(एडविन अमान)
नई दिल्ली (साई)। आरबीआई ने
पुराने नोटों को बदलने की समय-सीमा बढ़ाते हुए अब इसे 1 जनवरी, 2015 कर दी है। पहले यह समय सीमा
इसी साल 31 मार्च तक थी। रिजर्व बैंक ने अन्य बैंकों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे
पुराने नोटों को बदलने की एवज में लोगों से कोई चार्ज न लें और करेंसी का
पूरा-पूरा भुगतान करें। बैंकों से यह भी खयाल रखने को कहा गया है कि नोट बदलने में
लोगों को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2005
से पहले के जारी किए गए सभी करेंसी नोटों को 31 मार्च 2014 के बाद वापस लेने का
फैसला किया था। रिजर्व बैंक ने कहा था कि लोग ऐसे करेंसी नोटों को बैंकों में बदल
लें, जिनके पीछे जारी करने का साल
नहीं दर्ज है। केंद्रीय बैंक पहले ही
बैंकों के जरिये 2005 से पहले के बैंक नोट को नियमित तौर पर वापस ले रहा है
क्योंकि ऐसे नोटों में सुरक्षा उपाय बाद में छपे नोटों के मुकाबले कम हैं। रिजर्व
बैंक का मानना है कि 2005 से पहले छपे नोट जो प्रचलन में है, उनकी संख्या इतनी अधिक नहीं है
जिससे इसका लोगों पर व्यापक असर पड़े।
आरबीआई ने लोगों से भी अपील की
है कि वे नोट बदलने की प्रक्रिया में सहयोग करें। कोई भी बैंक की उस ब्रांच में
अपने नोट बदलवा सकता है, जो उन्हें सुविधाजनक लगता हो। गौरतलब है कि इससे पहले आरबीआई ने
पुराने नोट बदलने की समय-सीमा 31 मार्च, 2014 तय की थी। हालांकि कुछ शर्तों के साथ इस तारीख के बाद भी नोट
बदलना मुमकिन था।
गौरतलब है कि 2005 से पहले जारी
सभी करेंसी नोट वापस लेने का फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (त्ठप्) ने कालेधन और नकली
नोटों की समस्या से निपटने के लिए लिया है। इसके तहत 500 रुपए और 1000 रुपए सहित
सभी मूल्य के नोट वापस लिए जाएंगे और यह काम एक अप्रैल से शुरू हो जाएगा। केंद्रीय
बैंक ने यह कदम काले धन तथा जाली नोटों की समस्या पर काबू पाने के लिए उठाया है।
2005 के पहले नोटों को पहचानना
बहुत ही आसान है। दरअसल 2005 के पहले छपे नोटों पर प्रिटिंग का साल नहीं छपा है।
वहीं 2005 के बाद छपे नोटों में आप साल देख सकते हैं। लोग आसानी से 2005 से पहले
जारी करेंसी नोट की पहचान कर सकते हैं। ऐसे नोट के पिछले हिस्से में प्रकाशन का
वर्ष नहीं छपा है। वर्ष 2005 के बाद जारी सभी करेंसी नोट के पिछले भाग के नीचे
मध्य में प्रकाशन का वर्ष छपा है।
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