बुधवार, 26 सितंबर 2012

पनकी मंदिर में भगदड़


पनकी मंदिर में भगदड़

(प्रतीक कुमार)

कानपुर (साई)। मंगलवार तड़के कानपुर में पनकी के मंदिर में भगदड़ मच गई, जिसमें 12 लोगों के घायल होने की खबर है। पनकी इलाका कानपुर से सटा हुआ है। यहां बड़ा मंगल के मौके पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिए रात से ही लाइन में लगे थे। खबरें हैं कि पहले दर्शन करने की जल्दबाजी में भगदड़ मच गई।
हादसे में बारह लोग जख्मी हुए हैं जिनमें से चार लोगों की हालत गंभीर बतायी जा रही है। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। झारखंड के देवघर में ठाकुर अनुकूल चंद की 125वीं जयंती पर एक आश्रम में भारी भीड़ के कारण दम घुटने से नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 120 अन्य बेहोश हो गए।
धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की यह कोई पहली घटना नहीं है। देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी घटनाएं पूर्व में भी होती रही हैं, जो बदइंतजामी की ओर संकेत करती हैं। एक दिन पहले ही रविवार को उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के राधा रानी मंदिर में भारी भीड़ इकट्ठी हो जाने से दो महिलाओं की मौत हो गई थी। इसमें से एक महिला की मौत हृदयाघात से और दूसरी की सीढ़ियों से गिर जाने से हुई। हजारों श्रद्धालु राधा अष्टमी पर वहां एकत्र हुए थे।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने इतिहास खंगाला तो ज्ञात हुआ कि दस सालों में धार्मिक स्थलों पर इस तरह की घटनाएं बहुतायत में घटी हैं। इसके पहले दो सितम्बर, 2012 को  बिहार के नालंदा जिले में स्थित राजगीर कुंड में स्नान के लिए श्रद्धालुओं के बीच मची होड़ के कारण भगदड़ हो गई, जिसमें दो श्रद्धालु की मौत हो गई, जबकि छह घायल हो गए। आठ नवम्बर, 2011 को उत्तर प्रदेश के हरिद्वार में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान गंगा नदी के तट पर हजारों श्रद्धालुओं के एकत्र हो जाने के दौरान मची भगदड़ में 16 लोगों की जान चली गई।
14 जनवरी, 2011 को केरल के इदुक्की जिले में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल शबरीमाला के नजदीक पुलमेदु में मची भगदड़ में कम से कम 102 श्रद्धालु मारे गए थे और 50 घायल हो गए थे। चार मार्च, 2010 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कृपालुजी महाराज आश्रम में प्रसाद वितरण के दौरान 63 लोग मारे गए थे, जबकि 15 घायल हो गए थे।
तीन जनवरी, 2008 को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित दुर्गा मल्लेस्वारा मंदिर में भगदड़ मचने से पांच लोगों की जान चली गई थी। जुलाई 2008 को ओडिशा में पुरी के सुप्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा के दौरान छह लोग मारे गए और अन्य 12 घायल हो गए। 30 सितम्बर 2008 को राजस्थान के जोधपुर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह से मची भगदड़ में 250 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 60 घायल हो गए।
तीन अगस्त, 2008 को हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण नैना देवी मंदिर की एक दीवार ढ़ह गई, जिससे डरकर श्रद्धालु नीचे उतरने लगे। इस क्रम में 160 लोगों की मौत हो गई, जबकि 230 घायल हो गए। 27 मार्च, 2008 को मध्य प्रदेश के करिला गांव में एक मंदिर में भगदड़ मचने से आठ श्रद्धालु मारे गए थे और 10 घायल हो गए।
अक्टूबर 2007 को गुजरात के पावागढ़ में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान 11 लोगों की जान चली गई थी। नवम्बर 2006 को ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में उमड़ी भीड़ में धकेले जाने के कारण चार बुजुर्गों की मौत हो गई थी। 26 जून, 2005 को महाराष्ट्र के मंधार देवी मंदिर में मची भगदड़ में 350 लोगों की मौत हो गई थी और 200 घायल हो गए थे। अगस्त 2003 को महाराष्ट्र के नासिक में कुम्भ मेले में मची भगदड़ में 125 लोगों की जान चली गई थी।

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