अपर्याप्त हैं मोबाइल टावर
नई दिल्ली (साई)। दूरसंचार सेवाओं के लिए मौजूदा स्पेक्ट्रम संबंधी जरूरतों तथा उपयोग की वजह से, कुछ फ्रीक्वेंसी बैंडों में स्पेक्ट्रम की कमी है। सेवा प्रदाता स्वयं अपने टावरों की स्थितिएवं संख्या के बारे में निर्णय अपनी तकनीकी एवं व्यावसायिक अपेक्षाओं के मद्देनज़र लेते हैं। फिलहाल, देश में लगभग 7.5 लाख से अधिक मोबाइल टावर हैं तथा संबंधित सेवा प्रदाताओं द्वारा और मोबाइल टावरों की स्थापना नियमित रूप से की जा रही है। अधिक टावरों की संस्थापना से नेटवर्क कवरेज बेहतर हो सकती है।
बीएसएनएल ने सरकार की सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (यूएसओ) के माध्यम से विशेषकर ग्रामीण/सुदूरवर्ती क्षेत्रों में अनेक मोबाइल टावरों की स्थापना की है। जहां तक मोबाइल टावरों से निकलने वाले विद़्युतचुंबकीय विकिरण की बात है, सरकार ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को बेस ट्रांसरिसीवर स्टेशनों (बीटीएस) द्वारा विद़्युतचुंबकीय क्षेत्र (ईएमएफ) दुष्प्रभाव संबंधी विकिरण मानकों के क्रियान्वयन के बारे में समय-समय पर निर्देश जारी किए हैं।
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री मिलिन्द देवरा ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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