मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

मुंबई : मनसे और सेना के क्षेत्रवाद ने रोकी बाहरियों की भर्ती


मनसे और सेना के क्षेत्रवाद ने रोकी बाहरियों की भर्ती

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। लगता है इक्कसवीं सदी के दूसरे दशक के स्वप्न विजन 20 20 में अब क्षेत्र और भाषावाद को प्रमुख रूप से प्रोत्साहित किया जाने लगा है। अखण्ड भारत के महाराष्ट्र सूबे में शिवसेना ओर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के दबाव के आगे झुकते हुए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने लिपिक पद के लिए महाराष्ट्र से बाहर के उम्मीदवारों के साक्षात्कार रोक दिए हैं।
मजे की बात तो यह है कि स्थानीय उम्मीदवारों के इंटरव्यू जारी रखे गए हैं। एमएनएस और शिवसेना बाहरी छात्रों की भर्ती का विरोध कर रही हैं। पिछले दिनों दोनों पार्टियों के कुछ कार्यकर्ता फोर्ट स्थित सीबीआई के ऑफिस गए थे। उन्होंने इंटरव्यू में लोकल छात्रों को प्राथमिकता देने की मांग की थी।
सीबीआई ने क्लर्क पद पर भर्ती के लिए मुंबई, पुणे, नागपुर में इंटरव्यू सेंटर बनाया था। सीबीआई ने अब महाराष्ट्र से बाहर के उम्मीदवारों को इंस्टिट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन के अगले निर्देश तक इंतजार करने को कहा है। गौरतलब है कि एमएनएस और शिवसेना मराठी मानुष के मुद्दे पर जब तक हंगामा करती रही है। पिछले दिनों ही राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने मुलुंड में चल रही इनकम टैक्स भर्ती परीक्षा हंगामा कर दिया था। इसके बाद परीक्षा को कैंसल कर दिया गया था। एमएनएस का कहना था कि स्टेनो पद के लिए परीक्षा देने वाले सभी कैंडिडेट श्बाहरीश् हैं। मुलुंड के महानगरपालिका कार्यालय में इनकम टैक्स में स्टेनो पद की भर्ती की यह परीक्षा रखी गई थी। यही नहीं 2008 में भी रेलवे की भर्ती परीक्षाओं में बाहरी उम्मीदवार के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया गया था।

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