शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

आमंत्रण पत्र से मंत्रियों के नाम गायब


अव्यवस्थाओं के बीच मुख्यमंत्री का कार्यक्रम सम्पन्न

बूंद-बूंद पानी को तरसती रही जनता

आमंत्रण पत्र से मंत्रियों के नाम गायब

जिला बनाने की घोषणा अधूरी रह गई

जनमानस को नहीं लुभा पाए मुख्यमंत्री

(रहीम खान)

बालाघाट (साई)। मध्यप्रदेश की जनता के बीच हर जगह के जाकर नई नई घोषणा करते घोषणावीर मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहचान निर्मित करने वाले शिवराज सिंह चौहान का जिले के मलाजखंड कॉपर प्रोजेक्ट परिसर के प्रगति मैदान में आयोजित बांस बोनस वितरण कार्यक्रम पूरी तरह अव्यवस्था का शिकार होकर रह गया। वन विभाग के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अनेक प्रकार की त्रुटियां स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हुए। वहीं अध्यापक संघ के द्वारा अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के भाषण के बाद किये गये प्रदर्शन से कार्यक्रम की शोभा पर कालिक पुत गई। आन्दोलनकारी शिक्षक-शिक्षिका ने शिक्षा मंत्री एवं प्रभारी मंत्री नानाभाऊ मोहाड की एक नहीं सुनी और जब तक मुख्यमंत्री स्वयं उनसे मिलने नहीं आये और ज्ञापन नहीं तब तक शोर जारी रखा। इतने बड़े आयोजन के लिये कवरेज हेतु मीडिया कर्मी के लिये भी कोई व्यवस्था नहीं रखी गई उन्हें भी इस विषमता का शिकार होना पड़ा। अपनी आदत के अनुरूप मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में ढेरो घोषणाएं करके आदिवासी जनता को सब्जबाग दिखा कर चले गये।
पानी को तरसती जनता:-
बोनस वितरण कार्यक्रम के इस भव्य आयोजन में दूर दराज से वन समितियों के लोगों को एवं तेदूपत्ता मजदूरी की भीड यहां पर वन विभाग व जिला प्रशासन द्वारा एकत्रित की गई पर उनके लिये कोई उचित व्यवस्था यहां नहीं थी। तपती धूप में मजदूर वर्ग बूंद बूंद पानी को तरसते रहे और इधर उधर भटकते रहे परन्तु उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। पूर्व की तरह इस कार्यक्रम में भी भीड बढ़ाने के लिये वन समिति, सिंचाई विभाग समिति, आंगनवाडी कार्यकर्ता इत्यादि को यहां पर उत्साह के साथ लाया गया पर उन्हे कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई। 100 किलोमीटर दूर से रास्ता पार कर आयोजन में पहुंच छोटू मरकाम नामक मजदूर ने कहा कि यहां पर हमकों लाकर आवारा छोड़ दिया गया। पीने के लिये पानी की व्यवस्था और ना ही कोई नाश्ते पानी की व्यवस्था की गई हम भूख के मारे परेशान है ऐसी ही व्यथा अनेक मजदूरों ने बताई।
मंत्रियों के नाम गायब:-
बांस बोनस वितरण कार्यक्रम में जिला प्रशासन बालाघाट की ओर से जो आमंत्रण पत्र वितरित किया गया इसमें पहली बार कार्यक्रम में उपस्थित मंत्रियों के नाम आमंत्रण पत्र से गायब पाये गये। जो पत्र दिया गया उसमें केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिह का नाम भर शामिल था, जबकि कार्यक्रम में मध्यप्रदेश शासन के वन मंत्री सरताज सिंह, सहकारिता एवं पीएचई विभाग के मंत्री गौरीशंकर बिसेन, स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री नाना भाऊ मोहाड एवं अन्य राज्य मंत्री देवी सिंह सैयाम, जिले के सांसद के।डी। देशमुख एवं भाजपा के विधायक रामकिशोर कावडे परसवाडा, विधायक भगत नेताम बैहर, विधायक रमेश भटेरे लांजी, का नाम आमंत्रण पत्र से गायब होने को लेकर सभी आश्चर्यचकित थे। आम तौर पर देखा गया है कि जब भी इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है उसमें मुख्यमंत्री के अतिरिक्त अन्य जो मंत्री उपस्थित रहते है उनके नाम अवश्य दिये जाते है। परन्तु यहां ऐसा कुछ नहीं हो पाया जिसे लेकर तरह तरह की चर्चाएं चलती रही। किसी ने कहा कि भाजपा के मंत्री विधायक के साथ भीतरी तौर पर कलेक्टर विवेक पोरवाल की पटरी नहीं बैठ रही है इस कारण ऐसा किया गया तो किसी