पेंच पर बयानबाजी!
(शरद खरे)
देश के अन्नदाता किसानों के लिए फसलों के बेहतर उत्पादन हेतु सबसे महती
आवश्यक्ता पानी की ही होती है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। सिवनी के
किसानों के लिए भीमगढ़ बांध वरदान से कम नहीं है। भीमगढ़ का पानी पलारी, केवलारी क्षेत्र के किसानों के लिए एक बेहतर और उपजाऊ माहौल
पैदा कर रहा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। भीमगढ़ के चलते ही पलारी
क्षेत्र को सिवनी जिले का पंजाब भी कहा जाने लगा है। सिवनी में शेष इलाकों में
पैदावार तो है पर पानी की कमी के चलते पैदावार प्रभावित हो रही है।
सालों से सिवनी के किसान पेंच व्यपवर्तन परियोजना की राह तक रहे हैं।
ब्रितानी हुकूमत के दौरान इस परियोजना का सर्वेक्षण करवाए जाने के कुछ प्रमाण
मिलते हैं। याद पड़ता है कि जैसे ही दिग्विजय सिंह ने प्रदेश में 1993 में सत्ता संभाली उसके बाद उन्होंने पेंच परियोजना की नींव
रखी। सत्तर के दशक में भी इस परियोजना में कुछ काम हुआ है, पर यह काम कागजी घोड़े दौड़ाने तक ही सीमित रहा है।
यह परियोजना ंिछंदवाड़ा जिले के विकासखण्ड चौरई के ग्राम माचागौरा में
प्रस्तावित थी। बताते हैं कि इसमें ठेके को लेकर आपसी अहं का टकराव हुआ और इस
परियोजना पर मानो ग्रहण लग गया। नेताओं की बाजीगरी में इस परियोजना की नस्ती इस
कार्यालय से उस कार्यालय और न्यायालय की सीढ़ी चढ़ती उतरती रही। 2006 में दस फरवरी को तत्कालीन विधायक हरवंश सिंह के नेतृत्व में
दिल्ली गए कांग्रेस के प्रतिनिधिमण्डल ने इस परियोजना के साथ ही साथ रेल एवं अन्य
मामलों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, जल संसाघन मंत्री सैफुद्दीन सोज, रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के साथ ही साथ प्रदेश के
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उनके दिल्ली स्थित निवास पर भेंट की थी।
प्रदेश सरकार के भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक ईमानदार अधिकारी राधेश्याम
जुलानिया ने इस परियोजना में खासी रूचि ली और इस परियोजना के लगभग सारे अडं़गों को
हटवाने का प्रयास किया। वहीं, कुछ नेताओं की शह
पर उनके कारिंदों ने सिवनी की फिजां में यह बात तैरा दी कि आर.एस.जुलानिया इस काम
को बंद करना चाह रहे हैं। सर्किट हाउस सिवनी में सिवनी के उत्साही युवाओं और श्री
जुलानिया के बीच हुई झड़प संभवतः इन्हीं अफवाहों का नतीजा थी।
राधेश्याम जुलानिया के प्रयास अब आकार लेते दिख रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस
के नेताओं के सूत्र भोपाल में गहरी पैठ रखते होंगे इस बात से इंकार नहीं किया जा
सकता है। हो सकता है अपने-अपने सोर्सेज से मिली खबरों के आधार पर कांग्रेस भाजपा
द्वारा इसका श्रेय लेने का प्रयास किया जा रहा हो। वहीं विधायक दिनेश राय के पक्ष
से भी इस परियोजना का काम आरंभ कराने की बात कही जा रही है। कुल मिलाकर श्रेय लेने
की गंदी राजनीति का आगाज हो चुका है। वस्तुतः किसानों का किसमें हित है यह बात
प्राथमिकता वाली होना चाहिए। श्रेय बाद में लिया जा सकता है, वरना कहीं श्रेय की राजनीति में पेंच परियोजना पर ग्रहण न लग
जाए और इसे पूरा न होने देने की ठानने वाले नेताओं की बलवती अभिलाषाएं फिर हरी हो
जाएं।
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