शिक्षा विभाग की सजगता फेल
बोर्ड परीक्षा में गेसिंग का खेल
(शिवेश)
सिवनी (साई)। माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा संचालित कक्षा 12 वीं की परीक्षाओं का संचालन पूरे जिले में सावधानीपूर्वक किया जा रहा है। वहीं कुछ नकल के प्रकरण भी सामने आ रहे हैं, लेकिन चौकाने वाली बात तो यह है कि जहां शिक्षा विभाग परीक्षा को लेकर अपनी पूरी सर्तकर्ता और तैयारी बता रहा है, वहीं विभाग की पोल एक ऐसे मामले से खुलती है, जिसे पढ़कर स्वयं शिक्षा विभाग के होश उड़ जाएंगे। वर्तमान में चल रही 12 वीं की परीक्षा में कुछ प्रश्रपत्र की कॉपी परीक्षार्थियों के पास पहले से ही उपलब्ध हैं।
सूत्रों की माने तो 12 वीं के प्रश्रपत्र को ही गेसिंग के रूप में नगर में किसी बाबू का पुत्र ऐसे प्रश्रपत्र की फोटोकॉपी परीक्षार्थियों को बेच रहा है, जिसकी कीमत लगभग 1500 रू. एक प्रश्रपत्र की गेसिंग के रूप में लिया जा रहा है। यह फोटोकॉपी उन परीक्षार्थियों के लिए ब्रम्हास्त्र साबित हो रही है, जिन्होंने साल भर पढ़ाई- लिखाई न कर मौज मस्ती में बिताया है, लेकिन वही यह गेसिंग उन परीक्षार्थियों के लिए घातक सिद्ध हो रही है, जो वर्ष भर मन लगाकर पढ़ाई कर अच्छे अंक लाने के लिए मेहनत करते हैं।
वैसे तो सिवनी जिले की यह परंपरा बन चुकी है कि कुछ परीक्षार्थी शिक्षकों एवं कोचिंग इन्स्टीट्यूट में मुंहमांगी फीस देकर परीक्षा में पास होने के जुगाड़ में लगे रहते हैं। कक्षा 12 वीं के रसायन शास्त्र प्रश्रपत्र पर इस गेसिंग में 75 अंक का था, जिसमें अधिकांश वास्तुनिष्ठ प्रश्र की वह फोटोकॉपी परीक्षार्थियों के पास उपलब्ध है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जहां शिक्षा विभाग अपनी सक्रियता की बात कर परीक्षा में आने वाले प्रश्रपत्रों की गोपनीयता की दम भर रहा है, लेकिन यह दम खोखली बाते सिद्ध होती हैं। क्योंकि गेसिंग पर फंस रहे प्रश्रों से यह स्पष्ट होता है कि विभाग के द्वारा प्रश्र पत्र को लीक कर गेसिंग माफियों को लाभ पहुंचाने का यह सुनहरा प्रयास स्वयं शिक्षा विभाग ने ही किया है। अगर ऐसा नहीं होता तो ऐसे प्रश्रपत्र बाजार में उपलब्ध ही नही होते। परीक्षार्थियों के बीच बिकती यह गेसिंग का मामला जांच का विषय है। अब देखना यह है कि इस मामले पर शिक्षा विभाग कोई एक्शन लेता है या फिर जिला प्रशासन के मुखिया अजीत कुमार इस मामले को संज्ञान में लेकर इस पर कोई कार्यवाही करेंगे?
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