0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 57
वृक्षारोपण के मामले में गलत बयानी क्यों?
क्या ऐसे बचेगें वन और पर्यावरण!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगाए जा रहे 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में संयंत्र प्रबंधन ने अब तक कोई भी वृक्षारोपण नहीं किया गया है। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के साथ ही साथ संयंत्र प्रबंधन द्वारा भी इस बारे में गलत बयानी ही की जा रही है।
संयंत्र प्रबंधन के सूत्रों का कहना है कि संयंत्र के इर्द गिर्द अब तक किसी भी तरह का वृक्षारोपण ही नहीं किया गया है। संयंत्र प्रबंधन को 22 अगस्त 2008 को हुई प्रथम चरण की लोकसुनवाई के उपरांत ही वृक्षारोपण करवा देना चाहिए था, वस्तुतः संयंत्र प्रबंधन ने एसा किया नहीं। प्रबंधन ने प्रथम चरण की अनुमति मिलने के उपरांत संयंत्र के निर्माण का काम आरंभ कर दिया। इस दरम्यान संयंत्र में भारी वाहनों की आवाजाही लगातार जारी रही, जिससे क्षेत्र में धूल के गुबार उड़ते रहे।
कहा जा रहा है कि क्षेत्र में रहने वाले गरीब आदिवासियों को इस धूल के कारण स्वास की तरह तरह की बीमारियां होने लगी हैं। संयंत्र प्रबध्ंान ने दावा किया था कि वह निर्माण अवस्था में आवागमन के मार्ग पर पानी का सतत छिड़काव करेगा और वहां वृक्षारोपण करवाएगा। वस्तुतः दोनों ही कामों से संयंत्र प्रबंधन ने अपने आप को दूर रखा है।
हद तो तब हो गई जब संयंत्र प्रबंधन ने दूसरे चरण की लोक सुनवाई में 22 नवंबर 2011 को यह स्वीकार किया कि उस तिथि तक संयंत्र प्रबंधन ने साईट या इर्द गिर्द कोई वृक्षारोपण नहीं करवाया गया है। इसके बाद जब मध्य प्रदेश प्रदूषण मण्डल के जबलपुर सिथत क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी श्री बुंदेला से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा झूठ बोल रहे हैं। वास्तविकता यह है कि वृक्षारोपण एक सतत प्रक्रिया है और गौतम थापर के इस संयंत्र ने वृक्षारोपण करवाया था। संभवतः श्री मिश्रा को वृक्षारोपण की जानकारी ही नहीं है।
सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो यह है कि एक तरफ संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा ने प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के आला अािकारियों के समक्ष ही 22 नवंबर 2011 को संयंत्र प्रबंधन द्वारा वृक्षारोपण न करवाए जाने की बात सर्वाजनिक तौर पर लोक सुनवाई में स्वीकारी थी, वहीं दूसरी ओर संयंत्र प्रबंधन का पक्ष गलत तरीके से लेते हुए श्री बुंदेला ने संयंत्र प्रबंधन के बचाव का असफल प्रयास किया है। इस तरह से पीसीबी का मशहूर उद्योगपति गौतम थापर की देहरी पर मुजरा करना समझ से परे ही माना जा रहा है।
कुल मिलाकर सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में पर्यावरण बिगड़े, प्रदूषण फैले, क्षेत्र झुलसे या आदिवासियों के साथ अन्याय हो इस बात से मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कुछ लेना देना नहीं है। यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के।डी।देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।
(क्रमशः जारी)
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