ने कहा कि भाजपा में आमंत्रण पत्र में नाम लिखने का जहां तक सवाल है मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक सांसद के साथ यह अपने मंडल स्तर के पदाधिकारियों का भी नाम उसमें लिखा देते है जिसके कारण आमंत्रण पत्र की शोभा समाप्त हो जाती है। इसलिए केवल प्रदेश के मुखिया का नाम डालकर नाराजी वाली बात को समाप्त कर दिया गया। परन्तु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि कलेक्टर विवेक पोरवाल निर्भिक होकर सरकारी बैठकों में यह कहने से नहीं चुकते कि आपको मेरा काम पसंद नहीं तो आप मेरा तबादला करा दीजिये।
हवा बन गया बैहर जिला बनाने का नारा:- 
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गत वर्ष जब आदिवासी तहसील बैहर के भ्रम में आये थे तब उन्होने बैहर को जिला बनाने हेतु सकारात्मक दृष्टिकोण का सकेत दिया था और ऐसा लगने लगा था कि शीघ्र ही बैहर को जिला बनाने की घोषणा की जायेगी। परन्तु 15 अक्टूबर के भ्रमण पर इस विषय पर मुख्यमंत्री ने कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा। दुर्भाग्य की बात है कि धीरे धीरे भाजपा सरकार का कार्यकाल का समय अपनी समाप्ति की तरफ बढ रहा है परन्तु जिला बनाने के क्षेत्र में सरकारी स्तर पर क्या प्रयास हुए जनता को नहीं मालुम। आदिवासी तहसील बैहर में लोक निर्माण विभाग, आर।ई।एस। विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग, आदिवासी विकास विभाग के शत प्रतिशत कार्य भ्रष्टाचार के घिनौने खेले में उलझे हुए है। आदिवासी बैगा समाज के हित में चलाई जाने वाली अधिकतर योजनाएं भ्रष्टाचार के खेल में उलझी हुई है जिनके कारण इन क्षेत्रों में नक्सलवाद की समस्या पैदा हो गई। दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश के दो विभाग के मंत्री गौरीशंकर बिसेन बालाघाट जिले को विकास के पथ पर ले जाने का कागजी दावा करते है जबकि हकीकत यह है कि वे स्वयं भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर धिरे हुए है। जिसके कारण जिले के विकास की गति मंद पड़ गई। क्योंकि वह स्वयं ही अपनी कार्यप्रणाली से इतने विवाद उत्पन्न कर चुके है कि उससे निपटते निपटते समय निकाल जायेगा और प्रदेश तो दूर बालाधाट को स्वर्णीम जिला बनाने का सपना निकल जायेगा।
जनमानस को प्रभावित नहीं कर पाये मुख्यमंत्री:-
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस महत्वपूर्ण भ्रमण में आदिवासी क्षेत्र की जनता को उम्मीदें थी कि वह मिशन 2013 को ध्यान में रखते हुए कुछ नई घोषणाएं करेगें पर ऐसा कुछ हो नहीं पाया और अपनी पुरानी चिरपरिचित शैली में एक से बढ़कर एक घोषणाओं का अंबार खड़ा करके चले गये। जनता के बीच में मुख्यमंत्री का जो प्रभाव आम तौर पर होना चाहिये वह दूर दूर तक देखने नहीं मिला। लोग यह कहते हुए सुना गये कि यह भी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की तरह घोषणा वीर बन गये है आते है घोषणा करके चले जाते है उस पर कितना अमल हुआ यह बात की सुध लेना भूल जाते है। इस भ्रमण में उनके भाषण समाप्त होने के बाद शिक्षा कर्मियों के द्वारा जिस तरह से जनता के बीच से उठकर विरोध प्रदर्शन कर अपनी ओर ध्यान आकर्षित किया गया उसको देख कुछ समय के लिये मुख्यमंत्री भी आश्चर्यचकित रह गये क्योंकि शिक्षाकर्मी भी सामान्य नागरिक की तरह भीड में जाकर बैठ गये थे योजनाबद्ध तरीके से सब अपने हाथों में समस्याओं की तख्ती लेकर शोर करने लगे। इसे देखकर जनता से ज्यादा पुलिस महकमें में अफरा तफरी मच गई। इतना ही नहीं कवरेज करने के लिये पत्रकारों के बैठने के लिये भी यहां पर कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई जिसके कारण उन्हें अव्यवस्थाओं और कष्टों के बीच अपने कार्य का संचालन करना पड़ा। पुलिस अधिकारियों द्वारा हेलीपेड में पत्रकारों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई थी।

कोई टिप्पणी नहीं: