हर्बल खजाना ----------------- 17
अमरबेल: गंजेपन का उपाय
(डॉ दीपक आचार्य)
अहमदाबाद (साई)। जंगलों, सडक, खेत खलिहानों के किनारे लगे वृक्षों पर परजीवी अमरबेल का जाल अक्सर देखा जा सकता है, वास्तव में जिस पेड पर यह लग जाती है, वह पेड धीरे धीरे सूखने लगता है। खैर, इसकी पत्तियों मे पर्णहरिम का अभाव होता है जिस वजह से यह पीले रंग की दिखाई देती है। इसके अनेक औषधिय गुण भी है।
अमरबेल का वानस्पतिक नाम कस्कूटा रिफ़्लेक्सा है। पूरे पौधे का काढा घाव धोने के लिए बेहतर है और यह टिंक्चर की तरह काम करता है। डाग गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार इसके बीजों और पूरे पौधे को कुचलकर आर्थराईटिस के रोगी को दर्द वाले हिस्सों पर पट्टी लगाकर बाँध दिया जाए तो काफ़ी फ़ायदा होता है।
गंजेपन को दूर करने के लिए पातालकोट के आदिवासी मानते है कि यदि आम के पेड पर लगी अमरबेल को पानी में उबाल लिया जाए और उस पानी से स्नान किया जाए तो बाल पुनःः उगने लगते है हलाँकि डाँग के आदिवासी अमरबेल को कूटकर उसे तिल के तेल में २० मिनट तक उबालते है और इस तेल को कम बाल या गंजे सर पर लगाने की सलाह देते है।
अमरबेल को कुचलकर इसमें शहद और घी मिलाकर पुराने घावों पर लगाया जाए तो घाव जल्दी भरने लगता है। आधुनिक अध्ययनों से पता चलता है कि इस पौधे का अर्क पेट के कैंसर से लड़ने में मदद कर सकता है। कई ग्रामीण अंचलों मे इसका काढा गर्भपात कराने के लिये दाईयों द्वारा दिया जाता है।
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