बुधवार, 7 नवंबर 2012

त्योहार पर जांचे मिलावट को!


त्योहार पर जांचे मिलावट को!

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। त्यौहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मावा की डिमांड कई गुना बढ़ जाती है। यही डिमांड मिलावट को जन्म देती है। नकली दूध, घी और मावा बनानेवाले त्यौहारों के मौसम में हरकत में आ जाते हैं। नकली मिठाई और सिंथेटिक दूध से गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। आखिर कैसे बनता है मिलावटी मावा और दूध। कैसे करें असली-नकली की पहचान।
0 कैसे बनता है नकली मावा?
एक किलो दूध से सिर्फ दो सौ ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे मावा बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता है। लिहाजा बनाया जाता है मिलावटी मावा। इसे बनाने में अक्सर शकरकंदी, सिंघाडे़ का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है। नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि मावे का वजन बढ़े। वजन बढ़ाने के लिए मावा में आटा भी मिलाया जाता है। नकली मावा असली मावा की तरह दिखे इसके लिए इसमें कुछ केमिकल भी मिलाया जाता है। कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावे को तैयार करते हैं।
0 कैसे बनता है सिंथेटिक दूध?
सिंथेटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है। इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट, सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर मिलाया जाता है। इसके बाद इसमें थोड़ा असली दूध भी मिलाया जाता है। मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध पीने से आपको फूड पॉयजनिंग हो सकती है। उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है। किडनी और लिवर पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है। स्किन से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।
अधिक मात्रा में नकली मावे से बनी मिठाइ खाने से लीवर को भी नुकसान पहुंच सकता है। इससे कैंसर तक हो सकता है। कैलाश हॉस्पिटल के डॉक्टर डॉ। प्रवीण मिश्र के मुताबिक जो खाने की चीजों में मिलावट से फ़ूड पॉइजनिंग से लेकर कैंसर तक बीमारियां हो सकती हैं। स्किन डिसीस स्टमक डिसीस हो सकता है। लगातार मिलावटी खाना खाने से कैसर भी हो सकता।घ्
नकली मावा तो मिठाई में इस्तेमाल होता है। असली और नकली मिठाई में पहचान करना मुश्किल है। लिहाजा आप अच्छी और भरोसेमंद दुकान से ही मिठाई खरीदें। हमेशा बिल के साथ मिठाई लें ताकि किसी किस्म की खराबी होने पर दुकानदार को पकड़ सकें। जहां तक दूध का सवाल है तो आप थोड़ा सजग रहकर असली और नकली दूध में फर्क कर सकते है।
सिंथेटिक दूध में साबुन जैसी गंध आती है, जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती। असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है। असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है। अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है, वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है।
अगर हम असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है। असली दूध को हाथों के बीच रग़ड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। दूसरी ओर, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।

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