कौन लेगा मंडियों की सुध!
(शरद खरे)
सिवनी जिले में जितनी भी मंडियां वैध
रूप से काम कर रही हैं, वे सारी की सारी बदहाल हैं। अवैध मंडियां यानी क्रिकेट सट्टा, जुंआ, देह व्यापार की मंडियां जो अवैध रूप से
संचालित हैं, पूरी तरह गुलजार कही जा सकती हैं। मंडियों के हालात इस कदर खराब है कि
बारिश के दिनों में यहां घुसना दुष्कर ही साबित होता है। जिले की हर मंडी चाहे वह
फुटकर सब्जी मंडी हो, थोक सब्जी मण्डी या फिर कृषि उपज मण्डी, हर ओर अव्यवस्थाओं का आलम पसरा हुआ है।
सिवनी की थोक सब्जी मण्डी जीएन रोड़ पर
स्थित है। इस मण्डी में माल लेकर आने वाले भारी वाहनों की धमाचौकड़ी से यातायात
बुरी तरह प्रभावित होता है। यह सब जनता देखती है, नगर पालिका देखती है, पर नहीं दिखता तो यातायात पुलिस के
कर्मचारियों को। वहीं फुटकर सब्जी मण्डी भी जीएन रोड पर ही स्थित है। इस सब्जी
मण्डी में अगर आप बारिश के दिनों में घुस जाएं तो तीन दिन खाना खाने से परहेज ही
करेंगे। इस कदर गंदगी से बजबजा रही है यह सब्जी मण्डी।
मजे की बात तो यह है कि दोनों ही सब्जी
मण्डियों में आवारा मवेशी विशेषकर सुअरों का आतंक जबर्दस्त तरीके से है। स्वाईन
फ्लू के लिए जवाबदेह सुअर, सब्जी मण्डी में फलों सब्जियों में मुंह मारकर उन्हें गंदा करने से नहीं
चूकते हैं। आसमान छूते सब्जी के दामों के चलते सब्जी विक्रेता इन सुअर-कतरी
सब्जियों को फेंकने के बजाए इन्हें सुआ (मिट्ठू) कतरी बताकर बेच दिया करते हैं।
इस सब्जी मण्डी के बाहर जीएन रोड़ पर खड़े
ठेले और रेहड़ी वालों के आतंक के चलते यहां पार्किंंग की सुविधा नहीं हो पाती है।
सड़कों पर लगने वाली दुकानों से नगर पालिका परिषद् द्वारा बकायदा अस्थाई दखल शुल्क
वसूला जाता है, पर इसे अतिक्रमण मानकर कार्यवाही करने से सदा ही बचा जाता है। पार्किंंग
के अभाव में सब्जी मण्डी के अंदर दो पहिया वाहन चालक अपने वाहनों में ही जाकर
सब्जी खरीदने पर विवश हैं। सब्जी मण्डी की सकरी गलियों में वाहनों की रेलमपेल से
पैदल सब्जी खरीद करने वालों को परेशानी उठानी पड़ती है। बारिश के दिनों में इस तरह
से लोगों के कपड़े जब तब कीचड़ से सन जाया करते हैं।
पिछले दिनों प्रशासन द्वारा पुराने
एलआईबी तिराहे से जीएन रोड़ मार्ग पर लगने वाले अस्थाई सब्जी बाजार (जो नगर पालिका
की उदासीनता से लगभग पांच सालों से लग रहा था) को हटवाया गया। इसके बाद प्रशासन
शांत हो गया और एक बार फिर वहां सब्जी की छिटपुट दुकानें लगना आरंभ हो गई हैं। इसी
तरह का एक अस्थाई बाजार बारापत्थर में तिकोना पार्क से स्टेट बैंक जाने वाले मार्ग
पर लगने लगा था।
दरअसल, सिवनी जिले में विकास के मायने यह हो गए
हैं कि अपने घर पर एक दुकान खोल ली जाए। नपुंसक नगर पालिका प्रशासन के कारण सिवनी
अब शटर्स का शहर बन गया है। जिस घर में देखो एक शटर अवश्य ही दिख जाएगी। पता नहीं
