देश में शीत लहर का
प्रकोप
(मणिका सोनल)
नई दिल्ली (साई)।
देश भर में अब ठण्ड ने अपना असर दिखाना आरंभ कर दिया है। देश भर से समाचार एजेंसी
ऑफ इंडिया के ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को
छोड़कर शेष स्थानों में तापमान तेजी से लुढ़क रहा है। यह तो अच्छा है कि स्कूली
बच्चों के अवकाश आरंभ हो गए हैं तो बच्चों और पालकों को कुछ राहत है।
शिमला से समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से रीता वर्मा ने बताया कि प्रदेश में मौसम दूसरे सप्ताह
भी सामान्य बना हुआ है। दिन के समय अच्छी धूप खिल रही है व तापमान में भी कहीं
बढ़ोतरी तो कहीं गिरावट दर्ज की जा रही है। इस वर्ष 25 दिसंबर क्रिसमस के अवसर पर
बर्फबारी होने की कोई संभावना नहीं है, जिससे क्रिसमस के लिए राजधानी पहुंच रहे
पर्यटकों में भी निराशा है। हालांकि मौसम विभाग 26 दिसंबर को ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों
में बर्फबारी की संभावना जरूर जता रहा है।
व्हाइट न्यू ईयर की
बात करें तो 2002 में 31 दिसंबर को हिमपात हुआ था, मगर इसके बाद पिछले
नौ साल से हर बार मौसम की बेरुखी सैलानियों को निराश कर रही है। मौसम विभाग के
आंकड़ों की बात करें तो इससे पहले 2000, 2010 में 31 दिसंबर को हिमपात दर्ज किया गया
था। मौसम के मिजाज को देख कर इस वर्ष भी नए साल पर बर्फबारी होने की संभावना नजर
नहीं आ रही है।
मौसम विभाग के
विशेषज्ञों के अनुसार प्रदेश में 26 दिसंबर को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से
प्रदेश के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों सहित कम ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी व मैदानी
क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना है। विभाग के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान
अधिकतम तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है, जबकि न्यूनतम
तापमान में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं हुआ है। सोमवार को राजधानी शिमला में
सुबह से ही मौसम साफ रहा और दिन भर अच्छी धूप खिली रही। राजधानी घूमने आए पर्यटक व
स्थानीय लोगों ने दिन भर अच्छी खिली धूप का आनंद उठाया।
हिमाचल प्रदेश में
जनजातीय लाहौल स्पीति जिले में किलोंग सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम
तापमान शून्य से 10 डिग्री नीचे तक पहुंच गया।
मौसम विभाग के अनुसार शिमला एवं धर्मशाला में न्यूतनम तापमान 3।4 डिग्री
रहा। भुंतर, मनाली एवं सुंदरनगर
में न्यूनतम तापमान क्रमशरू शून्य, 0।2 एवं 0।5 डिग्री सेल्सियस रहा। उना एवं कल्पा
में न्यूनतम तापमान 1।4 डिग्री रहा, जो सामान्य से दो से तीन डिग्री कम है।
पंजाब के अमृतसर में पारा 2।2 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया, जबकि नारनौल में
न्यूनतम तापमान 3।5 डिग्री सेल्सियस रहा। पाटियाला में 4।6, लुधियाना में 5।2, भिवानी में छह
डिग्री तथा अंबाला में 6।4 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान रहा।
रिम्स में मरीजों
के परिजनों को सर्द हवा में वार्ड के बाहर कॉरीडोर में फर्श पर सोना पड़ रहा है। कई
परिजन बैठ का रात बिताने को विवश है। अस्पताल में मरीज के परिजनों के लिए कोई
व्यवस्था नहीं है,
जिससे यह समस्या हुई है। लेबर रूम एवं बच्च विभाग के एसएनसीयू
में भरती बच्चों के परिजन को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इसके अलावा हड्डी विभाग, न्यूरो एवं सजर्री
विभाग में मरीजों का अत्यधिक लोड होने के कारण, ये वार्ड की गैलरी
में फर्श पर सो रहे है। हालांकि रिम्स प्रबंधन ने वार्ड में प्रत्येक भरती मरीजों
के परिजनों को कंबल मुहैया करने का दावा किया है। रिम्स निदेशक डॉ तुलसी महतो ने
बताया कि अस्पताल में पेईंग वार्ड का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें मरीज अपने
परिजन के साथ इलाज करा सकते हैं।
वहीं रांची से
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से नीलिमा सिंह ने बताया कि राज्य में कड़ाके की
ठंड पड़ रही है। न्यूनतम तापमान लगातार गिर रहा है। रविवार को राजधानी के शहरी
क्षेत्र का तापमान 6.5 रिकार्ड किया गया। वहीं बीएयू के तापमापी यंत्र ने कांके
