बुधवार, 24 अप्रैल 2013

शर्म से झुक गया सिवनी वासियों का सर


शर्म से झुक गया सिवनी वासियों का सर

(एस.के.खरे)

मध्य प्रदेश में सिवनी को भगवान शिव की नगरी के नाम से पहचाना जाता है। सिवनी वैसे तो कई बार राष्ट्रीय फलक पर छाया है पर इस बार सिवनी का नाम बुरे अर्थ में सामने आया है। देश भर में सिवनी के इस कृत्य की थू थू हो रही है। सिवनी के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में जो हुआ वह वाकई मानवता को शर्मसार करने के लिए काफी है। प्रशासन भले ही इसे स्वीकार ना करे पर इस संबंध में प्रशासनिक विफलता सामने आई है।
सिवनी जिले में वर्ष 2008 में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा कोल आधारित एक पावर प्लांट की संस्थापना का काम जारी है। यह संयंत्र आरंभ से ही विवादों में रहा है। यहां महाकौशल के राजनैतिक पहुंच संपन्न नेता नुमा ठेकेदारों की बपौती चलती है इस बारे में कई बार खबरें प्रकाश में आईं। सिवनी के मजदूर भले ही मनरेगा के बावजूद भी यहां से जीवीकोपार्जन के लिए बाहर जाते हों पर, यहां बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा आदि प्रांत से मजदूर काम करने के लिए लाए गए हैं। इस संयंत्र में अब तक लगभग दो दर्जन मजदूरों की संयंत्र की चिमनी के निर्माण के दौरान काल कलवित होने की खबरें भी हैं।
यक्ष प्रश्न तो यह है कि आखिर अब तक प्रशासन ने इसकी सुध क्यों नहीं ली। क्यों लोगों की चीत्कार प्रशासन के कानों में नक्कारखाने की तूती ही साबित हुई है। संयंत्र प्रबंधन द्वारा इसके पहले कर्मचारियों के साथ जो व्यवहार किया गया है वह किसी से छिपा नहीं है। मजदूरों की मांग थी कि संयंत्र प्रबंधन उन्हें परिचय पत्र जारी करे पर संयंत्र प्रबंधन ने तुगलकी रवैया अख्तियार करते हुए यह काम सुरक्षा के लिए तैनात एजेंसी के हवाले कर दिया।
आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि सिवनी जिले के घंसौर में बनने वाले इस पावर प्लांट का एक भी कार्यालय जिला मुख्यालय सिवनी में नहीं है। जबलपुर में इसने अपना पत्राचार का कार्यालय खोला हुआ है। प्रशासन के साथ ही साथ जिले के जिम्मेदार कांग्रेस के सांसद बसोरी सिंह मसराम, विधायक हरवंश सिंह, भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख, विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, श्रीमति शशि ठाकुर और कमल मस्कोले ने भी जिले के हितों की चिंता नहीं की है।
कुछ बिन्दु ऐसे हैं जो आज भी अनुत्तरित हैं। सुरक्षा के मानकों के बारे में ही अगर विचार किया जाए तो घंसौर पुलिस ने अब तक यहां बाहर से आने वाले मजदूरों की मुसाफिरी दर्ज क्यों नहीं की? देखा जाए तो मुसाफिरी दर्ज कराने का काम आजादी के पहले से होता आया है। इस संयंत्र के अंदर होने वाली दुर्घटनाओं के बारे में पुलिस का रवैया लचीला ही बताया जाता है, इसका कारण क्या है?
दिल्ली में पांच साल की बच्ची के साथ हुए हादसे के बाद दिल्ली पुलिस ने एक एसीपी जो भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी होते हैं और एसएचओ को निलंबित किया है। सिवनी में एसा कुछ भी नहीं हुआ। अगर बाहर से आने वाले मजदूरों की मुसाफिरी दर्ज होती तो निश्चित तौर पर आरोपी फिरोज अब तक पुलिस की गिरफ्त में होता। अगर वह संयंत्र प्रबंधन का कर्मचारी है तो यह संयंत्र प्रबंधन की जवाबदेही बनती है कि वह पुलिस को उसके पास काम करने वाले ठेकेदारों और कर्मचारियों की जानकारी दे और अगर वह ठेकेदार का आदमी था तो पुलिस ने अब तक ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्यवाही की?
इस पूरे मामले का एक और पहलू सामने आ रहा है वह है जिला जनसंपर्क कार्यालय का अजीव रवैया। 20 अप्रेल को जिला जनसंपर्क अधिकारी द्वारा पत्रकारों को एक एसएमएस और प्रेस नोट के जरिए यह बताया कि योनाचार की शिकार बच्ची के इलाज का पूरा खर्च मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा उठाया जाएगा। 22 अप्रेल को जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि उस बच्ची के इलाज का पूरा खर्च मध्य प्रदेश सरकार उठाएगी। सवाल यह है कि पीआरओ जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे अफसर आखिर अति उत्साह में पहले झाबुआ पावर फिर प्रदेश सरकार के सर पर इस बच्ची के इलाज का भोगमान डाल रहे हैं, को उचित माना जाएगा?
शिवराज सिंह चौहान की छवि प्रदेश में बच्चों के मामा की बनी नहीं बनाई गई है। शिव के राज में बच्चियां महफूज नहीं हैं। विडम्बना देखिए कि मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में उस बच्ची को इलाज के लिए भर्ती कराया गया जो नाकाफी ही साबित हुआ। बाद में उसे महाराष्ट्र की संस्कारधानी नागपुर भेजा गया। जहां चिकित्सकों ने इसके प्राथमिक इलाज में लापरवाही बरतने के संकेत दिए हैं। क्या शिवराज सिंह चौहान और भाजपा द्वारा सवा नौ सालों के राज में प्रदेश में माकूल चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने में अपने आप को अक्षम पा रही है जो वह नागपुर के निजी चिकित्साल की ओर ताक रही है?
बहरहाल, जिला एवं पुलिस प्रशासन को चाहिए कि अतिसंवेदनशील सिवनी में बाहर से आने वालों की मुसाफिरी दर्ज कराने और मकानमालिक के कंधों पर किराएदारों की पहचान सुनिश्चित कर उनके दस्तावेजी प्रमाण संबंधित थाने में जमा कराने की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से की जाए, साथ ही साथ मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के महाप्रबंधक को लापरवाही के लिए दण्डित करने की कार्यवाही करने के साथ इस काम में लापरवाही बरतने वाले घंसौर के नगर निरीक्षक, लखनादौन अनुविभाग के एसडीओपी पर उचित कार्यवाही करे, ताकि शांति के टापू सिवनी में बच्चियां और महिलाए और आम नागरिकं चैन की सांस ले सकें।

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