उद्यानिकी विभाग के
निरीक्षक का कारनामा
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। सिवनी
जिले के किसानों, मजदूरों और
आम आदमी के लिए चालू की गई लाभकारी और अनुदान की योजनाएं अफसरानों या उनके
परिचितों की जागीर बन गई है। यहां तक कि कुछ राजनेताओं ने तो ऐसे दलालों को अपना
प्रतिनिधि बनाकर भ्रष्टाचार करने के लिए खुला छोड़ दिया है।
बात की जा रही
बागवानी योजना की,
जिसमें गरीब और मध्यम वर्गीय किसानों के अनुदान के नाम से हो
रही बंदरबांट की ओर जिला प्रशासन एवं जिला पंचायत की नजरें नहीं जा रही हैं। कृषि
प्रधान योजनाएं विभाग के अफसरानों के लाडलों या मोटे कमीशन देने वाले ठेकेदारों की
कारगुजारियो के कारण चौपट हो गई हैं।
कलेक्टर दरबार के
सामने स्थित कंपनी गार्ड को अपनी जागीर समझने वाला उद्यानिकी विभाग अब अफसरानों के
लिए चारागाह बन गया है। सरकार द्वारा भोपाल से आने वाली बड़े लाभ की योजनाएं तो
इसके विभाग प्रमुख और उनके पुत्र ने लाभ की खेती बना रखा है। बेटा बिल पेश करता है
और बाप उसमें स्वीकृति की सील ठप्पा लगाकर जमकर लूट मचा रेह हैं। किसानों और समाज
के अन्य लोगों पर रौब जमाने के लिए एक सांसद ने तो ऐसे कारनामों को अंजाम देने
वाले अफसरान के बेटे को बकायदा अपना जनप्रतिनिधि भी बना दिया है।
पानी की कमजोर
व्यवस्था के लिए बागवानी में ज्यादा लाभ के लिए क्रियान्वित ड्रिप परियोजना से
कमजोर और गरीब किसानों का भाग्योदय संभव है। नौकरशाहों की कारगुजारी के कारण यह
योजना पूरी तरह चौपट होती नजर आ रही है। अंधा बांटे रेबड़ी चीन्ह- चीन्ह को देय की
कहावत को चरितार्थ कर रही यह योजना आज तक कोई कीर्तिमान नहीं रचा पाई है। शायद यही
कारण है कि यह योजना कागजी साबित हो चली है। किसानों से ज्यादा योजना का लाभ इसे
लागू करने वाले अफसरान ही ले रहे हैं।
अजूड और आकाश कंपनी
के एजेंट रक्षा कृषि केंद्र और कासता के अधिकृत विक्रेता संाई ड्रिप के संचालकों
ने उद्यानिकी अधिकारियों पर किरण एग्रो सेल्स और एमपी एग्रो प्रीमियर के संचालकों
से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए सरकार की लाभप्रद योजनाओं पर पलीता लगा दिया है। पूर्व
सहायक संचालक केसी मेश्राम के निधन के बाद से ही यहां किसी की नियुक्ति नहीं हुई
है। मंडला के जीपी परते सिवनी के अतिरिक्त प्रभार पर है। वहीं इस इस संबंध में
उद्यानिकी सिवनी के निरीक्षक ज्ञानेंद्र सिंह ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि 60 एकड़ क्षेत्र में 11।42 लाख की ड्रिप
एरीगेशन योजना शासन से स्वीकृत है और मेरे पुत्र की किरण एग्रो सेल्स के साथ ही
अन्य कंपनी द्वारा किसानों को राहत दी जा रही है। उन पर किसी कंपनी विशेष के लिए
कोई दबाव नहीं डाला जाता है और किसान पूरी तरह अपनी पसंद की ड्रिप लगाने स्वतंत्र
है। बहरहाल जो भी हो सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के सेवा नियमों में अपने
परिजनों को लाभ पहुंचाने की मनाही के साथ कड़े दंड का प्रावधान है। किरण एग्रो
सेल्स के नाम टेक्मो और होलमार्क की एजेंसी लेकर बाप की जागीर में बेटे की लूटपाट
से आम किसान और जिले की उद्यानिकी योजनाएं पूरी तरह चौपट हो गई है।
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