में न्यूनतम तापमान 2.2 डिग्री सेसि रिकार्ड किया। कांके में शिमला से ज्यादा ठंड
है, क्योंकि
वहां का न्यूनतम तापमान 3.4 डिग्री सेसि है। राजधानी का अधिकतम तापमान 20 से 23
डिग्री सेसि के बीच रहा। कड़ाके की ठंड का असर आम जनजीवन पर भी दिख रहा है। शाम ढलते सड़कें खाली हो जा रही हैं। अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रशासन ने शहर
के 31 चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था की
है।
कांके में कई
स्थानों पर बर्फ जम गयी है। करकट्टा में पुआल पर दोपहर तक बर्फ जमी रही। ग्रामीणों
ने बताया कि सब्जियों के खेतों में ओस की बूंदें जमा थी। इससे सब्जियों के नुकसान
की उम्मीद भी किसानों ने जतायी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम ढलते यहां लोग
घरों में दुबक जा रहे हैं।
जम्मू एवं काश्मीर
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से विनोद नेगी ने बताया कि कश्मीर तथा हिमाचल
प्रदेश के कईजिलों में हो रही जबरदस्त बर्फबारी का असर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे
राज्यों में दिख रहा है। श्रीनगर, लेह, लद्दाख, कुल्लू आदि स्थानों
पर तापमान शून्य से नीचे हो रहा है। उत्तर-पश्चिमी हवा बह रही है। इस कारण हवा में
कनकनी है। सर्द हवा सीधे हड्डी कंपकंपा रही है।
वहीं ऑनलाइन हेल्थ
काउंसलिंग में रविवार को शिशु रोग विशेषज्ञ सह जेनरल फिजिशियन डॉ अनिल कुमार ने
पाठकों को ठंड के मौसम में होनेवाली समस्याओं और उससे बचाव के बारे में जानकारी
दी। कहा, हर उम्र के
लोग ठंड के प्रभाव में आ रहे हैं। मौसमी बीमारियों का खतरा ज्यादा है। इसलिए सभी
को ठंड से बचने का प्रयास करना चाहिए। इन दिनों बच्चों पर वायरस का असर ज्यादा हो
रहा है। वे बुखार,
सर्दी, खांसी, वायरल डायरिया, निमोनिया जैसी
बीमारियों की चपेट में आसानी से आ रहे हैं। हालांकि, समय से इलाज होने
पर तीन से पांच दिनों में स्वस्थ हो जाते हैं।
पंजाब के समाचार
एजेंसी ऑफ ब्यूरो से विक्की आनंद ने बठिंडा साई ब्यूरो के हवाले से बताया कि मौसम
की पहली धुंध ने ही आवागमन को बुरी तरह प्रभावित किया है। सबसे ज्यादा असर
रेलगाड़ियों पर पड़ा है। अधिकतर गाड़ियां निर्धारित समय से घंटों देरी से चल रही हैं।
लंबी दूरी की गाड़ियां तो दस से सोलह घंटे तक लेट चल रही हैं। सड़क यातायात का भी
यही हाल है। सड़कों पर वाहन रेंगने को मजबूर हैं।
धुंध के कारण
श्रीगंगानगर-हावड़ा के दरम्यान चलने वाली 3008/3007 उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस
बारह से सोलह घंटे देरी से चल रही है। बठिंडा सुबह 3.40 बजे पहुंचने वाली यह ट्रेन
शाम को आठ बजे पहुंची। यही हाल मुंबई-फिरोजपुर पंजाब मेल का रहा, जोकि दस घंटे देरी
से देर रात 12.30 बजे पहुंची। रेलवे ने धुंध के कहर से निपटने के लिए गाड़ियों की
रफ्तार दस किलोमीटर प्रति घंटा कम कर दी है।
गाड़ियों की
लेटलतीफी से यात्रियों की आफत है। बेचारे कड़कती ठंड के बीच घंटों इंतजार को विवश
हैं। पशोपेश में घिरी सवारियां बार-बार पूछताछ में उलझी रहीं, जबकि हर अनाउंसमेंट
गाड़ी की देरी ही बढ़ाता चला गया। वहीं स्टेशन पर अपने परिचितों-रिश्तेदारों को
स्टेशन पर लिवाने आए लोगों को भी अतिथियों के समय पर न पहुंच पाने की चिंता सताती
रही। लोग बार-बार मोबाइल पर उनके पहुंचने की जानकारी लेते रहे। दुविधा में फंसे
यात्री टिकट कैंसिल करवाने की भी हालत में नहीं क्योंकि इन्हें अपने गंतव्यों तक
पहुंचने में सबसे सुरक्षित रेलगाड़ी ही है जबकि बस एवं अन्य वाहनों के पहिए भी धुंध
ने जमा दिए हैं।
गाड़ियों की लेटलतीफी
से यात्रियों की आफत है। बेचारे कड़कती ठंड के बीच घंटों इंतजार को विवश हैं।
पशोपेश में घिरी सवारियां बार-बार पूछताछ में उलझी रहीं, जबकि हर अनाउंसमेंट
गाड़ी की देरी ही बढ़ाता चला गया। वहीं स्टेशन पर अपने परिचितों-रिश्तेदारों को
स्टेशन पर लिवाने आए लोगों को भी अतिथियों के समय पर न पहुंच पाने की चिंता सताती
रही। लोग बार-बार मोबाइल पर उनके पहुंचने की जानकारी लेते रहे। दुविधा में फंसे
यात्री टिकट कैंसिल करवाने की भी हालत में नहीं क्योंकि इन्हें अपने गंतव्यों तक
पहुंचने में सबसे सुरक्षित रेलगाड़ी ही है जबकि बस एवं अन्य वाहनों के पहिए भी धुंध
ने जमा दिए हैं।
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