कम समर्थन बना
अण्णा के मजाक का कारण!
(विनोद मणि गौतम)
नई दिल्ली (साई)।
टीम अण्णा के आंदोलन में कम भीड़ और समर्थन को लेकर एक ओर जहां सरकार उत्साहित है, वहीं उनका समर्थन
करने गए बाबा रामदेव भले ही साथ होने का दावा कर रहे हों पर वे परोक्ष तौर पर इस
आंदोलन को असफल ही करार दे रहे हैं।
भ्रष्टाचार के
खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन को समर्थन देने शुक्रवार को बाबा रामदेव भी जंतर-मंतर
पहुंचे। उन्होंने मरते दम तक आंदोलन का साथ देने का एलान भी किया, लेकिन वास्तव में
उनका सहयोग मंच तक सीमित रहा। मंच के बाहर वे लगातार आंदोलन का मजाक उड़ाते दिखाई
दिए।
अन्ना आंदोलन को
समर्थन देने पहुंचे बाबा रामदेव लगातार आंदोलन पर चुटकी लेते दिखाई दिए। यहां तक
कि उन्होंने लोगों की तादाद को ले कर भी मजाक बनाया। कांग्रेस नेताओं और सरकार के
मंत्रियों की तरह उन्होंने कम भीड़ पर सवाल खड़े करते हुए कहा, देश की आबादी 120 करोड़ है और कम से
कम एक फीसदी लोग साथ हों तभी इसे जन आंदोलन माना जाएगा। जब एक पत्रकार ने कहा, अन्ना के साथ तो
सवा सौ लोग भी दिखाई नहीं दे रहे, तो उन्होंने सिर्फ मुस्करा कर चुप्पी साध
ली।
हालांकि मंच पर
उन्होंने न सिर्फ अन्ना बल्कि अनशन कर रही उनकी टीम के सभी प्रमुख सदस्यों अरविंद
केजरीवाल, मनीष
सिसोदिया और गोपाल राय तक का बार-बार अभिवादन किया। उन्होंने अनशन स्थल पर मौजूद
लोगों से कहा, श्मीडिया
के लोग बार-बार मेरे और अन्ना के बीच मतभेद की बातें कहेंगे, लेकिन उनके बहकावे
में मत आना।श् इसी क्रम में उन्होंने मरते दम तक इस आंदोलन का साथ देने का एलान भी
किया।
भाषण के बीच जनता
ने उनसे मंत्रियों के भ्रष्टाचार पर बोलने को कहा तो बाबा ने कहा, कि नाम लिए जाते
हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने अपने भाषण में प्रधानमंत्री तक पर कई
बार हमला किया और कहा, कि एक ईमानदार प्रधानमंत्री मिल जाए तो देश का कल्याण हो जाए।
दुनिया भर में अपने प्रधानमंत्री को फिसड्डी कह कर मजाक बनाया जा रहा है। यह बड़े
शर्म की बात है। इससे पहले जंतर-मंतर पर अपने मंच से पीएम के भ्रष्टाचार की बात
करने पर उन्होंने केजरीवाल को रोक दिया था।
वहीं, लोगों की मौजूदगी
को ले कर टीम अन्ना को शुक्रवार को थोड़ी राहत मिली। शाम होते-होते, जब बाबा रामदेव
वहां पहुंचे, लोगों की
तादाद काफी बढ़ गई। हालांकि उनके जाने के बाद भीड़ फिर से घट गई। आयोजकों को भरोसा
है कि शनिवार से जंतर-मंतर पहुंचने वाले लोगों की तादाद काफी बढ़ जाएगी। उनके
मुताबिक, आंदोलन में
जनता को आने में दो-तीन दिन का समय लगता है। इसलिए जल्दबाजी में पूरे आंदोलन को ही
नकारना एक बड़ी भूल होगी।
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