सोमवार, 11 मार्च 2013

जानकारी देने से आनाकानी करते रहे जनसंपर्क अधिकारी!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 70

जानकारी देने से आनाकानी करते रहे जनसंपर्क अधिकारी!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। आधिकारिक तौर पर प्रशासनिक खबरें जारी करने के लिए अधिकृत जनसंपर्क विभाग का सिवनी कार्यालय अब शोभा की सुपारी बनता दिख रहा है। रविवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के स्थानांतरण की आंधी में सिवनी के कलेक्टर और एसपी भी बह गए। दोपहर में अफवाहों के दौर में जब जिला जनसंपर्क अधिकारी से इस बारे में मीडिया ने मालुमात करने की कोशिश की तो पीआरओ इस संबंध में मौन ही धारण किए रहे।
ज्ञातव्य है कि लंबे समय से प्रशसनिक बदलाव की खबरें आ रही थीं। बीच बीच में जिला कलेक्टर अजीत कुमार के स्थानांतरण की खबर भी उड़ जाती थी। रविवार को भी जिलाधिकारी अजीत कुमार और जिला पुलिस अधीक्षक राकेश जैन के स्थानांतरण की तगड़ी अफवाहें सिवनी की फिजां में तैर गईं थीं।
इन खबरों की पुष्टि के लिए जब मीडिया वालों ने जिला जनसंपर्क अधिकारी से संपर्क किया तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। इस आशय का समाचार भी आज जबलपुर से प्रकाशित एक बहुप्रसारित समाचार पत्र में प्रमुखता के साथ प्रकाशित हुआ है। मीडिया से जुड़े लोगों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि जब इस संबंध में पीआरओ आफिस से यह निवेदन किया गया कि वे भोपाल स्थित मुख्यालय से इस बारें मे ंदरयाफ्त कर इसकी पुष्टि करें तब भी पीआरओ आफिस ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया।
यहां उल्लेखनीय है कि मीडिया को शासन प्रशासन की खबरों के लिए जनसंपर्क विभाग अधिकृत है। इसके पहले भी जिला जनसंपर्क कार्यालय के ढुल मुल रवैए के कारण 7 फरवरी की रात्रि अचानक लगे सिवनी शहर में कर्फ्यू के उपरांत 8 फरवरी को मीडिया को सैंसर कर दिया गया था। 8 फरवरी को सुबह ना अखबार बटे और ना ही 3 बजे दिन तक मीडिया कर्मियों को घरों से बाहर आकर स्थिति का जायजा लेने की इजाजत ही दी गई।
गौरतलब है कि अनेक मीडिया कर्मियों ने जिला जनसंपर्क अधिकारी सिवनी से 7 फरवरी की रात्रि में ही निवेदन किया था कि 8 फरवरी को समाचार पत्र बटवाने की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली जाए, किन्तु कहा जाता है कि अपने कर्तव्यों के बजाए जिला प्रशासन के चंद अधिकारियों के आगे पीछे घूमकर अपना काम चलाने वाले जनसंपर्क विभाग ने मीडिया के अधिकारों पर हुए इस कुठाराघात पर एक शब्द बोलना भी उचित नहीं समझा।

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