वार्ड के पार्षद इस बात पर आपत्ति क्यों नहीं लेते। आखिर इन्हें अपने घर में
व्यवसायिक गतिविधि संचालित करने की अनुमति कैसे मिल जाती है। क्या नगर पालिका
प्रशासन ने अब तक इस बात को चिन्हित किया है कि शहर के कितने घरों में व्यवसायिक
गतिविधियां संचालित हो रही हैं, अगर व्यवसायिक गतिविधि संचालित हो रही
है, तो पालिका को चाहिए कि दूरसंचार विभाग और बिजली विभाग को इसकी सूचना दे, और यहां संस्थापित टेलीफोन और होने वाली
बिजली की खपत को, व्यवसायिक टैरिफ से वसूला जाए।
सिवनी की थोक सब्जी मण्डी के हाल तो
बुरी तरह बेहाल हैं। यहां आने वाले माल के बारे में किसी को भी पता नहीं होता है।
यहां रोजाना लाखों रूपयों का धंधा होता है। इसमें से कितना आयकर, कितना विक्रयकर जमा किया जाता है, इस बारे में शायद ही कोई जानता होगा।
यहां बैठे बड़े बड़े सब्जी व्यवसाईयों की मोनो पल्ली सालों से चली आ रही है। कोई नया
व्यापारी अगर सब्जी के धंधे में उतरने का साहस करता है, तो इनकी साम, दाम, दण्ड और भेद की नीति की भेंट चढ़ जाता है
बिचारा।
फुटकर और थोक सब्जी मण्डी में खराब हो
चुकी सब्जी को व्यवसाईयों द्वारा सड़कों पर इस तरह फेंक दिया जाता है, मानो वह एक बड़ा सा डस्ट बिन हो। सड़कों
पर सड़ रही सब्जियों में जब आवारा मवेशी विशेषकर सुअर टूट पड़ते हैं तब आने जाने
वालों को इनके काटने और दुर्घटना का भय बना रहता है। सड़क किनारे पड़ी, सड़ी गली सब्जी को अगले दिन सुबह ही
पालिका कर्मचारियों द्वारा साफ किया जाता है। दिन भर इससे उठने वाली दुर्गन्ध से
राहगीर परेशान हुए बिना नहीं रहते हैं। इस तरह गंदगी फैलाती, सड़ी सब्जियों के लिए जिम्मेदार
व्यापारियों के खिलाफ कार्यवाही करना या चालान बनाना नगर पालिका की शान के शायद
खिलाफ ही है। थोक सब्जी मण्डी जाने वाले मार्ग का द्वार इतना सकरा है कि वहां से
एक बार में अगर एक भारी वाहन आता है तो लगभग आधे घंटे के लिए पूरा यातायात अवरूद्ध
हो जाता है। देखा जाए तो सुबह सात बजे के पहले यहां भारी वाहनों से सब्जी उतरना चाहिए
किन्तु यहां तो दिन उगने से दिन ढलते तक यह सिलसिला जारी रहता है।
कुल मिलाकर सिवनी शहर की ही सब्जी मण्डियों के हाल बुरी तरह बेहाल हैं। विपक्ष
में बैठी कांग्र्रेस के नेताओं को स्थानीय समस्याओं से शायद लेना देना नहीं रह गया
है, यही
कारण है कि वे हर समय प्रदेश स्तर के प्रवक्ताओं के काम में दखलंदाजी कर शिवराज
सिंह चौहान को कोसते नजर आते हैं। स्थानीय विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, जिला भाजपाध्यक्ष नरेश दिवाकर सहित नगर पालिका
अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी एवं अन्य पार्षदों को भी आम जनता को होने वाली समस्याओं से
ज्यादा लेना देना नहीं दिखता है। चुनाव की बेला में भाजपा द्वारा किसानों को नाराज
किया जाना आश्चर्यजनक ही है।
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