हर्बल खजाना
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शिवलिंगी निःसंतान महिलाओं के लिये वरदान
(डॉ दीपक आचार्य)
अहमदाबाद (साई)।
शिवलिंग की तरह दिखने वाले बीजों की इस बेल को अक्सर खेत खलिहानों, आँगन के बाडों और
जंगलों में देखा जा सकता है। इसका वानस्पतिक नाम ब्रायोनिया लेसिनियोसा है।
पातालकोट के गोंड और भारिया जनजाति के लोग इस पौधे को पूजते है, इन आदिवासियों का
मानना है कि संतानविहीन दंपत्ती के लिये ये पौधा एक वरदान है।
इन आदिवासीयों
द्वारा शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड के साथ पीसकर निरूसंतान महिला को खिलाया
जाता है, महिला को
जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। आदिवासी महिलाएं इसकी पत्तियों की चटनी
बनाती है, इनके
अनुसारे ये टॉनिक की तरह काम करती है।
पत्तियों को बेसन
के साथ मिलाकर सब्जी के रूप में भी खाया जाता है, आदिवासी भुमकाओं
(हर्बल जानकार) के अनुसार इस सब्जी का सेवन गर्भवती महिलाओं को करना चाहिए जिससे
होने वाली संतान तंदुरुस्त पैदा होती है। डाँग- गुजरात के आदिवासी शिवलिंगी के
बीजों का उपयोग बुखार और बेहतर सेहत के लिये करते है।
इन आदिवासियों का
भी मानना है कि शिवलिंगी न सिर्फ़ साधारण रोगों में उपयोग में लायी जाती है अपितु
ये नर संतान प्राप्ति के लिये भी कारगर है, हलाँकि इस तरह के दावों को आधुनिक विज्ञान
नकार सकता है लेकिन इन आदिवासी हर्बल जानकारों के दावों को एकदम नकारना ठीक नही।
(साई फीचर्स)
(लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ
हैं)
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