मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

छिंदवाड़ा नैनपुर के लिए किसी ने भी नहीं किया आंदोलन!


0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 8

छिंदवाड़ा नैनपुर के लिए किसी ने भी नहीं किया आंदोलन!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। 2004 में सिवनी जिले की जनता की आवाज को लोकसभा में उठाने के लिए दिल्ली भेजी गईं परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद श्रीमति नीता पटेरिया ने भी छुक छुक रेल गाड़ी को ब्राडगेज में तब्दील कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। श्रीमति पटेरिया द्वारा कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.नरसिंहराव की चुनावी घोषणा को पूरा करने के लिए अवश्य ही 2005 में एक पत्र तत्कालीन रेल मंत्री को प्रेषित किया था।
यहां उल्लेखनीय होगा कि 30 जनवरी 2005 में वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा द्वारा रामटेक से गोटेगांव तक नई रेल लाईन हेतु पोस्टकार्ड अभियान चलाया गया था। श्री वर्मा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2005 के अंत तक इस अभियान को पूरे जोर शोर से चलाए जाने के लिए हर संभव प्रयास किए। इस दौरान जिले के समस्त जनपद अध्यक्षों, सामाजिक, जातीय, कर्मचारी, पत्रकार, व्यापारी संगठनों आदि ने रेल मंत्री को पत्र लिखे थे। जिले के विधायकों ने भी इसमें बढ़ चढ़कर अपनी हिस्सेदारी जताई थी।
जगतगुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी द्वारा भी इस हेतु दो मर्तबा केंद्र को पत्र लिखा गया। इतना ही नहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री विमला वर्मा ने केंद्रीय रेल मंत्री से इस लाईन के लिए गुहार लगाई। तत्कालीन सांसद श्रीमति नीता पटेरिया ने संसद में (जो कि उनके लिए सहज सुलभ और उचित मंच था) यह बात न उठाकर रेल मंत्री को पत्र लिखकर रस्म अदायगी कर डाली। श्री वर्मा के प्रयासों से एक साल में लगभग पच्चीस हजार पोस्टकार्ड रेल भवन पहुंचे किन्तु इसके बाद भी कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के रेल मंत्रालय के कानों में जूं नहीं रेंगी।
आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि सिवनी में सियासत की बिछात बिछाने वाले किसी भी नेता ने इतने सालों तक छिंदवड़ा से नैनपुर की छोटी लाईन के अमान परिवर्तन के लिए बड़े आंदोलन का आगाज आखिर क्यों नहीं किया? सियासी तौर पर सक्रिय लोग किस बात से खौफजदा थे यह बात समझ से परे ही है। अगर ब्राडगेज सिवनी में आ जाती तो उनके कौन से राजनैतिक मंसूबों पर पानी फिरने वाला था यह बात समझ से परे ही रही।
सिवनी के किसी संसद सदस्य ने उनके कार्यकाल के रेल मंत्रियों से यह पूछने का दुस्साहस भी नहीं किया कि उनके कार्यकाल में चलने वाली पंचवर्षीय योजनाओं में महज 139.6 किलोमीटर के छोटे से रेल खण्ड के सर्वेक्षण के लिए कब और कितनी राशि जारी होने के आदेश जारी होंगे? सिवनी संसदीय क्षेत्र की जनता द्वारा इसके अस्तित्व में आने से विलोपन तक कुल दस संसद सदस्यों पर भरोसा कर उन्हें केंद्र में अपनी नुमाईंदगी के लिए भेजा जाता रहा किन्तु किसी ने भी सिवनी के हित साधने का जतन नहीं किया। अब जबकि किसी प्रस्ताव के बिना ही अंतिम समय में परिसीमन में सिवनी लोकसभा का विलोपन किया जाकर इसे बालाघाट और मण्डला संसदीय क्षेत्र में मिला दिया गया है तब इन दोनों संसदीय क्षेत्रों के सांसदों द्वारा अगर सिवनी से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है, सिवनी के हितों की अनदेखी की जाती है तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
(क्रमशः जारी)

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