां डाले दिखते हैं। समाज में पुलिस की छवि मित्र की होना चाहिए और अपराधियों में उनका भय होना चाहिए। असल में मामला उलट ही दिख रहा है, समाज पुलिस से डर रहा है और जरायमपेशा लोगों में पुलिस की छवि मित्र की बनती जा रही है. . .।