सोमवार, 8 अप्रैल 2013

वनाधिकार पत्र से ना रहे कोई वंचित: कलेक्टर


वनाधिकार पत्र से ना रहे कोई वंचित: कलेक्टर

(आंचल झा)

रायपुर (साई)। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी राजनांदगांव अशोक अग्रवाल ने कहा कि वन भूमि पर वर्षाे काबिज लोगों को अधिकार पत्र प्रदान करने का कार्य अतिमहत्वपूर्ण एवं संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि कोई भी पात्र व्यक्ति इससे वंचित न रहने पाए। उन्होंने कहा कि केवल वन अधिकार पत्र देना शासन का अंतिम लक्ष्य नहीं है, बल्कि मान्यता पत्र धारक परिवारों के सामाजिक,आर्थिक विकास के लिए उनकी क्षमता बढ़ाना और इसके लिए उन्हें हर संभव संसाधन दिलाना राय सरकार की प्राथमिकता है।
कलेक्टर ने जनपद पंचायत छुईखदान के सभाकक्ष में कल आयोजित वन, राजस्व और पंचायत विभाग की संयुक्त कार्यशाला में उक्त विचार व्यक्त किए। वनभूमि में 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व से निवासरत पात्र लोगों को जिनकी जीविका वनों पर निर्भर हो वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किए जाएंगे। वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान करने समयबध्द कार्यक्रम तय किया गया है, जिसके आधार पर ही तय समयसीमा में कार्य सम्पादित करना है। उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी और वन विभाग के अधिकारियों को गांव-गांव में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार कराने के साथ ही शिविर लगाए जाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि ग्राम स्तरीय वन समिति नए प्राप्त प्रत्येक प्रकरण का सुक्षमता से परीक्षण और सत्यापन कर अनुभाग स्तरीय समिति को भेंजे। वनभूमि में 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व से निवासरत पात्र लोगों को जिनकी जीविका वनों पर निर्भर हो वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किए जाएंगे। ऐसे अन्य परम्परागत वनवासी भी पात्र होंगे जो 13 दिसम्बर 2005 से पूर्व कम से कम तीन पीढ़ियों तक प्राथमिक रूप से वन या वनभूमि में निवासरत हों और जिनकी जीविका की वास्तविक आवश्यकता वनों पर निर्भर हैं। उन्हें ग्राम समिति के अनुमोदन के बाद अनुविभागीय समिति की अनुशंसा पश्चात जिला स्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद वन भूमि का अधिकार पत्र प्रदान किया जाएगा।
कलेक्टर ने कहा कि वन अधिकार पत्र प्रदान करने किए गए पूर्व के आवेदन जो निरस्त कर दिए गए थे, उन आवेदनों को अपील के रूप में ग्रहण कर परीक्षण पश्चात ग्राम समिति अपनी अनुशंसा के साथ अनुविभागीय समिति को भेंजेगे और जिला स्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद वन भूमि का अधिकार  पत्र प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वन भूमि पर किए गए नए कब्जा को स्वीकार न करें और आवेदन का सिल निरीक्षण और सत्यापन के लिए टीम गठित कर प्रतिवेदन लें। कलेक्टर ने कहा कि वनभूमि में 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व से निवासरत पात्र लोग वनभूमि के पेड़ों की कटाई नहीं करें। इसके अलावा गांव की सामुदायिक आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए प्रयेक गावं में एक-एक हेक्टेयर जमीन आरक्षित कराना सुनिश्चित करें, जिससे भविष्य में स्कूल, आंगनबाड़ी, अस्पताल, सड़क, उचित मूल्य की दुकान, वर्षा जल संरचनाएंसंचयन, सिंचाई नहर का निर्माण कराया जा सके। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र में चारागाह, जलाऊ लकड़ी बीनने और वनोपज संग्रहण करने के लिए सामुदायिक क्षेत्र में छुट दी जाएगी।
श्री अग्रवाल ने कहा कि गांव की सामुदायिक आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए जमीन आरक्षित कराने प्रस्ताव तैयार कर पारित किया जाए और अनुविभागीय स्तर की समिति को भेजा जाए। इसके तहत गांव की सामुदायिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विद्यालय, अस्पताल, आंगनबाड़ी, उचित मूल्य की दुकान, बिजलीटेलिफोन लाईन, टंकियालघु जलाशय, पेयजल आपूर्ति पाइप लाईन, वर्षा जल संरचनाएंसंचयन, सिंचाई नहरें, अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत, कौशल उन्नयन व्यावसायिक प्रशिक्षण, सड़कें और सामुदायिक केन्द्र के लिए वन भूमि को चिन्हित कर उनका प्रकरण तैयार कर ग्राम स्तरीय समिति से पारित कर एवं अनुभाग स्तरीय समिति से अनुमोदन कराकर जिला स्तरीय कमेटी को भेजा जाएगा। जिला स्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद सामुदायिक आवश्यकता के लिए चिन्हांकित किए गए जमीन को राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा।
अनुविभागीय अधिकारी पी.एस.ध्रुव ने बताया कि अभी 1703 नवीन आवेदन प्राप्त हुए हैं और 54 प्रकरण सामुदायिक उपयोग के प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में इन निरस्त प्रकरणों को अपील के रूप में लिया जाएगा और पात्रताधारी व्यक्ति को वन अधिकार पत्र प्रदान किया जाएगा। सहायक आयुक्त आदविासी विकास आर. एस. भोई ने गांव की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए सामुदायिक उपयोग के लिए 3-3 प्रकरण ग्राम ग्राम समिति के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करें। इसी प्रकार सामुदायिक उपयोग के लिए दिए गए 13 बिन्दु पर भी भविष्य की आवश्यकता को ध्यान में रखकर प्रस्ताव देना सुनिश्चित करें, जिससे भविष्य में गांव की आवश्यकता के लिए जमीन आरक्षित कराया जा सके। अनुविभागीय अधिकारी वन ने प्रोजेक्टर के माध्यम से वनभूमि में 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व से निवासरत पात्र लोगों को जिनकी जीविका वनों पर निर्भर हो वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किए जाने संबंधी कार्यक्रम को प्रदर्शनकर कार्यशाला में उपस्थित लोगों का बारिकी से समझाया।

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