सीएम ने दिया
नियमितिकरण का आश्वासन
(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)।
मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी/अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के
नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधान सभा के मुख्यमंत्री कक्ष में माननीय मुख्यमंत्री
शिवराजसिंह चौहान से अपनी नियमितिकरण की नीति सहित अन्य मांगों के संबंध में चर्चा
की । माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा के दौरान
उनकी समस्याओं एवं मांगों को ध्यान पूर्वक सूना तथा संविदा कर्मचारियों को नियमित
करने हेतु नीति बनाने का आश्वासन दिया । संविदा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष
प्रशांत तिवारी एवं मनरेगा संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीलेश जैन ने बताया की
मुख्यमंत्री महोदय को चर्चा के दौरान संविदा कर्मचारियों के मांगों के संबंध में
दो पृष्ठीय ज्ञापन सौंपा गया । ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया कि 10-15 वर्षो
से संविदा कर्मचारी मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में एवं उनके केन्द्र प्रवर्तित
परियोजनाओं में कार्य कर रहें हैं, अनेकों बार ज्ञापन देने के बाद भी संविदा
कर्मचारियेां के नियमितिकरण हेतु कोई नीति नहीं बनाई गई जबकि समुदाय के द्वारा
नियुक्ति हुए गुरूजी, शिक्षाकर्मियों एवं पंचायतकर्मीयों को सरकार ने मंत्रिपरिषद्
के बैठक में पदों का निर्माण कर सीधे नियमित कर दिया हैं, लेकिन विधिवत
परीक्षा देकर शासन एवं उनकी परियोजनाओं में नियुक्त हुए संविदा कर्मचारी/अधिकारी
अल्प वेतन पर शोषण के शिकार हैं। संविदा कर्मचारियों के साथ दोयम दर्ज का व्यवहार
किया जा रहा हैं। संविदा कर्मचारियों को चिकित्सा भत्ता , चिकित्सा अवकाश , अर्जित अवकाश , मकान किराया भत्ता, आकस्मिक मृत्यु की
दशा में सहायता आदि का लाभ नहीं दिया जा रहा हैं, जबकि संविदा
कर्मचारी शासन मे सबसे अधिक कार्य कर रहें हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान
को अवगत कराया गया कि कर्मचारियों को अपना
इलाज भी स्वयं के पैसे से करवाना पड़ता हैं। बीमार अवधि का वेतन काट लिया जाता हैं।
संविदा कर्मचारियों की शिकायत की स्थिति में उनका पक्ष सुने बिना ही सेवा से पृथक
किया जा रहा हैं जो कि प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत हैं । मध्यप्रदेश सरकार
के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की शर्तो एवं वेतन
के संबंध में एकरूपता नहीं हैं। विभिन्न विभागों के द्वारा अपने-अपने हिसाब से
संविदा कर्मचारियों के लिए नियम एवं नीति निर्धारित कर लिये गये हैं जिससे संविदा
कर्मचारी शोषण का शिकार हैं। अतः ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि
मध्यप्रदेश विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए एक स्पष्ट नीति
होना चाहिए । ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया कि वर्तमान में इन संविदा
कर्मचारियेां को विभिन्न विभागों में रिक्त पदों में योग्यता एवं अनुभव के आधार पर
नियमित कर दिया जाता हैं तो शासन को अनुभवी एवं योग्य क्षमतावान कर्मचारी प्राप्त
होंगे या संविदा कर्मचारी को वर्तमान पदों में नियमित कर दिया जाता हैं तो
मध्यप्रदेश शासन पर आगामी 10-15 वर्षो तक किसी प्रकार का वित्तीय भार नहीं पडे़गा
क्योंकि अधिकांश संविदा कर्मचारी लम्बी अवधि की केन्द्र परिवर्तित परियोंजनाओं में
कार्यरत है अधिकांश संविदा कर्मचारियों की आयु 40 से 45 वर्ष के बीच के हैं जो कि
परियोजना समाप्ति के पश्चात ही स्वयं सेवा निवृत्त हो जायेंगे। मुख्यमंत्री महोदय
ने चर्चा के समय उपस्थित उनके प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जी को ज्ञापन के
विभिन्न बिन्दुओं के परीक्षण हेतु निर्देशित किया । चर्चा हेतु उपस्थित प्रतिनिधि
मण्डल में प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी के अध्यक्ष राहुल
जैन, मनरेगा
अधिकारी/कर्मचारी सयुक्त मोर्चा की ओर से प्रशांत तिवारी, नीलेश जैन मनरेगा
संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र उपाध्याय , नर्मदाघाटी विकास
संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवध कुमार गर्ग , उपाध्यक्ष पी शालू
नायर , मुख्यमंत्री
सड़क योजना के संविदा कर्मचारी अध्यक्ष संजीव रवि,
मदरसा बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मुकेश शर्मा , कृषि अभियात्रिकी
संघा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सूर्यवंशी , बोर्ड आफिस संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष
अवधेश दीक्षित, भोज
विश्वविद्यालय संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनुप कुमार बुन्देला, पैरामेडिकल संविदा
कर्मचारी संघ के सचिव रामकुमार वर्मा , जल ग्रहण मिशन संविदा कर्मचारी संघ के
अध्यक्ष पंकज मिश्रा , अमित कुल्हारा , समग्र स्वच्छता अभियान कर्मचारी संघ अध्यक्ष
राकेश प्रताप सिंह ,सुशील दोहारा, टी0वी0 स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष
पवन राजपूत , राकेश
शर्मा आदि कर्मचारी/अधिकारी उपस्थित थे।
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