भारत ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने की कवायद
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)। भारत और ब्रिटेन ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष-आईएमएफ में कोटा तय करने और प्रशासनिक सुधारों की वकालत की है। नयी दिल्ली में पांचवीं मंत्री स्तरीय भारत-ब्रिटेन आर्थिक वित्तीय वार्ता के दौरान ब्रिटेन के वित्त मंत्री जॉर्ज ऑसबॉर्न और वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी के बीच बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि आईएमएफ के कोष में पर्याप्त वृद्धि होनी चाहिए ताकि वह वैश्विक आर्थिक समस्याओं को कम करने में सार्थक भूमिका निभा सके।
वार्ता में दोनों पक्षों का यह मत था कि आपसी सहमति से तय समय सीमा के अन्दर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में कोटा तय होना चाहिए और प्रशासनिक सुधार लागू किए जाने चाहिए। श्री मुखर्जी और श्री ऑसबॉर्न इस बात पर एकमत थे कि हाल के महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर होने के बावजूद विकास दर कम ही रहेगी और उसे कई खतरों का सामना करना पड़ेगा। वक्तव्य में कहा गया कि दोनों देश अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने, वित्तीय स्थिरता और विश्वास बहाली की दिशा में भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध हैं।
भारत और ब्रिटेन ने जी-२० देशों से स्वीकृत समय सारिणी के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तर्कसंगत और बिना भेदभाव के वित्तीय नियामक सुधार योजना पर अमल की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प भी व्यक्त किया। उन्होंने माना कि कर संबंधी मामलों में परस्पर प्रशासनिक सहायता के बारे में बहुपक्षीय समझौते पर अन्य देशों को हस्ताक्षर करने चाहिए और कर अदायगी में सुधार तथा कर चोरी रोकने के लिए कानूनी रूप से आवश्यक जानकारी का अपने-आप आदान-प्रदान होना चाहिए। दोनों देश अपने संकल्पों के पालन के लिए पूरे वर्ष एक साथ मिलकर काम करने पर सहमत हो गए । भारत और ब्रिटेन के आपसी संबंधों के बारे में चर्चा करते हुए श्री मुखर्जी ने इस बैठक को उपयोगी बताया।
वित्त मंत्री ने कहा कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में चांस्लर ऑफ एक्सचेकर की व्यापक समझ के साथ ही भारत और ब्रिटेन के रिश्ते मजबूत करने के हमारे प्रयासों के लिए उनके समर्थन की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुई बातचीत काफी लाभकारी और उपयोगी रही। इस अवसर पर श्री ऑस्बार्न ने दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार बढ़ाने की बात कही।
वार्ता में दोनों पक्षों का यह मत था कि आपसी सहमति से तय समय सीमा के अन्दर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में कोटा तय होना चाहिए और प्रशासनिक सुधार लागू किए जाने चाहिए। श्री मुखर्जी और श्री ऑसबॉर्न इस बात पर एकमत थे कि हाल के महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर होने के बावजूद विकास दर कम ही रहेगी और उसे कई खतरों का सामना करना पड़ेगा। वक्तव्य में कहा गया कि दोनों देश अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने, वित्तीय स्थिरता और विश्वास बहाली की दिशा में भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध हैं।
भारत और ब्रिटेन ने जी-२० देशों से स्वीकृत समय सारिणी के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तर्कसंगत और बिना भेदभाव के वित्तीय नियामक सुधार योजना पर अमल की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प भी व्यक्त किया। उन्होंने माना कि कर संबंधी मामलों में परस्पर प्रशासनिक सहायता के बारे में बहुपक्षीय समझौते पर अन्य देशों को हस्ताक्षर करने चाहिए और कर अदायगी में सुधार तथा कर चोरी रोकने के लिए कानूनी रूप से आवश्यक जानकारी का अपने-आप आदान-प्रदान होना चाहिए। दोनों देश अपने संकल्पों के पालन के लिए पूरे वर्ष एक साथ मिलकर काम करने पर सहमत हो गए । भारत और ब्रिटेन के आपसी संबंधों के बारे में चर्चा करते हुए श्री मुखर्जी ने इस बैठक को उपयोगी बताया।
वित्त मंत्री ने कहा कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में चांस्लर ऑफ एक्सचेकर की व्यापक समझ के साथ ही भारत और ब्रिटेन के रिश्ते मजबूत करने के हमारे प्रयासों के लिए उनके समर्थन की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुई बातचीत काफी लाभकारी और उपयोगी रही। इस अवसर पर श्री ऑस्बार्न ने दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार बढ़ाने की बात कही।
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