शनिवार, 28 जुलाई 2012

अंबिका पर नहीं प्रणव को एतबार!


अंबिका पर नहीं प्रणव को एतबार!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र सरकार की नीतियों रीतियों को विभिन्न संचार माध्यमों के जरिए जन जन तक पहुंचाने के लिए पाबंद केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय पर अब केंद्र सरकार के साथ ही साथ देश के तेरहवें महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी एतबार नहीं रहा! इसके पहले वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह ने भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों के बजाए निजी पत्रकारों को अपना मीडिया एडवाईजर बनाया था।
एक समय था जब सूचना प्रसारण मंत्रालय के डीएव्हीपी प्रभाग द्वारा केंद्र सरकार की उपलब्धियों, जन हितैषी योजनाओं आदि की सारगर्भित जानकारियों से युक्त चलचित्र बनाए जाते थे। इन चलचित्रों को डाक्यूमेंट्री फिल्म कहा जाता था और उस समय रूपहले पर्दे पर मनोरंजक फिल्म आरंभ होने के पहले इन डाक्यूमेंट्री फिल्म को दिखाया जाता था। इसे न्यूज रील भी कहा जाता था।
समय का पहिया घूमता रहा। मनोरंजन के साधनों में तेजी से इजाफा हुआ, और टाकीज़ का स्थान टीवी ने ले लिया। अब थियेटर में फिल्म देखने वालों की भीड़ चौथाई से भी कम बची है। इन परिस्थितियों में न्यूज रील बनाने और दिखाने का ओचित्य ही समाप्त सा हो गया है।
परिवर्तन के इस युग में नही बदला है तो सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा अपने आप को। आज भी यह मंत्रालय बाबा आदम के युग में ही लकीर का फकीर की तरह जी रहा है। आज भी इसके साउंड एण्ड ड्रामा प्रभाग, संगीत प्रभाग, प्रदर्शनी प्रभाग आदि में भारी भरकम कर्मचारी सरकारी तनख्वाह पा रहे हैं, जिनके पास कहने को कोई काम नहीं है। साल भर में दो एक प्रदर्शनी लगाकर ये अपने कर्तव्यों की इतश्री कर लेते हैं।
पत्र सूचना कार्यालय, डीएव्हीपी आदि में लायक अधिकारियों, कर्मचारियों की फौज के होने के बाद भी प्रधानमंत्री कार्यालय को एक अदद सूचना सलहकार आउटसोर्स करना सूचना प्रसारण मंत्रालय के प्रति प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का अविश्वास ही दर्शाता है। हरीश खरे और पंकज पचौरी इस बात का साक्षात उदहारण हैं कि पीएमओ ने भारतीय सूचना सेवा संवर्ग के किसी भी अधिकारी को इस योग्य नहीं समझा कि वह पीएमओ को संभाल सके।
पीएमओ के उपरांत अब देश के पहले नागरिक के कार्यालय अर्थात प्रेजीडेंट हाउस में भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिला है। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि महामहिम राष्ट्रपति के उन कार्यक्रमों को यू ट्यूब पर डाला है जिनमें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिस्सा लिया है। अधिकारियों ने कहा कि समारोहों को वेबसाइट पर डालने का उद्देश्य युवा पीढ़ी तक पहुंचना है। सूत्रों के अनुसार मुखर्जी के 13वें राष्ट्रपति के रुप में शपथ लेने के दो दिन बाद यह पहल शुरु की गई। राष्ट्रपति भवन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर पहले ही एक पेज बना चुका है जिसमें लोग अपनी व्यथा रख सकेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: