केंद्र पर बरसे
गोगोई
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)।
असम में फैली हिंसा पर नियंत्रण ना पाने में असफल रही चारों तरफ से घिरी राज्य
सरकार ने अब इसके लिए केंद्र सरकार को जवाबदेह बताना आरंभ कर दिया है। असम में
फैली हिंसा के लिए राज्य और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
राज्य के
मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने राज्य में हालत बिगड़ने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती
में देरी का आरोप लगाया है। उनके मुताबिक स्थानीय प्रशासन के अनुरोध के बावजूद
कोकराझाड़ में तैनात सेना की यूनिट ने मोर्चा संभालने से इन्कार कर दिया था। इस पर
केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि दूसरे राज्यों से अघ्र्द्धसैनिक बलों को
घटनास्थल तक पहुंचने में समय लगना स्वाभाविक है। जबकि राज्य के अनुरोध पर स्थानीय
यूनिट के इन्कार पर सेना का कहना है कि सांप्रदायिक हिंसा के कारण मोर्चा संभालने
के पहले रक्षा मंत्रालय की मंजूरी लेना जरूरी था।
समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया के गुवहाटी ब्यूरो से प्राप्त जानकारी के अनुसार अपनी आलोचनाओं से आहत
मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी में शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उनकी सरकार
को केंद्रीय गृह मंत्रालय से हिंसा फैलने की आशंका जैसी कोई खुफिया जानकारी नहीं
मिली। अगर उनके पास कोई ऐसी जानकारी थी तो उन्होंने तुरंत ही सेना क्यों नहीं
भेजी।
कोकराझाड़ के
उपायुक्त ने हिंसा की व्यापकता को देखते हुए 23 जुलाई को ही सेना
की स्थानीय यूनिट को मोर्चा संभालने का आग्रह किया था। लेकिन सेना ने यह कहते हुए
इन्कार कर दिया कि वे रक्षा मंत्रालय से निर्देश मिलने के बाद ही बैरक से बाहर
निकल सकते हैं। जबकि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 130 में सेना को
स्थानीय प्रशासन के अनुरोध को मानने का साफ निर्देश दिया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी
ने कहा कि यदि सेना उसी दिन बैरक से बाहर निकल आती को हिंसा को फैलने से रोका जा
सकता था। अंततरू रक्षा मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त होने के बाद सेना की टुकड़ी ने
दो दिन बाद यानी 25 जुलाई को
हिंसाग्रस्त इलाकों में फ्लैग मार्च किया। इस संबंध में पूछे जाने पर सेना
मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि इस हिंसा में दो संप्रदाय के लोग
शामिल थे, इसीलिए
हस्तक्षेप करने से पहले सेना के लिए रक्षा मंत्रालय की हरी झंडी जरूरी थी।
केंद्रीय
अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती में देरी के आरोपों को नकारते हुए केंद्रीय गृह
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार के अनुरोध के तत्काल बाद 20 जुलाई की रात को
पांच कंपनियां भेजने का आदेश दे दिया गया था। इसके बाद 22 जुलाई को नौ तथा 24 जुलाई को 43 कंपनियों को भेजने
के निर्देश दिए गए थे। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि मंत्रालय के आदेश के बाद
भी दूर के इलाकों से घटनास्थल तक पहुंचने में समय लगना स्वाभाविक है। अर्द्धसैनिक
बलों की कुल 73 कंपनियों
की तैनाती के आदेश हुए हैं, लेकिन 12 कंपनियां अब भी
रास्ते में फंसी हुई हैं।
उधर, समाचार एजेंसी ऑफ, इंडिया को मिली
जानकारी के अनुसार हिंसाग्रस्त कोकराझार, चिरांग और धुवरी जिलों में स्थिति धीरे धीरे
सामान्य हो रही है। श्री गोगोई ने कल बताया कि बाक्सा जिले में दो मामलों को छोड़
कर कहीं से किसी नई हिंसक घटना की खबर नहीं है। श्री गोगोई ने लोगों से शांति और
सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए असम पुलिस के
अलावा सेना की १३ और अर्धसैनिक बलों की ६५ कंपनियां तैनात की गई हैं। लगभग तीन लाख
९२ हजार लोग २७० राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। राहत शिविरों में खाद्य और
पेयजल तथा अन्य राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
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