सड़क, रेल नहीं हवाई मार्ग से जाएं मोगली
लेण्ड!
भाजपा कांग्रेस की सिवनीवासियों को अनुपम सौगात
सड़क रेल का ठिकाना नहीं, एयर स्ट्रिप बनकर तैयार!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
जनता के हितों की सच्ची संवर्धक होने का दावा करने वाली कांग्रेस और भाजपा को जनता
की कितनी चिंता है इस बात का अंदाजा मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य सिवनी जिले को
देखकर लगाया जा सकता है। सनातन पंथियों के धर्मगुरू जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद
जी की जन्म स्थली होने के बाद सिवनी जिला आज रिसते घावों से बुरी तरह कराह रहा है।
मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और केंद्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने प्रसिद्ध लेखक
रूडयार्ड किपलिंग की मशहूर किताब ‘जंगल बुक‘ के किरदार ‘मोगली‘ की कर्मभूमि जाने के लिए सड़क और रेल मार्ग बंद करने का कुत्सित प्रयास किया
तो धनाड्यों के लिए हवाई यात्रा का पुख्ता इंतजाम कर दिया है।
शेरशाह सूरी के
शासनकाल में लगभग साढ़े चार सौ साल पुरानी उत्तर से दक्षिण को जोड़ने वाली सड़क जो पहले
नेशनल हाईवे नंबर सात हुआ करती थी, अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के शासनकाल की अभिनव और महात्वाकांक्षी
परियोजना स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे का हिस्सा है
में षणयंत्र को अंजाम देकर इसका निर्माण तो दूर रखरखाव भी रोक दिया गया है।
आरोपित है कि
वर्ष 2008 में तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि के एक आदेश के तहत इस सड़क में
वृक्षों की कटाई का काम रोक दिया गया था, जो आज तक प्रभावशील है। विधि के जानकारों का कहना है कि इस तरह के मामलों में
एक जिलाधिकारी का आदेश दूसरा जिलाधिकारी निरस्त नहीं कर सकता है। इसके लिए राजस्व मण्डल
की पूर्वानुमति की आवश्यक्ता होती है। इस संबंध में कुछ लोगों द्वारा संभागायुक्त के
दरवाजे खटखटाए गए।
विडम्बना ही कही
जाएगी कि भाजपा के शासनकाल में कांग्रेस के क्षत्रपों के इशारों में मध्य प्रदेश के
नौकरशाह उनकी चौखट पर मुजरा कर रहे हैं। संभागायुक्त द्वारा इस संवेदनशील मामले को
लंबित कर दिया गया। संभागायुक्त कार्यालय के एक कर्मचारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त
पर बताया कि तत्कालीन संभागायुक्त को महाकौशल के एक कांग्रेसी क्षत्रप ने जो घुटी पिलाई
उसके बाद इस नस्ती पर धूल की परत जमना आरंभ हो गया।
इस सड़क के निर्माण
के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लगी याचिका का निष्पादन भी कर दिया गया है, फिर भी सड़क पर एक गिट्टी भी डालकर
इसका निर्माण नहीं करवाया जाना आश्चर्य का विषय है। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान दंभ भरते
हैं कि भले ही सूरज पश्चिम से निकल जाए सड़क यहीं से बनेगी। उनकी इस दंभोक्ति के दो
साल बाद भी हालात जस के तस ही हैं। इतना ही नहीं शिवराज के एक बेहद करीबी बिल्डर ने
सिवनी जिले में अपना बेस केम्प बनाकर इस सड़क के निर्माण का काम पेटी पर लिया था, वे भी अपना बोरिया बिस्तर समेटकर
भोपाल कूच कर गए हैं।
मध्य प्रदेश भाजपा
के निजाम प्रभात झा भी तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को घेरने में नाकाम ही
रहे। उन्होंने भी दो मर्तबा घोषणा की कि एनएच पर मानव श्रंखला बनाई जाएगी, हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, फिर प्रधानमंत्री से मिला जाएगा।
सियासी गोदे (अखाड़े) के जादूगर कमल नाथ के सामने आते ही यह आंदोलन हो ही नहीं पाया।
इसके बाद प्रभात झा ने घोषणा की थी कि सिवनी में फोरलेन बनाने के लिए भाजपा का प्रदेश
स्तरीय महिला मोर्चा आगे आकर आंदोलन करेगा।
इस घोषणा से सिवनी
वासियों का ढाढस बंधा क्योंकि मध्य प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष और कोई नहीं, वरन् परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी
लोकसभा की अंतिम सांसद और सिवनी की वर्तमान विधायक श्रीमति नीता पटेरिया थीं। प्रभात
झा की घोषणा महज घोषणा ही साबित हुई। ना नौ मन तेल आया और ना ही राधा नाची!
