मध्य प्रदेश को नहीं बसों की दरकार
बसों के लिए कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा केंद्र को
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार से मिलने वाली इमदाद की मध्य प्रदेष सरकार को दरकार नहीं है। यही कारण है कि केंद्र द्वारा बार बार प्रस्ताव भेजने के अनुरोध के बावजूद भी एमपी गर्वमेंट ने कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा है। केंद्र सरकार को मिले छः राज्यों के प्रस्तावों को उसने मंजूरी दे दी है, जिसमें मध्य प्रदेष का नाम षामिल नहीं है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पास किए गए प्रस्तावों में पंजाब, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडू, हिमाचल प्रदेष और कर्नाटक को षामिल किया गया है। गौरतलब होगा कि सूबों की सरकारी या अर्धसरकारी परिवहन व्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली यात्री बसों के लिए केंद्र सरकार द्वारा अब तक कोई मदद नहीं दी जाती थी। पिछले साल मार्च में भूतल परिवहन मंत्रालय के द्वारा एक योजना बनाई थी जिसके मुताबिक अगर सूबों की बसें सूचना प्रौद्योगिकी सुविधाओं से लैस होंगी तो केंद्र सरकार उन्हें मदद उपलब्ध करवाएगा।
सूत्रों का कहना है कि इसके उपरांत केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2010 - 2011 के लिए सूबों से प्रस्ताव मांगे गए थे किन्तु मध्य प्रदेष सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव ही नहीं मिला। इसके अलावा सूबों में निरीक्षण एवं मरम्मत केंद्र की स्थापना के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए मध्य प्रदेष, उत्तर प्रदेष, दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेष, हरियाणा, हिमाचल प्रदेष, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि प्रस्ताव मांगे थे, जिनमें से महज हरियाणा और हिमाचल प्रदेष से ही प्रस्ताव आ पाए हैं।
अत्याधुनिक सुविधाओं से जुड़ सकेंगी यात्री बस
सरफेस ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री द्वारा जिन राज्यों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, उसके लिए तीस करोड़ रूपए की राषि चरणों में प्रदान की जाएगी, जिससे बसों में जीपीएस, जीएसएस प्रणाली के अंतर्गत व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम, इलेक्ट्रानिक टिकिट वैंडिग मषीन, आटोमेटिक फेयर कलेक्षन सिस्टम के साथ ही साथ सूचना प्रोद्योगिकी की अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी, जिससे राज्य परिवहन निगम में परिचालन क्षमता बढ़ने के साथ ही साथ वाहनों के रखरखाव में मदद मिलेगी।
छिंदवाड़ा को मिल गया एक सेंटर
भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में दो करोड़ 55 लाख रूपए की लागत से बनने वाले निरीक्षण और मरम्मत केंद्र मंजूर कर दिया गया है, जिसके लिए स्थान की तलाष युद्ध स्तर पर की जा रही है।
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