0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 7
सड़क मार्ग से ही ढुलेगा कोयला
रेल मार्ग में लोडिंग अनलोडिंग है समस्या
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश की मशहूर थापर गु्रप ऑफ कंपनीज के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में डलने वाले पावर प्लांट के लिए कोयले की सप्लाई सड़क मार्ग से होगी या रेल मार्ग से इसमें संशय बरकरार है। रेल मार्ग में बार बार लोडिंग अनलोडिंग से बचने के लिए इसे सड़क मार्ग से ही कराए जाने पर विचार किया जा रहा है।
थापर गु्रप के मित्र राजनेता द्वारा इसके मार्ग प्रशस्त किए गए हैं। मूलतः यह कोयला अनूपपुर से घंसौर लाया जाना है। कहा जा रहा है कि यह बरास्ता कटनी, जबलपुर लखनादौन लाया जाएगा। संभवतः यही कारण है कि रीवा से लखनादौन तक के नेशनल हाईवे के हिस्से को फोरलेन में तब्दील करने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।
झाबुआ पावर लिमिटेड के भरोसेमन्द सूत्रों का कहना है कि कंपनी द्वारा अन्त में सडक मार्ग से ही कोयले की सप्लाई की कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसके लिए बडे ट्रांसपोर्टर्स को भी तलाशा जा रहा है। आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला के इस प्रस्तावित पार प्लांट के लिए 32 लाख टन कोयला का परिवहन प्रतिवर्ष अनूपपुर से घंसौर तक होना प्रस्तावित है। हाल ही में रीवा से लखनादौन तक के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात के हिस्से को भी फोल लेन में तब्दील किए जाने का प्रस्ताव आया है। कहा जा रहा है कि थापर ग्रुप ऑफ कम्पनीज के दवाब में आकर केन्द्र सरकार द्वारा इस मार्ग की मरम्मत और इसे चौडा करने की कार्ययोजना बनाई है।
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) सदा ही एक बात का रोना रोती रहती है कि देश की सडकें उसके द्वारा निर्धारित गुणवत्ता के अनुसार नहीं बन पाती हैं, और जितना भार उन पर चलना चाहिए उससे कहीं ज्यादा भार परिवहन और पुलिस महकमे की कृपा से चलता है, इन परिस्थितियों में सडकों की दुर्दशा होना स्वाभाविक ही है। डर तो इस बात का है कि जब वर्तमान में लखनादौन से घंसोर मार्ग जर्जर हाल में है तब थापर ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के बरेला में प्रस्तावित संयन्त्र में लाखों टन कोयला परिवहन किया जाएगा तब तो अधमरी सडकों के धुर्रे उडने में समय नहीं लगेगा।
(क्रमशः जारी)
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