अलबत्ता इस सड़क
की दुर्दशा को देखकर सिवनी जिले की आदिवासी विधानसभा बरघाट के विधायक कमल मस्कोले ने
अवश्य ही क्रमिक अनशन का आगाज किया। यह अनशन भी प्रदेश संगठन की भेंट चढ़ गया बताया
जाता है। प्रदेश भाजपा के सूत्रों का कहना है कि जिस दिन कमल मस्कोले द्वारा अमरण अनशन
आरंभ किया जाना था उसी दिन भाजपा के निजाम ने कमल मस्कोले को जमकर लताड़ा।
इसके बाद नाटकीय
घटनाक्रम के तहत कमल मस्कोले के अनशन में एनएचएआई के अधिकारी पहुंचे और लिखित आश्वासन
देकर उनका अनशन तुड़वाया। यहां उल्लेखनीय होगा कि कमल मस्कोले के संज्ञान में यह बात
अवश्य होगी कि एनएचएआई के अधिकारियों को जब न्यायालय में झूठा शपथ पत्र देने से गुरेज
नहीं तो फिर विधायक को लिखकर देने में उन्हें क्या परेशानी!
इसी तरह जनता
के हित चिंतक होने का दावा करने वाले शराब व्यवसाई और नगर पंचायत लखनादौन के पूर्व
अध्यक्ष दिनेश राय मुनमुन ने लखनादौन में चकाजाम किया था। तत्कालीन अपर कलेक्टर अलका
श्रीवास्तव के लिखित आश्वासन के बाद उन्होंने अनशन तोड़ा। जिला प्रशासन का लिखित आश्वासन
चतुर सुजान दिनेश राय मुनमुन ने कांग्रेसी क्षत्रपों के इशारे पर मढवा लिया होगा जो
अब उनके बैठक खाने की शान बढ़ा रहा होगा, वरना क्या कारण है कि तीन साल बाद भी उस आश्वासन को लेकर शराब व्यवसाई दिनेश
राय आज तक जिला प्रशासन की देहरी चढ़ने नहीं गए।
यही आलम रेल मार्ग
का है। सिवनी जिले की सीमाएं छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, जबलपुर, मण्डला, बालाघाट और नागपुर जिलों से घिरीं हैं। इनमें मण्डला को छोड़कर शेष सभी जिलों
में रेल्वे की ब्राड गेज आ चुकी है। छिंदवाड़ा से परासिया बड़ी रेल लाईन होने से अब कमल
नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा से नई दिल्ली के लिए एक रेलगाड़ी रोजाना ही दौड़
रही है। इसके अलावा एक रेल गाड़ी में एक कोच लगकर दिल्ली तक जाता है। इसी तरह नरसिंहपुर, जबलपुर और नागपुर पहले से ही बड़ी
रेल लाईन के मामले में समृद्ध हैं।
कमल नाथ की कृपादृष्टि
बालाघाट पर पड़ी और बालाघाट से कटंगी और बालाघाट से गोंदिया तक रेल मार्ग का अमान परिवर्तन
हो गया। बालाघाट से जबलपुर तक के अमान परिवर्तन के लिए एक उद्योगपित प्रयासरत हैं।
बताया जाता है कि अवंथा समूह के मालिक मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका इकबाल सियासी
गलियारों में खासा बुलंद है, इस मार्ग के अमान परिवर्तन का काम युद्ध स्तर पर करवाने प्रयासरत इसलिए हैं
क्योंकि आदिवासियों के सीने पर पैर रखकर वे केंद्र शासन की छटवीं अनुसूची में शामिल
घंसौर विकासखण्ड में 6800 करोड़ रूपए की लागत से एक पावर प्लांट लगाने जा रहे हैं।
अमान परिवर्तन
के मामले में सिवनी जिला आज भी बाबा आदम के युग की छोटी खिलौना रेलगाड़ी में जी रहा
है। सिवनी में ना सड़क है और ना ही बड़ी रेल लाईन। भेडिया बालक मोगली की कर्मभूमि होने
के कारण सिवनी को अंतर्राट्रीय नक्शे में स्थान मिल गया है। पेंच नेशनल पार्क स्थित
मोगली की कथित कर्मभूमि में पहुंचने वाले पर्यटकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़
रहा है।
संभवतः देशी विदेशी
पर्यटकों को लुभाने और उद्योगपतियों की सुविधा को मद्देनजर रख सिवनी जिले में हवाई
पट्टी का निर्माण सड़क और रेल मार्ग को पूरा करने के पहले ही पूरा कर लिया गया है। एविएशन
विभाग के सूत्रों का कहना है कि सिवनी जिले के ग्राम सुखतरा में बनी नई हवाई पट्टी
का रनवे लगभग दो हजार मीटर रखा गया है। इस लंबाई के रनवे पर जेट विमान भी आसानी से
उतर सकते हैं। इसमें दो हेलीपेड भी बनाए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि इसका निर्माण
लगभग पूरा हो चुका है। टेक्निकल स्टाफ जल्द ही जाकर अंतिम मुआयना कर इसको लोकार्पण
के लिए हरी झंडी दे देगा।
सिवनी जैसे पिछड़े
जिले में हवाई पट्टी का निर्माण निश्चित तौर पर स्वागतयोग्य और विकास की दिशा में एक
कदम माना जा सकता है। किन्तु यक्ष प्रश्न तो यह है कि गरीब गुरबों के जिस जिले को सड़क
और रेल मार्ग से महरूम रखा जा रहा हो, वहां के गरीब आदिवासी क्या हवाई यात्रा करने में सक्षम हैं। विचित्र किन्तु
सत्य बात तो यह है कि सिवनी जिले में सड़कों के धुर्रे उड़े हुए हैं, छोटी खिलौना रेलगाड़ी बंद होने की
कगार पर है पर आठ सीटर उड़न खटोला उड़ाने की तैयारी हो रही है!
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