पचौरी को घेरने एकजुट हुए क्षत्रप
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। लगातार चौबीस बरस तक राज्य सभा के रास्ते संसदीय सौंध तक पहुंचने वाले कांग्रेस के मध्य प्रदेश के निर्वतमान प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी के खिलाफ केंद्र में सक्रिय मध्य प्रदेश के आला दिग्गज अब एकजुट होने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया की एमपीसीसी चीफ के पद पर हुई ताजपोशी के उपरांत मध्य पदेश के क्षत्रपों ने एक ही विमान से मध्य प्रदेश आने की सहमति देकर जता दिया है कि वे मध्य प्रदेश में कांग्रेस को जिलाने के लिए एकजुट हो गए हैं। माना जा रहा है कि सुरेश पचौरी से खफा इन नेताओं द्वारा अब तक जानबूझकर अपनी कर्मभूमि वाले प्रदेश से दूरी बनाई गई थी।
गौरतलब होगा कि पचौरी के एमपीसीसी चीफ बनने के बाद कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह अनेक मर्तबा मध्य प्रदेश आए किन्तु उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी जाने की जहमत नहीं उठाई। दिग्गी राजा द्वारा काफी हाउस में पत्रकारों ेस चर्चा हंसी ठठ्ठा किया जाता रहा है और श्यामला हिल्स स्थित अपने आवास पर कार्यकर्ताओं ेस भेंट, किन्तु पीसीसी कार्यालय जाना उन्होंने कभी उचित नहीं समझा। इसी तरह केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरूण यादव यहां तक कि खुद कांतिलाल भूरिया ने भी सुरेश पचौरी के कार्यकाल में पीसीसी से पर्याप्त दूरी बनाकर रखी थी।
2008 में राज्य सभा का कार्यकाल समाप्त होने के उपरांत सुरेश पचौरी को लोकसभा की टिकिट मिलने में भी दिग्गज ही आड़े आए। इतना ही नहीं दुबारा राज्य सभा जाने के रास्ते में भी मध्य प्रदेश के क्षत्रप ही आड़े आते रहे हैं। भूरिया के हाथों में एमपीसीसी की कमान आते ही प्रदेश के क्षत्रप एक बार पुनः एकजुट होते नजर आ रहे हैं जिससे साफ हो रहा है कि इन दिग्गजों ने जानबूझकर मध्य प्रदेश में कांग्रेस को रसातल में जाने के मार्ग ही प्रशस्त किए हैं। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के उड़न खटोले जिसे मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने किराए से लिया है, पर सवार होकर एमपी के क्षत्रप भूरिया की ताजपोशी में शामिल होंगे।
उधर प्रवक्ता माणक अग्रवाल भी अब काफी हद तक सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वहीं विधानसभा के उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह पर भी कांग्रेस के घोर विरोध के बाद राजा भोज समारोह में मंचासीन होने के आरोप उन्हें सता रहे हैं। माना जा रहा है कि अजय सिंह के पाले में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष का पद आने के बाद अब जाति के क्षत्रिय ठाकुर हरवंश सिंह की विधानसभा उपाध्यक्ष पद से बिदाई सुनिश्चित है। हरवंश सिंह से नाराज आला नेताओं ने उन्हें एमपीसीसी में ही कहीं एडजस्ट कराकर उनका कद कम करने का प्रयास किए जाने की खबरें भी जोर पकड़ने लगी हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की आधिकारिक वेब साईट पर पूर्व अध्यक्षों की फेहरिस्त कुछ और कहानी बयां कर रही है कि उनके कार्यकाल में पीसीसी की आईटी विंग पूरी तरह से ही निष्क्रीय रही है। पूर्व अध्यक्षों में आज तक 33वें नंबर पर अंतिम निर्वाचित अध्यक्ष सुभाष यादव को 30 जून 2005 से अध्यक्ष दर्शाया गया हैै। मजे की बात तो यह है कि इस बोर्ड के इर्द गिर्द पान की पीकें भी साफ दिखाई दे रही हैं। पचौरी के सहयोगियों ने पूर्व अध्यक्षों के नाम और कार्यकाल टाईप कर उसे वेब साईट पर अपलोड करना भी मुनासिब नहीं समझा।
गौरतलब होगा कि पचौरी के एमपीसीसी चीफ बनने के बाद कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह अनेक मर्तबा मध्य प्रदेश आए किन्तु उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी जाने की जहमत नहीं उठाई। दिग्गी राजा द्वारा काफी हाउस में पत्रकारों ेस चर्चा हंसी ठठ्ठा किया जाता रहा है और श्यामला हिल्स स्थित अपने आवास पर कार्यकर्ताओं ेस भेंट, किन्तु पीसीसी कार्यालय जाना उन्होंने कभी उचित नहीं समझा। इसी तरह केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरूण यादव यहां तक कि खुद कांतिलाल भूरिया ने भी सुरेश पचौरी के कार्यकाल में पीसीसी से पर्याप्त दूरी बनाकर रखी थी।
2008 में राज्य सभा का कार्यकाल समाप्त होने के उपरांत सुरेश पचौरी को लोकसभा की टिकिट मिलने में भी दिग्गज ही आड़े आए। इतना ही नहीं दुबारा राज्य सभा जाने के रास्ते में भी मध्य प्रदेश के क्षत्रप ही आड़े आते रहे हैं। भूरिया के हाथों में एमपीसीसी की कमान आते ही प्रदेश के क्षत्रप एक बार पुनः एकजुट होते नजर आ रहे हैं जिससे साफ हो रहा है कि इन दिग्गजों ने जानबूझकर मध्य प्रदेश में कांग्रेस को रसातल में जाने के मार्ग ही प्रशस्त किए हैं। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के उड़न खटोले जिसे मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने किराए से लिया है, पर सवार होकर एमपी के क्षत्रप भूरिया की ताजपोशी में शामिल होंगे।
उधर प्रवक्ता माणक अग्रवाल भी अब काफी हद तक सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वहीं विधानसभा के उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह पर भी कांग्रेस के घोर विरोध के बाद राजा भोज समारोह में मंचासीन होने के आरोप उन्हें सता रहे हैं। माना जा रहा है कि अजय सिंह के पाले में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष का पद आने के बाद अब जाति के क्षत्रिय ठाकुर हरवंश सिंह की विधानसभा उपाध्यक्ष पद से बिदाई सुनिश्चित है। हरवंश सिंह से नाराज आला नेताओं ने उन्हें एमपीसीसी में ही कहीं एडजस्ट कराकर उनका कद कम करने का प्रयास किए जाने की खबरें भी जोर पकड़ने लगी हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की आधिकारिक वेब साईट पर पूर्व अध्यक्षों की फेहरिस्त कुछ और कहानी बयां कर रही है कि उनके कार्यकाल में पीसीसी की आईटी विंग पूरी तरह से ही निष्क्रीय रही है। पूर्व अध्यक्षों में आज तक 33वें नंबर पर अंतिम निर्वाचित अध्यक्ष सुभाष यादव को 30 जून 2005 से अध्यक्ष दर्शाया गया हैै। मजे की बात तो यह है कि इस बोर्ड के इर्द गिर्द पान की पीकें भी साफ दिखाई दे रही हैं। पचौरी के सहयोगियों ने पूर्व अध्यक्षों के नाम और कार्यकाल टाईप कर उसे वेब साईट पर अपलोड करना भी मुनासिब नहीं समझा।
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